Halloween party ideas 2015
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देहरादून/ भानियावाला;

MAC international conference in Dehradun


 एक स्थानीय होटल में माइक्रोवेव, एंटीना और संचार (एमएसी-2024) के दूसरे अंतर्राष्ट्रीय वार्षिक सम्मेलन के तीन दिवसीय संस्करण का आयोजन किया गया। 


डील, डीआरडीओ भारत, आईआईटी रूड़की, एनआईटी उत्तराखंड, वीएमएसबी यूटीयू (टीएचडीसी-आईएचईटी) और इलेक्ट्रॉनिक्स संस्थाओं द्वारा संयुक्त रूप से इस सम्मेलन का आयोजित किया गया। 


जिसका उद्घाटन सांसद हरिद्वार और पूर्व सीएम श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत द्वारा किया गया। 


सम्मेलन में प्रायोजकों की प्रस्तुतियों और उत्पाद प्रदर्शनों से कार्यक्रम को और समृद्ध किया गया, जिससे उपस्थित लोगों को नवीनतम तकनीकों से जुड़ने का अवसर मिला। 

अपने सम्बोधन में श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि बच्चों को इंडस्ट्री से जोड़ना बहुत जरूरी है। साथ ही प्रोफेसरों भी इसमें रुचि लें।


 उन्होंने कहा कि प्रोफेसरों को समय-समय पर intensive करना अत्यंत आवश्यक है क्योंकि intensive से वे अपडेट रहेंगे और वे बच्चों को रोजाना के अपडेट से जोड़ पाएंगे। आज का जमाना अपडेट का है। उन्होंने कहा कि आज के हमारे बच्चों के दिमाग में इन्नोवेटिव आईडियाज होते हैं और उनका हमें इस्तेमाल करना चाहिए। श्री रावत द्वारा बच्चों को प्रोत्साहित किया गया और अंत में उन्होंने सभी को नवरात्रि की शुभकामनाएं भी दीं। 


कार्यक्रम की अध्यक्षता एमएनएनआईटी इलाहाबाद के कार्यवाहक निदेशक प्रोफेसर एमएम गोरे ने की। इस अवसर पर आरजीपीवी, भोपाल के कुलपति प्रोफेसर राजीव त्रिपाठी, मैनिट भोपाल के निदेशक प्रो. के.के. शुक्ला, प्रीत यादव (एनएक्सपी), प्रो. विजय शंकर त्रिपाठी, प्रो. करुण रावत, डॉ. विनय कुमार, प्रो. अमलेन्दु पटनायक, आईआईटी रूड़की, डॉ. मीनाक्षी रावत, आईआईटी रूड़की, डॉ. सिमा नोघानियन, कॉमस्कोप, सनीवेल, संयुक्त राज्य अमेरिका

 नैनीताल/मुक्तेश्वर :

Aries centre in mukteshwar


राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह(से नि) ने मंगलवार को देवस्थल, मुक्तेश्वर स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) का भ्रमण किया। देवस्थल में स्थित विज्ञान केंद्र में एरीज के निदेशक प्रोफेसर दीपांकर बनर्जी ने राज्यपाल  को देवस्थल में स्थापित दूरबीनों के बारे में विस्तृत विवरण दिया और उन्हें यहां से की गई वैज्ञानिक खोज की जानकारी दी। उसके पश्चात राज्यपाल ने देवस्थल में स्थापित परियोजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले पांच अधिकारियों को सम्मानित किया, जिनमें एरिस के डॉक्टर बृजेश कुमार, डॉ सौरभ, कुंतल मिश्रा ,मोहित जोशी, डीएस नेगी शामिल थे।


 इसके पश्चात राज्यपाल द्वारा नवनिर्मित इंजीनियरिंग लैब, मैकेनिकल वर्कशॉप और गेस्ट हाउस का उद्घाटन किया गया। भ्रमण के दौरान राज्यपाल ने भारत की सबसे बड़ी ऑप्टिकल दूरबीन 3.6 मीटर देवस्थल ऑप्टिकल दूरबीन का भ्रमण किया और उन्होंने टेलिस्कोप से की जाने वाली विभिन्न खोजों के बारे में विस्तार से जानकारी ली। साथ ही साथ उनके द्वारा इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलिस्कोप का भी भ्रमण किया गया। एरीज की एक अन्य दूरबीन के माध्यम से राज्यपाल  ने स्वयं आकाशीय पिंडों का अवलोकन किया और कहा कि तारामंडल को देखना एक अद्भुत अनुभव रहा। 


राज्यपाल ने कहा की उत्तराखंड का सौभाग्य है कि यहां विश्व प्रतिष्ठित शोध संस्थान है। उन्होंने कहा कि देवभूमि का यह देवस्थल भारत में खगोलीय विज्ञान अनुसंधान के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि यदि हमें परिवर्तन लाना है तो टेक्नोलॉजी, आई , मेटा, स्पेस आदि के क्षेत्र में स्वयं को स्थापित करना होगा। उन्होंने संस्थान में कार्य कर रहे वैज्ञानिकों एवं सभी कार्मिकों की सराहना की।


इस दौरान प्रथम महिला श्रीमती गुरमीत कौर, निदेशक प्रो0 दीपांकर बनर्जी, संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बृजेश कुमार, जीवन पांडे, नीलम पनवार, वीरेंद्र यादव, तरुण बांगिया सहित अन्य वैज्ञानिक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

 सूचना प्रौद्योगिक विकास एजेंसी

अंतर जिला ड्रोन प्रतियोगिता


Inter district drone competition utrarakhand



ड्रोन एप्लीकेशन एंड रिसर्च सेंटर, ITDA द्वारा 29 दिसंबर 2022 को पहली अंतर जिला ड्रोन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया .


ड्रोन प्रतियोगिता में यूकेस्वान, ई-डिस्ट्रिक्ट, पुलिस टेलीकॉम, आईटीडीए कैल्क आदि जैसे विभिन्न सरकारी विभागों से संबंधित उत्तराखंड के 13 जिलों के प्रतिभागी शामिल थे।


दो दिवसीय प्रतियोगिता का उद्घाटन श्री अमित कुमार सिन्हा, आईपीएस, निदेशक आईटीडीए ने किया। कार्यक्रम में बोलते हुए आईटीडीए के निदेशक ने प्रतिभागियों को पूरे उत्साह के साथ भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने उत्तराखंड को ड्रोन राज्य के रूप में विकसित करने के लिए उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में 13 ड्रोन स्कूल खोलने के अपने विचार साझा किए। प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए ड्रोन प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिल सकते हैं। प्रतिभागियों ने ITDA के अधिकारियों के साथ ड्रोन क्षेत्र में अपने अनुभव पर भी चर्चा की और अपने विचार साझा किए कि कैसे ड्रोन तकनीक उनके संबंधित क्षेत्र के संचालन में गेम चेंजर हो सकती है।

श्री गिरीश चंद्र गुणवंत अपर निदेशक आईटीडीए, श्री यू.सी. जोशी, एसपी, पुलिस टेलीकॉम,आईटीडीए के अन्य अधिकारियों ने भी इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और प्रतिभागियों को पूरे उत्साह के साथ भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।

 



चंद्र ग्रहण अब खत्म हो गया है। पूर्ण ग्रहण सुबह 11.11 बजे यूटीसी से शुरू हुआ, जो भारतीय समयानुसार शाम करीब 4.41 बजे था। लेकिन भारत में पूर्ण चंद्रग्रहण दिखाई नहीं दे रहा था। कुल चंद्र कार्यक्रम भारतीय समयानुसार शाम 7.19 बजे तक रहा।

चंद्रमा पृथ्वी के सबसे नजदीक है और इसलिए आज के चंद्र ग्रहण को सुपर ब्लड मून कहा जाता है। चंद्रमा न केवल बड़ा और पृथ्वी के करीब दिखाई दे रहा है , यह लाल नारंगी रंग का है। जनवरी 2019 के बाद यह पहला पूर्ण चंद्रग्रहण है।


चूंकि यह एक सुपरमून है, जो पृथ्वी के निकटतम बिंदु पर एक पूर्ण चंद्रमा है,यह सामान्य से अधिक बड़ा पूर्ण चंद्रमा है। 

लाल रंग पृथ्वी से आता है जो सूर्य के अधिकांश प्रकाश को चंद्रमा तक पहुंचने से रोकता है और शेष प्रकाश को छानकर चंद्रमा को उसकी लाल 'पूर्ण चंद्र ग्रहण' छाया देता है।


 दुनिया भर के पर्यवेक्षक रात भर सुपरमून को देख पाएंगे, अगर आकाश साफ है, तो ग्रहण पूर्वी एशिया, ऑस्ट्रेलिया, प्रशांत और अमेरिका में दिखाई देगा, नासा का कहना है कि चंद्र ग्रहण,  आंशिक ग्रहण  तब होता है जब चंद्रमा पृथ्वी की छाया में और बाहर चला जाता है।

 शाम को चंद्रमा के उदय के बाद भारत, नेपाल, पश्चिमी चीन, मंगोलिया और पूर्वी रूस से दिखाई देगा। लेकिन भारत को पूर्ण ग्रहण देखने को नहीं मिलेगा।








उत्तराखंड की लोक संस्कृति,लोक परंपराओं,लोक उत्सवों और लोकगीतों को नई ऊंचाइयों पर पहुंचाने वाले लोक गायक हीरा सिंह राणा  के परिजनों को दिल्ली बीजेपी ने शनिवार को सम्मानित किया।


वेस्ट विनोद नगर दिल्ली स्थित दुर्गा मात मंदिर कुमांऊ स्क्वायर में आयोजित एक सादे आयोजन में दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता एवं जिला मयूर विहार भाजपा अध्यक्ष विनोद बछेती ने स्व.हीरा राणा जी की पत्नी विमला राणा एवं पुत्र हिमांशु राणा को दिल्ली बीजेपी के तरफ से सम्मान स्वरूप 2 लाख रूपये की राशि शॉल और पुष्प गुछ प्रदान किया।


इस मौके पर दिल्ली भाजपा के अध्यक्ष आदेश गुप्ता ने स्व.राणा जी स्मृति को नमन् करते हुए कहां कि हम देश की राजधानी में रहते है। यहां हर सांस्कृति परिवेश के लोग रहते है। जो अपने गांव,खेत-खलिहानों से दूर रहकर भी अपनी संस्कृति को जीवित रखने के लिए समय-समय अनेक तरह के आयोजन करते रहते है। यह हमारे लोक सांस्कृति के अलग-अलग रंगों की खूबी हैं कि हम हर सांस्कृतिक परिवेश को अपनाते है। लेकिन इस सब का श्रेय असल में हमारे संस्कृति कर्मियों को जाता है। जो पूरी दुनिया से आकर दिल्ली जैसे शहर में अपनी संस्कृति को बढ़ावा देते है।


इन्हीं लोक संस्कृति कर्मियों में श्रेष्ठ नाम हीरा सिंह राणा जी का है। जो आज भले ही हमारे बीच नहीं हैं,लेकिन उनके गीत हमेशा हमारे साथ मौजूद रहेंगे। हीरा सिंह राणा जी ने कुमाऊंनी लोकगीतों को नई दिशा व ऊंचाइयों तक पहुंचाया। इस लिए हम सब का आज यह कर्तव्य बनता हैं कि हम उनके परिवार और उनसे जुड़े लोगों का सम्मान करें। जिसके लिए आज हमने आज का यह आयोजन रखा है।


श्री गुप्ता ने कहां की हम खुद को सौभाग्यशाली मानते हैं की हम आज उस लोक थाती के परिवार का सम्मान कर रहे है। जिसने तमाम संघर्षों से गुजरते हुए,विश्व सांस्कृतिक पटल में पहाड़ के लोक गीतों को एक नई पहचान ही नहीं दिलाई,बल्कि अपने गीतों को माध्यम से नयी पीढ़ी को सींच कर तैयार भी किया है।


श्री आदेश गुप्ता ने जिला मयूर विहार भाजपा अध्यक्ष विनोद बछेती का आभार प्रकट हुए कहां कि मैं बछेती जी को इस महत्वपूर्ण कार्य के लिए बधाई देता हूं कि आपके अथक प्रयास से हम पहाड़ की लोक थाती हीरा सिंह राणा जी परिवार को सम्मान स्वरूप यह छोटा सा सहयोग कर पाए। श्री गुप्ता में हीरा सिंह राणा जी परिवार को आश्वस्त किया कि हम कोशिश करेंगे की भविष्य में आपको कुछ बेहतर सहयोग प्रदान कर पाएं ताकि आपको आजीविका का साधन मिल पाए। इसी के साथ हम यह भी आश्वस्त करते हैं कि दिल्ली में रह रहे किसी भी क्षेत्र के लोक कलाकर को अपनी लोक संस्कृति को बढ़ावा देने में कोई रूकावट नहीं आने दी जाएगी।


इस मौके पर जिला मयूर विहार भाजपा अध्यक्ष विनोद बछेती ने इस आयोजन के लिए समय देने के लिए दिल्ली भाजपा अध्यक्ष आदेश गुप्ता का आभार प्रकट करते हुए कहां कि हम आभारी हैं कि आपने हमारी लोक थाती स्व.हीरा सिंह राणा के सम्मान के लिए सम्मान के लिए समय निकाला। इसके लिए पूरे उत्तराखंड समाज की तरफ से आपका कोटी-कोटी आभार व्यक्त करते है।


श्री बछेती ने कहां की मैंने स्व.राणा जी लोक यात्रा को बहुत करीब से देखा और समझा है। वह अपनी संस्कृति के समर्पित व्यक्तित्व थे। उन्हें पूरी दुनिया में पहाड़ को लोक परिवेश को श्रेष्ठ मंचों तक पहुंचा। वह ताउम्र संघर्षरत रहे,अपनी संस्कृति के लिए अपने लोक परिवेश के लिए। उन्होंने उत्तराखंडी संस्कृति को रंगीली बिंदी, रंगदार मुखड़ी’, ‘आहा रे ज़माना’ आदि लोकगीतों के जरिए नई पहचान दिलाई। राणा जी हमारे लोक संगीत के पुरोधा थे। आज उनके परिवार को हमारे मदद की आवश्यकता थी। मैं भाजपा के अपने सभी वरिष्ठों औक कार्यकर्ताओं को विशेष आभार प्रकट करना चाहूंगा कि आप सभी ने मुझे इस कार्य में सहयोग किया।


श्री बछेती ने इस आयोजन में आए सभी प्रबुद्धजनों का आभार प्रकट करते हुए कहा कि मैं आप सब को विश्वास दिलाना चाहूंगा की दिल्ली में रहे पहाड़ी समाज को कभी भी किसी भी मदद की आवश्यकता होगी तो अपने इस बेटे को एक बार याद किजिएगा। हम सब मिलकर आपके साथ खड़े होगें।

इस कार्यमक्रम का आयोजन सामाजिक कार्यकर्ता दीपक डंडरियाल  संयोजन में हुआ। कार्यक्रम में मंडल अध्यक्ष आशीष गुप्ता रवि नेगी,सत्या जोशी, उदय सिंह गुसाईं,बी.एल डोट रियाल, दान सिंह रावत,दयाल सिंह नेगी, हरेंद्र डोलिया,राम किशन जोशी,हीरा सिंह रावत,गोपाल सिंह रावत,प्रेम सिंह पवार,बलवंत सिंह बिष्ट,एस.एन जदंली,लोक गायक शिव दत्त पंत एवं संगीतकार राजेंद्र चौहान सहित उपस्थित रहे



ब्रह्मांड में अरबों आकाशगंगाओं के बीच बड़ी संख्या में छोटी आकाशगंगाएं हैं, जो हमारी मिल्की-वे आकाशगंगा की तुलना में 100 गुना तक छोटी हैं। जहां इनमें से नन्ही आकाशगंगाएं जो बौनी आकाशगंगा कहलाती हैं, वे विशाल आकार वाली आकाशगंगाओं के मुकाबले बहुत धीमी गति से तारों का निर्माण करती हैं, वहीं कुछ बौनी आकाशगंगाएं हमारी मिल्की-वे आकाशगंगा से 10-100 गुना व्यापक-सामान्य दर पर नए तारे बनाते हुए देखी जाती हैं। हालांकि ये गतिविधियां कुछ करोड़ों वर्षों से अधिक समय तक नहीं चलती हैं, ये एक ऐसी अवधि है जो इन आकाशगंगाओं की आयु की तुलना में बहुत कम है जो आम तौर पर कुछ अरब वर्ष होती है।
दो भारतीय दूरबीनों का उपयोग करके ऐसी दर्जनों आकाशगंगाओं का अवलोकन करने वाले वैज्ञानिकों ने पाया है कि इनके इस विचित्र व्यवहार का सुराग इन आकाशगंगाओं में अनियमित हाइड्रोजन वितरण में निहित है और हाल ही में दो आकाशगंगाओं के बीच टकराव में भी।
बौनी आकाशगंगाओं में तारों के गठन की प्रकृति को समझने के लिए भारत सरकार के विज्ञान और प्रौद्योगिकी विभाग (डीएसटी) के एक स्वायत्त संस्थान आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज़) के खगोलविदों डॉ. अमितेश उमर और उनके पूर्व छात्र डॉ. सुमित जायसवाल ने नैनीताल के पास 1.3-मीटर के देवस्थल फास्ट ऑप्टिकल टेलीस्कोप (डीएफओटी) और जायंट मीटर वेव रेडियो टेलीस्कोप (जीएमआरटी) का उपयोग करके ऐसी कई आकाशगंगाओं का अवलोकन किया। इनमें से पहले ने जहां उस ऑप्टिकल वेवलेंथ पर संचालन किया जो आयनित हाइड्रोजन से निकलने वाली ऑप्टिकल लाइन विकिरण का पता लगाने में संवेदनशील हो, वहीं दूसरे टेलीस्कोप की 45-मीटर व्यास की 30 डिश में से प्रत्येक ने मिलकर काम किया और आकाशगंगाओं में तटस्थ हाइड्रोजन से 1420.40 मेगाहर्ट्ज पर आने वाले वर्णक्रमीय रेखा विकिरण के माध्यम से तीव्र इंटरफेरोमेट्रिक छवियों का उत्पादन किया।
ऊंची दर पर तारों के निर्माण के लिए आकाशगंगाओं में हाइड्रोजन के बहुत ऊंचे घनत्व की ज़रूरत होती है। एरीज़ टीम द्वारा किए गए अध्ययन के अनुसार, कई तारों के निर्माण वाली गहन बौनी आकाशगंगाओं की 1420.40 मेगाहर्ट्ज छवियों ने संकेत दिया कि इन आकाशगंगाओं में हाइड्रोजन बहुत विक्षुब्ध या बाधित है। जहां हमें आकाशगंगाओं की अच्छी तरह से परिभाषित कक्षाओं में हाइड्रोजन के लगभग सममित वितरण की उम्मीद होती है, वहीं इन बौनी आकाशगंगाओं में हाइड्रोजन अनियमित पाया जाता है और कभी-कभी अच्छी तरह से परिभाषित कक्षाओं में नहीं चल रहा होता है। इन आकाशगंगाओं के आस-पास कुछ हाइड्रोजन को अलग-थलग बादलों, पंखों और पूंछों के रूप में भी पाया जाता है, जैसे कि हाल ही में कोई अन्य आकाशगंगा इन आकाशगंगाओं से टकराईं हो या छूकर चली गई हो, और गैस आकाशगंगाओं के चारों ओर मलबे के रूप में बिखर जाती है। मध्य क्षेत्र में कभी-कभी ऑप्टिकल आकारिकी ने कई नाभिक और आयनित हाइड्रोजन की उच्च सांद्रता को उजागर किया है। हालांकि आकाशगंगा से आकाशगंगा की टक्कर का प्रत्यक्ष रूप से पता नहीं चला था लेकिन रेडियो और ऑप्टिकल इमेजिंग के माध्यम से इसके विभिन्न हस्ताक्षर सामने आए थे और ये ही एक कहानी बनाने में मदद कर रहे हैं। इसलिए ये शोध बताता है कि दो आकाशगंगाओं के बीच हालिया टकराव से इन आकाशगंगाओं में तीव्र तारा निर्माण शुरू हो जाता है।
13 आकाशगंगाओं की विस्तृत तस्वीरों के साथ इस शोध के निष्कर्ष मंथली नोटिसेज़ ऑफ रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी (एमएनआरएएस) पत्रिका के आगामी अंक में नजर आएंगे जिसे रॉयल एस्ट्रोनॉमिकल सोसाइटी, यूके द्वारा प्रकाशित किए जाता है। ये निष्कर्ष ब्रह्मांड की कम विशालकाय आकाशगंगाओं के विकास और सितारों के निर्माण को समझने में खगोलविदों की मदद करेंगे।


[प्रकाशन लिंक: http://arxiv.org/abs/2008.04528
अधिक जानकारी के लिए डॉ. अमितेश उमर से इस ईमेल पर संपर्क किया जा सकता है: aomar@aries.res.in ]



 
 
 
दुनिया भर के वैज्ञानिक कोविड-19 से लड़ने के लिए वैक्सीन और दवाओं के विकास पर काम कर रहे हैं। इस दिशा में कार्य करते हुए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) दिल्ली के शोधकर्ताओं ने चाय (Camellia sinensis) और हरितकी (Terminalia chebula) में ऐसे तत्व का पता लगाया है, जिसके बारे में दावा है कि यह कोविड-19 के उपचार में एक संभावित विकल्प हो सकताहै। 
इस अध्ययन का नेतृत्व कर रहे आईआईटी दिल्ली केकुसुमा स्कूल ऑफ बायोलॉजिकल साइंसेज के शोधकर्ता प्रोफेसर अशोक कुमार पटेल ने बताया कि “हमनेप्रयोगशाला में वायरस के एक मुख्य प्रोटीन 3सीएल-प्रो प्रोटीएज को क्लोन किया है और फिर उसकी गतिविधियों का परीक्षण किया है। इस अध्ययन के दौरान वायरस प्रोटीन पर कुल 51 औषधीय पौधों का परीक्षण किया गया है। इन विट्रो परीक्षण में हमने पाया कि ब्लैक-टी, ग्रीन-टी और हरितकी इस वायरस के मुख्य प्रोटीन की गतिविधि को बाधित कर सकते हैं।”


चाय (Camellia sinensis)महत्‍वपूर्ण बागान फसल है। इसके एक ही पौधे से ग्रीन-टी और ब्लैक-टी मिलती है। इसी तरह, हरितकी, जिसे हरड़ भी कहते हैं, को एक प्रमुख आयुर्वेदिक औषधि के रूप में जाना जाता है।
प्रोफेसर पटेल ने बताया कि “विस्तृत आणविक तंत्र की पड़ताल के लिए हमारी टीम ने चाय और हरितकीके सक्रिय तत्वों की जाँच शुरू की तो पाया कि गैलोटेनिन (Gallotannin) नामक अणु वायरस के मुख्य प्रोटीन की गतिविधि को नियंत्रित करने में प्रभावी हो सकता है।ब्लैक-टी, ग्रीन-टी या फिर हरितकी भविष्य में कोरोना वायरस के लिए संभावित उपचार विकसित करने में प्रभावी हो सकते हैं। परंतु, इसके लिए क्लिनिकल ट्रायल की जरूरत होगी।”
शोधकर्ताओं का कहना है कि वायरस का 3सीएल-प्रो प्रोटीएज वायरल पॉलीप्रोटीन के प्रसंस्करण के लिए आवश्यक है। इसलिए, यह वायरस को लक्षित करने वाली दवाओं के विकास के लिए एक दिलचस्प आधार के रूप में उभरा है। उनका मानना है कि इस प्रोटीन को लक्ष्य बनाकर वायरस को बढ़ने से रोका जा सकता है।

प्रयोगशाला में किए गए इस शोध के बाद चाय और हरितकी को कोविड-19 संक्रमण रोकने में संभावित उम्मीदवार के रूप में देखा जा रहा है। हालाँकि, अध्ययनकर्ताओं का कहना यह भी है कि इस शोध के नतीजों की वैधता का परीक्षण जैविक रूप से किया जा सकता है। इस अध्ययन के नतीजे शोध पत्रिका फाइटोथेरैपी रिसर्च में प्रकाशित किए गए हैं।

प्रोफेसर पटेल के अलावा शोधकर्ताओं की टीम में आईआईटी दिल्ली के सौरभ उपाध्याय, प्रवीण कुमार त्रिपाठी, डॉ शिव राघवेंद्र, मोहित भारद्वाज और मोरार जी देसाई राष्ट्रीय योग संस्थान, नई दिल्ली की शोधकर्ता डॉ मंजू सिंह शामिल हैं।

(अधिक जानकारी के लिए संपर्क करें: pro@iitd.ac.in, shivprakash1@iitd.ac.in)



                                                       
  एक ओर जहां वैश्विक महामारी कोविड19 से दुनिया के लोग डरे सहमे हुए हैं, वहीं कोरोना वायरस से लोगों को निजात दिलाने के लिए देश-दुनिया के अनेक संस्थान कोविड वेक्सीन की खोज में जुटे हुए हैं।

 वहीं भारत देश के विभिन्न संस्थानों के वैज्ञानिक एवं शोधार्थी भी इस महामारी से बचाव के अनेक प्रयासों पर शोध कर रहे हैं। इसी क्रम में अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान एम्स ऋषिकेश के पीएचडी रिसर्च स्कॉलर रोहिताश यादव का इस विषय में रिसर्च पेपर संयुक्त राष्ट्र अमेरिका की प्रतिष्ठित अंतरराष्ट्रीय  शोधपत्रिका ‘जनरल ऑफ बायोमोलिक्यूलर स्ट्रक्चर एवं डायनामिक्स’ में प्रकाशित हुआ है। जिसमें उन्होंने कोरोना वायरस के संभावित ड्रग्स की पहचान की है। उनका यह शोधकार्य आगे चलकर इस महामारी से बचाव में एक मील का पत्थर साबित हो सकता है।

 एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत ने रिसर्च स्कॉलर को इस उपलब्धि के लिए बधाई दी। निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो. रवि कांत ने बताया कि संस्थागत स्तर पर शोधकार्य को बढ़ावा देने के लिए लगातार कार्य हो रहा है, इसके लिए एम्स संस्थान के स्तर पर प्रतिवर्ष पांच करोड़ की धनराशि निर्गत की गई है,जिसे आने वाले समय में बढ़ाया जा सकता है। एम्स निदेशक प्रो. रवि कांत  ने बताया कि जिससे एम्स संस्थान में रिसर्च को बढ़ावा दिया जा सके और शोधार्थियों को इसके लिए प्रोत्साहित किया जा सके। लिहाजा युवा वैज्ञानिकों, अनुसंधानकर्ताओं को रिसर्च की ओर ध्यान देना चाहिए, जिससे चिकित्सा विज्ञान के क्षेत्र में देश ही नहीं दुनिया को लाभ मिल सके।                                                
         उन्होंने बताया कि अनुसंधानकर्ता रोहिताश यादव ने इस शोधकार्य में कोरोना वायरस के विभिन्न टारगेट की पहचान करके संभावित ड्रग को खोजा है, जिसे शोधपत्र में प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है। शोधकर्ता यादव ने इस  शोधपत्र में कोरोना वायरस के न्यूक्लियोकैप्सिट फास्फोप्रोटीन की तीन संभावित जगहों पर 8722 नए ड्रग मॉलिक्यूल्स एवं 265 संक्रामक बीमारियों के काम में आने वाली दवाओं के साथ अध्ययन किया है। जिसमें उन्होंने तीन संभावित ड्रग मॉलिक्यूल्स की पहचान की है। जिनमें से दो नए ड्रग मोलिक्यूल हैं जबकि एक एचआईवी संक्रमण में काम आने वाली दवा जिडोवुडीन है। जिडोवुडीन को कोरोना के उपचार की कड़ी में एक महत्वपूर्ण ड्रग के तौर पर देखा जा सकता है, जिसकी पुष्टि आगे चलकर क्लिनिकल ट्रायल से की जा सकती है। उन्होंने बताया कि यह शोधकार्य एम्स ऋषिकेश के डिपार्टमेंट ऑफ फार्माकोलॉजी में किया गया।                                 वहीं इस उपलब्धिपूर्ण शोध कार्य के लिए संस्थान के डीन एकेडमिक्स प्रोफेसर मनोज गुप्ता  ने अनुसंधानकर्ता की प्रशंसा की है, उन्होंने इसे एम्स संस्थान व फार्माकोलॉजी विभाग के लिए एक बड़ा अचीवमेंट बताया है। उन्होंने बताया कि कोरोना के विश्वव्यापी दुष्प्रभाव के इस नाजुक समय में हमारे चिकित्सक, नर्सिंग स्टाफ के साथ-साथ अनुसंधानकर्ता भी दिन-रात इस वायरस से जनमानस को बचाने में अपने-अपने स्तर पर दिन-रात कार्य कर रहे हैं।  इसके साथ ही संस्थान के फार्माकोलॉजी विभागाध्यक्ष प्रो. शैलेंद्र हांडू  कोविड को लेकर किए गए इस अनुसंधान कार्य के लिए हर्ष व्यक्त किया, उन्होंने इसे एम्स संस्थान की एक बड़ी उपलब्धि बताया व शोधकर्ता को प्रोत्साहित किया।                                                                                        
 रिसर्च स्कॉलर रोहिताश यादव ने बताया कि इस कार्य के लिए विभाग के डा. पुनीत धमीजा, जॉन्स हॉपकिंस यूनिवर्सिटी, अमेरिका के डा. कपिल सूचल एवं सऊदी अरब के सांकरा मेडिकल इंस्टीट्यूट के डा. मोहम्मद इमरान ने भी सहयोग किया। गौरतलब है कि एम्स के फार्माकोलॉजी विभाग के शोधार्थी रोहिताश यादव इसके साथ साथ अनेक शोध विषयों पर कार्य कर रहे हैं। यादव अपना पीएचडी शोध फार्माकोलॉजी विभाग के डा. पुनीत धमीजा के अधीन  मल्टीपल माइलोमा के लिए नए दवा की खोज पर कर रहे हैं,  वर्तमान में वह सोसायटी ऑफ यंग बायोमेडिकल साइंटिस्ट इंडिया के अध्यक्ष का दायित्व भी देख रहे हैं। यादव ने इन सभी प्रयासों के पीछे अपने गाइड डा. पुनीत धमीजा समेत विभाग के प्रमुख प्रो. शैलेंद्र हांडू जी का सहयोग बताया, उन्होंने बताया कि बिना इनके प्रयासों व मार्गदर्शन के यह कार्य संभव नहीं हो पाता।


                                                                  डॉक्टर अनिल सक्सेना

                                                              डॉक्टर शिशिर नन्दी

 

भारत में तीन संस्थाओं ग्लोबल इन्स्टिटूट ऑफ़ फ़ार्मासयूटिकल एजुकेशन एंड रीसर्च, (जिपर) काशीपुर, उत्तराखंड , एमेरिटस वैज्ञानिक, सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) लखनऊ  तथा काउन्सिल ऑफ़ साइयंटिफ़िक एंड इंडस्ट्रीयल रीसर्च इंस्टीट्यूट के वैज्ञानिकों ने दावा किया है कि उन्होंने कोरोना वायरस पर चल रही एक खोज में महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है।

रिसर्च ऑफिसर रोहित ममंगइ ने बताया बताया कि खोज के दौरान, वैज्ञानिकों को ऐसी गतिविधियों का पता चला है जिनके द्वारा COVID -19 के खिलाफ लड़ा जा सकता है .वे एक ऐसे मोलिक्यूल पर काम कर रहे हैं जिसमे COVID-19 के खिलाफ प्रोटीएज अवरोधक के रूप में जैविक गतिविधि दिखाई दी  है।

इस खोज में इसमें मोलिक्यूलर-डॉकिंग विधि का उपयोग किया गया था। इस अध्ययन को फार्मास्युटिकल केमिस्ट्री के प्रोफेसर और एच॰ओ॰डि॰, डॉक्टर शिशिर नन्दी, ग्लोबल इन्स्टिटूट ऑफ़ फ़ार्मासयूटिकल एजुकेशन एंड रीसर्च, (जिपर) काशीपुर, उत्तराखंड के साथ-साथ एमेरिटस वैज्ञानिक, सेंट्रल ड्रग रिसर्च इंस्टीट्यूट (सीडीआरआई) लखनऊ  तथा काउन्सिल ऑफ़ साइयंटिफ़िक एंड इंडस्ट्रीयल रीसर्च, डॉक्टर अनिल सक्सेना द्वारा अनुमोदित किया गया है। इसके अलावा, प्रीक्लिनिकल स्टडीज के लिए विभिन्न संस्थाओं से संपर्क किया जा रहा है।


विकास नगर:

उत्तराखण्ड विज्ञान शिक्षा एवं अनुसंधान केन्द्र (यूसर्क) द्वारा साहस
फाउंडेशन के संयुक्त तत्वाधान में विकास नगर ब्लॉक ऑफिस
में कम्यूनिटी इंटरप्राईज विषय पर कार्यशाला का आयोजन किया गया।
कार्यशाला में मुख्य अतिथि विकास नगर के विधायक श्री मुन्ना सिंह
चौहान ने गांव एवं सुदूर क्षेत्रों में कृषि एवं सम्बन्धित
क्षेत्रों के विकास हेतु एवं कौशल प्रशिक्षण के उद्देश्य से
आयोजित इस कार्यशाला के आयोजन की सराहना की तथा इस क्षेत्र से
सम्बन्धित जन प्रतिनिधियों के कई प्रश्नों के समाधान दिये।

 यूसर्क के निदेशक प्रो0 दुर्गेश पंत एवं साहस फाउंडेशन के निदेशक
साहब नकवी ने कार्यशाला के महत्व पर प्रकाश डालते हुये इस
कार्यक्रम के उद्देश्य पर विस्तार से चर्चा की। एक गांव
टेक्नोलॉजी के सी0ई0ओ0 श्री विजय प्रताप सिंह ने कार्यशाला का
संचालन एवं रूप रेखा सम-हजयाते हुये कृषि बागवानी, हैंडीक्राफ्टस
इत्यादि विषयों पर प्रशिक्षण प्रदान किया तथा कृषि क्षेत्र से सम्बन्धित
टेक्नोलॉजी को अपनाते हुये कृषि को आजीविका से जोड़ने
हेतु टेक्नोलॉजी के योगदान पर चर्चा की।

कार्यशाला में यूसर्क से वैज्ञानिक अनुराधा ध्यानी, मन्दाकिनी की
आवाज से सरिता थॉमस, साहस फाउंडेशन, डी0आई0टी0, एक गांव
टेक्नालॉजी एवं विभिन्न संस्थाओं से 180 से अधिक किसानों
शिक्षकों, विद्यार्थियों एवं जन प्रतिनिधियों द्वारा प्रतिभाग किया
गया।


देहरादून;

आज 14वीं उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कांग्रेस का उद्घाटन  विज्ञान धाम, झाझरा, देहरादून में बुद्धिजीवीयो और वैज्ञानिकों  की उपस्थिति में किया गया।
 मुख्य अतिथि प्रो0 अशोक मिश्रा, भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगरोल ने कहा कि युवाओं और प्रदेश की जनता में वैज्ञानिक चेतना की अतिआवश्यकता है ताकि गरीब जनता तक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के परिणाम उनकी आर्थिक उन्नति में सहायक बन सकें। इन्होंने भारतीय वैज्ञानिकों के जीवन पर प्रकाश डाला और समाज में इनोवेशन के बढ़ावे पर जोर दिया।
उद्घाटन समारोह का स्वागत भाषण डाॅ0 राजेन्द्र डोभाल, महानिदेशक, यूकाॅस्ट द्वारा दिया गया। उन्होंने आये सभी प्रसिद्ध वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, अनुसंधान विद्वानों एवं शोध छात्रों का स्वागत किया। डाॅ0 डोभाल ने आये सभी शोधार्थी से अहवान किया कि वे इस विज्ञान कांग्रेस में आये प्रसिद्ध विषय विशेषज्ञों व वैज्ञानिकों से वार्ता कर अपनी वैज्ञानिक चेतना को जागृत करें और यूकाॅस्ट द्वारा उपलब्ध कराये प्लेटफार्म का लाभ उठाये।

 आर0के0 सुधांशु, सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, उत्तराखण्ड शासन ने सरकार की तरह से सभी आये हुए वैज्ञानिकों एवं शोधार्थियों को कहा कि विज्ञान का जीवन का प्रत्येक क्षेत्र मंे उपयोग होता है इसलिए सभी को अपने अन्दर वैज्ञानिक चेतना को जाग्रत करना चाहिए साथ ही उन्होंने यह भी बताया कि शीघ्र ही संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार द्वारा यूकाॅस्ट विज्ञान धाम में साइंस सिटी का निर्माण शुरू हो जायेगा जिसमें केन्द्र द्वारा 60 प्रतिशत तथा राज्य सरकार द्वारा 40 प्रतिशत बजट का आवंटन होगा।

 कार्यक्रम के दौरान द्वारा प्रो0 हर्षा सिन्वाल, जियो फिजिसिस्ट, कोे पृथ्वी विज्ञान में, प्रो0 डी0के0 माहेश्वरी, पूर्व कुलपति गुरूकुल कांगड़ी विश्वविद्यालय, हरिद्वार को जीवविज्ञान के क्षेत्र में एवं डाॅ0 रणवीर सिंह रावल, निदेशक, जी0बी0 पन्त राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं सतत् विकास संस्थान, अल्मोड़ा को पर्यावरण विज्ञान के क्षेत्र में ‘सांइस एण्ड टैक्नोलाजी एक्सैलेंस अवार्ड’ (Science & Technology Excellence Award) पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इस अवसर पर श्री राम आसरे सिंह चैहान, सहायक अध्यापक, बी0एस0आर0 , राजकीय इण्टर काॅलेज, बड़कोट उत्तरकाशी को ‘उत्कृष्ट विज्ञान शिक्षक पुरस्कार’ से यूकाॅस्ट व नासद्वामरा संयुक्त रूप से विज्ञान सम्बंधी कार्यों व उपलब्धियों के लिए सम्मानित किया गया साथ ही उपस्थित विशिष्ठ अतिथियों द्वारा शोध संकलन पुस्तक (।इेजतंबज ठववाद्ध एवं हिमालयन नाॅलेज नेटववर्क के ब्रोचर का विमोचन किया गया।



प्रथम दिवस पूर्वाह्न में नासी विशिष्ट व्याख्यान प्रो0 अशोक मिश्रा, भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगररू द्वारा Fostering Creativity and Innovation in Science and Technology’’ विषय पर दिया गया।

 इस अवसर पर यूकाॅस्ट के संयुक्त निदेशक डाॅ0 बी0 पी0 पुरोहित द्वारा धन्यवाद ज्ञापन दिया गया। उन्होंने विज्ञान कांग्रेस में आये सभी ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों को धन्यवाद देते हुए कहा कि यह प्रादेशिक विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कांग्रेस युवा शोधार्थियों को अपने शोध कार्यांे पर वरिष्ठ वैज्ञानिकों से विचार-विमर्श करने, उन्हें बेहतर बनाने तथा नये शोध क्षेत्रों से उनका परिचय कराने व उनमें अभिरूचि उत्पन्न करने के लिए मंच प्रदान करता है ताकि वे अपने पर्वतीय क्षेत्र के निवासियों के विकास में अपना योगदान दे सकें।


प्रो0 अशोक मिश्रा, भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर, डाॅ0 एस0एस0 नेगी, उपाध्यक्ष, उत्तराखण्ड पलायन आयोग, आर0के0 सुधांशु, सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, उत्तराखण्ड शासन, प्रो0 मुकेश त्रिपाठी, निदेशक, एम्स, विजयवाड़ आन्ध्रप्रदेश, डा0 प्रकाश चैहान, निदेशक, इण्डियन इन्स्टीटीयूट आॅफ रिमोट सेंसिंग, देहरादून, डाॅ0 आर0एस रावल, निदेशक, जी0बी0 पन्त राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं सतत् विकास संस्थान, अल्मोड़ा एवं डाॅ0 राजेन्द्र डोभाल, महादिशेक, यूकाॅस्ट द्वारा संयुक्त रूप से राज्यभर से आये 500 से भी अधिक प्रसिद्ध वैज्ञानिकों, शिक्षाविदों, अनुसंधान विद्वानों उपस्थित थे।
कार्यक्रम का संचालन मोना बाली द्वारा किया गया। कार्यक्रम में सम्भव विचार मंच की टीम ने विज्ञान से सम्बंधित बहुत ही रोचक नुक्कड़ नाटक का सजीव प्रदर्शन किया।



                                                                       


                                         

देहरादून;



14वीं उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कांग्रेस का उद्घाटन
दिनांक 27 से 29 फरवरी, 2020 तक विज्ञान धाम, झाझरा, देहरादून में 14वीं उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कांग्रेस का उद्घाटन होगा



यूकॉस्ट, के प्रबंधक जनसम्पर्क, अमित पोखरियाल ने बताया कि देश एवं प्रदेश के सैकड़ों वैज्ञानिक, शिक्षाविद, शोधार्थी एवं चिन्तक अपने-अपने क्षेत्र में विज्ञान की नये वैज्ञानिक खोजों, संभावनाओं तकनीकी पर विचार-विमर्श के लिए यूकॉस्ट में दिनांक 27 से 29 फरवरी, 2020 तक उपस्थित रहेगें। यह मौका है 14वीं उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कांग्रेस के आयोजन का।



उन्होंने बताया कि उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी विभाग, भारत सरकार, एन0सी0एस0टी0सी0, डी0एस0टी0, भारत सरकार, नासी उत्तराखण्ड अध्याय एवं जी0बी0 पन्त राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण संस्थान एवं सतत विकास अल्मोड़ा द्वारा दिनांक 27 से 29 फरवरी, 2020 तक अपने परिसर, विज्ञान धाम, झाझरा में 14वीं उत्तराखण्ड राज्य विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी कांग्रेस का आयोजन किया जा रहा है। इस कार्यक्रम का मुख्य उद्धेश्य युवा शोधार्थी एवं वैज्ञानिकों को देश-दुनिया के प्रतिष्ठित वैज्ञानिक समुदाय के समक्ष अपने शोध कार्य का प्रस्तुतीकरण और नयी वैज्ञानिक खोजों से रूबंरू होना है। प्रदेश में वैज्ञानिकों के आपसी विचारों एवं शोधों के आदान-प्रदान एवं नवीनतम तकनीकी के लोकव्यापीकरण के एक सशक्त माध्यम के रूप में वार्षिक विज्ञान काग्रेंस की महत्वपूर्ण भूमिका है। प्रदेश में यूकॉस्ट द्वारा प्रतिवर्ष आयोजित विज्ञान काग्रेंस वैज्ञानिकों के एक साझा मंच के रूप में अपनी पहचान बना चुका है।



यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेन्द्र डोभाल ने बताया कि विज्ञान कांग्रेस का उद्धाटन मुख्य अतिथि के रूप में प्रदेश के मुख्य सचिव, उत्पल कुमार सिंह, आई0ए0एस0 एवं कार्यक्रम की अध्यक्षता डॉ0 एस0एस0 नेगी, उपाध्यक्ष, उत्तराखण्ड पलायन आयोग द्वारा की जायेगी। इस कांग्रेस में ख्याति प्राप्त वैज्ञानिक, शिक्षाविदों को विज्ञान के क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य करने हेतु सम्मानित किया जायेगा।  उद्घाटन समारोह के अवसर पर आर0के0 सुधांशु, सचिव, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, उत्तराखण्ड शासन, प्रो0 मुकेश त्रिपाठी, निदेशक, एम्स, विजयवाड़ आन्ध्रप्रदेश, प्रो0 अशोक मिश्रा, भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगररू, डा0 प्रकाश चौहान, निदेशक, इण्डियन इन्स्टीटीयूट ऑफ रिमोट सेंसिंग, देहरादून, डॉ0 आर0एस रावल, निदेशक, जी0बी0 पन्त राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं सतत् विकास संस्थान, अल्मोड़ा विशिष्ठि अतिथि के रूप में उपस्थित रहेंगे।



उल्लेखनीय है कि दिनांक 27 एवं 28 फरवरी, 2020 को ’हिमालयन नॉलेज नेटवर्क’ पर  जी0बी0 पन्त राष्ट्रीय हिमालय पर्यावरण एवं सतत् विकास संस्थान, अल्मोड़ा एवं यूकॉस्ट द्वारा बहुत ही महत्वपूर्ण विचार मंथन एवं संगोष्ठि का आयोजन किया जायेगा साथ ही तीन दिवसीय कांग्रेस के दौरान राष्ट्रीय गणित दिवस एवं राष्ट्रीय विज्ञान दिवस भी मनाया जायेगा।



उन्होंने यह भी बताया कि इस बार की विज्ञान काग्रेंस में प्रदेश के विभिन्न विश्वविद्यालयों एवं उच्च शैक्षणिक संस्थानों से 500 शोधार्थी इसमें प्रतिभाग करेगें। इस अवसर पर तीन ख्याति प्राप्त वैज्ञानिकों को ‘सांइस एण्ड टैक्नोलाजी एक्सैलेंस अवार्ड’ एवं राज्य से एक विज्ञान शिक्षक को ’उत्कृष्ट विज्ञान शिक्षक पुरस्कार’ से सम्मानित किया जायेगा तथा 17 विषय समूहों के प्रस्तुतिकरण में युवा वैज्ञानिकों को ’उत्कृष्ट युवा वैज्ञानिकों’ पुरस्कार दिया जायेगा साथ ही 01 युवा वैज्ञानिक को इनोवेटर आफ इयर के लिए चुना जायेगा।



यह उल्लेखनीय है कि पूर्व में दिये गये इन पुरस्कारों से सम्मानित युवा वैज्ञानिक वर्तमान में देश-दुनिया के उच्च एवं प्रतिष्ठित संस्थानों में महत्वपूर्ण पदों पर अपनी सेवायें प्रदान कर रहे हैं। महत्वपूर्ण यह भी हैं कि देशभर के विभिन्न विषयों के लगभग 150 प्रसिद्ध वैज्ञानिक इस आयोजन में मार्गदर्शी के रूप में उपस्थित रहेगें। नासी व्याख्यान माला के तहत ’’विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के क्षेत्र में रचनात्मक और नवीनता को बढ़ावा देना’’ विषय पर ख्याति प्राप्त प्रो0 अशोक मिश्रा, भारतीय विज्ञान संस्थान, बैंगलोर  उपस्थित वैज्ञानिकों एवं प्रतिभागियों को उद्घाटन सत्र में सम्बोधित करेंगे।

देहरादून :



मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने सोमवार को आमवाला देहरादून में उत्तराखण्ड अंतरिक्ष उपयोग केन्द्र
 ( USAC ) के नवनिर्मित उत्तराखण्ड अंतरिक्ष भवन का लोकार्पण किया। मुख्यमंत्री ने इस अवसर पर उत्तराखण्ड राज्य जियोइन्फोर्मेटिक्स मीट 2020 का भी उद्घाटन किया। इस अवसर पर उत्तराखण्ड एटलस का भी विमोचन किया गया।

अपने संबोधन में मुख्यमंत्री श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत ने यूसैक परिवार को बधाई देते हुए कहा कि आज USAC  को अपना भवन मिल गया है। इससे उत्तराखण्ड राज्य को बहुत लाभ होने वाला है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड अपने जल, जंगल, जमीन से जुड़े विषयों में स्पेस टेक्नोलॉजी की सहायता ले सकेगा। मुख्यमंत्री ने कहा कि स्पेस टेक्नोलॉजी राज्य के विकास एवं आपातकालीन परिस्थितियों में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। इसके साथ ही साइंस सिटी की डीपीआर को स्वीकृति मिल गई है। शीघ्र ही इसका निर्माण शुरू होगा। उन्होंने कहा कि नवोन्मेषी लोगों के लिए एक फंड बनाया जाएगा। इससे ऐसे लोगों को जो आर्थिक परिस्थितियों के कारण अपने नवोन्मेषी विधा को बीच में ही छोड़ देते हैं, उन्हें बहुत मदद मिलेगी।


मुख्यमंत्री ने विक्रम साराभाई शताब्दी वर्ष के अवसर पर प्रदेश भर से नवोन्मेषी प्रतिभाओं को खोजने एवं विज्ञानी माहौल तैयार करने हेतु योजना बनाने की बात कही। उन्होंने कहा कि इससे प्रदेश में नए आविष्कारों के प्रति एक माहौल बनेगा, जो छात्र छात्राओं और शोधार्थियों को जागरूक करने में सहायक होगा।
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार तेजी से ई ऑफिस की दिशा में आगे बढ़ रही है। राज्य में ई कैबिनेट शुरू हो गया है। गवर्नर ऑफिस और सीएम ऑफिस को शीघ्र ही ई ऑफिस के रूप में विकसित किया जाएगा।
इसरो के पूर्व चेयरमैन श्री एएस किरन कुमार ने कहा कि आज भारत उन चुनिंदा देशों में शामिल है जो स्पेस टेक्नोलॉजी में महारत हासिल रखते हैं। इसकी सहायता से सुपर साइक्लोन जैसी प्राकृतिक आपदाओं के समय हम हजारों जानें बचाने में सफल रहे हैं। जियोइन्फोर्मेटिक्स की सहायता से सुदूर संवेदन एवं अंतरिक्ष संचार के क्षेत्र में अनुसंधान एवं विकास कार्यों का सृजन, प्रचार प्रसार, समन्वय, मार्गदर्शन व सहयोग प्राप्त किया जा सकेगा। उन्होंने उत्तराखण्ड के विकास एवं तकनीक के लिए हर संभव सहायता उपलब्ध कराने की बात भी कही।
इस अवसर पर राज्य मंत्री श्री धनसिंह रावत, विधायक श्री उमेश शर्मा काऊ, श्री दिलीप सिंह रावत, श्री धन सिंह नेगी, श्री मुकेश कोहली, पूर्व अध्यक्ष इसरो भारत सरकार श्री एएस किरन कुमार, सचिव श्री आरके सुधांशु एवं निदेशक यूसैक प्रो एमपीएस बिष्ट सहित अन्य अधिकारी उपस्थित थे।
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            सूर्य का एक सूर्यग्रहण 26 दिसंबर, 2019 (5 पौष, 1941 शक युग) को होगा। 


देश के दक्षिणी हिस्से (कर्नाटक, केरल और तमिलनाडु के कुछ हिस्सों) के एक संकीर्ण गलियारे के भीतर कुछ स्थानों से सूर्योदय के बाद भारत का कुंडलाकार चरण सुबह दिखाई देगा और इसे आंशिक सूर्यग्रहण के रूप में देखा जाएगा देश। ग्रहण के कुंडलाकार चरण का संकीर्ण गलियारा देश के दक्षिणी भाग जैसे किन्नौर, कोयम्बटूर, कोझीकोड, मदुरै, मैंगलोर, ऊटी, तिरुचिरापल्ली आदि से होकर गुजरेगा। भारत में चंद्रमा पर सूर्य द्वारा की जाने वाली धुंध का पता चलता है। कुंडली के सबसे बड़े चरण का समय लगभग 93% होगा। 

जैसे ही कोई देश के उत्तर और दक्षिण की तरफ कुंडलाकार रास्ते से जाता है, आंशिक ग्रहण की अवधि कम हो जाती है। आंशिक ग्रहण के सबसे बड़े चरण के समय चंद्रमा द्वारा सूर्य का अवलोकन बैंगलोर में लगभग 90 प्रतिशत, चेन्नई में 85 प्रतिशत, मुंबई में 79 प्रतिशत, कोलकाता में 45 प्रतिशत, दिल्ली में 45 प्रतिशत, पटना में 42 प्रतिशत, 33 गुवाहाटी में प्रतिशत, पोर्ट ब्लेयर में 70 प्रतिशत, सिलचर में 35 प्रतिशत आदि।

            पृथ्वी को ग्रहण के पूरे आंशिक चरण के रूप में देखते हुए, 8 h 00 m IST पर शुरू होगा। कुंडलाकार चरण 9 घंटे 06 मीटर IST से शुरू होगा। कुंडलाकार चरण 12 h 29 m IST पर समाप्त होगा। आंशिक चरण 13h 36 मीटर IST पर समाप्त होगा।

भूमध्य रेखा के पास उत्तरी गोलार्ध में एक संकीर्ण गलियारे के भीतर सूर्य का सूर्य ग्रहण दिखाई देता है। कुंडलाकार रास्ता सऊदी अरब, कतर, ओमान, यूएई, भारत, श्रीलंका के उत्तरी भाग, मलेशिया, सिंगापुर, सुमात्रा और बोर्नियो से होकर गुजरता है। चंद्रमा की पे्रमब्रल छाया एक आंशिक ग्रहण पैदा करती है, जो उत्तर और पूर्वी रूस, उत्तर और पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, सोलोमन द्वीप को छोड़कर मध्य पूर्व, उत्तर पूर्वी अफ्रीका, एशिया को कवर करने वाले क्षेत्र में दिखाई देती है।

अगला सूर्य ग्रहण 21 जून, 2020 को भारत में दिखाई देगा। यह एक कुंडलाकार सूर्यग्रहण होगा। वार्षिकी का एक संकीर्ण मार्ग भारत के उत्तरी भाग से होकर गुजरेगा। देश के बाकी हिस्सों से इसे आंशिक सूर्य ग्रहण के रूप में देखा जाएगा।

            सूर्य ग्रहण एक नए चंद्रमा के दिन होता है जब चंद्रमा पृथ्वी और सूर्य के बीच में आता है और जब तीनों वस्तुओं को मिला दिया जाता है। एक कुंडलाकार सूर्य ग्रहण तब घटित होगा जब चंद्रमा का कोणीय व्यास सूर्य से कम हो जाता है ताकि वह बाद के हिस्से को पूरी तरह से कवर न कर सके। परिणामस्वरूप सूर्य की डिस्क की एक अंगूठी चंद्रमा के चारों ओर दिखाई देती है।

ग्रहण किए हुए सूर्य को बहुत कम समय के लिए भी नग्न आंखों से नहीं देखना चाहिए। यह आंखों के स्थायी नुकसान का कारण बनेगा, जब चंद्रमा सूर्य के अधिकांश भाग को कवर करता है। सूर्य ग्रहण का निरीक्षण करने की सुरक्षित तकनीक या तो एल्युमिनेटेड मायलर, ब्लैक पॉलिमर, शेड नंबर 14 के वेल्डिंग ग्लास या टेलिस्कोप द्वारा सफेद बोर्ड पर सूर्य की छवि का प्रक्षेपण करके उचित फिल्टर का उपयोग करके है।
सूर्यग्रहण

26 दिसंबर को होने वाला सूर्यग्रहण इस बार विशेष परिस्थितियों के साथ होगा। इस दौरान सूर्यग्रहण में छह ग्रह एक साथ होंगे और यह भारत में दिखाई भी देगा।
वर्ष 1962 में बहुत बड़ा सूर्यग्रहण हुआ था, जिसमें सात ग्रह एक साथ थे। इस बार छह ग्रह एक साथ हैं केवल एक ग्रह की कमी है।
ज्योतिष गणना के अनुसार--
26 दिसंबर को लगभग तीन घंटे सूर्यग्रहण होगा। यह सुबह 8:17 पर शुरू होगा, 9:37 पर ग्रहण का मध्यकाल होगा और 10:57 पर ग्रहण का मोक्ष होगा।
सूतक बारह घंटे पहले ही 25 दिसम्बर की रात 8:17 पर लगगेगा। ये सूर्य ग्रहण धनु राशि और मूल नक्षत्र में बनेगा इसलिए व्यक्तिगत रूप से धनु राशि और मूल नक्षत्र में जन्मे लोगों पर इस ग्रहण का विशेष प्रभाव पड़ेगा।

ज्योतिष नजरिये से 26 दिसंबर को होने वाले सूर्य ग्रहण का प्रभाव किसी समान्य सूर्य ग्रहण के मुकाबले बहुत ज्यादा तीव्र होगा क्योंकि इस सूर्य ग्रहण के समय धनु राशि में एक साथ छह ग्रह (सूर्य, चन्द्रमा, शनि, बुध, बृहस्पति, केतु) का योग बनेगा जिससे इस सूर्यग्रहण का प्रभाव बहुत ज्यादा और लंबे समय तक रहने   वाला होगा।

 25 दिसंबर सात बजकर 20 मिनट से सूतक लग जाएगा। जिसके तहत मंदिर के कपाट और पूजा का कोई भी शुभ कार्य नहीं होगा। 26 दिसंबर को सूर्यग्रहण होगा। काले उड़द, मूंग की दाल आटा, आदि का दान करें।

राशियों पर ग्रहण का प्रभाव

मेष : चिंता, संतान को कष्ट।
वृषभ : शत्रुभय, साधारण लाभ।

मिथुन : स्त्री व पति को कष्ट।

कर्क : रोग की चिंता।

सिंह : खर्च अधिक, कार्य में देरी।

कन्या: कार्य सिद्धि, सफलता।

 तुला : आर्थिक विकास, धन लाभ।

वृश्चिक : कार्य में अवरोध, धन हानि।

धनु : दुर्घटना, चोट की चिंता।

मकर : धन का अपव्यय, कार्य में बाधा।

कुम्भ : लाभ, उन्नति के अवसर।

मीन : रोग, कष्ट, भय की प्राप्ति


चंद्रयान -2 के विक्रम लैंडर ने आज सुबह सफलतापूर्वक अपना पहला दिन का  कक्षा में युद्धाभ्यास किया है। राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने कहा है, ऑपरेशन सुबह 8.50 बजे  किया गया है। छोटी अवधि का कक्षीय चक्रण  सिर्फ चार सेकंड तक चला । इसने लैंडर को चंद्रमा के चारों ओर 128 किलोमीटर की कक्षा में 104 तक पहुंचने में मदद की।

ISRO ने कल शाम लैंडर को एक और डी-ऑर्बिट मनुवर के माध्यम से चंद्रमा की सतह के करीब लाने की योजना बनाई है, ताकि यह निकटतम बिंदु पर 36 किमी और चंद्रमा से सबसे दूर बिंदु पर 110 किमी तक पहुंच सके। यह 7 सितंबर को चंद्र दक्षिण ध्रुव के पास अपने लैंडिंग का मार्ग बनाएगा ।

लैंडर विक्रम को चंद्रयान -2 के ऑर्बिटर से कल सफलतापूर्वक अलग कर दिया गया था। अलगाव के दौरान, लैंडर ने मातृ-कक्षा की लगभग एक ही कक्षा का अधिग्रहण किया, जो कि डी-ऑर्बिट मिशन की आवश्यकता थी।



भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठनने चंद्र सतह की अधिक तस्वीरें जारी की हैं जिन्हें पिछले शुक्रवार को भारत के चंद्रयान  -2 द्वारा कैप्चर किया गया था।

टेरेन मैपिंग कैमरा -2 ने चंद्र शिल्प की परिक्रमा को चंद्रमा की सतह से 4,300 किलोमीटर से अधिक की दूरी से तस्वीरें लेकर भेजी है ।ये तस्वीर ही नहीं हमारे देश के वैज्ञानिको की मेहनत और  कामयाबी की और इशारा करती है.  हमारे देश की वैज्ञानिक क्षमता का वर्णन क्र रही है.


तस्वीरों में चन्द्रमा के  उत्तरी ध्रुव पर कई क्रेटर  दिखाई दे रहे है।  जो चंद्रमा का सबसे ठंडा क्षेत्र दिखाते हैं। इससे पहले, इस महीने की 22 तारीख को, कैमरे ने चंद्रयान -2 के लैंडर से चंद्रमा की एक छवि भेजी थी।


भारत का दूसरा चंद्र मिशन चंद्रयान -2 तीसरी कक्षा में  सफलतापूर्वक  स्थापित किया गया।

राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ISRO की एक विज्ञप्ति में कहा गया है कि ऑपरेशन आज दोपहर 3.12 बजे शुरू हुआ।

16 मिनट और 48 सेकंड के लिए अंतरिक्ष यान में जहाज पर प्रणोदन ईंधन को जलाकर युद्धाभ्यास किया गया है।

इसके  बाद, चंद्रयान -2 पृथ्वी के चारों ओर 276 किलोमीटर और पृथ्वी से सबसे दूर बिंदु पर 71792 किमी पर एक नई अण्डाकार कक्षा में पहुँच गया है।

वैज्ञानिकों ने कहा है कि सभी अंतरिक्ष यान पैरामीटर सामान्य बने हुए हैं। इस तरह का चौथा ऑपरेशन 2 अगस्त को आयोजित किया जाना है।

14 अगस्त को, यह अंतरिक्ष यान को उसकी पृथ्वी-केंद्रित कक्षा से दूर करने की योजना बनाई गई है ताकि वह एक ट्रांस-चंद्र प्रक्षेपवक्र पर अपनी यात्रा शुरू कर सके।

यह 20 अगस्त को चंद्रमा के चारों ओर एक कक्षा में पहुंच जाएगा और 7 सितंबर को चंद्रमा पर नरम-भूमि पर पहुंच जाएगा।

चंद्रयान -2 को कुल पंद्रह युद्धाभ्यासों की आवश्यकता होगी, जिसमें इसके पृथ्वी केंद्रित चरण के दौरान पांच शामिल हैं जो अब प्रचलित हैं।


नई दिल्ली:


 4 वें डाॅ कलाम इंटरनेशनल यूथ काॅन्क्लेव फाॅर लिवेबल प्लेनेट अर्थ एनडीएमसी कन्वेंशन सेन्टर, नई दिल्ली में आयोजित कलाम लिवेबल प्लेनेट काॅन्क्लेव में स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज को विशिष्ट अतिथि के रूप में आमंत्रित किया। साथ ही स्वामी जी को पर्यावरण, जल संरक्षण, स्वच्छता, वृक्षारोपण जैसे उत्कृष्ट कार्यो के लिये ’’कलाम इनोवेशन अवार्ड’’ से सम्मानित किया गया।

 इस अवसर पर श्रीमती मीनाक्षी लेखी, सीईओ, कलाम सेंटर, श्री सृजनपाल सिंह जी, ओडाफोन निदेशक श्री पी बालाजी,  प्रोफेसर विनय पाठक, पेटीएम के श्री सौरभ जैन जी, डाॅ अशोक पाटील जी, श्री हरभजन सिंह जी, डब्ल्यूएसएससीसी से श्री विनोद मिश्रा जी और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने सहभाग किया।

डाॅ कलाम साहब की पुन्यतिथि के अवसर पर परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश द्वारा 400 पौधें यथा जामुन, आम, लीची, आँवला, नीम, शहतुत, अनार, बिल्वपत्र, निम्बू, सहजन, आदि पौधें भेंट किये गये।

 परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि ’’भारत का लोकतंत्र विश्व का सबसे बड़ा लोकतंत्र है। इस लोकतंत्र की ही महिमा है कि आज इस देश के पास बाल्यावस्था में पेपर बेचने वाला, साधारण परिवार से आया एक बालक परन्तु असाधारण प्रतिभा का मालिक इस देश का राष्ट्रपति बना। एक छोटे से घर में जन्म लेने वाला बालक राष्ट्रपति भवन के 256 कमरों के अन्दर निवास करके भी साधारण ही बना रहा। उन्होने साधारण लोगों के लिये भी राष्ट्रपति भवन के दरवाजें खोल दिये। कलाम साहब को बच्चों से इतना अधिक प्यार था कि बच्चे जब राष्ट्रपति भवन में आते थे तो लगता था पूरा राष्ट्र इन बच्चों के माध्यम से खिलखिला रहा है और मुस्करा रहा है। यह लोकतंत्र की ही ताकत जिसमें सब को समान अवसर मिलता है। यहां पर न कोई विरासत, पद, न कोई छोटा-बड़ा, न कोई जाति, न ही कोई पैसों का प्रभाव या अन्य किसी चीज का प्रभाव और इतने बड़े पद पर; देश के सर्वोच्च पद पर कलाम साहब पहुंचे।’’
 स्वामी जी महाराज ने कहा कि यह भी इस देश का सौभाग्य है कि आज हमारे राष्ट्रपति एक दलित परिवार से है यह लोकतंत्र का ही प्रभाव है। लोकतंत्र की ही ताकत है कि एक दलित परिवार से आया हुआ व्यक्ति जिसका घर नहीं बल्कि झोपड़ी थी वह भी वर्षा में टपकता था और उन्होने दीवार के किनारे खड़े होकर भी जीवन गुजारा, , अपने रात और दिन का समय निकाला हो तथा उसके बाद वकील बनकर अपनी प्रतिभा के बल पर आगे बढ़ते हुये सर्वोच्च न्यायालय तक जाना और फिर भारत के सर्वोच्च पद पर आकर देश की सेवा करना ऐसे हमारे महामहिम श्री रामनाथ कोविंद जी पर हमें गर्व है।

स्वामी जी ने कहा कि यह भी लोकतंत्र की ही ताकत है कि हमारे उपराष्ट्रपति श्री वेकैंया नायडूू जी जिनकी माता उनके बचपन में ही चल बसी और फिर वे अपने चाचा जी के पास चले गये। किसान परिवार में पैदा हुआ वह बालक दीवारों पर स्लोगन लिख-लिख कर अपना खर्च चलाते थे और आज वे भारत के उपराष्ट्रपति है। उन्होने कहा कि यह भी इस देश का लोकतंत्र ही है कि एक चाय बेचने वाला व्यक्ति आज इस विशाल राष्ट्र का यशस्वी, ऊर्जावान और तपस्वी प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी जी हम सभी के बीच में है। उन्होने कहा कि हमें गर्व है कि हमारे बीच में कलाम साहब जैसा आदर्श था जिसने कमाल किया और भारत ही पूरी दुनिया मंे प्रसिद्धि पायी।

 स्वामी जी ने कहा कि 21 वीं सदी की यह सारी ताकतें आज हमारे सामने है यह सब हमारे लोकतंत्र की ताकत का कमाल है। मुझे लगता है कि आज हमें अगर अपने डाॅ कलाम साहब को श्रद्धाजंलि देनी है तो हम अपने लोकतंत्र को जातिवाद, भष्ट्राचार, आतंकवाद और गंदगी से मुक्त भारत बनायें तो मैं समझता हूँ यह हमारी सबसे बड़ी श्रद्धाजंलि होगी।

 श्री कलाम साहब के कदमों पर चलते हुये अपने को श्रेष्ठ कार्यो की ओर अग्रसर करते रहे। कोई भी व्यक्ति अपने को छोटा न माने उन्होने कहा कि जीवन में बड़े बन पाये या न बन पाये लेकिन जीवन में बढ़िया बनने की कोशिश करें।
 स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने डाॅ कलाम साहब की पुन्यतिथि पर उद्बोधन देते हुये कहा कि आज कलाम साहब होते तो कितने खुश होते कि हीमा दास जैसी साहसी और निर्भिक बेटी भारत के पास है जिसने 19 दिनों में भारत के लिये छः गोल्ड मेडल लायें और अपनी जीत की आधी कमायी असम के बाढ़ पीड़ि़तों के लिये भेंट की। हीमा दास, चेहरे पर मुस्कान और आँखों में देश के गर्व के आंसू लिये हुये राष्ट्र ध्वज तिरंगा लहराते हुये जैसे जैसे आगे बढ़ रही थी तो लग रहा था केवल हीमा नहीं हमारा देश आगे बढ़ रहा है, हम सभी आगे बढ़ रहे है। वास्तव में हमारा देश आगे बढ़ रहा है और इसमें हमारी प्यारी बेटियों का महत्वपूर्ण योगदान है।

 कारगिल विजय दिवस पर शहीद हुये सैनिकों को नमन करते हुये स्वामी जी ने कहा कि सैनिक किसी संत से कम नहीं होते। आज एनडीएमसी कन्वेंशन सेन्टर, नई दिल्ली, सभागार में उपस्थित सभी अतिथियों ने कारगिल में शहीद हुये जाबंज सैनिकों को श्रद्धाजंलि आर्पित की।

 स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने आज मंच से हीमा दास की चर्चा, कारगिल  शहीदों को श्रद्धाजंलि और चन्द्रायान 2 को भेजने वाले सभी वैज्ञानिकोें का सभी ने तालियां बजवाकर जोरदार स्वागत और अभिनन्दन किया। इस समय स्वदेश प्रेम सभी के रोम-रोम में था और सभी भारत माता की जय और वंदे मात्रम के उद्घोष से पूरा सभागार गूंज उठा।

चेन्नई के लगभग 90 किलोमीटर दूर आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से दोपहर 2.43 बजे प्रतिष्ठित जांच की गई रॉकेट को प्रज्वलित किया जाएगा।

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन के वैज्ञानिकों ने कहा, प्रक्षेपण के लिए 20 घंटे की उलटी गिनती कल शाम 6.43 बजे शुरू हुई और आसानी से आगे बढ़ रही है। लॉन्चिंग रिहर्सल रविवार को श्रीहरिकोटा में इसरो के वैज्ञानिकों और इंजीनियरों द्वारा किया गया है।

राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी ने कहा है कि पूर्वाभ्यास के दौरान सभी पैरामीटर सामान्य पाए गए थे। चेन्नई में कल पत्रकारों से बात करते हुए, इसरो के अध्यक्ष डॉ। सिवन ने कहा, मिशन के लिए सभी तैयारी व्यवस्थाएं की गई हैं।

मूल रूप से चंद्रयान -2 को इसी महीने की 15 तारीख को लॉन्च करने की योजना थी। हालांकि, एक तकनीकी रोड़ा का पता इसके निर्धारित लिफ्ट बंद होने से एक घंटे से भी कम पहले लगा, जिससे मिशन रुका हुआ था।



इसरो के अनुसार भारत का चंद्र मिशन चंद्रयान -2 इस महीने की 22 तारीख को लॉन्च किया जाएगा। राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी इसरो ने घोषणा की है कि इसे सोमवार को दोपहर 2:43 बजे श्रीहरिकोटा के स्पेसपोर्ट से बूस्टर जीएसएलवी मार्क-थ्री में लॉन्च किया जाएगा।


मूल रूप से चंद्रयान -2 को 15 जुलाई को सुबह 2.51 बजे लॉन्च किया जाना था। हालांकि, लॉन्च से एक घंटे से भी कम समय पहले रॉकेट के महत्वपूर्ण क्रायोजेनिक ऊपरी चरण में तरल ईंधन का रिसाव का पता चला था.अतः सुरक्षा करने से इसकी लॉन्चिंग को स्थगित कर दिया गया था.

रिसाव के कारण की पहचान की गई है ताकि इसे प्लग किया जा सके। वर्तमान लॉन्च लॉन्चिंग डेट इस माह की  22 तारीख  बताई गई है।

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