Halloween party ideas 2015
पर्यावरण लेबलों वाले संदेश दिखाए जा रहे हैं. सभी संदेश दिखाएं

 

पेड़ लगाए, पेड़ बचाए, सांसों को बढ़ाएं - कैप्टन चन्द्र प्रकाश शर्मा                                       

 शिवपुरी :



 पंचतत्व (क्षिति जल,पावक, गगन, वायु ) को सुरक्षित रखने के लिए वृक्षारोपण करना बहुत जरूरी है। पेड़ होंगे तो शुद्ध वायु के द्वारा मजबूत फेफड़े होंगे, हमारी सांसे लंबी होगी, जीवन स्वस्थ होगा। इसलिए "पेड़ लगाए हम, सांसों को बढ़ाएं हम"। यह शब्द अखंड ब्राह्मण सेवा समिति भारतवर्ष के जिला अध्यक्ष कैप्टन चंद्र प्रकाश शर्मा ने हाथीखाना में पेड़ लगाते हुए कहे।

  कैप्टन चंद्र प्रकाश शर्मा ने कहा कि आजकल हम पेड़ काटते हैं, तोड़ते हैं, लगाते नहीं है । मगर फल चाहिए, फूल चाहिए, छाया चाहिए, शुद्ध हवा चाहिए, कहां से लाओगे।  पर्यावरण को शुद्ध रखना हम सबका कर्तव्य है।  पर्यावरण में जो जहरीला प्रदूषण फैलता है , वह प्रदूषण मानव और अन्य जीव जंतुओं के लिए हानिकारक होता है । पर्यावरण प्रदूषण, औद्योगीकरण से निकलने वाला कचरा, वायु और धुवाँ हवा को प्रदूषित करता है ।और अम्लीय वर्षा  होती है । अपशिष्ट जहरीला पदार्थ जो निकलता है वह जल में मिल जाता है, इस प्रकार से जल भी प्रदूषित हो जाता है । और जल के प्रदूषित होने से जो जलीय जीव होते हैं , उनको नुकसान होता है । आधुनिकीकरण , आधुनिक प्रौद्योगिकी में अपनी प्रक्रियाओं से अनेक प्रकार की गैसों के साथ रसायन युक्त पदार्थ के माध्यम से जल , थल और वायु सभी को प्रदूषित करता है । 

आज  मानव जल्दबाजी में रहता है , वह साइकिल से नहीं चलता है। विभिन्न प्रकार के वाहनों से वायु प्रदूषण फैलता है ।  

श्रीमती कृष्णा त्रिपाठी ने कहा कि कंपोस्ट खाद, गोबर आदि का प्रयोग कम हो गया है। खेती में रसायनों का प्रयोग बढ़ गया है ।  रासायनिक उर्वरक और कीटनाशक मिट्टी की उर्वरता को नुकसान पहुंचाते हैं । खेतों में कीट लग जाते हैं।  उनको नष्ट करने के लिए कीटनाशक का जो उपयोग किया जाता , दवाओं का जो प्रयोग किया जाता है। हमारे स्वास्थ्य पर गहरा असर पड़ता  है। 

 महासचिव दिनेश चंद्र शर्मा ने कहा कि ग्लोबल वार्मिंग बढ़ रही है, यह सब पर्यावरण  प्रदूषण को बढ़ाता है । यह मिट्टी के कटाव, जल प्रदूषण , वायु प्रदूषण के लिए जिम्मेदार होता है। पेड़ों की अंधा धुंध कटाई ,जनसंख्या वृद्धि है । कारखाने वायु प्रदूषण को जन्म देते है। वायु में कार्बन । सभी जीव जंतुओं को हानि पहुंचती है ।

सचिव अंकिता दीक्षित  ने कहा कि प्लास्टिक प्रदूषण को समाप्त करना चाहिए । सिंगल यूज प्लास्टिक पर कठोरता के साथ बैन लगाना चाहिए। इस  अवसर पर वरिष्ठ स्काउट कमिश्नर प्रेम प्रकाश शर्मा, सुभाष शर्मा, उपाध्यक्ष हरवंश त्रिवेदी , श्रीमती प्रभा शर्मा , जिला अध्यक्ष श्रीमती कृष्णा त्रिपाठी, श्रीमती विमला शर्मा, श्रीमती अंजना दीक्षित, श्रीमती शशि शर्मा, विनोद शर्मा, सलाहकार कैलाश नारायण मुद्गल, संभागीय सचिव बालमुकुंद पुरोहित, वंश पुरोहित, तरुण शर्मा, देवेंद्र शर्मा मड़वासा, हरि बल्लभ शर्मा आनंद कुमार शर्मा, कैप्टन चन्द्र प्रकाश शर्मा, आयुष त्रिपाठी, पीयूष त्रिपाठी, एडवोकेट वरुण शर्मा, श्रीमती राजकुमारी शर्मा, श्रीमती गीता शर्मा, श्रीमती संध्या शर्मा, कु  वैष्णवी पुरोहित , श्रीमती बसंती शर्मा, कु आस्था शर्मा, कु आयुषी शर्मा, कु  मोनिका शर्मा, श्रीमती प्रभा शर्मा , श्रीमती रोशनी शर्मा , पंडित अभिमन्यु शर्मा ,पंडित ऐन के शर्मा, महासचिव दिनेश चंद्र शर्मा उपस्थित रहे। संचालन श्रीमती राजकुमारी शर्मा और श्रीमती प्रभा शर्मा ने आभार व्यक्त किया।

 डोईवाला:

आज दिनांक 5 जून पर्यावरण दिवस के अवसर पर नगर पालिका अध्यक्ष नरेंद्र सिंह नेगी , सभासद  प्रतिनिधि  वार्ड 20 प्रकाश कोठारी, सभासद ईश्वर रौथान, डोईवाला रेलवे रोड के वरिष्ठ व्यापारी पन्नालाल गोयल, बबिश चावला, मनीष सिद्धू , आयुष मल्ल ,मोहित डंगवाल,अभिनव गोपाल राणा,  , डोईवाला रेलवे स्टेशन के प्रांगण में पौधारोपण का कार्य किया गया।




 इस अवसर  पर  सभी के द्वारा जामुन, आवाला, अर्जुन की छाल आदि के पेड़ लगा कर पर्यावरण को स्वच्छ व सुंदर बनाने का संकल्प लिया गया

 

ऋषिकेश :

plantation by  MLA Rishikesh


क्षेत्रीय विधायक व पूर्व कैबिनेट मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल ने विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर कहा कि पर्यावरण संरक्षण में उत्तराखण्डवासियों की महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 


प्रदेश सरकार समृद्ध जैव संसाधनों के संरक्षण के प्रति प्रतिबद्ध हैं। इस मौके पर डॉ अग्रवाल ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के द्वितीय सरसंचालक माधव राव सदाशिव राव गोलवलकर तथा पूर्व मंत्री प्रकाश पंत की पुण्य स्मृति पर पौधे रोपकर पर्यावरण संरक्षण का संकल्प लिया।


 इस दौरान यूपी के सीएम योगी आदित्यनाथ के जन्मदिन पर भी पौधारोपण किया गया।


कैम्प कार्यालय में डॉ अग्रवाल ने पौधारोपण करते हुए कहा कि हमें सामूहिक रूप से प्रकृति के संरक्षण की दिशा में भी चिन्तन करना होगा। उन्होंने कहा कि सरकारी प्रयासों के साथ ही जनता, जन प्रतिनिधियों एवं स्वयंसेवी संस्थाओं का पर्यावरण संरक्षण के प्रति जन चेतना जागृत करने और इसके संवर्धन में महत्वपूर्ण योगदान है।


उन्होंने कहा प्रकृति को सहेज कर रखना हमारी गौरवशाली परम्परा है, जिसका प्रमाण वृक्षों की पूजा से मिलता है। उन्होंने कहा कि यह दिवस हमें मानव और प्रकृति के मध्य बेहतर सामंजस्य की आवश्यकता को रेखांकित करता है। यह दिवस साथ ही यह याद भी दिलाता है कि हम पर्यावरण को संरक्षित रखें। 


कहा कि पर्यावरण संतुलन बिगड़ने से आज जल, वायु, भूमि सभी क्षेत्रों में प्रदूषण एक बड़ी चुनौती के रूप में हमारे सामने है। उन्होंने कहा है कि पर्यावरण प्रदूषण से बचाव के लिए हमें अधिक से अधिक सामाजिक वानिकी-कृषि वानिकी को अपनाना होगा।


इस मौके पर पूर्व मंडल अध्यक्ष सुमित पवार, शिव कुमार गौतम, सोनू पांडे, संजय ध्यानी, मयंक शर्मा, विनायक कुमार, सौरभ रावत, वीरेंद्र रावत आदि परिजन उपस्थित थे।

 धनौल्टी:

आज ग्राम पंचायत धनौल्टी में विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर स्वच्छता अभियान और वृक्षारोपण कार्यक्रम किया गया।। 

plantation-in-dhanaulti


जिसमें प्रशासक नीरज बेलवाल, इको पार्क सचिव मनोज उनियाल, कुलदीप नेगी, वन विभाग से प्रमोद बंगवाल सुशील गौड़ और इको समिति के सदस्य मौजूद रहे।।।

            

 सेलाकुई  :



  रविवार को  राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ नगर सेलाकुई में पर्यावरण संरक्षण गतिविधि में हरित संगम कार्यक्रम  की गोष्टी का आयोजन हुआ |


 जिसमे  पर्यावरण को कैसे बचाया जा सकता है | कही  महत्वपूर्ण बिंदुओं पर चर्चाएं हुयी | जिसमे  चंदन, प्रांत पर्यावरण संयोजक मुख्य वक्ता  रहे | इसमे कार्यक्रम का सचलान बलवन्त ,पर्यावरण  मित्र ने किया | इस मौके पर जयकृत, पियूष , योगेश सेमवाल, ज्ञान  सिंह राणा , रविंद्र रमोला, अनिल नौटियाल, सभी नगर कार्यकारिणी मौजूद रही,

 

Elephant moving in residential area
ऋषिकेश/हरिद्वार:

रविवार शाम को ऋषिकेश में बैराज कॉलोनी में अचानक बैराजपुर से होते हुए एक  हाथी घुस आया। जिसे आता देखकर कॉलोनी वीडियो में हड़कंप मच गया और सब इधर-उधर भागने लगे देहाती कॉलोनी से होता हुआ मीरा बहन की कुटिया से होता हुआ आगे निकल गया परंतु इसी बीच इसने सड़क पर चल रहे एक मुक बधिर व्यक्ति को उठाकर पटक दिया।

उसे व्यक्ति को तुरंत अस्पताल ले जाया गया परंतु मुख बधिर होने के कारण उसकी पहचान नहीं हो पाई है।

हरिद्वार बहादराबाद क्षेत्र से भी इसी प्रकार की घटनाएं सुनने को मिल रही है रोहलकी किशनपुर गांव में भी हाथी चहलकदमी करते हुए देखे गए है। रोहलकी किशनपुर से सटे से हुए खेतों में भी हाथियों ने तूफान मचाया है। किसानों का कहना है कि किसी  हथिनी ने बच्चों को जन्म दिया है,इसकी खबर है। परंतु वन विभाग कोई बात सुनने को तैयार नही है। उनका कहना है कि हाथी तो आएगा ही।

बड़े बड़े विकास कार्यों , पुलों, फ्लाई ओवर, हाईवे के निर्माणों ने हाथियों के कॉरिडोर को ध्वस्त कर दिया जिस कारण वे इधर उधर इंसानी मानव बस्तियों रुख करते है।इसके अतिरिक्त वन क्षेत्र में कमी आना भी इसका महत्वपूर्ण कारण है। खासतौर से उत्तराखंड में जंगलों को भारी नुकसान पंहुच है, जिसका खामियाजा इन जानवरों को चुकाना पड रहा है।ऐसे में ये भोजन के लिये बस्तियों की और खेतों की और जाते है।


चूंकि हाथी विशालकाय जीव है अतः इसे कोई डर भी नही होता। अमूमन सर्दियों में हाथी अपने कॉरिडोर में विचरण करते हुए अपने स्थान को परिवर्तित भी करते है।अपने रास्ते को आजीवन याद रखते है। उनके रास्ते मे आये निर्माणों पर उनका आक्रोशित होना स्वाभाविक है।  गन्ने की फसल की तरफ भी आकर्षित होते है क्योंकि यह उनका पसंदीदा भोजन है। शाकाहारी यह जीव शांत स्वभाव का होता है परंतु आक्रोशित हो जाने पर आक्रामक होता है। जंगल की तरफ और खेतों की तरफ रहनेवाले किसानों और राहगीरों को चाहिए कि सावधान रहें।

हाथियों के कॉरिडोर को लेकर समीक्षा की आवश्यकता भी है।

विशेषज्ञों और वन विभाग को चेतने की आवश्यकता है अन्यथा दुष्परिणाम हो सकते है।

कुल मिलाकर विकास के नाम पर पर्यावरण को नष्ट करना और उसके अनदेखी करना मनुष्य कर सकता है सकता है परंतु जीव जंतु प्रकृति को नष्ट होते हुए नहीं देख सकते हैं और अपने घरों पर कब्जा तो कोई भी बर्दाश्त नहीं कर सकता तो हाथी भी क्यों करें?


 केंद्रीय मंत्री भूपेंद्र यादव ने भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 जारी की


देहरादून :

India forest condition report released Uttarakhand

 पर्यावरण, वन एवं जलवायु परिवर्तन मंत्री श्री भूपेंद्र यादव ने वन अनुसंधान संस्थान, देहरादून में ‘भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023’ का विमोचन किया। उल्लेखनीय है कि 1987 से भारतीय वन सर्वेक्षण द्वारा द्विवार्षिक आधार पर भारत वन स्थिति रिपोर्ट को प्रकाशित किया जा रहा है। भारतीय वन सर्वेक्षण (भा.व.स.) सुदूर संवेदन उपग्रह आंकड़ों और फील्ड आधारित राष्ट्रीय वन इन्वेंट्री (रा.व.इ) के निर्वचन के आधार पर देश के वन और वृक्ष संसाधनों का गहन आकलन करता है और इसके परिणाम भारत वन स्थिति रिपोर्ट (भा.व.स्थि.रि.) में प्रकाशित किए जाते हैं। भारत वन स्थिति रिपोर्ट 2023 इस श्रृंखला की 18वीं रिपोर्ट है।


रिपोर्ट में, वनावरण, वृक्ष आवरण, कच्छ वनस्पति आवरण, भारत के वनों में कार्बन स्टॉक, वनाग्नि की घटनाएं, कृषि वानिकी आदि विषयों पर जानकारी शामिल है। देश के स्तर पर वन स्वास्थ्य की विस्तृत तस्वीर पेश करने के लिए, वनावरण और वनों की महत्वपूर्ण विशिष्टताओं पर विशेष विषयगत जानकारी भा.व.स्थि.रि. में दर्शाई गई है। वर्तमान आकलन के अनुसार, कुल वन और वृक्ष आवरण 8,27,357 वर्ग कि.मी. है, जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17 प्रतिशत है। वनावरण का क्षेत्रफल लगभग 7,15,343 वर्ग कि.मी. (21.76 प्रतिशत) है जबकि वृक्ष आवरण का क्षेत्रफल 1,12,014 वर्ग कि.मी. (3.41 प्रतिशत) है।


  उन्होंने ने इस बात पर प्रसन्नता व्यक्त की है कि 2021 की तुलना में देश के कुल वन और वृक्ष आवरण में 1445 वर्ग किलोमीटर की वृ‌द्धि हुई है। उन्होंने उन्नत प्रौ‌द्योगिकी का इस्तेमाल करके भा.व.स द्वारा प्रदान की जाने वाली नियर रियल टाइम अग्नि चेतावनी और वन अग्नि सेवाओं पर भी प्रकाश डाला।


प्रमुख निष्कर्ष 

देश का वन एवं वृक्ष आवरण 8,27,367 वर्ग कि.मी. है जो देश के भौगोलिक क्षेत्र का 25.17 प्रतिशत है, जिसमें 7,15,343 वर्ग कि.मी. (21.76 प्रतिशत) बनावरण और 1,12,014 वर्ग कि.मी. (3.41 प्रतिशत) वृक्ष आवरण है।

वर्ष 2021 की तुलना में, देश के वन और वृक्ष आवरण में 1445 वर्ग कि.मी. की वृद्धि हुई है, जिसमें वनावरण में 156 वर्ग कि.मी. और वृक्ष आवरण में 1289 वर्ग कि.मी. की वृद्धि शामिल है।

वन एवं वृक्ष आवरण में अधिकतम वृ‌द्धि दर्शाने वाले शीर्ष चार राज्य हैं- छत्तीसगढ़ (684) वर्ग कि.मी.), उत्तर प्रदेश (559 वर्ग कि.मी.), ओडिशा (559 वर्ग कि.मी.) तथा राजस्थान (394 वर्ग कि.मी.) हैं।

वनावरण में अधिकतम वृद्धि दर्शाने वाले शीर्ष तीन राज्य हैं- मिजोरम (242 वर्ग कि.मी.), गुजरात (180 वर्ग कि.मी.) और ओडिशा (152 वर्ग कि.मी.) हैं।

क्षेत्रफल की दृष्टि से सबसे अधिक वन एवं वृक्ष आवरण वाले शीर्ष तीन राज्य हैं- मध्य प्रदेश (85,724 वर्ग कि.मी.), अरुणाचल प्रदेश (67,083 वर्ग कि.मी.) और महाराष्ट्र (65,383 वर्ग कि.मी.) है।

क्षेत्रफल की दृष्टि से सर्वाधिक वनावरण वाले शीर्ष तीन राज्य हैं- मध्य प्रदेश (77,073 वर्ग कि.मी.), अरुणाचल प्रदेश (65,882 वर्ग कि.मी.) और छत्तीसगढ़ (55,812 वर्ग कि.मी.) हैं।

कुल भौगोलिक क्षेत्रफल की तुलना में वन आवरण के प्रतिशत की दृष्टि से, लक्ष‌द्वीप (91.33 प्रतिशत) में सबसे अधिक वन आवरण है, जिसके बाद मिजोरम (85.34 प्रतिशत) और अंडमान एवं निकोबार द्वीप (81.62 प्रतिशत) का स्थान है।

वर्तमान आकलन से यह भी जात होता है कि 19 राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों में 33 प्रतिशत से अधिक भौगोलिक क्षेत्र वनावरण के अंतर्गत हैं। इनमें से आठ राज्यों/केंद्र शासित क्षेत्रों, जैसे मिजोरम, लक्ष‌द्वीप, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह, अरुणाचल प्रदेश, नागालैंड, मेघालय, त्रिपुरा और मणिपुर में 75 प्रतिशत से अधिक वनावरण है।

कुल कच्छ वनस्पति आवरण 4,992 वर्ग कि.मी. है।

भारत के वन और वाह्य वन वृक्षों की कुल निधि 6430 मिलियन घन मीटर अनुमानित की गई है, जिसमें से 4479 मिलियन घन मीटर वनों के भीतर और 1951 मिलियन घन मीटर वन क्षेत्र के बाहर है। पिछले आकलन की तुलना में कुल निधि में 262 मिलियन घन मीटर की वृद्धि हुई है, जिसमें 91 मिलियन घन मीटर वनों के भीतर और 171 मिलियन घन मीटर वन क्षेत्र के बाहर की वृद्धि शामिल है।

देश में बांस धारित क्षेत्र का विस्तार 1,54,670 वर्ग किलोमीटर अनुमानित किया गया है। वर्ष 2021 में किए गए पिछले आकलन की तुलना में बांस क्षेत्र में 5,227 वर्ग किलोमीटर की वृद्धि हुई है वाह्य वन वृक्षों से औ‌द्योगिक काष्ठ का कुल वार्षिक संभावित उत्पादन 91.51 मिलियन घन मीटर अनुमानित किया गया है।

वर्तमान आकलन में देश के वनों में कुल कार्बन स्टॉक 7,285.5 मिलियन टन अनुमानित किया गया है। पिछले आकलन की तुलना में देश के कार्बन स्टॉक में 81.5 मिलियन टन की वृद्धि हुई है।

एनडीसी के लक्ष्यों की प्राप्ति के संबंध में, वर्तमान आकलन से ज्ञात होता है कि भारत का कार्बन स्टॉक 30.43 बिलियन टन CO₂ के समतुल्य तक पहुंच गया है, जो दर्शाता है कि 2005 के आधार वर्ष की तुलना में, भारत पहले ही 2.29 बिलियन टन अतिरिक्त कार्बन सिंक तक पहुंच चुका है, जबकि 2030 तक 2.5 से 3.0 बिलियन टन का लक्ष्य रखा गया है।

 

देश के वन एवं वृक्ष संसाधनों के लिए महत्वपूर्ण जानकारी प्रदान करने के अलावा, भा.व.स्थि.रि. में दिए गए आंकड़े नीति निर्माताओं, योजनाकारों, राज्य वन विभागों, अनुसंधान संगठनों, विभिन्न विकास कार्यों में शामिल एजेंसियों, शिक्षाविदों, सिविल सोसायटी और प्राकृतिक संसाधन संरक्षण एवं प्रबंधन में रुचि रखने वाले अन्य हितधारकों के लिए सूचना के उपयोगी स्रोत के रूप में कार्य करते हैं।

 ऋषिकेश:

नगर-निगम  ऋषिकेश द्वारा मुख्य बाजार, सब्जी मंडी आदि क्षेत्रों में  रात्रि सफाई  का कार्य शुरू किया गया है। 

Cleaning campaign in Rishikesh


इससे पूर्व तीन-चार महीने पहले इसी क्षेत्र में रात्रि में  door to door कूड़ा उठाने का कार्य शुरू किया गया था जो बहुत सफल हुआ है इसके साथ ही सफाई का कार्य भी शुरू कर दिया गया है ताकि बाजार क्षेत्र में दुकान बंद होने के बाद गंदगी सड़क पर ना दिखाई दे।


दिनांक 27/11/24 को मेन मार्केट ,घाट रोड, मुखर्जी मार्ग , क्षेत्र रोड पर नाइट्  स्वीपिंग का कार्य किया गया और सफाई  करने के पश्चात कूडे को डोर टू डोर कूड़ा वाहन में भरवाया गया।


नगर आयुक्त द्वारा सभी  व्यापारी गणों एवं अन्य प्रतिष्ठान स्वामियों से अनुरोध किया गया है कि कृपया अपनी दुकान में कूड़ादन जरूर रखें और नगर निगम  वाहन को कूड़ा दें। सड़क पर किसी भी दिशा में कूड़ा न डालें । अन्यथा की स्थिति में चालानी एवं अन्य विधिक कार्रवाई अमल में लाई जाएगी।

 

नगर निगम ऋषिकेश के कार्यों की प्रशंसा करते हुए मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा है कि नगर निगम ऋषिकेश ने प्लास्टिक और वेस्ट का प्रयोग कर प्रधानमंत्री मोदी के तीन R के सिद्धांतों को आगे बढ़ाया है जिससे कूड़ा प्रबंधन में सफलता मिल रही है।

नगर आयुक्त शैलेंद्र सिंह नेगी की पहल पर इसके लिए ऋषिकेश नगर निगम ने सबसे पहले आईएसबीटी, त्रिवेणी घाट और वीरभद्र में प्लास्टिक बैंक की स्थापना की, प्लास्टिक बैंक के बॉक्स बनाने के लिए पुरानी प्लास्टिक बोतलों को ही इस्तेमाल किया गया। जिसमें लोग खुद खाली बोतलें या अन्य प्लास्टिक कचरा डालते हैं, इन प्लास्टिक बैंक से अब तक करीब 400 किलो तक प्लास्टिक रीसाइकिल हो चुका है। इस प्रयोग की सफलता को देखते हुए नगर निगम अब नटराज, ट्रांजिट कैम्प, रेलवे स्टेशन में भी प्लास्टिक बैंक स्थापित करने जा रहा है। 

Use of waste and plastic by municipal Rishikesh

प्लास्टिक कचरा एकत्रित करने के साथ ही इसे फिर से इस्तेमाल किया जा रहा है।


प्लास्टिक कूड़ा प्रबंधन, हमारे शहरी जीवन के सामने एक चुनौती बनकर उभर रहा है। ऐसे में ऋषिकेश नगर निगम ने प्लास्टिक कूड़े का प्रबंधन कर नगर निकायों के सामने उदाहरण पेश किया है। नगर निगम प्लास्टिक कूड़े को ना सिर्फ सफलता पूर्वक एकत्रित कर रहा है, बल्कि इसे रीसाइकिल के जरिए फिर कई तरह से इस्तेमाल भी कर रहा है। 

तीर्थनगरी के साथ ही राफ्टिंग- कैम्पिंग का प्रमुख केंद्र होने के कारण ऋषिकेश में वर्षभर श्रद्धालुओं और पयर्टकों की भीड़ भाड़ लगी रहती है। इस कारण यहां प्लास्टिक कूड़ा का प्रबंधन चुनौतीपूर्ण काम है। 



*वेस्ट टू वंडर पार्क* 

ऋषिकेश नगर निगम ने परिसर में प्लास्टिक वेस्ट से ‘वेस्ट टू वंडर’ पार्क भी तैयार किया है, जिसमें पुराने टायर, खराब हो चुकी स्ट्रीट लाइट, साइकिल- स्कूटर जैसे सामान से बच्चों के झूले ओर सजावटी सामान तैयार किए गए हैं। साथ ही नगर निगम रीसाइकिल प्लास्टिक से बैंच, ट्री कार्ड, प्लास्टिक बैंक बॉक्स भी तैयार कर रहा है।    


*महिला समूहों को जोड़ा अभियान से*


ऋषिकेश नगर निगम में डोर टू डोर कूड़ा कलेक्शन, के बावजूद पहले यूजर चार्ज, महज तीन लाख महीने तक ही जमा हो पाता था, लेकिन अब नगर निगम ने यूजर चार्ज वसूलने का काम, महिला स्वयं सहायता समूहों (त्रिवेणी सेना) को दे दिया है, जिसके बाद नगर निगम का कलेक्शन 13 लाख के पार चला गया है। इसमें से नगर निगम महिला समूहों को 25 प्रतिशत लाभांश देता है। इस तरह करीब 250 महिलाओं को प्रत्यक्ष तौर पर रोजगार मिला है।  


*सभी निकायों को प्लास्टिक कूड़ा निस्तारण की ठोस व्यवस्था के निर्देश दिए गए हैं। इस दिशा निकायों के स्तर पर कई नवीन प्रयास किए जा रहे हैं, कुछ जगह क्यूआर कोड के जरिए भी प्लास्टिक की वापसी की जा रही है। सरकार इस दिशा में बेहतर काम करने वाले निकायों का पुरस्कृत भी कर रही है

*पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री*

डोईवाला:

Swachta hi sewa programme in nagarpalika doiwala


 नगर पालिका परिषद डोईवाला द्वारा आज दिनांक 17.9.2024 को "स्वच्छता ही सेवा 2024( "स्वभाव स्वच्छता, संस्कार स्वच्छता )कार्यक्रम के अंतर्गत स्वच्छता संवाद कार्यक्रम का आयोजन नगर पालिका परिषद डोईवाला सभागार में किया गया, जिसमें  विधायक श्री बृजभूषण गैरोला  डोईवाला के नेतृत्व में उपस्थित स्वयं सहायता समूह, आंगनबाड़ी कार्यकत्री, पर्यावरण मित्रों एवं जनसमूह को स्वच्छता शपथ ग्रहण कराई गई।

साथ ही स्वच्छता विषय पर जागरूक भी किया गया. साथ ही  विधायक द्वारा घर-घर जाकर लोगों को स्वच्छता विषय संवाद करते हुए  जागरूक भी किया गया.


डोईवाला :



सरकार द्वारा बड़े स्तर पर चलाए जा रहे एक पौधा मां के नाम कार्यक्रम के अंतर्गत कैबिनेट मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल डोईवाला के बुल्लावाला गांव पहुंचे। जहां उन्होंने बड़े स्तर पर पौधारोपण अभियान चलाया, ओर एक पौधा अपनी माता व दूसरा पौधा स्व० भाभी के नाम लगाकर इस अभियान की शुरुआत की। इस अभियान में नगर पालिका परिषद डोईवाला व एमडीडीए के साथ शिक्षा विभाग, वन विभाग के आला अधिकारियों ने भी अपना सहयोग दिया।

बता दें कि उत्तराखंड की खूबसूरत वादियां दूर दराज के सैलानियों को अपनी ओर आकर्षित करती है। किउंकि यहां की आबो हवा व पर्यावरण काबिले तारीफ है, पर इस वर्ष जिस तरह गर्मी के प्रकोप ने सभी को सोचने पर मजबूर कर दिया, जिसको लेकर सरकार भी पूरी तरह गम्भीर है, ओर सरकारी तंत्र के द्वारा अधिक से अधिक पौधे लगाए जाने को लेकर आमजन को जागरूक किया जा रहा है। इसी कड़ी में आज कई विभागों की पहल से कैबिनेट मंत्री डॉ प्रेमचन्द अग्रवाल ने ग्रामीणों के साथ मिलकर बड़ी संख्या में पौधे लागए।

कार्यक्रम में पहुंचे कैबिनेट मंत्री प्रेम चंद अग्रवाल ने कहा कि जिस परिवार में शादी हो, तो नव दम्पत्ति एक एक पौधा आवश्यक रूप से लगाये, ऐसे में निश्चित तौर पर हमारी यह मुहिम पर्यावरण को स्वच्छ रखने में पूरी तरह रंग लाएगी। क्षेत्र पंचायत सदस्य  एवं जिला महामंत्री राजेंद्र तड़ियाल, मनोज काम्बोज ने भी पौधों को महत्त्वपूर्ण बताते हुए पूरे गांव में पौधारोपण अभियान चलाने का संकल्प लिया।

कार्यक्रम के दौरान नगर पालिका के अधिशासी अधिकारी उत्तम सिंह नेगी, जिला शिक्षा अधिकारी भुवनेश्वर प्रसाद, उप शिक्षा अधिकारी, धनवीर सिंह बिष्ट, प्रधानचार्य चंद्र प्रकाश पाल, संदीप सोलंकी, रेनू पाल, विनोद रौथाण, पदम सिंह, याकूब अली, भाजपा महिला मोर्चा जिलाध्यक्ष कविता शाह, भाजपा नेता करन बोरा, चंद्रभान पाल, विशाल क्षेत्री, दरपान बोरा, ओम प्रकाश काम्बोज आदि बड़ी संख्या में ग्रामीण मौजूद रहे।

 *के लिए प्रभावी प्रयास किये जाएं -मुख्यमंत्री*





मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने जल संरक्षण और वृक्षारोपण अभियान, 2024 के सफल क्रियान्वयन के लिए अधिकारियों को निर्देश दिये कि जल संरक्षण और जल संचय की दिशा में तेजी से कार्य किये जाए। नदियों और जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण के लिए प्रभावी प्रयास किये जाएं। इसके लिये सभी संबंधित विभाग समन्वय बनाकर कार्य करें। 10 से 16 जून 2024 तक प्रदेशभर में जल उत्सव सप्ताह व्यापक स्तर पर मनाया जाय। यह निर्देश मुख्यमंत्री ने बुधवार को सचिवालय में आयोजित बैठक में दिये। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि वैज्ञानिक आधार पर जल स्रोतों के पुनर्जीवीकरण के लिए तेजी से कार्य किये जाए। इसके लिए यूकॉस्ट, यूसर्क एवं जल संरक्षण और संवर्द्धन के लिए कार्य करने वाली अन्य संस्थाओं का सहयोग भी लिया जाए। उन्होंने कहा कि किसी भी अभियान को सफल बनाने में जन सहभागिता बहुत अहम होती है। जल संरक्षण एवं संवर्द्धन की दिशा में कार्य करने वालों के साथ ही इस दिशा में जन भागीदारी भी सुनिश्चित की जाए। मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को निर्देश दिये कि जिन नदियों और जल स्रोतों को पुनर्जीवित करने के लिए अभी तक चिन्हित किया गया है, उनका बेस लाईन डाटा भी बनाया जाय। इनके पुनर्जीवीकरण के लिए लघुकालिक और दीर्घकालिक योजना के साथ कार्य किये जाए। वर्षा जल संचय की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। रेन वाटर हार्वेस्टिंग के लिए बनाई गई नीति का नियमानुसार पालन सुनिश्चित करवाया जाय। 


मुख्यमंत्री ने बैठक में अधिकारियों को निर्देश दिये कि वनाग्नि से संभावित क्षेत्रों में वनाग्नि पर नियंत्रण के लिए ऐसे क्षेत्रों में नमी संरक्षण की दिशा में विशेष ध्यान दिया जाए। इसके लिए वन विभाग पूरी योजना बनाकर कार्य करें। जो जल स्रोत तेजी से सूख रहे हैं, उनके संरक्षण के लिए सुनियोजित तरीके से कार्ययोजना बनाकर कार्य किये जाएं। चाल-खाल और अमृत सरोवरों के निर्माण में और तेजी लाई जाय। शहरी क्षेत्रों में जल संरक्षण संचय और संरक्षण के लिए प्रभावी तरीके से कार्य किये जाएं।  


मुख्यमंत्री ने अधिकारियों को यह भी निर्देश दिये कि आगामी हरेला पर्व से व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण अभियान चलाया जाए। यह अभियान एक माह तक चलाया जाए। फलदार और छायादार वृक्षों का अधिक रोपण किया जाए। वृक्षारोपण के साथ उनका संरक्षण सबसे अधिक जरूरी है, इनके संरक्षण पर विशेष ध्यान दिया जाए। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि वृक्षारोपण अभियान को न्याय पंचायत स्तर तक चलाया जाय। न्याय पंचायत स्तर पर गोष्ठी के माध्यम से जल संरक्षण और वृक्षारोपण के लिए जन जागरूकता कार्यक्रम किये जाएं। न्याय पंचायत स्तर, विद्यालयों और विश्वविद्यालयों में वृक्षारोपण अभियान के तहत फलदार पौध वितरित किये जाएं। 


वन मंत्री श्री सुबोध उनियाल ने कहा कि वृक्षारोपण अभियान में जन सहभागिता जरूरी है। उन्होंने कहा कि इस अभियान को मनरेगा से जोड़ने से लोगों की आजीविका भी बढ़ेगी। इस वर्ष इस अभियान को न्याय पंचायत स्तर तक विस्तार किया जायेगा। वन विभाग द्वारा सेक्टर बनाकर वृक्षारोपण किया जायेगा।

  

पर्यावरणविद् डॉ. अनिल प्रकाश जोशी ने कहा कि पारंपरिक जल स्रोतों का संरक्षण जरूरी है। जल संचय और संरक्षण के परंपरागत तरीकों पर नियमित कार्य करना होगा। इस अभियान को जन अभियान बनाना जरूरी है।

  

बैठक में मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, अपर मुख्य सचिव श्री आनंद बर्द्धन, प्रमुख सचिव श्री आर. के. सुधांशु, प्रमुख वन संरक्षक डॉ. धनंजय मोहन, सचिव श्री शैलेश बगोली, श्री अरविन्द सिंह ह्यांकी, श्री विनय शंकर पाण्डेय, श्री एस.एन. पाण्डेय, डॉ. आर. राजेश कुमार, श्री एच.सी. सेमवाल, डॉ. पराग मधुकर धकाते, शासन के वरिष्ठ अधिकारी और वर्चुअल माध्यम से सभी जिलाधिकारी उपस्थित थे।

 हल्द्वानी ;


शहर में प्रस्तावित 13 चौराहों के चौड़ीकरण की जद में आ रहे पेड़ों के ट्रांसप्लांटेशन और रिलोकशन को लेकर डीएम वंदना ने वन, लोनिवि, राजस्व और ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ के साथ कैंप हल्द्वानी में बैठक ली।

DM nainital Vandana Singh


बैठक की अध्यक्षता करते हुए सिटी मजिस्ट्रेट ने जानकारी दी कि ट्रांसप्लांट विशेषज्ञ के साथ सर्वे कर लगभग 40 पेड़ो को चिन्हित कर लिया गया है । 


इन 13 चौराहों की जद में तकनीकी रूप से संभव पेड़ो को ट्रांसप्लांट का प्रयास किया जायेगा। जिलाधिकारी ने कहा कि उन्हीं पेड़ो को ट्रांसप्लांट/रिलोकेट किया जायेगा जिनकी सरवाइव होने की 80 प्रतिशत संभावना रहेगी। उन्होंने कहा कि इन चौराहों के चौड़ीकरण से ट्रैफिक में आने  वाले अवरोधक दूर होंगे इसके साथ ही नैनीताल रोड से लगते हुए लगभग 12 पार्कों  की लैंडस्केपिंग भी की जाएगी जिससे यहां से कुमाऊं के अन्य जनपदों की और जाने वाले पर्यटक पहाड़ के स्वरूप से जुड़ाव महसूस कर पाएंगे। 


बैठक की अध्यक्षता करते हुए डीएम ने कहा कि जिन पेड़ो को ट्रांसप्लांट किया जाना है उनकी डीपीआर तैयार करने के निर्देश ईई लोनिवि को दिए। इसके साथ ही नैनीताल के हाईवे से लगते हुए 12 पार्कों में लैंडस्केपिंग की जाएगी जिसके लिए पीडब्ल्यूडी को नोडल तथा  वन और नगर निगम को  सहायक नोडल अधिकारी नामित किया है। 


ट्रांसप्लांटेशन एक बायलॉजिकल प्रोसेस है जिसमें पेड़ को रूट को काट कर केमिकल का छिड़काव किया जाता है। इसके बाद उसमे नई जड़ों को लाया जाता है फिर पैक, लिफ्ट और अन्य जगह ट्रांसपोर्ट किया जाता है।  

बैठक में नगर आयुक्त विशाल मिश्रा, डी एफ ओ यू सो तिवारी, एसडीएम हल्द्वानी परितोष वर्मा सहित अन्य अधिकारी मौजूद थे।

 ऋषिकेश:

Chalan single use plastic rishikesh nagar n


नगर आयुक्त ऋषिकेश श्री शैलेंद्र नेगी  के निर्देशों के क्रम में  आज दिनांक 28/05/2024 देहरादून रोड में सिंगल यूज प्लास्टिक/ पॉलीथिन एवं गंदगी के खिलाफ अभियान चलाया गया, अभियान के दौरान 06 दुकानदारों का चालान कर ₹3000 का प्र शमन शुल्क अधिरोपित किया गया,  तथा 3 kg  प्लास्टिक /पॉलिथीन जप्त की गई।

टीम में सेनेटरी इंस्पेक्टर अमित नेगी, कर संग्रहकर्ता प्रदीप रावत, पर्यावरण पर्यवेक्षक  विनेश, पीआरडी कलिका उपस्थित रहे।


 देहरादून;

Save khalnga forest dehradun campaign


अखिल भारतीय देवभूमि ब्राह्मण जन सेवा समिति द्वारा  देहरादून मे पर्यावरण की रक्षा हेतु पेड़ो/वृक्षों पर रक्षासूत्र बाँध सरकार को पर्यावरण की रक्षा हेतु चेताया।

विकास के नाम पर देहरादून को लगातार विनाश की तरफ धकेलते कार्य की कड़ी मे पुनः हज़ारो पेड़ो की बलि खलंगा वन क्षेत्र तपोवान मे देने के विरोध मे समिति द्वारा पेड़ो /वृक्षों पर रक्षा सूत्र बाँध पर्यावरण की रक्षा का संकल्प लिया गया।

ब्राह्मण समाज सदैव सर्वत्र कल्याण की कामना करता आया है मानव के साथ साथ पेड़, पौधे, पक्षी, वनस्पति, जल, वायु, गृह, नक्षत्र, जीवो, अग्नि आदि की रक्षा हेतु समाज को जागृत करता आया है। सब की शांति ओर कल्याण के लिए शांति पाठ प्रदान कर जन जागरण का कार्य किया।


"ॐ द्यौ: शान्तिरन्तरिक्षँ शान्ति:,

पृथ्वी शान्तिराप: शान्तिरोषधय: शान्ति: ।

वनस्पतय: शान्तिर्विश्वे देवा: शान्तिर्ब्रह्म शान्ति:,

सर्वँ शान्ति:, शान्तिरेव शान्ति:, सा मा शान्तिरेधि ॥ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति: ॥"

अर्थात 

शान्ति: कीजिये, प्रभु त्रिभुवन में, जल में, थल में और गगन में,

अन्तरिक्ष में, अग्नि पवन में, औषधि, वनस्पति, वन, उपवन में,

सकल विश्व में अवचेतन में!

शान्ति राष्ट्र-निर्माण सृजन, नगर, ग्राम और भवन में

जीवमात्र के तन, मन और जगत के हो कण कण में,

ॐ शान्ति: शान्ति: शान्ति:॥

भारतीय सभ्यता संस्कृति मे साल भर के व्रत ओर त्यौहार भी इस क्रम मे है जिससे की मौसम के अनुसार प्रकृति के हर कण की रक्षा की जाये।


देवभूमि उत्तराखंड जो अपने शांत ओर स्वच्छ वायु के वातावरण के लिए विख्यात रही उसको विकास की दौड़ के नाम पर विनाश की ओर लगातार धकेला जा रहा है।

कुछ समय पहले सहस्त्रधारा रोड पर हज़ारो पेड़ो की बलि सड़क के विस्तार मे दीं गई। डाट काली मंदिर के पास हज़ारो पेड़ काट प्रकृति के साथ खिलवाड़ किया गया जिसका परिणाम देहरादून नगर का आग उगलता वातावरण चीख चीख कर कह रहा है विनाश का खेल बंद करो। 42 डिग्री तापमान की देहरादून मे कल्पना भी नहीं थी परन्तु अब लगता है की यदि विकास के नाम पर विनाश का खेल यूँही चलता रहा तो देहरादून का तापमान 50 डिग्री तक भी चला जायेगा।

सरकारे नई नई योजनाओं के नाम पर लगातार पेड़ो को काट रही है परन्तु यह विचारणीय है की नए जंगल लगाने का कितना कार्य कर रही है। किसी भी योजना हेतु यदि पेड़ काटने आवश्यक है तो उन पेड़ो के सापेक्ष दसगुणा पेड़ लगाने भी आवश्यक है जिससे प्राकृतिक संतुलन को बचाया जा सके।

 एक तरफ सरकार  खलंगा क्षेत्र मे वाटर ट्रीटमेंट योजना को स्थगित करने का संदेश दे रही है दुसरी तरफ इनके विभाग पेड़ो को चिन्हित कर उन पर निशान लगा रहे है इस दोहरे रूप के कारण पर्यावरण पर विनाश की तलवार लटकी हुई है।

  खलंगा मे वाटर ट्रीटमेंट प्लांट जैसी विनाशकारी योजना सिर्फ स्थगित नहीं निरस्त होने तक जनजागान चलता रहेगा।

  आज के जनजागरण कार्यक्रम मे समिति के संरक्षक श्री लालचंद शर्मा, श्रीमती आभार बड़थवाल समिति के केन्द्रीय अध्यक्ष अरुण कुमार शर्मा, सचिव रूचि शर्मा, उत्तराखंड प्रदेश कार्यकारी अध्यक्ष एडवोकेट राजगीता शर्मा,महासचिव डॉ अजय वशिष्ठ, भारती जोशी,

वासु वासिष्ठ,वसुधा वशिष्ठ रविन्द्र आनंद, पंकज सैनी, अभय उनियाल, पूजा चमोली, हिमांशु जोशी, प्रेम वालाभ चमोली, सोनिया आनंद, विचित्र शर्मा,  देवाशीष गौड़, राजेश पंत  आशीष शर्मा, मधु शर्मा, आचार्य डॉ राजदीप  डिमरी, प्रेम खुराना, वसुधा, शिवम् रावत, यतेंद्र प्रसाद जोशी, ऊषा जोशी, विजय जोशी, सुरुचि तिवारी, विजय सिंह गुसाई, विलोचना गुसाई,डॉ राजीव गुप्ता, गोपाल सिंह, सिशंत राणा, हर्षिता रावत, मधुसूदन सुंदरियाल,अंकित, अंशुल डोबरियाल ,एशवरिय आदि सम्मलित रहे।



       


 

 देहरादून;

Oppose of cutting of trees in khalanga


उत्तराखंड प्रदेश कांग्रेस के चीफ मीडिया कोऑर्डिनेटर राजीव महर्षि ने सौंग वाटर ट्रीटमेंट प्लांट के नाम पर खलंगा क्षेत्र के नौ हजार बेशकीमती साल के वृक्षों को काटने का तीव्र विरोध करते हुए प्रदेश की धामी सरकार को अब तक की सबसे बड़ी नासमझी और चूक करने वाली सरकार बताया है।

 उन्होंने कहा कि विकास परियोजना के नाम पर सदियों पुराने साल के जंगल की बलि लेना ठीक वैसा ही है जैसा कोई नीम हकीम गुर्दा प्रत्यारोपण के नाम पर शरीर से फेफड़े काट दे। उसे यह पता ही नहीं है कि फेफड़े निकाल देने के बाद शरीर निर्जीव हो जायेगा।

 महर्षि ने कहा कि हम विकास के विरोधी नहीं हैं लेकिन देहरादून में जिस तेजी से प्रदूषण बढ़ रहा है, उसकी रोकथाम यही जंगल कर रहे हैं और सरकार की नासमझी इसी से स्पष्ट हो जाती है कि वह इस जंगल को नेस्तनाबूत करने पर आमादा है।

महर्षि आज खुद खलंगा के लोगों द्वारा चलाए जा रहे विरोध प्रदर्शन को समर्थन देने मौके पर पहुंचे और उन्होंने लोगों को भरोसा दिया कि उनके आंदोलन में कांग्रेस पार्टी हरसंभव सहयोग देगी, क्योंकि यह सवाल देहरादून के अस्तित्व से जुड़ा हुआ है।

महर्षि ने जोर देकर कहा कि राज्य सरकार बेशकीमती वृक्षों के बलिदान से पूर्व एक बार पुनर्विचार करने का कष्ट करे। वरना बाद में उसे पछतावे के सिवाय कुछ हाथ नहीं लगेगा।

महर्षि के साथ अनेक कांग्रेसजन भी मौजूद थे। उनमें मुख्य रूप से राम सिंह थापा पूर्व अध्यक्ष बलभद्र थापा स्मारक समिति, प्रभा शाह महासचिव बलभद्र समिति, बीना गुरुग उपाध्यक्ष बलभद्र समिति, सचिन त्रिवेदी पूर्व उपाध्यक्ष डीएवी पीजी कॉलेज, परितोष सिंह उपाध्यक्ष देव पीजी कॉलेज, विकास नेगी सचिव, युवा कांग्रेस के सागर सेमवाल विधानसभा अध्यक्ष राजपुर यूथ कांग्रेस, पुलकित चौधरी, हरीश जोशी, अभिनय बिष्ट अखिल, शरद, आदर्श सचिन डोभाल अंकित सिसोदिया आदि शामिल थे।

सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के पूर्व छात्रों ने चलाया स्चछता अभियान

पूर्व छात्रों ने पर्यावरण के संरक्षण एवं संवर्धन के लिए धार्मिक स्थलों एवं अपने आसपास स्वच्छता बनाए रखने का दिया संदेश 



शिक्षा गुणवत्ता में अपनी विशेष पहचान रखने वाले सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के पूर्व छात्रों ने स्कूल के स्थापना दिवस के अवसर पर जनपद रुद्रप्रयाग पहुंचकर दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर में शामिल तृतीय केदार के नाम से विश्व विख्यात भगवान तुंगनाथ एवं चोपता घाटी में विशेष स्वच्छता अभियान चलाया। घोड़ाखाल ओल्ड ब्वायज एसोशिएशन के छात्रों ने भगवान तुंगनाथ के मंदिर से यहां दर्शन करने आने वाले श्रद्धालुओं से मंदिर परिसर एवं पैदल ट्रैक पर कूड़ा न फैलाने एवं घाटी को साफ-सुथरा रखने की अपील की। सैनिक स्कूल के छात्रों द्वारा तुंगनाथ घाटी में चलाए गए विशेष स्वच्छता अभियान में करीब चार कुंतल कूड़ा एकत्रित किया गया।

4 quintal garbege collected at third kedar tungnath ji



घोड़ाखाल ओल्ड ब्वायज एसोशिएशन के सदस्य मोहित मल्ली ने बताया कि हर साल घोड़ाखाल के पूर्व छात्र स्थापना दिवस के मौके पर कुछ विशेष करने का प्रयास करते हैं। इस वर्ष दुनिया के सबसे ऊंचे शिव मंदिर में शामिल तृतीय केदार के नाम से विश्व विख्यात भगवान तुंगनाथ एवं चोपता घाटी में विशेष स्वच्छता अभियान चलाते हुए सभी से अपने आसपास एवं धार्मिक स्थलों पर कूड़ा न फैलाने की अपील की। कहा कि देवभूमि उत्तराखण्ड में स्थित धार्मिक स्थलों पर हर वर्ष लाखों श्रद्धालु दर्शन करने पहुंचते हैं, ऐसे में लाजमी है कि इन पवित्र स्थलों पर कूड़ा एवं गंदगी होगी, प्रकृति एवं देवभूमि के प्रति अपनी जिम्मेदारी समझते हुए हम सभी को यहां की स्वच्छता एवं सौंदर्यता बनाए रखने का प्रयास करना चाहिए। उन्होंने तुंगनाथ की धरती से ‘‘क्लीन उत्तराखण्ड, ग्रीन उत्तराखण्ड’’ का संदेश देते हुए आने वाले सभी श्रद्धालुओं से अपना कूड़ा कूड़ेदान में ही डालने एवं दूसरे लोगों को भी इसके लिए प्रेरित करने की अपील की। इस अवसर पर घोड़ाखाल ओल्ड ब्वायज एसोशिएशन के छात्रों ने आगामी लोकसाभा सामान्य निर्वाचन 2024 में अपने मताधिकार का निर्भीक एवं स्वतंत्रता के साथ प्रयोग कर देश को मजबूत बनाने की अपील भी की।
  स्वछता अभियान में सैनिक स्कूल घोड़ाखाल के पूर्व छात्र शक्ति, अजय मौर्य, सौरभ आर्य सहित एसडीआरएफ, नगर पंचायत ऊखीमठ के कर्मचारी एवं स्थानीय स्कूलों के छात्र-छात्राएं मौजूद रहे।


कोटद्वार;



विश्व गौरैया दिवस 20 मार्च 2024 को मंगलम पैलेस निंबूचौड़ में श्री दिनेश चंद्र कुकरेती पक्षी प्रेमी द्वारा लगभग 1000 गौरैया के स्वनिर्मित निर्मित घोसले वितरित किए श्री कुकरेती जी अब तक₹21000 से अधिक गौरैया के स्व निर्मित घोसले बांट चुके हैं ।इस कार्य को देखते हुए क्षेत्र के संभ्रांत स्वयंसेवी संस्थाओं द्वारा एवं महिलाओं द्वारा श्री दिनेश कुकरेती जी के पर्यावरण और पक्षियों के प्रति जो प्यार और स्नेह का कार्य किया जा रहा है उन्हें सम्मानित किया गया  आज के कार्यक्रम के आयोजक जयदेव भूमि फाउंडेशन के द्वारा किया गया और श्री दिनेश चंद्र कुकरेती जी को सम्मान पत्र से सम्मानित किया गया ।विभिन्न सामाजिक संस्थाओं के पदाधिकारी एवं घमंडपुर, नींबूचौड़, मवाकोट, सतीचौड़  की महिला मंगल दलों की बहनों के द्वारा श्री दिनेश चंद्र कुकरेती जी को उनके कार्यों को तालिया के माध्यम से प्रोत्साहित किया। इस अवसर पर योगम्बर सिंह रावत जी जनार्दन बुढाकोटी,जयवीर रावत, प्रमोद चौधरी , एडवोकेट अमित सजवान ,राजेश जोशी ,पार्षद कुलदीप रावत, श्रीमती गीता नेगी ,श्रीमती शोभा रावत ,क्रैडल प्ले पब्लिक स्कूल की संस्थापक श्रीमती रेणुका गोसाई  एवं क्षेत्र पंचायत सदस्य तोलूडांडा  श्रीमती लक्ष्मी रावत ,संदीप रावत, जीतेंद्र सिंह,रजत कार्यक्रम में विश्व गौरैया दिवस पर उपस्थित रहे और शुभकामनाएं दी। साथ ही विकास देवरानी, विकास पंत ,दलजीत सिंह वंदना कुकरेती, शिवानंद लखेड़ा ,पिंकी तोमर, रश्मि रावत, रेनू भारद्वाज, कमला रौतेला कार्यक्रम में उपस्थित रहे वक्ताओं ने अपनी-अपनी भावनाएं विश्व गौरैया दिवस पर प्रेषित की जिसमें पूर्व वन अधिकारी राजेंद्र प्रसाद पंत द्वारा पर्यावरण के प्रति जानकारी दी। चंद्र मोहन कुकरेती जी द्वारा स्वास्थ्य विशेषज्ञ के रूप में प्रकृति एवं पक्षियों से होने वाली विभिन्न बीमारियों का इलाज यानी बर्ड थेरेपी से लोगों को जागरूक किया । कार्यक्रम का संचालन शिक्षक धनपाल सिंह रावत द्वारा किया गया ।           आयोजक -जय देवभूमि फाऊंडेशन कोटद्वार।


मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सप्तनीक गुरूवार को मुख्यमंत्री आवास परिसर में ट्यूलिप की 17 प्रजातियों के 4000 बल्ब  के रोपण कार्यक्रम की शुरूआत की। 



पिछले वर्ष  सीएम आवास परिसर में ट्यूलिप की 4 प्रजातियों के 400 बल्ब रोपित किए गए थे।मुख्यमंत्री आवास में इस वर्ष ब्लैक- पर्पल  बाईकलर प्रजाति के ट्यूलिप आकर्षण का केन्द्र रहेंगे। मुख्यमंत्री ने ट्यूलिप बागवानी के बारे में उद्यान  प्रभारी दीपक पुरोहित से  जानकारी ली गई व आगामी वर्षों में इसके व्यवसायिक उत्पादन की कार्य योजना बनाने के निर्देश दिये।

 मुख्यमंत्री द्वारा  इस अवसर पर  परिसर में विभिन्न औद्यानिक कार्यों का भी निरीक्षण  कर सब्जी उत्पादन, मशरूम उत्पादन, मौनपालन के कार्यों के साथ-साथ विभिन्न प्रजाति के पुष्पों  का अवलोकन कर ऐसे प्रयासों की सराहना की.

 


 देहरादून उद्घोषणा - 2023

Dehradun declaration 2023


 आपदा प्रबन्धन पर छठा विश्व सम्मेलन (डब्ल्यू.सी.डी.एम.) -2023


 *प्रस्तावना


इस छठे विश्व सम्मेलन का केन्द्रीय विषय रहा है- जलवायु क्रियाशीलता एवं आपदा-सम्मुख लचीलेपन को सुदृढ़ करना विशेषतः पर्वतीय पारिस्थितिकी प्रणालियों और समुदायों के सन्दर्भ में


यह विश्व सम्मेलन अथर्ववेद में वर्णित मन्त्र

 *धरती माता और मैं धरती का पुत्र हूं*  की अभिप्रेरणा को पुनस्र्स्थापित करता है कि हम भारतवासियों के लिए यह धरती पवित्र है, यह हिमालय पूज्य है। पारिस्थितिकी के प्रति हमारी संवेदना अपनी माँ, पृथ्वी के प्रति हमारा आदर एवं समर्पण है, हमारी श्रद्धा है।


 *केन्द्रीय मान्यता* 


यह विश्व सम्मेलन विश्व की सबसे युवा पर्वतीय प्रणाली की चुनौतियों, स्थानीय समुदायों के अनुभवों और इन प्रणालियों पर निर्भर जनजीवन का संज्ञान लेता है। हिमालय निरन्तर बढ़ते पर्यावरणीय संकटों, आपदाओं और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न वैश्विक संकटों का सजीब उदाहरण है। संतुलित प्रणालियों और समुदायों की सक्रिय भागीदारी ऐसे संकटों खतरों और आपदाओं से निबटने में अत्यन्त सहायक सिद्ध होती है। यह विश्व सम्मेलन ऐसी कार्ययोजनाओं को प्रस्तावित करता है जिन्हें सभी हिमालयी राज्यों में प्राथमिकता के आधार पर लागू करने की आवश्यकता है और जो न केवल विश्व की सम्पूर्ण पर्वतीय प्रणालियों के लिए बल्कि जो अन्य सम्बन्धित क्षेत्रों के लिए भी अत्यन्त लाभप्रद सिद्ध हो सकेंगी।


 *क्रियान्वयन के सन्दर्भ* 


 *आपदा सम्मुख लचीलेपन (Resilience) की तैयारी को सुदृढ़ बनाना* 


पर्वतीय राज्यों के भावी कर्णधार युवाओं को आपदा प्रचन्धन की दिशा में विशेष रूप से तैयार करने की आवश्यकता है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु स्कूल/कॉलेज सुनिश्चित करना, गतिमान परियोजनाओं की निरन्तर निगरानी और मूल्यांकन की अवधारणा को अनुकूल एवं सुदृढ़ बनाना प्रमुख रूप से अनिवार्य है।


 *पर्वतीय समुदायों का सशक्तीकरण* 


• सामुदायिक भागीदारी और स्थानीय समुदायों के सम्मुख आने वाले विशिष्ट जोखिमों के बारे में उन्हें पूर्णरूपेण शिक्षित करना, और आपदाओं का सामना करने के लिए उन्हें तैयार करना आवश्यक है। पारिस्थितिकी की बेहतर समझ और सामुदायिक भागीदारी के लिए पारम्परिक ज्ञान और स्थानीय भाषा-संस्कृति का व्यापक पैमाने पर उपयोग सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता है।


• सामुदायिक समझ पर आधारित प्रारम्भिक चेतावनी प्रणालियों में स्थानीय ज्ञान परम्परा का समावेश एवं प्रारम्भिक चेतावनी संकेतों की निगरानी और आपदा राहत कार्यों में स्थानीय समुदाय की सहभागिता आवश्यक है।

 • आर्थिकी  के दुर्बल क्षेत्रों पर निर्भरता कम करने के लिए आजीविका और आजीविका प्रणालियों को मज़बूत और विविध बनाना, तथा इस भाँति आपदा-राहत की तैयारी, प्रतिक्रिया और पुनर्स्थापना सुनिश्चित करना के आवश्यक है।


 • आपदा प्रतिरोधी व्यवस्थाओं हेतु सहयोग बढ़ाने के लिए समुदायों, स्वयं सहायता समूहों, सरकारी, गैर-सरकारी संस्थानों और अन्य हितधारकों के बीच नेटवर्क और साझेदारी की स्थापना सुनिश्चित करना आवश्यक है।


 *नीति एकीकरण का समर्थन* 


• उन नीतियों और व्यवस्थाओं के पूर्णरूपेण समर्थन की आवश्यकता है जो आपदा जोखिम की दुर्बलताओं पर ध्यान केन्द्रित करती हैं और समय-समय पर आपदा प्रतिरोध को सुदृढ़ बनाती हैं। राज्य में एक ऐसे अत्याधुनिक 'आपदा प्रबन्धन संस्थान' की स्थापना अत्यन्त आवश्यक है, जो हिमालय में आपदा जोखिम लचीलेपन के लिए अनुकूल नीतियों

तथा कार्यवाहियों का इनपुट प्रदान करने पर विशेष रूप से केन्द्रित हो।


• इस संस्थान को आपदा जोखिम के लिए समुचित तैयारी और रणनीतियों की स्थापना के लिए आवश्यक ज्ञान, डेटाबेस तथा सूचना प्रणालियों को विकसित करने के लिए एक मिशन मोड पर स्थापित किया जाना चाहिए।


• हिमालय में आपात स्थिति और महामारी की स्थिति में टिकाऊ पारिस्थितिकी तन्त्र, सुरक्षित वातावरण तथा स्वास्थ्य सेवाओं के सभी घटकों की आवश्यक तैयारी सुनिश्चित करना।


 *नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता* 


• आपदा प्रतिरोध हेतु सुसज्जित समाज के लिए नवीन दृष्टिकोण, तरीक़ों, व्यवस्थाओं और तन्त्रों में योगदान करने के लिए हिमालयी ज्ञान प्रणालियों को मज़बूत करना।


• दुरूह, संवेदनशील और नाजुक इलाकों में आपदा जोखिम लचीलेपन और प्रतिक्रिया की सर्वोत्तम व्यवस्थाओं के मध्य सहयोग और उनका सफल संचारण।


• हिमालय में आपात स्थिति और आपदा जोखिम लचीलेपन के लिए नये उपकरण और ऐप्लीकेशन विकसित करने हेतु स्टार्ट-अप और उद्यमिता में निवेश को प्रोत्साहित करना।


• हिमालयी राज्यों और पर्वतीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के लिए लचीलापन, पुनर्स्थापना और प्रतिरोध के सिलक्यारा मॉडल के अनुरूप नयी व्यवस्थाएँ विकसित करना।


उपर्युक्त के साक्ष्य-सम्मुख, छठे विश्व सम्मेलन के प्रतिभागी एवं आयोजक हिमालय और हिमालयी समुदायों के पारिस्थितिकी तन्त्र के लचीले और टिकाऊ भविष्य की दिशा में अथक प्रयास करने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ हैं, जिससे एक सुव्यवस्थित और सुरक्षित विश्व की संकल्पना हेतु वैश्विक प्रयास में योगदान प्रदान किया जा सके।


पाठ्यक्रम में आपदा, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और आपदा-सम्मुख लचीलेपन (disaster resilience) पर विशेष पाठ्य-घटक होने चाहिए।


• आपदा से निपटने के दौरान समाज के कमजोर वर्गों, जैसे बच्चों, महिलाओं एवं वृद्धजनों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इस सन्दर्भ में यह विश्व सम्मेलन नियम तथा विधायी ढाँचे स्थापित करने का प्रस्ताव करता है।


• दिव्यांग समुदायों की भागीदारी सहित समावेशिता, विचार-विमर्श के एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में उभरी है। विशेष रूप से इस समूह को ध्यान में रखते हुए 'उत्तरजीविता का विज्ञान' (Science of Survival) विकसित करने की आवश्यकता इसका एक महत्वपूर्ण घटक है।


• यह विश्व सम्मेलन सभी सम्बन्धित परियोजनाओं और उनके क्रियान्वयन के लिए आपदा जोखिम न्यूनीकरण तथा आपदा प्रतिरोध के लिए बजट आवंटन या सी.एस.आर. के माध्यम से विशेष वित्तीय उपकरणों की आवश्यकता का भी संज्ञान लेता है।


 *पर्वतीय पारिस्थितिकी तन्त्र की रक्षा* 


• इस विश्व सम्मेलन में आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए पारिस्थितिकी दृष्टिकोण के साथ हिमालयी क्षेत्र के लिए अनुकूल प्रकृति आधारित समाधानों/प्रकृति जलवायु समाधानों के क्रियान्वयन पर विशेष बल देने का प्रस्ताव है।


• स्थानीय समुदायों के अनुभवों की विशिष्टता की पहचान, उसकी मान्यता एवं सराहना, तथा आपदाओं और उनके समाधानों की बेहतर समझ के लिए समकालीन प्रौद्योगिकियों एवं भविष्यवाणी के उपकरणों के साथ-साथ स्थानीय ज्ञान-प्रणालियों का सन्दर्भ एवं समावेश भी आवश्यक है। ढाँचागत विकास और परियोजनाओं के लिए हिमालयी तन्त्र की भूवैज्ञानिक, जल- वैज्ञानिक, पारिस्थितिकी, और सामाजिक जटिलताओं को समझने के लिए विभिन्न संस्थानों के मध्य डेटा /सूचना की साझेदारी  परियोजना सुनिश्चित करना आवश्यक होगा।


आपदा प्रबंधन विश्व स्तरीय सम्मेलन में चार दिन चला मंथन-  निष्कर्ष रूपी अमृत पूरे विश्व में पहुंचेगा: राज्यपाल


 छठी वर्ल्ड कांग्रेस ऑन डिजास्टर मैनेजमेंट में करीब 70 देशो से उमड़े वरिष्ठ वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में अपने अनुभवों एवं सुझावों से इस महासम्मेलन को विश्व भर के लिए के यादगार बना दिया। इस से महासम्मेलन से निकलने वाले अमृत का लाभ आपदाओं से त्रस्त दुनिया के देशों को निश्चित रूप से होगा I


     यह उदगार आज ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी के सिल्वर जुबली कनवेंशन सेंटर में आयोजित महासम्मेलन के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त)  गुरमीत सिंह ने व्यक्त किए I उन्होंने महासम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व पटल पर आपदा प्रबंधन एवं प्राकृतिक आपदाओं से जूझने एवं उनका सामना करने के लिए  मुख्य रूप से आयोजित किए गए इस महासम्मेलन में जिस तरह देश विदेश के 70 से ज्यादा वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने आपदाओं से होने वाली क्षति को रोकने के लिए मंथन किया है, उससे निश्चित रूप से विश्व के सभी देशों को लाभ होगा।


राज्यपाल ने कहा कि इस मंथन से प्राप्त अमृत सभी देशों में जाएगा, इससे विभिन्न तरह की आपदाओं का सामना वे अधिक दक्षता से कर सकेंगे। समूचे विश्व में समय-समय पर प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं। उत्तराखंड राज्य में ऐसी आपदाएं समय-समय पर आ चुकी हैं और बड़ी चुनौतियां खड़ी कर देती हैं, लेकिन इन्हें चेतावनी के रूप में स्वीकार करते हुए सावधानियां बरतनी होंगी। उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी और केदारनाथ में जहां वर्ष 2012 और 2013 की प्राकृतिक आपदाओं ने भारी क्षति पहुंचाई थी,  वहीं कई अन्य घटनाओं ने समस्याओं को हमारे सामने चुनौतियों के रूप में समय-समय पर खड़ा किया है। ऐसी चुनौतियों का का सामना करने के लिए हमें तैयार रहना चाहिएI


राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल  गुरमीत सिंह ( सेवानिवृत ) ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि आपदा के मामलों में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने त्वरित गति से कार्य किए हैं जिससे पीड़ित के दुख दर्द कम करना संभव हुआ है। राज्यपाल ने जी-20 सम्मेलनों का भी जिक्र किया और उसके लिए केंद्र सरकार के कदमों की सराहना की I हाल ही में सिलक्यारा सुरंग के हादसे में भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड की सरकार द्वारा तत्काल राहत बचाव के कार्य किए गए और आखिरकार उसमें 17 दिन बाद कामयाबी मिल पाई I इस अवसर पर अंडमान निकोबार के राज्यपाल एडमिरल डीके जोशी ने सम्मेलन में 70 देश के विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के मंथन को पूरी तरह से सफल बताते हुए कहा कि आपदाओं को हम कम तो नहीं कर सकते लेकिन उनका सामना करने की रणनीति अपनाकर होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है और आपदाओं को ज्यादा फैलने से रोका जा सकता हैI


राज्यपाल ने कहा कि छठवें विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन का मूल उद्देश्य हिमालययी पारिस्थितिकी तंत्र और समुदायों पर ध्यान केंद्रित करते हुए जलवायु व आपदा प्रबंधन की चुनौतियों पर चर्चा करके समाधान सुझाना है। इससे उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन एवं जलवायु परिवर्तन के अंतर्राष्ट्रीय शोध व समाधान केंद्र के रूप में विकसित करने के प्रयासों को बल मिलेगा। आठ दिसंबर से दून में होने वाले वैश्विक निवेशक सम्मेलन से पहले यह आयोजन विदेश में 'सुरक्षित निवेश, सुदृढ़ उत्तराखंड' की धारणा को पुष्ट करेगा।


     कार्यक्रम में केंद्रीय भूविज्ञान मंत्री श्री किरण रिजिजू ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के आने पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सुरक्षा कवच के रूप में त्वरित उपाय समय-समय पर किए गए हैं जिसके लिए केंद्र सरकार निश्चित रूप से बधाई की पात्र है I उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि आज यदि रिक्टर स्केल पर सात की तीव्रता भूकंप अथवा आपदा आती है, तो उससे अब पहले की तरह बहुत अधिक नुकसान नहीं होगा क्योंकि सरकार ने इस दिशा में आगे बढ़कर सुरक्षात्मक कार्यों को किया है।


केंद्रीय मंत्री श्री रिजिजू ने कहा कि बदलते परिवेश में हम आज भारी  चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, 40 वर्ष पूर्व जहां बर्फीली पहाड़ियों थी,  आज वे पहाड़ियां अधिकतर बिना बर्फ वाली बन गई है, जो कि हमारे सामने बड़ी चुनौती एवं समस्या है I उन्होंने कहा कि अब जो खतरनाक आपदा संबंधित परिस्थितियों आने वाली हैं। उसके लिए हमें तैयार रहना होगा I भविष्य के मौसम को समझ कर हम सभी को सावधानियां बरतनी होंगी I उन्होंने यह भी कहा कि ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में जो महासम्मेलन हुआ है, उसके निष्कर्ष को विदेशों में पहुंचना है और यही हमारे लिए बड़ी सफलता होगी I


      महासम्मेलन में राज्यसभा सांसद श्री नरेश बंसल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड की  सरकार ने राज्य में आने वाली आपदाओं का सामना जीरो ग्राउंड पर रहकर किया है, यह बहुत सराहनीय है I उत्तराखंड राज्य के आपदा प्रबंधन सचिव डॉ रंजीत सिन्हा,  यूकोस्ट के महानिदेशक डॉ दुर्गेश पंत और  कार्यक्रम के संयोजक आनंद बाबू ने भी इस अवसर पर विचार व्यक्त किए I


 इससे पहले समारोह के चौथे दिन आज देश-विदेश से आए वरिष्ठ वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने विभिन्न आपदाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए जनता को जागरुक करके सहयोग लेने पर विशेष बल दिया I 

 प्रो. उन्नत पी.पंडित (पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेड मार्क महानियंत्रक) ने जल सम्मेलन का उल्लेख करते हुए कहा कि इसका एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जिसका उद्देश्य सीमा पार जल संसाधनों के टिकाऊ और न्यायसंगत उपयोग को बढ़ावा देना है।  यह दो या दो से अधिक देशों द्वारा साझा किए जाने वाले जलस्रोतों के सहयोग, प्रबंधन और सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है।  यह बहुत महत्वपूर्ण है कि कैसे देश पानी के उचित और जिम्मेदार उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए एक साथ आते हैं। सतत विकास, अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा में योगदान देने वाले जल सहयोग का एक कानूनी और संस्थागत ढांचा, सयुक्त राष्ट्र की छत्रछाया में दुनिया भर में जल उपयोग सहयोग की प्रगति पर चर्चा करने के लिए एक अनूठा मंच सभी इच्छुक देशों के लिए खुला है, 130 से अधिक देशों ने सहयोग में शीघ्र प्रगति के लिए अनुभव और ज्ञान का आदान-प्रदान किया | उन्होंने दुनिया भर में कुल ताजे पानी की प्रति घन मीटर जीडीपी के बारे में भी बताया कि अफगानिस्तान 1%, बांग्लादेश 7%, भूटान 7%, भारत 4%, मालदीव 768%, नेपाल 3%, पाकिस्तान 2%, श्रीलंका 7% के हैं i

 पैनलिस्ट डॉ.एलशान अहमदोव (अज़रबैजान राज्य अर्थशास्त्र विश्वविद्यालय, अर्थशास्त्र विभाग, अज़रबैजान) ने कहा कि सभी प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से हम सभी को लड़ना होगा और उनका सामना भी करने के लिए सभी को तैयार रहना चाहिए I

प्रो.तात्सुया इशिकावा (इंजीनियरिंग संकाय, होक्काइडो विश्वविद्यालय, जापान) ने वर्षा-प्रेरित ढलान विफलताओं और जलवायु परिवर्तन के तहत भविष्य के कार्यों के लिए जापानी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के बारे में बताया। उन्होंने उत्तराखंड, केरल समेत दुनिया के कई देशों के उदाहरण देते हुए कहा कि हाल के जलवायु परिवर्तनों के कारण अभूतपूर्व वर्षा और भू-आपदा के संभावित जोखिमों पर लगातार विभिन्न स्तरों पर अध्ययन करना आवश्यक है।  पृथ्वी संरचना के लिए पारंपरिक डिजाइन, निर्माण और रखरखाव पद्धति को उन्नत करें इसके अलावा, जल्द से जल्द एक ढांचा स्थापित करना आवश्यक है, जिससे उद्योग, सरकार और शिक्षा जगत समेत पूरे समाज जोड़ा जाये।


देश-विदेश से सम्मेलन में प्रतिभाग करने आए सभी वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के अध्यक्ष डॉ कमल घनसाला ने आभार व्यक्त किया।

www.satyawani.com @ All rights reserved

www.satyawani.com @All rights reserved
Blogger द्वारा संचालित.