हरिद्वार:
संदीप रावत
उत्तराखंड पुलिस सेवा के एक आदर्श अधिकारी, पूर्व हरिद्वार पुलिस अधीक्षक डॉ. किरण लाल शाह अब हमारे बीच नहीं रहे।
नोएडा में 72 वर्ष की आयु में उनका निधन हो गया, और सोमवार को उनके गृह नगर नैनीताल में उनका अंतिम संस्कार किया गया।
समाचार मिलते ही पुलिस विभाग, पत्रकारिता जगत और समाज के हर वर्ग में गहरा शोक छा गया।
एक युग का अंत: सेवा, सरलता और संयम के प्रतीक
डॉ. शाह न सिर्फ एक कुशल और जिम्मेदार पुलिस अधिकारी थे, बल्कि अपने दूरदर्शी सोच, सौम्य स्वभाव और अनुकरणीय ईमानदारी के लिए भी जाने जाते थे।वे 31 मई 2013 को हरिद्वार से सेवा निवृत्त हुए थे।
उनकी विदाई पर टाउन हॉल में हुआ भव्य समारोह आज भी हरिद्वारवासियों को याद है – जो उनकी लोकप्रियता और प्रभावशाली छवि का जीवंत प्रमाण है।
कांवड़ मेले के ‘नायक’ – ट्रैफिक प्लान के शिल्पकार
2011-12 में हरिद्वार के पहले एसपी (यातायात) नियुक्त हुए डॉ. शाह ने
कांवड़ मेले की यातायात व्यवस्था को नया रूप दिया।
2012 में वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक अरुण मोहन जोशी के साथ मिलकर
बैरागी कैंप पार्किंग की अवधारणा को साकार किया –
जो आज 40,000 से अधिक वाहनों की क्षमता के साथ
कांवड़ का सबसे बड़ा बेस कैंप बना हुआ है।
उनका तैयार किया गया ट्रैफिक रूट प्लान वर्षों तक हरिद्वार पुलिस का आधार बना रहा।
“किरण शाह सिर्फ अधिकारी नहीं, संस्था थे” – आईजी अरुण मोहन जोशी
एसडीआरएफ के आईजी अरुण मोहन जोशी ने उन्हें याद करते हुए कहा:
“वे मेरे सबसे भरोसेमंद और बुद्धिमान सहयोगियों में से एक थे।
संयम, संवेदना और सेवा भाव उनमें कूट-कूट कर भरा था।
उनका जाना विभाग के लिए अपूरणीय क्षति है।”
🕊️ शोक की लहर – हरिद्वार से नैनीताल तक
वरिष्ठ पत्रकारों, डॉक्टर्स, पुलिस कर्मियों, प्रेस क्लब,
साहित्यकारों और सामाजिक संगठनों ने गहरा दुख व्यक्त किया।
शोक व्यक्त करने वालों में प्रमुख रहे:
डॉ. संजय शाह, धर्मेंद्र चौधरी, सुनील दत्त पाण्डेय, आदेश त्यागी, रजनीकांत शुक्ला, राजेश शर्मा, शमशेर बहादुर, मेहताब आलम, पुरुषोत्तम शर्मा, अमित शर्मा आदि।
🛕 नैनीताल में समाजसेवी के रूप में भी थे सक्रिय
मल्लीताल बाजार, नैनीताल निवासी डॉ. शाह, सेवानिवृत्ति के बाद
श्री राम सेवक सभा के सदस्य के रूप में समाज सेवा में जुटे रहे।
उनके पुत्र अभिजीत शाह अधिवक्ता हैं व एक पुत्री भी हैं।
नैनीताल में राम सेवक सभा, व्यापार मंडल और सामाजिक संस्थाओं ने
उनके निधन को सामाजिक क्षति बताया।
डॉ. किरण लाल शाह वो अफसर थे जो सीमित संसाधनों मेंअ संभव को संभव कर दिखाते थे।
कांवड़ मेला की भीड़ और सुरक्षा की चुनौती कोउन्होंने अनुशासन और रणनीति से साधा।
वे आज भी ट्रैफिक प्रबंधन में ‘गुरु’ माने जाते हैं।”
डॉ. किरण लाल शाह भले ही अब हमारे बीच नहीं हैं, लेकिन उनका कार्य, सोच और सेवा का भाव पुलिस विभाग और समाज को प्रेरित करता रहेगा।
वे सच्चे अर्थों में "कर्तव्यनिष्ठ अधिकारी और सजग नागरिक" थे।
– स्वतंत्र पत्रकार रामेश्वर गौड़ की फेस बुक वॉल से
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