प्रयागराज कुम्भ-2025: जानिए कुम्भ का महत्व और साधु संतों का अखाड़ा नियम
आगामी 13 दिसंबर को प्रधानमंत्री प्रयागराज कुंभ की पूजन के साथ शुभारंभ करेंगे
इस कुंभ में 14 संत महात्माओं के अखाड़े शामिल होंगे इसमें किन्नर अखाड़ा भी होगा
और यह कुंभ मेला 12 जनवरी से 26 फरवरी तक चलेगा
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा बजट के लिए पर्याप्त व्यवस्था की जा रही है मानक के अनुसार संत महात्माओं को निशुल्क सुविधा प्रदान की जाएगी
पेशवाई शब्द की परंपरा नासिक कुंभ से 18वीं शताब्दी में शुरू की गई थी पेशवा शब्द का अर्थ नायक सेनापति होता है एक फारसी शब्द है।इसको अखाड़ा परिषद बदलने का प्रस्ताव उज्जैन कुंभ 2021में किया था
आगामी 12 जनवरी से लेकर 26 फरवरी 2025 तक प्रयागराज में महाकुंभ मेले का आयोजन हो रहा है इस कुंभ मेले के आयोजन की शुरुआत करने देश के प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी दिनांक 13 दिसंबर को आ रहे हैं
विगत अर्ध कुंभ 2019 में मोदी जी 19 दिसंबर 2019 को आए थे उसे समय चुनाव का माहौल था ।उन्होंने झूसी में चुनावी रैली भी किया था पर इस समय धार्मिक माहौल है। सौहार्द की आवश्यकता है ।
इस बार उनका ज्यादा कार्यक्रम पूजा पाठ में रहेगा सरकार द्वारा कुंभ के बजट के लिए विशेष सत्र विधानसभा का 16 दिसंबर 24 से आयोजित किया गया आशा है या कुंभ ऐतिहासिक होगा।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ स्वयं इसकी समीक्षा कर रहे हैं योगी जी का पूरा फोकस हिंदुत्व की धार को तेज करना जो उनकी राजनीति का मुख्य एजेंडा है।
कुंभ मेला में आयोजित होने वाले संत महात्माओं के अखाड़े
पूरे कुंभ में 14 अखाड़े का स्नान होता है अखाड़े का मुख्य उद्देश्य कुश्ती करना योग करना तथा आम जनमानस में अपनी एक अच्छी छवि बनाना है ।
इसकी शुरुआत जगतगुरु शंकराचार्य के समय आठवीं सदी में हुई थी पर इसका वैदिक काल महाराजा हर्षवर्धन के काल में भी शुरुआत हुई थी जो विभिन्न आक्रमणों से प्रभावित होती रहे।
शिवाजी महाराज के समय विशेष रूप से 18 वीं सदी में इसका इसकी भव्यता नासिक कुंभ से शुरू हुई वहां पर साधु महात्माओं के अस्त्र-शस्त्रों का प्रदर्शन होने लगा जिसको (पेशवाई का रूप )दिया गया पेशवा शब्द एक फारसी शब्द है जिसका अर्थ होता है नायक प्रधान सेनापति छत्रपति शिवाजी महाराज के समय 8 नायक हुआ करते थे जिनको पेशवा कहा जाता था।
वह सभी राज्यों के प्रधानमंत्री होते थे तथा शासन के मुख्य कार्यकारी अधिकारी होते थे कुंभ मेला में अखाड़े के सभापति सचिव होते हैं इसके अलावा (थानापति )एवं (जिलेदार )होते हैं थानापति कानूनी मामलों का जानकार होता है तथा तथा आश्रम मंदिरों का देखरेख करता है तथा जिलेदार वित्तीय जानकार होता है या खेतों का परिसंपत्तियों का लेखा-जोखा रहता है तथा इसकी मासिक या त्रैमासिक या अर्धवार्षिक समीक्षा अखाड़े के सचिव एवं सभापति द्वारा होती है ।
कुंभ मेले में भगवान शंकर के मानने वाले तथा जगतगुरु शंकराचार्य जी को मानने वाले मुख्य रूप से सन्यासी परंपरा के 7 अखाड़े हैं जिसमें महानिर्वाणी ;निरंजनी जूना ,अटल ,आवाहन, अग्नि अखाड़े हैं तथा भगवान विष्णु एवं उनके अवतारों को मानने वाले तीन है। जिसमें निर्वाणी, निर्मोही एवं दिगंबर है तथा भगवान के अन्य अवतारों तथा गुरु परंपरा को मानने वाले बड़ा उदासीन ,नया उदासीन निर्मल एवं एवं किन्नर अखाड़े होते हैं ।
किन्नर अखाड़ को अखाड़े में जूना अखाड़े के प्रस्ताव परपर अर्ध कुंभ 2019 में शामिल किया गया था इस प्रकार कुल 14 खड़े हैं इन अखाड़ों में अखाड़े में महामंडलेश्वर मंडलेश्वर महंत श्री महंत आदि होते हैं सभी को राज्य सरकार द्वारा निशुल्क जमीन खान-पान , लकड़ी आदि की व्यवस्था की जाती है तथा आम लोगों का सभी के प्रति सम्मान भी रहता है।
अखाड़े का आजादी के आंदोलन में विशेष योगदान रहा है संत महात्माओं ने श्री राम जन्मभूमि आंदोलन में भी अपना बहुमूल्य योगदान दिया है।
लेकिन आजकल महात्माओं के अंदर राजनीति की भी भावना प्रबल हो गई है राजनीति में भी अपने भाग्य आजमा रहे तथा विभिन्न जगहों पर पहुंचकर राजनेताओं को आशीर्वाद भी दे रहे हैं महात्माओं के लिए भारतीय सनातन संस्कृति को विकास में अपनी भूमिका और बेहतर करने के लिए गृह हस्थ आश्रम को सहयोग करना चाहिए ।
जय हिंद ,जय भारत, जय संत समाज, जय राष्ट्रवाद ,जय सनातनधर्म ,जय भारतीय संस्कृति,जय श्री राम, जय प्रयागराज।
डॉक्टर मुरलीधर सिंह शास्त्री
अधिवक्ता /विधि अधिकारी
माननीय उच्च न्यायालय लखनऊ एवं इलाहाबाद
कुंभ नगर एवं अयोध्या 8 दिसंबर 2024