Halloween party ideas 2015

  


प्रमुख सचिव ऊर्जा डॉ आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा है कि, स्मार्ट मीटर लगने से बिजली उपभोक्ताओं की रीडिंग या बिलिंग संबंधित शिकायतों में अप्रत्याशित तरीके से कमी आएगी। साथ ही वर्तमान में स्मार्ट मीटर बिना शुल्क के बदले जाएंगे.

CS R Minakshisundaram


शनिवार को मीडिया सेंटर में आयोजित प्रेस वार्ता में डॉ आर मीनाक्षी सुंदरम ने कहा कि स्मार्ट मीटर अत्याधुनिक बिजली मीटर है जिसका कन्ट्रोल उपभोक्ता के हाथ में रहता है। इससे आपको पल पल बिजली उपयोग की जानकारी, सभी जरूरी सूचनाएं, बिजली उपयोग की तुलना, भुगतान के कई विकल्प मिल जाते हैं। उन्होंने बताया कि यह एक राष्ट्रीय कार्यक्रम है, जो भारत सरकार के सहयोग से भी सभी राज्यों में चलाया जा रहा है। प्रमुख सचिव ऊर्जा ने कहा कि अभी यूपीसीएल के उपभोक्ता शिकायत निवारण केंद्र के साथ ही सीएम हेल्पलाइन और विभागीय शिविरों में सबसे अधिक शिकायतों बिलिंग और रीडिंग को लेकर आती हैं। अब स्मार्ट मीटर लगने के बाद 

मीटर रीडिंग में मानवीय हस्तक्षेप समाप्त हो जाएगा, इससे बिलिंग सम्बन्धी शिकायतों में अप्रत्याशित कमी आएगी। उपभोक्ता को खपत का विवरण मोबाइल एप पर उपलब्ध, होगा जिससे वो अपनी बिजली खपत को बेहतर तरीके से मैनेज कर सकेंगे। साथ ही 

विद्युत फाल्ट व सप्लाई बाधित होने की सूचना भी तुरंत विभाग तक पहुंच जाएगी। उन्होंने बताया कि रूफ टॉप सोलर लगाने पर यही मीटर नेट मीटर की तरह कार्य करेगा।


मीटर बदलने पर कोई शुल्क नहीं 

प्रमुख सचिव ऊर्जा ने बताया कि पुराने मीटर को स्मार्ट मीटर से बदलने पर कोई इंस्टॉलेशन शुल्क नहीं लिया जायेगा।

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 वर्तमान में भारत सरकार के निर्देश पर पोस्ट पेड मीटर ही लगाए जा रहे हैं। फिर भी कोई उपभोक्ता स्वैच्छा से प्री पेड मीटर की सेवाएं लेना चाहता हैं तो उन्हें घरेलू कनेक्शन पर वर्तमान में लागू विद्युत दरों पर 4 प्रतिशत तथा अन्य श्रेणी के उपभोक्ताओं को 3 प्रतिशत की छूट मिलेगी। 


उन्होंने बताया की मुख्यमंत्री के निर्देश पर विभाग मंत्रिगणों, विधायकों और अधिकारियों के आवासों पर स्मार्ट मीटर लगाने का अभियान शुरु करेगा। घर बैठे मीटर को मोबाइल ऍप या ऑनलाइन रिचार्ज करने पर बिजली बिल पर लगने वाले ब्याज या लेट फीस से छुटकारा। 

.प्रमुख सचिव ऊर्जा ने कहा कि छुट्टियों के दिनों में या रात में बैलेंस खत्म होने के बाद भी बिना रूकावट बिजली की उपलब्धता बनी रहेगी। उन्होने बताया कि योजना के तहत जून 2026 तक 15.88 लाख उपभोक्ताओं सहित 59212 ट्रासंफार्मर और 2602 फीडर के मीटर बदले जाने हैं।

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 निर्धन, असहाय, बालिकाऐं ही हमारे वास्तविक जीवन की ‘नंदा सुनंदा’ देवीः डीएम

देहरादून;

Nanda sunanda scheme  for girls ,DM Dehradun




जिलाधिकारी सविन बंसल ने गरीब अनाथ, असहाय बालिकाओं स्नातक, स्नात्तकोत्तर एवं कौशल शिक्षा की जिम्मेदारी उठाते बालिकाओं को स्वावलंबी बनाने की दिशा में कार्य कर रहे हैं। इसके लिए डीएम ने बालिकाओं की शैक्षणिक भविष्य संवारने के लिए जनपद में प्रोजेक्ट ‘नंदा-सुनंदा’ शुरू किया है, जिसमें बालिकाओं के चयन के लिए multimultidisciplinary ( बहु विषयक ) समिति बनाई है, जिससे चयन निष्पक्ष, पारदर्शी एवं वास्तविक हो। 

जनपद में प्रोजेक्ट ‘नंदा-सुनंदा’ का आज जिलाधिकारी सविन बंसल एवं मुख्य विकास अधिकारी अभिनव शाह ने 07 बालिकाओं को संयुक्त रूप से रू0 244731 का चैक वितरण कर योजना का विधिवत शुभारंभ किया। अनाथ रोशनीं, असहाय एवं गरीब बेटियों रोनक, शशांक, मीना, आकांश, मानसी साहू एवं विधि  को “नन्दा सुनंदा प्रोजेक्ट“ और “बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ“ योजना के तहत, जिला प्रशासन द्वारा वित्तीय सहायता दी गई। इन बालिकाओं का चयन उनकी विषम परिस्थितियों को देखते हुए किया गया है, ताकि वे उच्च शिक्षा/कौशल विकास प्रशिक्षण प्राप्त कर आत्म निर्भर बन सकें। जिनमें अनाथ रोशनी को श्री गुरू राम राय विश्वविद्यालय, देहरादून से बी.एससी (योगिक साइंस) कोर्स हेतु रू0 28,975 की सहायता राशि दी गई। जबकि सहाय एवं गरीब, रोनक राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान से स्नातक की पढाई हेतु रू0 25,000, शशांक को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान से 12वीं अध्ययन हेतु रू0 15,000,  मीना को पूजा मेकओवर, ठाकुरपुर चौक, डांडी, मोथरोवाला, देहरादून से ब्यूटीशियन कोर्स हेतु 50,000, अकांक्षा को राष्ट्रीय मुक्त विद्यालयी शिक्षा संस्थान से 12वीं अध्ययन हेतु रू.15,000, मानसी साहू को उत्तरांचल विश्वविद्यालय, देहरादून से पीएचडी की पढ़ाई हेतु रू. 52,500 तथा  विधि को उत्तरांचल विश्वविद्यालय, देहरादून से होटल मैनेजमेंट का कोर्स  हेतु रू0 58,256 की अर्थिक सहायता दी गई। 

योजना के शुभारंभ अवसर पर जिलाधिकारी से बालिकाओं ने साझा किया अपने भावी भविश्य निर्माण की संकल्प, वही जिलाधिकारी ने उत्सुकता से जाना बालिकाओं के सपनों की उड़ान की बाते, कहा कि आप सभी के सपनों को साकार करने में जिला प्रशासन हर संभव मदद करेंगे। साथ ही जिलाधिकारी ने मुख्य विकास अधिकारी, डीपीओ (आईसीडीएस) का विशेश आभार जताते हुए कहा कि इस नेक आडिया को मूर्त रूप देने में उत्साह पूर्वक सहयोग किया।   

जिलाधिकारी के ‘प्रोजेक्ट नंदा-सुनंदा’ से जिले की गरीब, अनाथ एवं असहाय तथा अन्य विषम परिस्थितियों में अध्ययन कर रही बालिकाओं को उच्च शिक्षा स्तर तक शिक्षित करने एवं कौशल शिक्षा प्रदान करते हुए रोजगार से जोड़ा जाएगा। समिति के सदस्यों द्वारा अग्रिम कार्यवाही किये जाने की सहमति के क्रम में गरीब, अनाथ एवं असहाय तथा अन्य विषम परिस्थितियों में अध्ययन कर रही बालिकाओं को न्यूनतम स्नातक स्तर तक शिक्षित किये जाने एवं कौशल शिक्षा प्रदान करते हुए रोजगार से जोड़ने हेतु कार्ययोजना निर्धारित की गई है। बालिकाओं का चयन जनता दरबार एवं बहुद्देशीय शिविरों में जनपद में विभिन्न सरकारी कार्यालयों के माध्यम ये प्राप्त प्रार्थना पत्र, जिला प्रोबेशन अधिकारी एवं जिला समाज कल्याण अधिकारी के अधीन बालिका गृहों में निवासरत बालिकायें, जनपद की समस्त आंगनवाड़ी कार्यकर्ती के माध्यम से सर्वे के आधार पर किया जाएगा।

जिलाधिकारी सविन बंसल ने यह अभिनव कार्य जनपद नैनीताल में डीएम रहते भी कर चुके है, उक्त प्रोजेक्ट के तहत उन्होने 60 बालिकाओं को शैक्षणिक विकास में समृद्ध, सशक्त, सुदृढ़ कर भविश्य को संवारा है। 

जिलाधिकारी का यह अभिनव कार्य जनपद देहरादून के उन बालिकाओं के लिए सपने साकार करने का एक सुनहरा अवसर है, जो आर्थिकीय तंगी, पारिवारिक असहाय के चलते स्कूली शिक्षा छोड़कर अपना जीवन व्यतीत कर रही है। प्रोजेक्ट ‘नंदा-सुनंदा’ उन बालिकाओं की सपनों को साकार करने में जिलाधिकारी का यह प्रयास सार्थक साबित होगी। 

इस अवसर पर उपजिलाधिकारी न्यायिक कुमकुम जोशी, डीपीओ (आईसीडीएस) जितेन्द्र कुमार, जिला समाज कल्याण अधिकारी पूनम चमोली, प्रशासनिक अधिकारी कपिल कुमार सहित अन्य अधिकारी/कर्मचारी गण उपस्थित थे। 




 38वें राष्ट्रीय खेल में लोगों के आकर्षण का मुख्य केन्द्र रहा शुभंकर ‘मौली’ राष्ट्रीय खेलों के समापन के बाद सीएम आवास पहुंचा। 

मुख्यमंत्री ने सीएम आवास में मौली का स्वागत किया। राष्ट्रीय खेलों का शुभंकर प्रतीक ’मौली’ (मोनाल पक्षी) देशभर में चर्चा का केन्द्र रहा है। 



उत्तराखण्ड में आयोजित राष्ट्रीय खेलों का शुभंकर मौली राज्य के हर जनपद में भव्य स्वागत हुआ। मुख्यमंत्री ने कहा कि राष्ट्रीय खेल के दौरान मौली की सक्रियता ने सबका दिल जीतने का कार्य किया। उत्तराखण्ड का राज्य पक्षी मोनाल की विशिष्टता से देशभर के लोग परिचित हुए।


38वें राष्ट्रीय खेल ने उत्तराखण्ड को देवभूमि और वीरभूमि के साथ ही खेल भूमि के रूप में नई पहचान दिलाई है। मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में राज्य में खेल इन्फ्रास्टक्चर का तेजी से विकास और नई खेल नीति के परिणाम स्वरूप राज्य के खिलाड़ियों द्वारा 38वें राष्ट्रीय खेलों में शानदार प्रदर्शन कर 103 पदक हासिल कर देशभर में शीर्ष सात राज्यों की श्रेणी में स्थान प्राप्त किया है। 37वें राष्ट्रीय खेलों में उत्तराखण्ड 25वें स्थान पर था। उत्तराखण्ड में हुए 38वें राष्ट्रीय खेल ग्रीन गेम्स, ई-वेस्ट से बनाये गये मेडल और पदक विजेता खिलाड़ियों के नाम से पौध रोपण के लिए भी याद किया जायेगा।

 चमोली :


विकास कार्यो को गति प्रदान करने हेतु गैरसैंण में रिक्त उप जिलाधिकारी के पद पर की नवीन तैनाती

ग्रीष्मकालीन राजधानी परिक्षेत्र का स्थाई विकास करना मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी की प्राथमिकता में शामिल है। विगत नवंबर माह में मुख्यमंत्री ने गैरसैंण का दौरा करते हुए जिलाधिकारी चमोली सहित जनपद के तमाम विभागीय अधिकारियों के साथ उच्च स्तरीय बैठक करते हुए राजधानी परिक्षेत्र के ढांचागत विकास पर जोर दिया था और जनभावनाओं के अनुरूप गैरसैंण का स्थाई विकास कर पहाड़ों से हो रहे पलायन को रोकने और बेरोजगारों को रोजगार उपलब्ध कराने के निर्देश दिए थे। मुख्यमंत्री ने सारकोट गांव को गोद लेकर एक आदर्श ग्राम बनाने की घोषणा भी की थी। जिसके बाद राजधानी परिक्षेत्र में तेजी से विकास कार्य होने लगे है। ग्रीष्मकालीन राजधानी के विकास को लेकर मुख्यमंत्री गंभीर है और चमोली के जिलाधिकारी के साथ विकास कार्यो की नियमित समीक्षा भी कर रहे हैं।


मुख्यमंत्री के निर्देशों पर जिलाधिकारी संदीप तिवारी ने सभी विभागों की योजनाओं को एकीकृत करते हुए राजधानी परिक्षेत्र में विकास कार्यो को रफ्तार देने में जुटे है। मुख्यमंत्री आदर्श ग्राम सारकोट के विकास के लिए योजनाबद्ध तरीक़े से काम चल रहा है। कृषि और उद्यान विभाग के माध्यम से गांव में पालिहाउस लगाकर यूरोपियन वेजिटेबल उत्पादन को बढावा दिया जा रहा है। गांव में मशरूम हार्वेस्टिंग के लिए मशरूम टनल लगाना की भी योजना है। गांव में मशाला चक्की लगाने के साथ डेयरी पर काम शुरू किया गया है। स्वास्थ्य जांच के लिए गांव में नियमित शिविर लगाए जा रहे है। सारकोट गांव में उरेडा के माध्यम से 10 सोलर लाइट लगाकर गांव को रोशन किया गया है। गांव में ही रोजगार मिलने से ग्रामीणों में उत्साह है।


मुख्यमंत्री के निर्देशों पर मशरूम उत्पादन के लिए पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर गैरसैंण ब्लाक के आदिबद्री, खेती, मालसी और थापली गांव का चयन करते हुए यहां पर किसानों को शतप्रतिशत अनुदान देकर मशरूम टनल बनाई गई और किसानों मशरुम उत्पादन का प्रशिक्षण दिया गया। जिससे किसानों की आर्थिकी सुदृढ़ हो रही है। मशरूम उत्पादन में अच्छा मुनाफा पाकर राजधानी क्षेत्र के अन्य गांवों से भी किसान लगातार मशरूम हार्वेस्टिंग की डिमांड कर रहे है। मुख्यमंत्री के निर्देशों पर पूरे राजधानी क्षेत्र को मशरूम वैली के रूप में विकसित किया जा रहा है।


मुख्यमंत्री ने राजधानी देहरादून में संचालित विद्यालयों की तर्ज पर ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण में विद्यालयों को आदर्श विद्यालय बनाने हेतु दिए गए निर्देशों के अनुपालन में पहले चरण में राजकीय इंटर कॉलेज भराडीसैंण को मॉडर्न विद्यालय बनाने का काम तेजी से चल रहा है। राजधानी के राइका भराडीसैंण को मार्डन स्कूल बनाने के लिए सभी संसाधन जुटाए जा रहे है। कार्यदायी संस्था ग्रामीण निर्माण विभाग इस काम को अंजाम देने में जुटा है। आने वाले कुछ समय में आदर्श शिक्षा के लिए यह विद्यालय पूरी तरह से हाइटेक नजर आएगा।


गैरसैंण नगर क्षेत्र में जाम की समस्या को दूर करने के लिए यहां पर मल्टी स्टोरी पार्किंग निर्माण हेतु कार्यदायी संस्था यूपीआरएनएन के माध्यम से आगणन तैयार कर शासन को भेजा जा चुका है।


मुख्यमंत्री के निर्देशों पर सिंचाई विभाग के माध्यम से गैरसैंण (भराड़ीसैंण) में मां भराड़ी देवी का भव्य मंदिर बनाया जाएगा। सिंचाई विभाग ने इसका प्रस्ताव तैयार कर लिया है। इसके लिए स्थानीय जनता एवं हितधारक तीर्थ पुरोहितों के सुझाव भी लिए जा रहे है।


मुख्यमंत्री के निर्देशों पर गैरसैंण के स्थाई विकास के लिए रिक्त एसडीएम पद पर भी अधिकारी की तैनाती कर दी गई है। गैरसैंण को जल्द ही उप जिलाधिकारी मिलने से यहां विकास कार्यो और तेजी आएगी।


ग्रीष्मकालीन राजधानी गैरसैंण के सर्वांगीण विकास को लेकर सीएम धामी संकल्पबद्ध है और जिलाधिकारी चमोली से लगातार फालोअप ले रहे है।


*खेल मंत्री रेखा आर्य ने मांगी थी खेलों से पहले मनौती, दिया था पहला निमंत्रण*


*देहरादून/हरिद्वार:

Maa ganga and tapekeshwar mahadev poojan by sports minister rekha arya

 38 में राष्ट्रीय खेलों की सफल और भव्य आयोजन के बाद खेल मंत्री रेखा आर्या ने शनिवार को टपकेश्वर महादेव और हर की पौड़ी पहुंचकर पूजा अर्चना की। उन्होंने खिलाड़ियों की सफलता के लिए खेल शुरू होने से पहले दोनों धार्मिक स्थलों पर पूजा करके मनौती मांगी थी।


शनिवार सुबह सबसे पहले खेल मंत्री रेखा आर्या टपकेश्वर महादेव मंदिर पहुंची। वहां उन्होंने जलाभिषेक और आरती की। पूजा के  बाद खेल मंत्री रेखा आर्या ने कहा कि उन्होंने आयोजन से पहले टपकेश्वर महादेव को पहला निमंत्रण पत्र अर्पित करते हुए भोले का आशीर्वाद मांगा था। खेल मंत्री ने कहा कि उन्होंने ईश्वर से जितना मांगा था उससे कहीं बढ़कर आशीर्वाद मिला और हमारे खिलाड़ी इन खेलों में इतिहास बनाने में कामयाब रहे। 


शाम के समय खेल मंत्री रेखा आर्या हरिद्वार हर की पौड़ी पहुंची और गंगा आरती में हिस्सा लिया। उन्होंने कहा कि मां गंगा ने राष्ट्रीय खेलों के सफल आयोजन की चुनौती रूपी भवसागर से देवभूमि की नैया को पार लगाया है। उन्होंने कहा मां गंगा के आशीर्वाद से ही सब कुछ निर्विघ्न और सफल रूप से संपन्न हो सका।


सतायवाणी ,हरिद्वार



  डीपीएस दौलतपुर जूनियर स्कूल ने अपनी बहुप्रतीक्षित वार्षिक खेल प्रतियोगिता "सिनर्जिया" का भव्य आयोजन किया।


 इसमें छात्र, शिक्षक और मुख्य अतिथि माननीय किरण जैसल (हरिद्वार नगर निगम महापौर ) ने बतौर मुख्य अतिथि शिरकत की।


साथ ही संदीप गोयल (भाजपा-जिला अध्यक्ष),  विमल कुमार,  लव शर्मा,  हिमांशु पंडित,  नरेंद्र अग्रवाल, शसंध्या तिवारी एवं डीपीएस दौलतपुर के प्रो वाइस चेयरमैन  विकास गोयल भी शामिल हुए। 


कार्यक्रम की शुरुआत गणमान्य व्यक्तियों द्वारा गुब्बारे उड़ाने के साथ हुई, जिसके बाद विद्यालय की प्रधानाचार्य पूनम श्रीवास्तव ने गर्मजोशी से सभी का स्वागत किया। सम्मानित अतिथियों में प्रमुख गणमान्य व्यक्ति, शिक्षाविद् और अभिभावक अतिथि प्रतिभा रानी, ​​महक सिंह शामिल थे, जिन्होंने युवा एथलीटों का हौसला बढ़ाया। दिन रोमांचकारी प्रदर्शनों से भरा हुआ था, जिसमें शानदार ड्रिल प्रदर्शन और रोमांचक ट्रैक और फील्ड कार्यक्रमों की एक श्रृंखला शामिल थी। छात्रों ने अपने कौशल और खेल कौशल का प्रदर्शन करते हुए दौड़, रिले प्रतियोगिताओं और मनोरंजक गतिविधियों में भाग लिया।

कार्यक्रम का मुख्य आकर्षण ऊर्जावान योग प्रदर्शन था, जिसने दर्शकों को मंत्रमुग्ध कर दिया। युवा छात्रों ने उल्लेखनीय समन्वय, अनुशासन और समर्पण का प्रदर्शन किया।


विजेताओं को उनकी कड़ी मेहनत और दृढ़ संकल्प को मान्यता देते हुए पदक, ट्रॉफी और प्रमाण पत्र से सम्मानित किया गया। कार्यक्रम का समापन स्कूल की प्रभारी अमिता ओहरी के धन्यवाद प्रस्ताव के साथ हुआ, जिसमें उन्होंने इस दिन को सफल बनाने के लिए अतिथियों, शिक्षकों और छात्रों के प्रति आभार व्यक्त किया। 


अपने संबोधन में अमिता ओहरी ने विद्यालय में बच्चो के सर्वगीण विकास पर विशेष ध्यान दिए जाने का उल्लेख भी किया।


डीपीएस दौलतपुर जूनियर स्कूल में खेल दिवस टीम वर्क, दृढ़ता और स्वस्थ प्रतिस्पर्धा की भावना का एक प्रमाण था, जिसने सभी को अविस्मरणीय यादें और खेल के प्रति एक नया उत्साह दिया।

  उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री को पत्र;


Complaibt against CS UP


 उत्तर प्रदेश के विधानसभा के अध्यक्ष  तथा विधान परिषद के सभापति  जी  से अनुरोध है कि वे विधानसभा  विधान परिषद एवं संसदीय कार्य में तीनों रिटायर अधिकारी है , नियुक्तियों के संबंध में उनके कार्यों के संबंध में पहले भी आलोचना हो चुकी हैं।

 अतः  माननीय उच्च न्यायालय  लखनऊ के अधिवक्ता मुरलीधर शास्त्री ने मुख्यमंत्री  योगी से अनुरोध किया गया है कि उनके द्वारा  नियुक्त की गई नियुक्तियों की जांच माननीय सुप्रीम कोर्ट और सीबीआई के बीच संज्ञान में आई  इसलिए इन अधिकारियों के स्थान पर 

माननीय उच्च न्यायालय से जिला सत्र एवं न्यायाधीश स्तर के अधिकारियों के फाइनल (pannel )मंगा कर  उनको नियुक्त किया जाए ।

क्योंकि विधानसभा विधान परिषद एवं संसदीय कार्य तीनों तीनों पदों पर कानून जाने वाले अधिकारियों की तैनाती होनी चाहिए जो न्यायिक सेवा से आते हो इससे अनुशासन बनेगा और जो आरोप प्रत्यारोप लगते हैं बंद हो जाएंगे तथा इन तीनों अधिकारियों के कार्य क्षेत्र में की गई कार्यों की एक स्वतंत्र एजेंसी से जांच कराई जाए ।


साथ ही श्री प्रदीप कुमार दुबे, प्रमुख सचिव विधानसभा की प्रमुख सचिव के पद पर अवैध एवं अनियमित नियुक्ति तथा उनके द्वारा किए गए अत्याचार, भ्रष्टाचार की जांच कराकर आवश्यक विधि कार्रवाई किये जाने संबंधी पत्र लिखकर अवगत कराया है कि  प्रमुख सचिव विधानसभा के पद पर श्री प्रदीप कुमार दुबे की विभिन्न नियुक्तियां प्रारंभ से ही अनियमित व भ्रष्टाचार से पूर्ण प्रतीत होती है जिन पर क्रमवार विवरण निम्नवत हैं।

1-जुलाई 2008 में अपरिहार्य परिस्थितियों में श्री राजेंद्र प्रसाद पांडे प्रमुख सचिव विधानसभा द्वारा दिनांक 26 जुलाई 2008 को प्रमुख सचिव के पद से त्यागपत्र दे देने के कारण तत्कालीन सचिव संसदीय कार्य उत्तर प्रदेश शासन, श्री प्रदीप कुमार दुबे को प्रमुख सचिव विधानसभा का अतिरिक्त कार्यभार काम चलाऊ व्यवस्था के आधार पर दिया गया। 

प्रमुख सचिव विधानसभा के पद पर नियमित नियुक्ति लोक सेवा आयोग के माध्यम से की जानी अपेक्षित थी।

 श्री प्रदीप दुबे उक्त पद हेतु निर्धारित अधिकतम आयु सीमा पार करने की तरफ अग्रसर थे। अतः काम चलाऊ प्रमुख सचिव विधानसभा तथा नियमित सचिव संसदीय कार्य उत्तर प्रदेश शासन के रूप में कार्यभार होने के कारण इन्होंने अपनी नियुक्ति प्रमुख सचिव विधानसभा के पद पर नियमित रूप से प्राप्त करने का कुचक्र रचा तथा एक के बाद एक अनियमित व अवैध कार्यवाहियां करते हुए अनियमित रूप से कई बार प्रमुख सचिव के पद पर नियुक्ति आदेश प्राप्त किया जो निम्नवत है।

2-बड़े ही आश्चर्य की बात है दिनांक 13 जनवरी 2009 को श्री प्रदीप कुमार दुबे द्वारा स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति प्राप्त कर लेने के बाद उसी दिन 13 जनवरी 2009 को ही श्री प्रदीप कुमार दुबे को उसी संसदीय कार्य  विभाग उत्तर प्रदेश सचिवालय  में प्रमुख सचिव के पद पर नियुक्ति दे दी गयी।  यह अभी तक समझ से परे है कि किसी अधिकारी द्वारा शासकीय सेवा से श्वैक्षिक सेवा निवृति   लेने के बाद उसकी  उसी  विभाग में उच्च पद पर नियुक्ति का आधार क्या है?

3- दिनांक 1 जनवरी 2009 को संसदीय कार्य विभाग का प्रमुख सचिव नियुक्त होने के बाद कार्यालय आदेश संख्या 68/दो/4-09-26/2(3)/82, दिनांक 13 जनवरी 2009 द्वारा श्री प्रदीप कुमार दुबे को विधानसभा सचिवालय के प्रमुख सचिव के पद का काम चलाऊ कार्यभार 13 जनवरी से ही दे दिया गया।


4-सेवानियमावली 1974 के प्रावधानों के अंतर्गत प्रमुख सचिव के पद पर नियुक्ति हेतु आवेदन करने की अधिकतम आयु सीमा 52 वर्ष है जो कि श्री दुबे अप्रैल 2009 में ही पूर्ण करने वाले थे।

 अतः श्री दुबे प्रमुख सचिव विधानसभा का पद हथियाने की साजिश में लग गए।

5-उनकी साजिश का खुलासा तब हो पाया जब उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय की पांचवी संशोधन नियमावली प्रकाशित होकर 2011 में प्राप्त हुई किंतु इसके पूर्व ही इनका खेल पूर्ण हो चुका था।

6-सेवा नियमावली में पांचवा संशोधन किए जाने की कार्यवाही 2010 और 2011 में इस प्रकार की गई थी इसकी जानकारी सचिवालय में किसी को भी नहीं हो पाई।

7-  उत्तर प्रदेश विधानसभा सचिवालय की सेवानियमावली को बनाने या उसमें संशोधन करने का दायित्व शासन के संसदीय कार्य विभाग द्वारा ही किया जाता है ।

 अतः वहां के मुखिया के नाते यह कार्रवाई उनके द्वारा ही गुपचुप तरीके से की गई जो कि  अनियमित है, इसे नियमानुसार सदन के पटल पर नहीं रखा गया जिसकी वैधता से  संबंधित याचिका संख्या- 1375 /2011 मा0 उच्च न्यायालय के समक्ष लंबित है। सेवा नियमावली में संशोधन का कोई प्रावधान भी नहीं है।

8-सेवा नियमावली में संशोधन करते हुए नियुक्ति का अधिकार लोक सेवा आयोग से हटाकर माननीय अध्यक्ष विधानसभा द्वारा निर्धारित प्रक्रिया कर दिया गया ताकि मनमानी की जा सके ।

नियमावली में इस प्रकार का संशोधन कर लेने के बाद भी अड़चन यह थी कि प्रमुख सचिव संसदीय कार्य के पद पर रहते हुए प्रमुख सचिव विधानसभा के पद पर माननीय अध्यक्ष द्वारा नियुक्ति किस प्रकार प्राप्त हो सकती है। अतः इसके लिए विभागीय सेवा का लाभ तभी मिल सकता है जब वह विधानसभा सचिवालय की सेवा हो।

 इसके दृष्टिगत 27.6. 2011 को आदेश द्वारा श्री प्रदीप कुमार दुबे को प्रमुख सचिव विधानसभा के पद पर सेवा स्थानांतरण के आधार पर प्रमुख सचिव संसदीय कार्य से प्रमुख सचिव विधानसभा के पद पर नियुक्ति किया गया।

10-सेवा स्थानांतरण के आधार पर नियुक्ति का प्रावधान न होने के कारण यह नियुक्ति भी फंस चुकी। जब तक कुछ पता हो तब तक विधानसभा सामान्य निर्वाचन 2012 की आचार संहिता लागू हो गई। चुनाव आचार संहिता लागू होने पर  नियुक्तियों पर रोक रहती है किंतु चुनाव के उपरांत माननीय अध्यक्ष पद पर परिवर्तन हो  जाने की दशा में नियुक्ति मिल पाएगा या नहीं इस पर भी  संशय दिखने लगा। 

 अतः आचार संहिता में ही प्रमुख सचिव पद पर नियुक्त की प्रकिया संचालित करा कर 26 जनवरी 2012 से 6 मार्च 2012 के मध्य प्रदीप दुबे ने तत्कालीन माननीय अध्यक्ष से ही दिनांक 6.3.2012 को नियुक्त आदेश करा लिया जबकि श्री सुखदेव राजभर तत्कालीन मा0 अध्यक्ष चुनाव हार चुके थे। इस प्रकार श्री दुबे फर्जी सेवा नियमावली पांचवा संशोधन के अंतर्गत अवैध व अनियमित नियुक्ति प्राप्त करने वाले पहले लाभार्थी बने।

इस फर्जी सेवा नियमावली के आधार पर उनके द्वारा जिस प्रकार भ्रष्टाचार किया गया है। उसका विवरण  पत्र द्वारा प्रस्तुत किया जाएगा।

11- यदि अवलोकन करें तो अब तक की श्री दुबे को दी गई थी चार नियुक्तियों में 26 जुलाई 2008 की पहली काम चलाओ नियुक्ति के बाद शेष तीनों नियुक्तियां अवैध व अनियमित रही है।

12-श्री दुबे का खेल यहीं समाप्त नहीं होता है। इसके बाद के प्रकरण तो  और अधिक चौंकाने वाले है।  श्री प्रदीप कुमार दुबे जिनकी प्रमुख सचिव विधानसभा के पद पर नियुक्ति हो ही नहीं सकती थी, ने  30 अप्रैल 2017 को अपनी अधिवर्षता आयु पूरी कर ली। इसके बाद विगत लगभग 8 वर्षों से वे किस प्रकार प्रमुख सचिव के पद पर कार्यरत है। यह भी जांच का विषय है।

 एक आरटीआई से यह जानकारी प्राप्त हुई कि 30 अप्रैल 2017 सेवा सेवानिवृत होने वाले किसी भी अधिकारी को सेवा विस्तार नहीं दिया गया, ऐसी स्थिति में यह गंभीर विषय है।

13-इतना ही नहीं 2 वर्ष की कथित सेवाविस्तार की अवधि पूर्ण करने के उपरांत 30 अप्रैल 2019 को श्री प्रदीप कुमार दुबे का सेवानिवृत आदेश विशेष सचिव पूनम संक्सेना द्वारा निर्गत किया गया। परंतु यह प्रकरण बड़ा ही गंभीर होने के साथ-साथ हास्यपद भी है कि श्री दुबे इसके बाद भी प्रमुख सचिव विधानसभा के पद पर आसीन हैं ।

यह और भी गंभीर विषय है कि 30 अप्रैल 2019 को सेवानिवृत हो जाने के बाद 1को9 अक्तूबर 2019 को माननीय उच्च न्यायालय के समक्ष कंटेंम्ट केस में काउंटर शपथ पत्र में श्री दुबे ने अपनी उम्र 57 वर्ष दिखाई है जिससे यह दृष्टिगोचर होता है कि उनके द्वारा अपनी आयु में भी गुपचुप तरीके से परिवर्तन किया गया  है जो धोखाधड़ी में आता है। संभवत इसी आधार पर इन्होंने वर्ष 2027 तक प्रमुख सचिव के पद पर बने रहने का अपना रास्ता साफ कर लिया। क्योंकि   उन्होंने सेवा नियमावली में एक और संशोधन कराकर प्रमुख सचिव विधानसभा के पद पर सेवानिवृत्ति की आयु 65 वर्ष की गई जो अक्टूबर 2019 में माननीय उच्च न्यायालय में दिए गए झूठा शपथ पत्र के आधार पर 30 अप्रैल 2027 को पूर्ण होती है।   संभवतः  इसी फर्जी आधार पर श्री दुबे 67 वर्ष होने के बाद भी वर्तमान में प्रमुख सचिव विधान सभा के पद पर बने हुए हैं। यह बहुत ही गंभीर प्रकरण है तथा साफ तौर पर धोखाधड़ी का स्पष्ट प्रमाण है जिसकी जांच कराकर श्री प्रदीप दुबे के साथ-साथ अन्य समस्त दोषी पाए जाने वालों के विरुद्ध कठोर कार्रवाई किया जाना अपेक्षित है ।

 14-तमाम शिकायतों के बाद भी आज तक न तो कोई जांच हुई और न ही कोई कार्यवाही बल्कि सीधे सादे कर्मियों पर श्री प्रदीप कुमार दुबे के कुनबे द्वारा त्वरित कार्यवाई की जाती है। वह चाहे श्री लाल रत्नाकर सिंह रहे हो या प्रेमपाल (जो इनके प्रताड़ना से आजिज आकर आत्म हत्या कर चुके है।) या फिर अनुसेवक चन्द्र प्रकाश, जिसे फर्जी कारण दिखाकर बर्खास्त कर दिया गया। वहीं लाल रत्नाकर विधान सभा कर्मचारी संध के अध्यक्ष रहे और श्री प्रदीप कुमार दुबे के हर अनैतिक कार्य का विरोध करते रहे जिस कारण उनकी सेवानिवृति के उपरान्त अपने काले कारनामे को  छिपाने एवं दबाने के आशय से लाल रत्नाकर को ही फर्जी आरोप में जेल भिजवा दिया। जबकि इस मामले को लेकर पुलिस की कार्यवाई पर ही सवाल खड़ा हो गया और सी0बी0आई0 कोर्ट ने भी इसका संज्ञान लिया और सी0डी0 तलब की।

(नव भारत टाइम्स अंक की कापी संलग्न है)

15. प्रेम पाल के सुसाइड नोट की हस्तलिखित कापी एवं टाइप कापी जो जहरीला पदार्थ खाकर आत्महत्या के दौरान बरामद हुआ और वाइरल हुआ की कापी तथा समाचार पत्रों में प्रकाशित की क्लिपस् संलग्न है। वहीं प्रेमपाल के भाई राजकुमार पाल ने  भाई ने 19 लाख रुपए विधानसभा मंडल सचिवालय सहकारी समिति से लोन लेकर अंशल गोल्फ सिटी में एक मकान लिया जो दुबे जी की नजर में खटक गया। राजकुमार पाल को धमकाकर एवं जांच बैठा कर उसके द्वारा क्रय किये मकान को 2017 में बेच लिया और मकान का कागज राजकुमार पाल के नाम 2020 तक आता रहा और वह अभी भी विधान मंडल की सोसाइटी से लिया गया लोन भर रहा है।(जिसके साक्ष्य संलग्न है)  

बर्खास्त अनुसेवक चन्द्र प्रकाश भी कुछ इस तरह शिकार हुआ।

15- राम चन्द्र मिश्र सेवानिवृत्त निजी सचिव श्रेणी 4 एवं सुधीर यादव सहायक समीक्षा अधिकारी के रूप में भी विधान सभा में भ्रष्टाचार के धुरी है जिनके खिलाफ भी हजरतगंज के थाने में मुकदमा दर्ज किया गया और सी0ओ0 दिनेश यादव के द्वारा इनके मामले में बयान दिया गया। उस समय मामले की गम्भीरता को देखते हुए इस भ्रष्टाचार में लिप्त आर सी मिश्र एवं सुधीर यादव जो संविदा अनुसेवक के पद पर कार्यरत था एवं अन्य को बर्खास्त एवं सस्पेंड किया गया। परन्तु कुछ दिनों उपरान्त ही श्री प्रदीप कुमार दुबे की कृपा पर राम चन्द्र मिश्र उर्फ आर0 सी0 मिश्र एवं सुधीर यादव फिर वापस विधान सभा के अध्यक्ष के कार्यलय में तैनात कर दिये गये और सुधीर यादव को बाकायदे सहायक समीक्षाधिकारी विधान सभा सचिवालय के पद पर कार्यरत का कार्ड विधान सभा सचिवालय से जारी किया गया (कार्ड सं0- MAY52/500370) जिसकी बैधता MAY-2052 तक है जो प्रदीप कुमार दुबे के लिए आज भी ग्राहक लाने का काम करता है। तत्कालीन सरकार में सुधीर यादव पुत्र चन्द्र कुमार के नाम से डी0एम0 लखनऊ के यहां से बाकायदा पिस्टल का लाइसेंस भी जारी कराया गया। दोनों की काले कारनामों की पोटली संलग्न है ।

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