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 प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने शनिवार को वाराणसी से प्रधानमंत्री किसान सम्मान निधि की 20वीं किस्त के तहत देश के 09 करोड़ 71 लाख से अधिक किसानों के खातों में कुल 20 हजार 500 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि का डिजिटल हस्तांतरण किया। 


More than 09 crore money DBT to Uttarakhand farmers under Kisan samman nidhi


इसके तहत उत्तराखण्ड के 08 लाख 28 हजार 787 लाभार्थी किसान परिवारों को 184.25 करोड़ रुपये की धनराशि हस्तांतरित की गई।


मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने गढ़ीकैंट, देहरादून से इस कार्यक्रम में वर्चुअल प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी अन्नदाताओं की आय को दोगुना करने तथा उनके जीवन स्तर को उठाने के लिए निरंतर कार्य कर रहे हैं। योजना की 20वीं किस्त जारी किए जाने के साथ ही उत्तराखंड के किसानों को करीब 3300 करोड़ रुपये से अधिक की धनराशि प्रदान की जा चुकी है। उन्होंने कहा कि 2014 के बाद प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में देश के किसानों के कल्याण की दिशा में ऐतिहासिक कदम उठाए गए हैं। प्रमुख फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य में वृद्धि कर किसानों को उनकी फसल का उचित मूल्य प्रदान किया जा रहा है। ‘प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना’ के माध्यम से किसानों को प्राकृतिक आपदाओं, फसल रोगों और कीटों से होने वाले नुकसान के लिए सुरक्षा कवच भी प्रदान किया जा रहा है। ‘मृदा स्वास्थ्य कार्ड’ योजना के द्वारा खेतों की मिट्टी की वैज्ञानिक जांच कर किसानों को पोषक तत्वों की कमी और आवश्यक उर्वरकों की जानकारी भी दी जा रही है, जिससे उनकी उपज की गुणवत्ता और भूमि की उर्वरता दोनों में सुधार हो रहा है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी के मार्गदर्शन में राज्य सरकार प्रदेश के किसानों के उत्थान एवं समृद्धि के लिए निरंतर कार्य कर रही है। प्रदेश में किसानों को तीन लाख रुपये तक का ऋण बिना ब्याज के उपलब्ध कराया जा रहा है। कृषि उपकरण खरीदने के लिए फार्म मशीनरी बैंक योजना के माध्यम से 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी भी प्रदान की जा रही है। किसानों के हित में नहरों से सिंचाई को पूरी तरह मुफ्त किया गया है। किसानों की आय बढ़ाने के लिए पॉलीहाउस के निर्माण के लिए 200 करोड़ रुपये की राशि का प्रावधान भी किया गया है। गेहूं खरीद पर किसानों को 20 रुपये प्रति क्विंटल का बोनस प्रदान करने के साथ ही गन्ने के मूल्य में भी 20 रुपये प्रति क्विंटल की बढ़ोत्तरी की गई है।


मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा 1200 करोड़ रुपये की लागत से नई सेब नीति, कीवी नीति, ‘स्टेट मिलेट मिशन’ और ‘ड्रैगन फ्रूट नीति’ जैसी कई महत्वपूर्ण योजनाओं को लागू किया गया है। इन नीतियों के तहत बागवानी को प्रोत्साहन देने के लिए किसानों को 80 प्रतिशत तक की सब्सिडी प्रदान की जा रही है। उन्होंने कहा कि नीति आयोग द्वारा जारी सतत विकास के लक्ष्यों को प्राप्त करने में उत्तराखण्ड को देश में प्रथम स्थान प्राप्त हुआ। उत्तराखण्ड राज्य के युवाओं को रोजगार देने में भी प्रदेश अग्रणी बनकर उभरा है। एक वर्ष में बेरोजगारी दर में 4.4 प्रतिशत की कमी लाई गई। उत्तराखण्ड  देश का सबसे पहले “समान नागरिक संहिता” को लागू करने वाला राज्य बना। राज्य में प्रभावी नकल विरोधी कानून लागू करने के बाद लगभग 24 हजार युवाओं को सरकारी नौकरी प्रदान की गई है। प्रदेश में सख्त धर्मांतरण विरोधी और दंगारोधी कानूनों को लागू किया गया है। प्रदेश में लैंड जिहाद पर कड़ी कार्रवाई करते हुए साढ़े छह हजार एकड़ से अधिक की सरकारी भूमि को मुक्त कराया गया है। राज्य में ऑपरेशन कालनेमि भी प्रारंभ किया गया है, जिसके माध्यम से पाखंडियों के खिलाफ सख्त कार्रवाई की जा रही है।


कृषि मंत्री श्री गणेश जोशी ने कहा कि उत्तराखंड को वर्ष 2023-24 में “मिलेट सेक्टर में सर्वश्रेष्ठ प्रदेश“ का पुरस्कार हैदराबाद में आयोजित इंटरनेशनल न्यूट्री-सीरियल कन्वेंशन में प्रदान किया गया। मृदा स्वास्थ्य और उर्वरता योजना तथा जैविक कृषि क्षेत्र में उत्कृष्ट कार्य के लिए राज्य को भारत सरकार से राष्ट्रीय सम्मान प्राप्त हुए हैं। उन्होंने कहा कि नैनीताल के ग्राम सुनकिया के कृषक हर्ष सिंह डंगवाल को “जैविक इंडिया अवार्ड” मिला, जबकि उत्तरकाशी को लाल धान के लिए “एक जिला-एक उत्पाद” में द्वितीय स्थान और हरिद्वार व टिहरी जनपद को पीएम फसल बीमा योजना में क्रमशः प्रथम व द्वितीय स्थान प्राप्त हुआ।


इस अवसर पर विधायक श्रीमती सविता कपूर, श्री बृज भूषण गैरोला, पूर्व सांसद श्री बलराज पासी, सचिव श्री एस.एन. पाण्डेय, महानिदेशक कृषि श्री रणवीर सिंह चौहान एवं प्रदेशभर से आए किसान उपस्थित थे।

  मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी को भारत के इतिहास में प्रधानमंत्री के रूप में दूसरा सबसे लम्बा कार्यकाल पूर्ण करने पर प्रदेशवासियों की ओर से शुभकामनाएं दी हैं।

Narendra Modi become second most long period पम


 मुख्यमंत्री ने कहा श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में देश तेजी से आगे बढ़ रहा है। विश्व में भारत की अलग पहचान स्थापित हो रही है। उनके नेतृत्व में अंत्योदय के सिद्धांत पर समाज के अंतिम छोर पर खड़े व्यक्ति तक विकास की धारा पहुंचाने का काम हुआ है। 


मुख्यमंत्री ने कहा प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी, भारत को पुनः विश्व गुरु के रुप में स्थापित करने के लिए निरंतर परिश्रम कर रहे हैं। उन्होंने प्रधानमंत्री को नए भारत का निर्माता बताते हुए कहा कि भारत हर क्षेत्र में नवाचार के माध्यम से आगे बढ़ रहा है। साइंस एवं टेक्नोलॉजी, इनोवेशन के क्षेत्र में अनेक कार्य हो रहे हैं और कई नये ऐतिहासिक निर्णय लिए गए हैं। प्रधानमंत्री ने 2047 तक विकसित भारत के संकल्प को देश और दुनिया के सामने रखा है। प्रत्येक भारतवासी के लिए सौभाग्य की बात है कि उनका नेतृत्व हम सभी को प्रदान हो रहा है। मुख्यमंत्री ने भगवान बद्री विशाल और बाबा केदार से प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के स्वस्थ जीवन और दीर्घायु की कामना की है।

 *प्रदेश के सभी स्कूल भवनों का सुरक्षा ऑडिट किया जाए- मुख्यमंत्री* 


मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने मुख्यमंत्री आवास में उच्च स्तरीय बैठक के दौरान अधिकारियों को निर्देश दिये कि प्रदेश के सभी स्कूल भवनों  का सुरक्षा ऑडिट किया जाए। जर्जर एवं असुरक्षित स्कूल भवनों में बच्चों को किसी भी स्थिति में न बैठाया जाए। बच्चों की सुरक्षा से जुड़ी किसी भी प्रकार की लापरवाही बर्दाश्त नहीं की जायेगी। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि जहां भी स्कूल भवन मरम्मत योग्य हो, वहां शीघ्र मरम्मत कराया जाए और जहां पुनर्निर्माण की आवश्यकता हो, वहां उसकी कार्य योजना बनाकर तत्परता से क्रियान्वयन किया जाए।


प्रदेश के सभी पुलों का भी सुरक्षा ऑडिट करने के निर्देश भी मुख्यमंत्री ने दिये हैं। उन्होंने कहा कि जिन पुलों की स्थिति खराब हो रही है, उनका आवश्यकतानुसार मरम्मत और पुनर्निर्माण का कार्य प्राथमिकता पर किया जाए। यह सुनिश्चित किया जाए कि पुलों की स्थिति पर नियमित निगरानी रखी जाए और कहीं भी जर्जर पुलों के कारण कोई जनहानि न हो। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि त्रियुगीनारायण और राज्य के अन्य स्थल जो वेडिंग डेस्टिनेशन के रूप में विकसित किये जा रहे हैं, उनकी कार्यवाही में तेजी लाई जाय। यह राज्य के पर्यटन और स्थानीय रोजगार को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण पहल है। मुख्यमंत्री ने निर्देश दिए कि इन स्थलों के विकास में गुणवत्ता, सुविधा और सांस्कृतिक गरिमा का विशेष ध्यान रखा जाए। साथ ही, अन्य राज्यों की वेडिंग पॉलिसी का अध्ययन भी किया जाए ताकि उत्तराखंड में एक प्रभावी और आकर्षक वेडिंग डेस्टिनेशन नीति विकसित की जा सके।


मुख्यमंत्री ने निर्देश दिये कि राज्य में दो स्पिरिचुअल इकोनॉमिक जोन विकसित किये जाने की दिशा में तेजी से कार्य किये जाएं। उन्होंने कहा कि यह पहल राज्य में धार्मिक, सांस्कृतिक और आध्यात्मिक पर्यटन को सुदृढ़ करने के साथ ही आर्थिक गतिविधियों को भी सशक्त करेगी। संबंधित विभागों को इस दिशा में आपसी समन्वय के साथ ठोस कार्य योजना बनाकर कार्य करने के उन्होंने निर्देश दिए हैं।


बैठक में प्रमुख सचिव श्री आर. मीनाक्षी सुंदरम, सचिव श्री शैलेश बगोली, श्री विनय शंकर पाण्डेय, विशेष सचिव डॉ. पराग मधुकर धकाते, आईजी श्री के.एस.नगन्याल, अपर सचिव श्री बंशीधर तिवारी मौजूद थे।

 भारत के उपराष्ट्रपति श्री जगदीप धनखड़ ने इस्टोफ दिया। बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य कारणों से उन्होने अपने पद से  त्यागपत्र दे दिया।

resignation of vice president jagdeep dhankhad

vice president dhankhad resigned


 मुख्यमंत्री ने की केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल से भेंट*


*राज्य की 5 जल विद्युत परियोजनाओं के क्रियान्वयन का किया अनुरोध* 


मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने सोमवार को देर सांय नई दिल्ली में केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री श्री सी.आर. पाटिल से भेंट की। 

om birla, CM Dhami and central



मुख्यमंत्री ने केन्द्रीय जल शक्ति मंत्री से उत्तराखण्ड़ के सामाजिक एवं आर्थिक विकास को गति प्रदान करने के लिये मा0 सर्वोच्च न्यायालय के निर्देशों के क्रम में विशेषज्ञ समिति द्वारा संस्तुति की गई  राज्य की 21 जल विद्युत परियोजनाओं में 5 जल विद्युत परियोजनाओं के क्रियान्वयन का अनुरोध किया। केंद्रीय मंत्री ने मुख्यमंत्री को सकारात्मक कार्यवाही के प्रति आश्वस्त किया ।

 मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला से की शिष्टाचार भेंट


मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने मंगलवार को नई दिल्ली में लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिड़ला  से शिष्टाचार भेंट की। इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने श्री बिड़ला को उत्तराखंड के चारधाम का प्रसाद भेंट किया और देवभूमि उत्तराखंड की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत को दर्शाते हुए राज्य के विभिन्न स्थानीय उत्पाद भी उन्हें भेंट किए ।


मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखंड राज्य चारधाम, प्राकृतिक सुंदरता एवं आध्यात्मिकता का प्रतीक है। उन्होंने लोकसभा 7a6अध्यक्ष को राज्य में चल रहे विकास कार्यों, विशेष रूप से धार्मिक पर्यटन, सड़क संपर्क, स्वास्थ्य, और स्थानीय उत्पादों को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में किए जा रहे प्रयासों की जानकारी भी दी।

 नई दिल्ली:

CM Dhami and PM Modi



मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने नई दिल्ली में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी से शिष्टाचार भेंट कर उत्तराखण्ड के विकास से संबंधित विभिन्न विषयों पर मार्गदर्शन प्राप्त किया। मुख्यमंत्री ने राज्य के विकास में सहयोग के लिए केंद्र सरकार का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में उत्तराखण्ड विकसित भारत 2047 के विजन में अपनी प्रभावी भूमिका निभाने को तत्पर है। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि विश्व के 27 देशों द्वारा प्रधानमंत्री जी को अपने देश का सर्वोच्च नागरिक सम्मान प्रदान किए जाने से सभी भारतवासी गौरवान्वित हैं।  मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री जी को कार्तिक स्वामी मंदिर के प्रतिरूप और आदि कैलाश यात्रा पर कॉफ़ीटेबिल बुक के साथ ही उत्तराखण्ड के उत्पाद कनार ( धारचूला) का घी , लाल (पुरोला) चावल, बासमती चावल, काला जीरा, गंध रैण, जम्बू और स्थानीय शहद भेंट किये।


मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री से केदारनाथ धाम और बदरीनाथ धाम की भांति ही हरिद्वार गंगा कॉरिडोर, ऋषिकेश गंगा कॉरिडोर और चम्पावत में शारदा कॉरिडोर के मास्टर प्लान के अनुरूप अवस्थापना विकास के लिए सीएसआर के माध्यम से वित्त पोषण के लिए संबंधित को निर्देशित करने का अनुरोध किया। 


मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड के ऊधमसिंह नगर स्थित नेपा फार्म को  सेमी कन्डक्टर हब के रूप में विकसित करने लिए सेमी कन्डक्टर उद्योग लगाए जाने, दिल्ली व मेरठ के मध्य रीजनल रैपिड ट्रान्जिट सिस्टम को हरिद्वार तक विस्तारित करने और टनकपुर-बागेश्वर व ऋषिकेश-उत्तरकाशी रेल परियोजनाओं में मार्ग निर्माण का प्रावधान भी शामिल किये जाने के लिए संबंधित मंत्रालयों को निर्देशित किये जाने का प्रधानमंत्री से आग्रह किया। 


मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री को उत्तराखण्ड में वर्ष 2026 में होने जा रही नंदा राजजात यात्रा की जानकारी देते हुए कहा कि इसके संचालन के लिए व्यापक रूप से पर्यावरण अनुकूल अवस्थापना सुविधाएं विकसित की जानी हैं। मुख्यमंत्री ने अगस्त 2026 में आयोजित इस पर्वतीय महाकुंभ नंदा राजजात यात्रा के लिए प्रधानमंत्री जी को आमंत्रित किया और साथ ही यात्रा में अवस्थापना सुविधाएं सुनिश्चित किए जाने के लिए 400 करोड की धनराशि केंद्र से उपलब्ध कराए जाने का अनुरोध भी किया। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि वर्ष 2027 में हरिद्वार में दिव्य और भव्य महाकुंभ का आयोजन किया जाना है। राज्य सरकार द्वारा इसकी तैयारियां प्रारंभ कर दी गई हैं। इसके सफल आयोजन के लिए हरिद्वार में पुलों की मरम्मत, पार्किंग, विद्युत,  पेयजल, शौचालय, परिवहन, श्रद्धालुओं के लिए पैदल मार्ग सहित अन्य कार्य कराए जाने हैं। मुख्यमंत्री ने इसके लिए 3500 करोड रूपए की वित्तीय सहायता दिये  जाने का अनुरोध किया। मुख्यमंत्री ने ऋषिकेश और हरिद्वार शहरों में एचटी व एलटी विद्युत लाईनों को भूमिगत करने के साथ ही विद्युत प्रणाली को स्वचालित करने के लिए उत्तराखण्ड सरकार द्वारा भेजी गई 1015 करोड की डीपीआर को आरडीएसएस योजना के अंतर्गत स्वीकृत किये जाने के लिए संबंधित को निर्देशित करने का भी अनुरोध किया। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि ऋषिकेश के निकट स्थित अनोखी धरोहर चौरासी कुटिया को अपने पुराने रूप में लाने के लिए राज्य सरकार प्रयासरत है। इसके लिए अपेक्षित धनराशि की व्यवस्था भी कर ली गई है। मुख्यमंत्री ने चौरासी कुटिया के प्रस्ताव का अनुमोदन राष्ट्रीय वन्यजीव बोर्ड से कराए जाने का आग्रह किया। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि हिम आधारित नदियों को वर्षा आधारित नदियों से जोङने के लिए प्रथम चरण में पिण्डर-कोसी लिंक परियोजना का प्रारम्भिक प्रस्ताव तैयार किया गया है। ग्लेशियर आधारित पिंडर नदी के पानी को वर्षा आधारित कोसी, गगास, गोमती व गरूङ नदियों में मिलाया जाये तो बागेश्वर, अल्मोङा व नैनीताल जिलों के 625 गांवों की लगभग 2 लाख जनसंख्या पेयजल व सिंचाई से लाभान्वित होगी। साथ ही गरूङ, कौसानी, द्वाराहाट, रानीखेत और अल्मोङा नगरों की लगभग सवा लाख आबादी के लिए पेयजल आपूर्ति बेहतर हो सकेगी। मुख्यमंत्री ने इस परियोजना को भारत सरकार की विशेष योजना के अंतर्गत लिये जाने का अनुरोध किया। 


मुख्यमंत्री ने प्रधानमंत्री जी से कैबिनेट सचिव, भारत सरकार की अध्यक्षता में गठित समिति की संस्तुतियों के क्रम में कुल 596 मेगावाट क्षमता की पांच जल विद्युत परियोजनाओं के विकास की अनुमति प्रदान किये जाने का भी आग्रह किया।


प्रधानमंत्री ने मुख्यमंत्री से चारधाम यात्रा, आदि कैलाश यात्रा, नंदा राजजात यात्रा, हरिद्वार में होने जा रहे कुम्भ के साथ ही प्रदेश में जल जीवन मिशन के बारे में विस्तार से जानकारी ली। 


प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी को उत्तराखण्ड के विकास के लिए केंद्र सरकार से हर सम्भव सहयोग के प्रति आश्वस्त किया।

 कुछ किताबें केवल पढ़ी नहीं जातीं बल्कि वे अनुभव की तरह दिल में उतरती हैं। ‘The Emergency Diaries: Years that Forged a Leader’ ऐसी ही एक कृति है। यह उन सालों की साक्षी है जब बोलना गुनाह था और चुप रह जाना आत्मसमर्पण।

The Emergency Diaries: Years that Forged a Leader’


इन पन्नों में एक ऐसे व्यक्तित्व की छाया मिलती है, जिन्होंने उस सन्नाटे में भी अपने विचारों की मशाल जलाए रखी। संघर्ष की आंच में तपकर जो नेतृत्व आज विश्वमंच पर भारत की आवाज़ बन चुका है। आदरणीय प्रधानमंत्री श्री Narendra Modi जी की जीवनयात्रा का यह अध्याय पढ़ते हुए मन गर्व से भर उठता है।


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*दंत चिकित्सा क्षेत्र में गुणवत्ता और मानकीकरण पर बीआईएस का सशक्त संवाद

- बीआईएस ने रुड़की में मानक मंथन एवं उद्योग संवेदनशीलता कार्यक्रम किया आयोजन

- ⁠मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद श्रीमती कल्पना सैनी ने बीआईएस के प्रयासों की सराहना की 

रुड़की : 



भारतीय मानक ब्यूरो (बीआईएस), देहरादून शाखा द्वारा दिनांक 25 जून 2025 को होटल दीप रेज़ीडेंसी, रूड़की में "मानक मंथन एवं उद्योग संवेदनशीलता कार्यक्रम" का आयोजन किया गया। कार्यक्रम का उद्देश्य दंत चिकित्सा उपकरणों से संबंधित अधिसूचित भारतीय मानकों — IS 19051:2025, IS 18951:2025 एवं IS 18101:2023 — तथा गुणवत्ता नियंत्रण आदेश की जानकारी उद्योग को प्रदान करना था।


मुख्य अतिथि राज्यसभा सांसद श्रीमती कल्पना सैनी ने बीआईएस के प्रयासों की सराहना करते हुए कहा कि गुणवत्ता और सुरक्षा एक सशक्त राष्ट्र की नींव हैं। उन्होंने सभी उद्यमियों से बीआईएस मानकों को अपनाने एवं “मेक इन इंडिया” अभियान को मजबूती देने का आह्वान किया।


कार्यक्रम में श्री शोभराम प्रजापति, राज्य मंत्री (माटी कला बोर्ड, उत्तराखंड) एवं श्री भरत भूषण, अध्यक्ष (रुड़की स्मॉल स्केल इंडस्ट्रीज़) ने भी सहभागिता की और एमएसएमई को बीआईएस प्रमाणन से होने वाले लाभों पर प्रकाश डाला।


बीआईएस देहरादून के निदेशक एवं प्रमुख श्री सौरभ तिवारी ने सभी अतिथियों के स्वागत संबोधन करते हुए कार्यक्रम के उद्देश्य के बारे में बताया कि दंत चिकित्सा उपकरणों में मानकों का अनुपालन रोगी-सुरक्षा, जैव-संगतता और वैश्विक गुणवत्ता सुनिश्चित करता है।  इसके अतिरिक उन्होंने जीवन रक्षक उपकरण,उन्नत निदान उपकरण,सहायक प्रौद्योगिकी के बारे में भी चर्चा की और सरल, डिजिटल और उद्योग-अनुकूल प्रमाणन प्रक्रिया के बारे में भी जानकारी दी।


कार्यक्रम में 60 से अधिक दंत उपकरण निर्माता, आपूर्तिकर्ता, एवं शैक्षणिक/सरकारी प्रतिनिधि उपस्थित रहे। प्रतिभागियों ने बीआईएस विशेषज्ञों से प्रत्यक्ष संवाद कर तकनीकी मार्गदर्शन प्राप्त किया।

 देहरादून:



*Prevention is better than cure (इलाज से बेहतर रोकथाम है।) - की भावना को साकार करता है योग

योग भारत की सॉफ्ट पावर का एक सशक्त उदाहरण है

उत्तराखंड  भारत के योग, चेतना और विरासत का केंद्र

president Murmu inaugurated  yoga festival


महामहिम राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने देहरादून में 11 वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस का शुभारंभ करते हुए योग को भारत की चेतना और विरासत का केंद्र कहा तथा इसे भारत की सॉफ्ट पावर का भी सशक्त उदाहरण बताया।


महामहिम राष्ट्रपति ने कहा कि योग एक व्यक्ति को दूसरे व्यक्ति से, एक समुदाय को दूसरे समुदाय से तथा एक देश को दूसरे देश से जोड़ने का काम करता है।  दुनिया भर के लोग इससे लाभान्वित हो रहे हैं। 


उन्होंने बताया कि जब व्यक्ति स्वस्थ रहता है; तो परिवार स्वस्थ रहता है।  और जब परिवार स्वस्थ रहता है;  तो देश स्वस्थ रहता है। 


उन्होंने सभी को योग को जीवन जीने का माध्यम बनाने की प्रेरणा दी तथा सभी संस्थाओं से अपील की कि योग को जनसुलभ बनाया जाए।


*योग भारत की प्राचीनतम सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा का हिस्सा है;  जिसने संपूर्ण विश्व को जोड़ने का कार्य किया है।– राज्यपाल*


राज्यपाल ले. जनरल गुरमीत सिंह (से. नि.) ने 11 वें अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर प्रदेशवासियों को शुभकामनाएं देते हुए योग के महत्व पर प्रकाश डाला। राज्यपाल ने कहा कि योग भारत की प्राचीनतम सांस्कृतिक और आध्यात्मिक परंपरा का हिस्सा है जिसने संपूर्ण विश्व को जोड़ने का कार्य किया है। प्रसन्नता की बात है कि आज यह दिवस न केवल भारत के लिए अपितु संपूर्ण विश्व के लिए स्वास्थ्य, शांति और समरसता का प्रतीक बन चुका है।


राज्यपाल ने कहा कि योग केवल शारीरिक व्यायाम नहीं, बल्कि यह शरीर, मन और आत्मा को संतुलित करने की प्रक्रिया है। यह  आत्मानुशासन, संयम, और मानसिक शांति का मार्ग है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के प्रयासों से आज योग एक वैश्विक अभियान बन चुका है, और यह हम सभी के लिए गर्व की बात है कि दुनिया भारत की इस विरासत को स्वीकार करके और अपनाकर लाभान्वित हो रही है।


उन्होंने कहा कि इस वर्ष *अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस की थीम “एक पृथ्वी एक स्वास्थ्य के लिए योग।”*  भारत की सनातन सोच ‘‘वसुधैव कुटुम्बकम्’’ की वैश्विक अभिव्यक्ति है जो हमें याद दिलाता है कि हमारा व्यक्तिगत स्वास्थ्य, हमारी प्रकृति, हमारा पर्यावरण और हमारी सामाजिक संरचना - सभी परस्पर गहराई से गूंथे हुए हैं।


राज्यपाल ने कहा कि उत्तराखंड जैसी आध्यात्मिक और प्राकृतिक भूमि पर योग का अभ्यास विशेष महत्व रखता है। उन्होंने इस अवसर पर युवाओं से आह्वान किया कि वे योग को अपने दैनिक जीवन का हिस्सा बनाएं और स्वस्थ भारत के निर्माण में योगदान दें।


इस अवसर पर उत्तराखंड के कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल ने मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की प्रेरणा से उत्तराखंड द्वारा तैयार की गई भारत की पहली *योग नीति- 2025* की विशेषताएं और लक्ष्य बताए।


कहा कि यह नीति भारत का पहला योग उद्यमिता और अनुसंधान हब बनाएगी। 


इसमें योग और ध्यान केंद्रों की स्थापना हेतु अधिकतम 20 लाख रुपए तक का पूंजीगत अनुदान है।


 योग अनुसंधान कार्यों हेतु 10 लाख रुपए तक का शोध अनुदान।


मौजूद संस्थानों में योग को बढ़ावा देने के लिए योग अनुसंधान एवं पारिश्रमिक प्रतिपूर्ति की व्यवस्था।


 योग शिक्षकों के प्रमाणन हेतु योग सर्टिफिकेशन बोर्ड के माध्यम से प्राप्त प्रमाणन को प्राथमिकता।


 तथा


 योग निदेशालय की स्थापना को भी इसकी कार्ययोजना में सम्मिलित किया गया है। 


कैबिनेट मंत्री ने *उत्तराखंड की योग नीति 2025 के लक्ष्य* बताते हुए कहा कि - 


वर्ष 2030 तक उत्तराखंड में कम - से - कम-पांच नए *योग हब्स* की स्थापना।


 मार्च 2026 तक राज्य के सभी आयुष हेल्थ एवं वैलनेस सेंटर्स में योग सेवाओं की उपलब्धता।


 समुदाय आधारित माइंडफूलनेस कार्यक्रम की शुरुआत जो विभिन्न आयु, लिंग और वर्ग की आवश्यकताओं को ध्यान में रखकर विकसित किए जाएंगे।


 योग संस्थाओं का शत - प्रतिशत पंजीकरण सुनिश्चित किया जाएगा।


 एक विशेष ऑनलाइन योग प्लेटफार्म विकसित किया जाएगा।


 तथा


 मार्च 2028 तक 15 से 20 राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं के साथ साझेदारी विकसित करने का भी इसमें लक्ष्य रखा गया है।


उन्होंने कहा कि हमें उम्मीद है कि यह योग्य नीति राज्य के पारंपरिक ज्ञान, आध्यात्मिक ऊर्जा और सांस्कृतिक धरोहर को समसामयिक अवसरों से जोड़ने का माध्यम बनेगी।

 

एनआईईपीवीडी में विज्ञान व गणित कक्षाओं की शुरुआत सरहानीय : केंद्रीय मंत्री श्री वीरेंद्र कुमार 

देहरादून : 

president murnu  celebrated bday with NIEEPVD students



राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु इन दिनों तीन दिवसीय दौरे पर उत्तराखंड पहुंची हैं। इसी कड़ी में आज उन्होंने विभिन्न कार्यक्रमों में प्रतिभाग किया। 


अपने 67वें जन्मदिन के अवसर पर राष्ट्रपति ने राष्ट्रीय दृष्टि दिव्यांगजन सशक्तिकरण संस्थान ( एनआईईपीवीडी) में आयोजित कार्यक्रम में भी शिरकत की। 


इस अवसर पर बच्चों द्वारा प्रस्तुत बधाई गीत ने सभी का मन मोह लिया और गीत को सुनकर खुद राष्ट्रपति भी भावुक हो उठीं। 


इस अवसर पर केंद्रीय सामाजिक न्याय मंत्री वीरेंद्र कुमार भी उपस्थित रहे। इस अवसर पर उन्होंने दिव्यांगजन सशक्तिकरण विभाग द्वारा देशभर में किए जा रहे कार्यों की जानकारी दी और बताया कि देश में दृष्टिबाधित छात्रों के लिए 9 राष्ट्रीय संस्थान कार्यरत हैं। उन्होंने एनआईईपीवीडी में विज्ञान व गणित कक्षाओं की शुरुआत को सराहा और बताया कि यहां से पढ़े तीन छात्र आईएएस बने हैं। 

उन्होंने कहा यह समारोह दिव्यांग बच्चों के हौसले और प्रतिभा को सलाम करने का प्रेरणादायक क्षण बना।

 

  गृह मंत्री अमित शाह  शाम को  अहमदाबाद,गुजरात पंहुचे। वहां उन्होंने विमान हादसे में घायल मरीजों का हाल जाना। एकमात्र बचे हुए यात्री रमेश कुमार विश्वास से मिले और व्यवस्थाओं का जायजा लिया। गृह मंत्री ने प्रेसवार्ता मे मुख्य बिंदु रखे।

home minister meet to victims of plane crash


गृह मंत्री श्री अमित शाह जी की प्रेसवार्ता के मुख्य बिंदु :

एयर इंडिया की फ्लाइट संख्या AI-171 की दुर्भाग्पूर्ण घटना से पूरा देश स्तब्ध है, सभी देशवासी इस हादसे में हताहत यात्रियों के परिजनों के साथ खड़े हैं

भारत सरकार, गुजरात सरकार और प्रधानमंत्री जी की ओर से सभी हताहतों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट करता हूँ

भारत सरकार और गुजरात सरकार मिलकर राहत और बचाव कार्य में जुटी है

इस हादसे में बचने वाले घायल यात्री से हॉस्पिटल में मिला

मृतकों की आधिकारिक संख्या डीएनए परीक्षण के पश्चात ही अधिकारिक रूप से घोषित की जाएगी।

घटना के तुरंत बाद गुजरात सरकार ने स्वास्थ्य विभाग, फायर ब्रिगेड, पुलिस विभाग, और भारत सरकार की CAPF इकाइयों को भी शामिल करते हुए आपदा प्रबंधन की सभी इकाइयों को अलर्ट कर दिया और सभी मिलकर राहत और बचाव कार्य में जुट गए।

घटनास्थल के विभिन्न हिस्सों का दौरा किया।

जिन यात्रियों के परिजन घटनास्थल पर पहुँच चुके हैं, उनके डीएनए नमूने लेने की प्रक्रिया भी अगले 2-3 घंटों में पूरी हो जाएगी। जिनके परिजन विदेश में हैं, उन्हें सूचना दी जा चुकी है और उनके पहुँचते ही उनके डीएनए नमूने लिए जाएंगे।

गुजरात की FSL (Forensic Science Laboratory) और NFSU (National Forensic Sciences University) मिलकर कम से कम समय में डीएनए परीक्षण पूर्ण करेंगी और उसके बाद मृतकों के शव उनके परिजनों को सौंपे जाएंगे।

परिजनों के रहने, मानसिक सांत्वना और जिन लोगों को मानसिक ट्रॉमा हुआ है, उनके लिए भी सभी आवश्यक व्यवस्थाएँ कर दी गई हैं।

Aviation Department ने तीव्र गति से अपनी जांच प्रारंभ कर दी है


"जनजीवन में सकारात्मक बदलाव लाना सिविल सेवकों का मूल उद्देश्य होना चाहिए" – लोकसभा अध्यक्ष


"सिविल सेवकों को करुणा, निष्पक्षता और कर्तव्यनिष्ठा के साथ समाज के कल्याण में योगदान देना चाहिए"


"भारत ने सहयोग और जनभागीदारी पर आधारित एक सशक्त लोकतांत्रिक-प्रशासनिक प्रणाली का निर्माण किया है" – लोकसभा अध्यक्ष

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"एलबीएसएनएए, मसूरी लोकतांत्रिक मूल्यों, सादगी और ईमानदारी का प्रतीक है" – लोकसभा अध्यक्ष


लोकसभा अध्यक्ष ने लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी, मसूरी में 127वें इंडक्शन प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह को किया संबोधित


मसूरी , 12 जून 2025:

Lok sabha chairman  at LBSNAA mussorie


लोकसभा अध्यक्ष श्री ओम बिरला ने आज कहा कि जनजीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाना ही सिविल सेवकों का मार्गदर्शक उद्देश्य होना चाहिए। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे शासन में नवाचार और पारदर्शिता को प्रभावी उपकरण के रूप में अपनाएं, ताकि समाज की बेहतरी सुनिश्चित हो सके और आमजन की अपेक्षाओं की पूर्ति की जा सके।


लाल बहादुर शास्त्री राष्ट्रीय प्रशासन अकादमी (एलबीएसएनएए), मसूरी में 127वें इंडक्शन प्रशिक्षण कार्यक्रम के समापन समारोह को संबोधित करते हुए श्री बिरला ने कहा कि विशेषकर वंचित और हाशिए पर खड़े लोग प्रशासन से आशा रखते हैं और अधिकारियों का दायित्व है कि वे करुणा, निष्पक्षता और कर्तव्यबोध के साथ उनकी अपेक्षाओं पर खरा उतरें।


श्री बिरला ने एलबीएसएनएए को लोकतांत्रिक मूल्यों, सादगी और ईमानदारी का प्रतीक बताते हुए कहा कि यह संस्था राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है। उन्होंने प्रशिक्षु अधिकारियों को "कर्मयोगी" संबोधित करते हुए उनसे आग्रह किया कि वे देश की प्रगति और जनकल्याण के लिए सक्रिय और संवेदनशील भूमिका निभाएं।


लोकसभा अध्यक्ष ने कहा कि लोकतंत्र के तीन प्रमुख स्तंभों में कार्यपालिका की भूमिका बेहद अहम है। नीतियों के निर्माण के बाद उन्हें जमीनी स्तर पर प्रभावी ढंग से लागू करना अधिकारियों की जिम्मेदारी है। उन्होंने पूर्व प्रधानमंत्री श्री लाल बहादुर शास्त्री का उल्लेख करते हुए कहा कि उनका जीवन, सादगी और विचार आज भी लोकसेवकों को प्रेरित करते हैं।


भारत की विविधता का उल्लेख करते हुए – भाषाई, सांस्कृतिक, भौगोलिक और सामाजिक – उन्होंने कहा कि देश ने इन विविधताओं के बावजूद सामूहिक भागीदारी पर आधारित एक मजबूत लोकतांत्रिक एवं प्रशासनिक व्यवस्था विकसित की है, जो विश्व भर में एक उदाहरण है।


उन्होंने कहा कि प्रशासनिक अधिकारियों का दायित्व केवल नीतियों का क्रियान्वयन नहीं, बल्कि समाज के सबसे कमजोर तबकों के जीवन में ठोस और सकारात्मक बदलाव लाना भी है। एक संवेदनशील और सहानुभूति से परिपूर्ण अधिकारी समाज की मानसिकता, व्यवहार और स्थानीय प्रशासन में गहरा परिवर्तन ला सकता है।


उन्होंने अधिकारियों से कहा कि वे स्वयं को केवल योजनाओं के क्रियान्वयनकर्ता न समझें, बल्कि वे समाज में बदलाव लाने वाले प्रतिनिधि बनें, जो विशेषकर आपदा या संकट की घड़ी में जनता की सेवा में अग्रणी भूमिका निभाएं। उन्होंने यह भी कहा कि न्याय और सेवा की भावना से प्रेरित कार्य करने वाले अधिकारी जनता के हृदय में बस जाते हैं और उनका सम्मान वर्षों तक बना रहता है।


श्री बिरला ने अनुभव साझा करते हुए बताया कि कैसे जनसामान्य ने कई बार ऐसे अधिकारियों का समर्थन किया, जिनके तबादले राजनीतिक दबाव में किए गए थे। उन्होंने कहा कि हर छोटे-बड़े कार्य में आमजन की मदद करना, एक-एक आंसू पोंछना, लोक सेवा को सार्थकता प्रदान करता है। यदि प्रशासनिक कार्य ईमानदारी और संवेदनशीलता के साथ हो, तो नागरिकों को अपने जनप्रतिनिधियों के पास शिकायत लेकर जाने की आवश्यकता नहीं रह जाती।


उन्होंने सतत सीखने और प्रशिक्षण की महत्ता पर भी बल दिया। उन्होंने कहा कि बदलती तकनीकों, सामाजिक अपेक्षाओं और वैश्विक परिवर्तनों के साथ तालमेल बनाए रखने के लिए अधिकारियों को निरंतर आत्ममंथन और उन्नयन की आवश्यकता है। उन्होंने यह भी कहा कि प्रशिक्षण के दौरान अनुभवों का आदान-प्रदान, प्रशासनिक सोच को समृद्ध करता है और नई कार्यप्रणालियों को जन्म देता है।


अंत में श्री बिरला ने कहा कि एक सच्चा लोकसेवक वही है, जिसकी सेवा का भाव हर नागरिक को यह महसूस कराए कि वह सुना और समझा गया है। उन्होंने अधिकारियों से आग्रह किया कि वे हर समस्या को व्यक्तिगत दायित्व मानते हुए समाधान सुनिश्चित करें और न्याय के माध्यम से समाज के अंतिम व्यक्ति तक सेवा पहुंचाएं।


उन्होंने यह भी जोड़ा कि सच्ची संतुष्टि व्यक्तिगत उपलब्धियों में नहीं, बल्कि दूसरों के जीवन में सकारात्मक परिवर्तन लाने में है।

 अहमदाबाद:

air India plane crash in Ahmedabad  that was going to london with 242 travellers


एक बहुत ही दु:खद खबर सामने आ रही है अहमदाबाद में बड़ा विमान हादसा हो गया है अहमदाबाद एयरपोर्ट के पास यह विमान हादसा हुआ है, जिसमें एयर इंडिया का विमान जो कि लंदन जा रहा था वह रिहायशी इलाके में क्रेश हो गया है .जिसमें लगभग 242 यात्री सवार थे.कुल मिलाकर 250 से अधिक व्यक्ति इसमें सवार थे।105 की अब तक मृत्यु की।पुष्टि। पीएम मोदी ले रहै है खबर।

 जिसमें की दो पायलट और 10 क्रू मेंबर्स भी शामिल थे । मेघानी नगर में यात्री विमान  टेक ऑफ के समय क्रैश हुआ है।


 एयर इंडिया का बोइंग विमान-787 क्रैश हो गया है, एनडीआरएफ मौके पर पंहुच चुका है,  लगभग 1 बजाकर 39 मिनट पर  पायलट ने यह सूचना दी थी कि विमान  के इंजन में कुछ गड़बड़ी है और लगभग 1:50 पर या हादसा हो गया।पूर्व  सीएम विजय रुपाणी भी इस फ्लाइट मे सवार थे।

रेस्क्यू अभियान जारी है।जिस बिल्डिंग पर यह विमान गिरा है वह बिल्डिंग की जलकर खाक हो गई है।

 तेजी से फायर ब्रिगेड की गाड़ियां और रेस्क्यू ऑपरेशन को अंजाम दिया जा रहा है ताकि अधिक से अधिक यात्रियों को बचाया जा सके जो जिस भी अवस्था में घायलों को अस्पताल पहुंच कर उनकी जान बचाई जा सके। पीएमओ ने विमान हादसे पर सूचना मांगी है। गृहमंत्री ने हरसंभव मदद का भरोसा दिया है। 

 *उत्तराखंड में यूसीसी में चार माह में  डेढ लाख से अधिक आवेदन मिले : सीएम धामी*

*राज्य के लगभग 98 प्रतिशत गाँवो से आवेदन प्राप्त किए जा चुके हैं*

*यूसीसी लागू करने में मार्गदर्शन और सहयोग के लिए सीएम धामी ने प्रधानमंत्री और गृह मंत्री को धन्यवाद दिया*

*मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में सीएम पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड में लागू यूसीसी पर प्रस्तुतिकरण दिया*

CM Dhami in minister counselling meeting



मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में आयोजित मुख्यमंत्री परिषद की बैठक में प्रतिभाग किया। मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड में लागू समान नागरिक संहिता पर प्रस्तुतिकरण देते हुए कहा कि यूसीसी लागू करने के लिए मजबूत सिस्टम का निर्माण किया गया है। प्रक्रिया को जनसामान्य के लिए अधिक सुलभ और सहज बनाने के लिए एक पोर्टल और समर्पित मोबाइल ऐप भी विकसित किया गया है। साथ ही ग्राम स्तर पर 14,000 से अधिक कॉमन सर्विस सेंटर्स (CSC) को इससे जोड़ा गया है। 


मुख्यमंत्री ने बताया कि रजिस्ट्रेशन के समय आने वाली परेशानियों को दूर करने के लिए ऑटो एस्केलेशन और ग्रीवेंस रिड्रेसल सिस्टम भी लागू किया गया है। व्यापक डिजिटल और भौतिक नेटवर्किंग के परिणामस्वरूप केवल चार माह की अवधि में समान नागरिक संहिता के अंतर्गत राज्यभर से लगभग डेढ़ लाख से अधिक आवेदन प्राप्त हुए हैं। इतना ही नहीं, राज्य के लगभग 98 प्रतिशत गाँवो से आवेदन प्राप्त किए जा चुके हैं, जो ये दर्शाता है कि यूसीसी को जनता का भरपूर समर्थन प्राप्त हो रहा है।


मुख्यमंत्री ने यूसीसी के सफलतापूर्वक लागू करने में मार्गदर्शन और सहयोग के लिए प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृह मंत्री श्री अमित शाह को धन्यवाद देते हुए कहा कि  प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व और मार्गदर्शन में 2022 के विधानसभा चुनाव में अपने दृष्टिपत्र के माध्यम से राज्य की जनता को ये वचन दिया था कि यदि जनादेश मिला, तो उत्तराखंड में समान नागरिक संहिता लागू की जाएगी। चुनावों में विजय के पश्चात पहले दिन से ही उत्तराखंड में यूसीसी लागू करने के लिए अपना कार्य प्रारंभ कर दिया। यूसीसी के बिल का मसौदा तैयार करने के लिए 27 मई 2022 को जस्टिस रंजना देसाई जी की अध्यक्षता में एक समिति का गठन किया। समिति द्वारा उत्तराखंड के सभी 13 जिलों में व्यापक जन-परामर्श किया गया।

जिसके माध्यम से समिति को लगभग 2 लाख 32 हजार सुझाव प्राप्त हुए। समिति ने न केवल आम नागरिकों से परामर्श किया, बल्कि सभी राजनीतिक दलों और विभिन्न वैधानिक आयोगों के प्रमुखों से भी बातचीत की।


राज्य सरकार ने 7 फरवरी, 2024 को समान नागरिक संहिता विधेयक को राज्य विधानसभा में पारित कर मा. राष्ट्रपति महोदया को भेजा। मा. राष्ट्रपति महोदया ने 11 मार्च, 2024 को इस ऐतिहासिक विधेयक को अपनी स्वीकृति प्रदान की। आवश्यक नियमावली एवं प्रक्रियाओं को पूर्ण करते हुए, 27 जनवरी, 2025 को पूरे उत्तराखंड राज्य में समान नागरिक संहिता को विधिवत रूप से लागू कर दिया गया। इस प्रकार उत्तराखंड देश का पहला राज्य बना जिसने संविधान के अनुच्छेद 44 की भावना को मूर्त रूप देते हुए समान नागरिक संहिता को व्यवहारिक धरातल पर लागू किया।


मुख्यमंत्री ने जानकारी देते हुए कहा कि समान नागरिक संहिता जाति, धर्म, लिंग आदि में अन्तर के आधार पर कानूनी मामलों में होने वाले भेदभाव को खत्म करने का एक संविधानिक उपाय है।


इसके द्वारा सभी नागरिकों को समान अधिकार देने का प्रयास किया गया है। इसके लागू होने से प्रदेश में सच्चे अर्थों में महिला सशक्तिकरण सुनिश्चित हो सकेगा।इसके द्वारा अब हलाला, इद्दत, बहुविवाह, बाल विवाह, तीन तलाक आदि कुप्रथाओं पर पूर्णतः रोक लगाई जा सकेगी।


संविधान के अनुच्छेद 342 के अंतर्गत वर्णित हमारी अनुसूचित जनजातियों को इस संहिता से बाहर रखा है, जिससे कि उन जनजातियों का और उनके रीति रिवाजों का संरक्षण किया जा सके।


समान नागरिक संहिता किसी धर्म या पंथ के खिलाफ नहीं बल्कि ये समाज की कुप्रथाओं को मिटाकर सभी नागरिकों में समानता से समरसता स्थापित करने का एक कानूनी प्रयास है। जिसकी परिकल्पना हमारे संविधान निर्माताओं ने भी की थी और राज्य के नीति निर्देशक तत्वों में इसे सम्मिलित किया था।


यूसीसी के माध्यम से किसी भी धर्म की मूल मान्यताओं और प्रथाओं को नहीं बदला गया है, केवल कुप्रथाओं को दूर किया गया है। यूसीसी के अंतर्गत सभी धर्मों के नागरिकों के लिए विवाह, तलाक और उत्तराधिकार से संबंधित मामलों में एक समान विधिक प्रक्रिया निर्धारित की गई है। अब पति-पत्नी को विवाह विच्छेद के लिए निर्धारित न्यायिक प्रक्रिया का पालन करना अनिवार्य होगा तथा बहुविवाह की प्रथा पर पूर्णतः प्रतिबंध लगा दिया गया है।



इन कानूनों के अंतर्गत सभी धर्म और समुदायों में बेटी को भी संपत्ति में समान अधिकार प्रदान किए गए हैं। इसके साथ ही, संपत्ति के अधिकार में बच्चों में किसी भी प्रकार का भेद नहीं किया गया है, अर्थात प्राकृतिक संबंधों के आधार पर, सहायक विधियों द्वारा या लिव इन संबंधों द्वारा जन्मे बच्चों का भी संपत्ति में बराबर अधिकार माना जाएगा। यूसीसी के अंतर्गत बच्चों की संपत्ति में माता-पिता को भी अधिकार प्रदान किया गया है, जिससे बुजुर्गों की आर्थिक सुरक्षा सुनिश्चित हो सके और उन्हें सम्मानपूर्वक जीवन यापन का अधिकार प्राप्त हो।


वर्तमान स्थिति को ध्यान में रखते हुए,  युवा पीढ़ी विशेष रूप से युवक-युवतियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने और उन्हें संभावित सामाजिक जटिलताओं एवं अपराधों से बचाने के उद्देश्य से इसमें लिव-इन रिलेशनशिप के लिए पंजीकरण को अनिवार्य किया गया है। पंजीकरण कराने वाले युगल की सूचना रजिस्ट्रार उनके माता-पिता या अभिभावक को देगा, ये जानकारी पूर्णतः गोपनीय रखी जाएंगी। यूसीसी के माध्यम से जन्म एवं मृत्यु के पंजीकरण की भांति विवाह और विवाह-विच्छेद दोनों का पंजीकरण भी किया जा सकेगा। समान नागरिक संहिता लागू करने के साथ ही इसके क्रियान्वयन हेतु एक प्रभावी एवं स्पष्ट नियमावली को भी लागू कर दिया है।

 

- *मतदान केंद्र पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1200 तक सीमित*

- ⁠*उत्तराखंड में राजनैतिक दलों के साथ 85 सहित देशभर में 4719 बैठक संपन्न*

chief election commission officer  India

भारत निर्वाचन आयोग ने देश में मतदान प्रकिर्या में सरल एवं सुगमता के दृष्टिगत बीते कुछ समय में अभूतपूर्व निर्णय लिए हैं। मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ बी.वी.आर.सी पुरुषोत्तम ने जानकारी देते हुए बताया कि आयोग द्वारा मतदाताओं की सुविधा को देखते हुए हाल में विभिन्न प्रावधानों में जरूरी बदलाव किए हैं।


उन्होंने बताया कि आयोग द्वारा मतदान केंद्र पर मतदाताओं की अधिकतम संख्या 1200 तक सीमित कर दी गई है। ऊंची इमारतों/कॉलोनियों में अतिरिक्त मतदान केंद्र स्थापित किए जा सकेंगे। मतदाता सूची अपडेशन के लिए, मृत्यु पंजीकरण का डेटा सीधे आरजीआई डेटाबेस से प्राप्त किया जाएगा और सत्यापन के बाद अपडेट किया जाएगा। 


मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया कि वोटर इनफार्मेशन स्लिप को अधिक मतदाता अनुकूल बनाया जाएगा। मतदाता की क्रम संख्या और भाग संख्या अब अधिक प्रमुखता से प्रदर्शित की जाएगी


*उत्तराखंड समेत देशभर में राजनैतिक दलों के साथ बैठक*


मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने बताया की देश के मान्यता प्राप्त दलों के साथ उत्तराखंड में सीईओ स्तर पर 2, डीईओ स्तर पर 13 और  ईआरओ स्तर पर 70 सर्वदलीय बैठकें आयोजित की गई हैं। उन्होंने बताया कि आयोग द्वारा जारी किए गए आंकड़ों के अनुसार देशभर में मान्यता प्राप्त दलों  के साथ 4719 बैठकें आयोजित की गईं जिसमें राजनीतिक दलों के 28,000 से अधिक प्रतिनिधियों ने भाग लिया 


निर्वाचन आयोग द्वारा राष्ट्रीय और प्रदेश के राजनीतिक दलों के प्रमुखों के साथ आयोजित की गई। जिसमें आम आदमी पार्टी, भारतीय जानता पार्टी, बहुजन समाज पार्टी, सीपीआई (एम) और एनपीपी शामिल हैं। 


मुख्य निर्वाचन अधिकारी डॉ पुरुषोत्तम ने बताया कि आयोग द्वारा नए एकीकृत डैशबोर्ड - ईसीआईनेट की शुरूआत की गई है। जिसका उद्देश्य सभी हितधारकों को एक ही स्थान पर सभी सेवाएँ प्रदान करना है इसके ज़रिए 40 से अधिक ऐप/वेबसाइटों को एक ऐप के माध्यम से संचालित किया है।

 उन्होंने बताया कि आयोग ने डुप्लिकेट वोटर आइडी कार्ड की समस्या का समाधान किया है। जिसके तहत विशिष्ट इपिक नंबर के लिए नई व्यवस्था लागू की गई है। 


 मतदाता सूची तैयार करने और चुनाव कराने की पूरी प्रक्रिया में 28 हितधारकों की पहचान की गई है, जिसमें मतदाता, चुनाव अधिकारी, राजनीतिक दल, उम्मीदवार और अन्य शामिल हैं, जो लोक प्रतिनिधित्व अधिनियम 1950, 1951, मतदाता पंजीकरण नियम 1960, चुनाव संचालन नियम, 1961 और ईसीआई द्वारा समय-समय पर जारी किए गए निर्देशों पर आधारित हैं। इनमें से प्रत्येक हितधारक के लिए आयोग के अधिनियमों, नियमों और निर्देशों के आधार पर ट्रेनिंग मॉड्यूल तैयार की जा रही हैं।



सांसद हरिद्वार और पूर्व सीएम उत्तराखंड श्री त्रिवेंद्र सिंह रावत विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी, पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन संसदीय समिति के अपने चार दिवसीय अध्ययन दौरे के दौरान आंध्र प्रदेश में चेन्नई, श्रीहरिकोटा और तिरुपति का भ्रमण किया। 

MP Trivendra  singh Rawat at   shri Harikota


उन्होंने वहां विभिन्न क्षेत्रों में पर्यावरणीय, वैज्ञानिक एवं प्रौद्योगिकीय प्रगति और चुनौतियों का अवलोकन एवं मूल्यांकन किया। इस दौरान उन्हें श्रीहरिकोटा में PSLV C-61/EOS-09 के प्रक्षेपण का प्रत्यक्ष अवलोकन का भी किया।

 उन्होंने इस दौरान सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र (SDSC) और अंतरिक्ष विभाग के प्रतिनिधियों के साथ बातचीत की। उन्होंने कहा कि चंद्रयान-3, आदित्य L1 जैसे मिशनों की सफल लॉन्चिंग और गगनयान की तैयारी भारत को आत्मनिर्भर और अग्रणी अंतरिक्ष राष्ट्र बनाने की दिशा में ऐतिहासिक कदम हैं। 


इस अध्ययन दौरे को लेकर उन्होंने कहा कि विज्ञान, पर्यावरण और CSR के क्षेत्र में सहयोग, नीति और अनुसंधान की दिशा में महत्वपूर्ण संवाद और जमीनी निरीक्षण का अवसर प्रदान करता है, जिससे नीति निर्धारण में ठोस तथ्य आधारित सुझाव देने में सहायता मिलेगी।

 अस्तित्व आधारित संदेश यह है कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।

operation sindoor continued....

ये विचार 

सुश्री लक्ष्मी पुरी, संयुक्त राष्ट्र की पूर्व सहायक महासचिव और संयुक्त राष्ट्र महिला की उप कार्यकारी निदेशक तथा भारत की पूर्व राजदूत के है , इसे पढ़कर आपको ओपेराशन सिंदूर की महत्ता का पता चल पाएगा---

सिंदूर सिद्धांत इसे आगे बढ़ाता है, आत्मविश्वास से भरे भारत ने इसका समर्थन किया है। 


देश अपने मूल हितों तथा अपने नागरिकों की संरक्षा और सुरक्षा के लिए स्वतंत्र व मजबूती से काम करने के लिए दृढ़ संकल्पित है। 


भू-राजनीतिक रूप से, इस ऑपरेशन ने क्षेत्रीय उम्मीदों को फिर से स्थापित किया है। 

  

 ऑपरेशन सिंदूर: राष्ट्रीय सुरक्षा और राष्ट्रीय सम्मान का संगम

former ambassoder lakshmi puri witह operation sindoor


• सुश्री लक्ष्मी पुरी, संयुक्त राष्ट्र की पूर्व सहायक महासचिव और संयुक्त राष्ट्र महिला की उप कार्यकारी निदेशक तथा भारत की पूर्व राजदूत ने  कहा कि

ऑपरेशन सिंदूर ने स्पष्ट किया है कि भारत वैधता नहीं चाहता है। देश न्याय चाहता है। भारतीय संयम को कभी भी कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए।        

पहलगाम में पाकिस्तान द्वारा प्रायोजित आतंकवादी कृत्य के प्रति भारत की जवाबी प्रतिक्रिया - ऑपरेशन सिंदूर, जो अभी भी जारी है – आतंकवाद-रोधी और सैन्य सिद्धांत तथा रुख में एक बड़े बदलाव का संकेत देता है। अपने जोशीले भाषण में, जिसकी गूंज पूरे भारत और दुनिया के विभिन्न देशों की राजधानियों में सुनायी दी, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने घोषणा करते हुए कहा कि सीमा-पार आतंकवाद के किसी भी कृत्य के खिलाफ निर्णायक सैन्य कार्रवाई की एक नई सामान्य स्थिति स्थापित की गई है।

कोई भी देश, जो आतंकवादी अवसंरचना को पनाह देता है, उसे वित्तीय मदद देता है और उसका पोषण करता है, उसे अपने सैन्य बलों के साथ जोड़ता है और निर्दोष नागरिकों के खिलाफ क्रूर हमलों के लिए भारत को निशाना बनाता है, उसे त्वरित, दंडात्मक और प्रतिशोधी परिणामों का सामना करना पड़ेगा। सोची-समझी सैन्य कार्रवाई से न केवल पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में बल्कि अंतरराष्ट्रीय सीमा के पार पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के बीच में भी आतंकवादी नेटवर्क ध्वस्त हो जाएंगे, भले ही राज्य प्रायोजित आतंकवादी ठिकाने आधिकारिक सुरक्षा संरचनाओं के साथ कितने भी जुड़े हुए हों।

सिंदूर सिद्धांत, भारत की संप्रभुता और सभ्यतागत लोकाचार को बनाए रखने में निहित है। इसका उद्देश्य इसकी क्षेत्रीय अखंडता की रक्षा करना, आंतरिक एकता, सद्भाव और शांति सुनिश्चित करना और 2047 तक विकसित भारत बनाने के लिए देश को त्वरित आर्थिक विकास के पथ पर आगे बढ़ाना है। यह सीमा-पार आतंकवाद के प्रति शून्य-सहिष्णुता के रुख की पुष्टि करता है और भारत को अपने सुरक्षा हितों की रक्षा में निर्णायक रूप से कार्य करने के लिए प्रतिबद्ध करता है, जिसे पुनर्परिभाषित और विस्तृत किया गया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने स्पष्ट रूप से कहा है: भारत के खिलाफ़ किसी भी तरह की आतंकी कार्रवाई युद्ध मानी जायेगी - अब कोई संदेह की स्थिति नहीं है, किसी दूसरे तरीके से युद्ध को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा, आतंकवाद से होने वाले नुकसान के आगे हार नहीं मानी जाएगी। ऑपरेशन के बाद राष्ट्र और अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष प्रधानमंत्री का संबोधन सफलता की पुष्टि से कहीं अधिक था। बुद्ध पूर्णिमा के पावन अवसर पर दिए गए इस संबोधन ने एक नई रणनीतिक व्यवस्था का अनावरण किया- दृढ़, गरिमापूर्ण और भारत के सभ्यतागत मूल्यों पर आधारित।

इसने एक सरल लेकिन दृढ़ संदेश दिया: भारत शांति में विश्वास करता है, लेकिन शांति को शक्ति का समर्थन होना चाहिए। अपने मूल में, प्रधानमंत्री मोदी का सिंदूर सिद्धांत तीन अलग सिद्धांतों पर जोर देता है, जिन पर कोई समझौता नहीं किया जा सकता। पहला, भारत उन देशों के साथ कोई बातचीत नहीं करेगा, जो आतंक को बढ़ावा देते हैं; जब बातचीत फिर से शुरू होगी, तो यह द्विपक्षीय होगी तथा इसमें केवल आतंकवाद और पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर पर चर्चा होगी। दूसरा, भारत आतंकवाद का समर्थन करने वाले देशों के साथ आर्थिक संबंधों को स्पष्ट रूप से अस्वीकार करता है तथा व्यापार और राष्ट्रीय सम्मान के बीच एक सुदृढ़ रेखा खींचता है। अंत में, भारत अब परमाणु धमकी को बर्दाश्त नहीं करेगा- ऑपरेशन सिंदूर ने निर्णायक रूप से उन सभी भ्रमों को तोड़ दिया है कि परमाणु खतरे, आतंकी कृत्यों के ढाल बन सकते हैं।

"सिंदूर" नाम का चयन गहन सांस्कृतिक प्रतीकात्मकता को रेखांकित करता है। विवाहित हिंदू महिलाओं द्वारा पहना जाने वाला लाल सिंदूर - पीड़ित होने के रूपक के रूप में नहीं, बल्कि पवित्र कर्तव्य और राष्ट्रीय गौरव के प्रतीक के रूप में इस्तेमाल किया गया। आतंकवादियों ने इस सम्मान को अपवित्र करने की कोशिश की; भारत ने पूरी ताकत के साथ जवाब दिया। व्यक्तिगत राजनीतिक हो गया, सांस्कृतिक रणनीतिक हो गया। चूंकि आतंकी हमला कश्मीर में हुआ था, जो भारत माता का भौगोलिक और प्रतीकात्मक सिर है, इसलिए ऑपरेशन सिंदूर भारत माता की रक्षा करने और उसे सलाम करने के लिए है। भारत की प्रतिक्रिया एक सैद्धांतिक विरासत का अनुसरण करती है।

कौटिल्य के अर्थशास्त्र से लेकर 1980 के दशक के इंदिरा सिद्धांत तक तथा 1998 में पोखरण-II परीक्षणों के जरिए वाजपेयीजी के साहसिक परमाणु दावे से लेकर —जिसने वैश्विक दबावों और प्रतिबंधों के बावजूद भारत के आत्मरक्षा के संप्रभु अधिकार की पुष्टि की और विश्वसनीय न्यूनतम अवरोध की नीति स्थापित की—से लेकर उरी और बालाकोट में प्रदर्शित मोदी सिद्धांत तक, भारतीय शासन नीति ने लंबे समय से संकट के समय और राष्ट्रीय सुरक्षा के महत्वपूर्ण मामलों में संप्रभु निर्णय लेने की आवश्यकता पर जोर दिया है।


आतंकवाद के लिए ढाल के रूप में परमाणु शक्ति का इस्तेमाल करने के आदी पाकिस्तान का सीधे सामना किया गया है। दंड से मुक्ति का भ्रम टूट गया है।

चीन, हालांकि औपचारिक रूप से तटस्थ है, उसे अपने सहयोगी की कमज़ोरी को समझना होगा। 

संयुक्त राज्य अमेरिका से लेकर रूस तक, वैश्विक शक्तियाँ भारत को बाहरी संकेत या समर्थन की प्रतीक्षा किए बिना कार्रवाई करते हुए देख रही हैं। अन्य पड़ोसियों को अब अपनी दुर्भावना और भारत विरोधी कार्रवाइयों के परिणामों का आकलन करना चाहिए।

पिछले 11 वर्षों में, भारत ने कई भौगोलिक क्षेत्रों में और प्रमुख शक्तियों के साथ द्विपक्षीय रणनीतिक साझेदारी का एक सघन और मजबूत नेटवर्क सफलतापूर्वक निर्मित किया है। इसने बहुपक्षीय और लघुपक्षीय, क्षेत्रीय और अंतर-क्षेत्रीय सहयोग व्यवस्थाओं में भाग लिया है और मुक्त व्यापार समझौतों पर बातचीत कर रहा है। ऑपरेशन सिंदूर के दौरान, प्रमुख शक्तियों और इन साझेदारियों से जुड़े भारत के कई रणनीतिक और रक्षा संबंध अग्नि परीक्षा से गुजरे।

पहलगाम के बाद, संतोषजनक बात यह थी कि हमारे भागीदारों द्वारा आतंकवादी हमलों की सार्वभौमिक निंदा की गयी। हालाँकि, ऑपरेशन सिंदूर के जवाब में पाकिस्तान की तीव्र कार्रवाई के बाद, परमाणु-संपन्न पड़ोसियों के बीच तनाव बढ़ने के बारे में चिंताएँ व्यक्त की गईं। प्रतिक्रियाएँ इस बात से भी प्रभावित थीं कि इस सैन्य संघर्ष में उनके हथियार प्रणालियों ने कैसा प्रदर्शन किया या कि क्या प्रदर्शन करने में विफल रहे। जैसे-जैसे हम आगे बढ़ रहे हैं, हमें न केवल अपने रणनीतिक साझेदारों को सावधानी से चुनना चाहिए, बल्कि यह भी सुनिश्चित करना चाहिए कि ये साझेदारियाँ सिंदूर सिद्धांत को शामिल करती हों।

 

इसका मतलब यह है कि उन्हें पाकिस्तान पर अपने प्रभाव का इस्तेमाल करके उसके आतंकी ठिकानों को खत्म करना चाहिए और राज्य-नीति के रूप में आतंकवाद का परित्याग करना चाहिए। यदि हमें पाकिस्तानी आतंकवादी-सैन्य ढांचे के खिलाफ कार्रवाई करने के लिए सैन्य बल का इस्तेमाल करना पड़ता है, तो उन्हें हमारे साथ एकजुटता दिखानी चाहिए। दुष्टों के लिए कोई शरणस्थली नहीं, कोई बचाव नहीं। महत्वपूर्ण बात यह है कि भारत जिस आतंकी ढांचे को निशाना बना रहा है, वह न सिर्फ भारत और लोकतंत्र के लिए, बल्कि वैश्विक आर्थिक वृद्धि और विकास के इंजन के रूप में देश की भूमिका के लिए भी खतरा है।

पाकिस्तान से आतंकवाद को वैश्विक स्तर पर निर्यात किया जाता है - यूरोप, यूके, संयुक्त राज्य अमेरिका और उससे आगे। फिर भी, अंतरराष्ट्रीय समुदाय का अधिकांश हिस्सा आंखें मूंद कर बैठा है, जबकि संयुक्त राष्ट्र द्वारा नामित आतंकवादी समूह पाकिस्तान में खुलेआम काम करते हैं। पाकिस्तान पहले भी आतंकवादी समूहों की शरणस्थली था और अब भी है। ऑपरेशन सिंदूर 1.0 के दौरान, पाकिस्तान के रक्षा और विदेश मंत्रियों ने सार्वजनिक रूप से इतना स्वीकार किया। भारत ने आतंक के इस असंख्य सिर वाले राक्षस के खिलाफ कार्रवाई करके वैश्विक सेवा की है।

यह अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में अग्रिम पंक्ति के योद्धा के रूप में खड़ा है। दुनिया को कार्रवाई करने के लिए जागरूक होना चाहिए और आतंक के अपराधियों और इसके खिलाफ काम करने वालों के बीच नैतिक समानता स्थापित करना बंद करना चाहिए - चाहे उनके संकीर्ण, अल्पकालिक, दिखावटी विचार कुछ भी हों। सिंदूर सिद्धांत का आर्थिक आयाम भी महत्वपूर्ण है। "आतंकवाद के साथ कोई व्यापार नहीं" की स्पष्ट घोषणा करके, भारत ने राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए आर्थिक उपायों को क्रियान्वित किया है।

व्यापार और सिंधु जल संधि जैसी संधियों को निलंबित करने जैसे कदम आर्थिक संबंधों को राष्ट्रीय सुरक्षा उद्देश्यों के साथ मजबूती से संरेखित करने के भारत के संकल्प को रेखांकित करते हैं। 

ये उपाय एक स्पष्ट संदेश देते हैं:


 आतंक के खात्मे के बाद आर्थिक संबंध बनने चाहिए, न कि पहले।

अस्तित्व आधारित संदेश यह है कि खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते।

 नारी-शक्ति से जुड़ा एक शक्तिशाली आख्यान ऑपरेशन के संदेश को पुष्ट करता है और इसे सुर्खियों में लाता है: भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा व्यवस्था में महिलाओं की भूमिका। 

ऑपरेशन के बाद दो महिला अधिकारियों ने प्रमुखता से सैन्य प्रेस वक्तव्यों का नेतृत्व किया, जो भारत के रक्षा परिदृश्य में महिलाओं के बढ़ते महत्व का प्रतीक है। 

"नारी शक्ति" (महिला सशक्तिकरण) के इस क्षण ने महिलाओं के प्रति भारत के सभ्यतागत सम्मान को मजबूत किया, रानी लक्ष्मीबाई से लेकर समकालीन महिला सैन्य अधिकारियों तक के ऐतिहासिक उदाहरणों की प्रतिध्वनि की, जिससे राष्ट्रीय गौरव को लैंगिक समावेश के साथ जोड़ा गया।

भारत की सैन्य ताकत घरेलू नवाचार की मदद से तेजी से बढ़ रही है। हालांकि, कुछ विदेशी प्रणालियों का इस्तेमाल किया गया था, स्वदेशी मिसाइलों, ड्रोन और निगरानी उपकरणों की सफल तैनाती, रक्षा में आत्मनिर्भरता की परिचालन परिपक्वता को उजागर करती है। 

यह हमारे निर्यात जोर और मांग को बढ़ाता है। हमने भारत में आयातित और सह-निर्मित हथियार प्रणालियों के साथ-साथ पाकिस्तान द्वारा इस्तेमाल की जाने वाली हथियार प्रणालियों का भी परीक्षण किया और इनसे हमारे द्वारा लिए गए सही निर्णयों की पुष्टि हुई। ऑपरेशन सिंदूर से यह स्पष्ट हो गया कि भारत वैधता नहीं चाहता - वह न्याय चाहता है।

भारतीय संयम को कभी भी कमजोरी नहीं समझा जाना चाहिए। सिंदूर सिद्धांत केवल प्रतिक्रियात्मक नहीं है; यह सैद्धांतिक स्पष्टता का एक सक्रिय दावा है। 

भारत के नागरिकों के, विशेषकर महिलाओं के जीवन, गरिमा, भलाई और सम्मान के साथ कोई समझौता नहीं किया जाएगा। इसी बिंदु पर राष्ट्रीय सुरक्षा का राष्ट्रीय सम्मान के साथ संगम होता है। यहीं पर प्राचीन मूल्य, आधुनिक ताकत के साथ मिलते हैं। और यहीं पर भारत खड़ा है- निडर, अडिग और एकजुट।  

 नई दिल्ली:



*सीबीआई कोर्ट ने पोलाची यौन उत्पीड़न मामले में नौ आरोपियों को आजीवन कारावास की सजा सुनाई*


वर्ष 2019 में पोलाची (तमिलनाडु) में हुए यौन उत्पीड़न मामले में एक ऐतिहासिक फैसले में, अदालत ने सभी 9 आरोपपत्रित आरोपियों को कानून की विभिन्न धाराओं के तहत यौन उत्पीड़न के लिए दोषी ठहराया, जिसमें 8 पीड़ितों के साथ सामूहिक बलात्कार भी शामिल है।


वर्ष 2019 में बड़े हंगामे के बाद यह मामला सीबीआई को सौंपा गया था। जांच के बाद 9 आरोपियों के खिलाफ कुल 3 आरोपपत्र दाखिल किए गए।

 कुल 48 गवाहों और 206 दस्तावेजों की जांच की गई। इस संवेदनशील मामले की जांच सीबीआई ने अत्यंत सावधानी और वैज्ञानिक तरीके से की, जांच के दौरान सभी वैज्ञानिक साक्ष्यों को बड़ी मेहनत से एकत्र किया। 

इसके अलावा, सभी 8 पीड़ितों को जांच के दौरान और विशेष रूप से नामित न्यायालय में आयोजित मुकदमे की कार्यवाही के दौरान सीबीआई द्वारा पर्याप्त भावनात्मक और नैतिक समर्थन दिया गया ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि पीड़ितों की गोपनीयता और पहचान का उल्लंघन न हो।

 गवाहों को भी उचित सुरक्षा दी गई और यह उल्लेख करना उचित है कि एक भी गवाह मुकर नहीं गया। 

जांच के दौरान और मुकदमे के दौरान सीबीआई की समर्पित टीम के काम के परिणामस्वरूप सभी 9 आरोपियों को दोषी ठहराया गया, जो अपनी गिरफ्तारी की तारीख से लेकर मुकदमे की समाप्ति तक न्यायिक हिरासत में थे। 

सभी आरोपियों को *मृत्यु तक आजीवन कारावास* की सजा सुनाई गई है। उन्हें अन्य अपराधों के लिए भी सजा सुनाई गई है। 

साथ ही पीड़ितों को जिला कानूनी सहायता प्राधिकरण द्वारा भुगतान किए जाने वाले 85 लाख रुपये का मुआवजा दिया गया है।

आज, हर आतंकवादी हमारी बहनों और बेटियों के माथे से सिंदूर पोंछने के परिणामों को जानता है: पीएम


 मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी द्वारा आज राष्ट्र के नाम दिए गए संदेश को  आतंकवाद के विरुद्ध देश के दृढ़ संकल्प का प्रतीक बताया।


मुख्यमंत्री धामी ने कहा कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी का आज का राष्ट्र के नाम संबोधन प्रत्येक भारतीय के मन में गर्व और आत्मविश्वास का संचार करता है। 'ऑपरेशन सिंदूर' के माध्यम से भारत ने यह स्पष्ट कर दिया है कि आतंकवाद को कतई बर्दाश्त नहीं किया जाएगा।

PM modi messge to nation

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी का राष्ट्र को संबोधन


ऑपरेशन सिंदूर न्याय के लिए एक अटूट प्रतिज्ञा है: पीएम


आतंकवादियों ने हमारी बहनों के माथे से सिंदूर पोंछने का साहस किया; इसीलिए भारत ने आतंक के मुख्यालय को ही नष्ट कर दिया: पीएम


पाकिस्तान ने हमारी सीमाओं पर हमला करने की तैयारी की थी, लेकिन भारत ने उन्हें उनके मूल में मारा: पीएम



आतंक और बातचीत एक साथ नहीं रह सकते, आतंक और व्यापार साथ-साथ नहीं चल सकते और पानी और खून कभी साथ-साथ नहीं बह सकते: पीएम


पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत आतंकवाद और पीओके पर केंद्रित होगी: पीएम

पोस्ट किया गया: 12 मई 2025 8:36PM पीआईबी दिल्ली द्वारा

प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने आज वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से राष्ट्र को संबोधित किया। अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि राष्ट्र ने हाल के दिनों में भारत की शक्ति और संयम दोनों को देखा है। उन्होंने प्रत्येक भारतीय नागरिक की ओर से देश की अजेय सशस्त्र सेनाओं, खुफिया एजेंसियों और वैज्ञानिकों को सलाम किया। प्रधानमंत्री ने ऑपरेशन सिंदूर के उद्देश्यों को प्राप्त करने में भारत के बहादुर सैनिकों द्वारा दिखाए गए अटूट साहस पर प्रकाश डाला, उनकी वीरता, लचीलापन और अदम्य भावना को स्वीकार किया। उन्होंने इस अद्वितीय वीरता को राष्ट्र की प्रत्येक माँ, बहन और बेटी को समर्पित किया।


22 अप्रैल को पहलगाम में हुए बर्बर आतंकवादी हमले की कड़ी निंदा करते हुए, उन्होंने कहा कि इसने देश और दुनिया को झकझोर दिया है। श्री मोदी ने इस कृत्य को आतंक का एक वीभत्स प्रदर्शन बताया, जिसमें छुट्टियों का आनंद ले रहे निर्दोष नागरिकों को उनके परिवारों और बच्चों के सामने उनकी आस्था के बारे में पूछे जाने पर बेरहमी से मार दिया गया। उन्होंने जोर देकर कहा कि यह न केवल क्रूरता का कार्य था, बल्कि राष्ट्र के सौहार्द को तोड़ने का एक घिनौना प्रयास भी था। हमले पर अपनी गहरी व्यक्तिगत पीड़ा व्यक्त करते हुए, उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे पूरा देश - हर नागरिक, हर समुदाय, समाज का हर वर्ग और हर राजनीतिक दल - आतंकवाद के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की मांग में एकजुट है। उन्होंने जोर देकर कहा कि सरकार ने सशस्त्र बलों को आतंकवादियों को खत्म करने की पूरी आजादी दी है। उन्होंने सभी आतंकवादी संगठनों को चेतावनी देते हुए कहा कि वे अब देश की महिलाओं की गरिमा को नुकसान पहुंचाने के प्रयासों के परिणामों को पूरी तरह से समझ गए हैं।


प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा, "ऑपरेशन सिंदूर केवल एक नाम नहीं है, बल्कि यह लाखों भारतीयों की भावनाओं का प्रतिबिंब है।" उन्होंने इसे न्याय के प्रति एक अटूट प्रतिज्ञा बताया, जिसे दुनिया ने 6-7 मई को पूरा होते देखा। प्रधानमंत्री ने इस बात पर प्रकाश डाला कि भारतीय सशस्त्र बलों ने पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों और प्रशिक्षण केंद्रों पर सटीक हमले किए, जिससे एक निर्णायक झटका लगा। उन्होंने कहा कि आतंकवादियों ने कभी नहीं सोचा था कि भारत इतना साहसिक कदम उठाएगा, लेकिन जब राष्ट्र राष्ट्र प्रथम के अपने मार्गदर्शक सिद्धांत के साथ एकजुट होता है, तो दृढ़ निर्णय लिए जाते हैं और प्रभावशाली परिणाम सामने आते हैं। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान में आतंकवादी ठिकानों पर भारत के मिसाइल और ड्रोन हमलों ने न केवल उनके बुनियादी ढांचे को बल्कि उनके मनोबल को भी चकनाचूर कर दिया। प्रधानमंत्री ने बताया कि बहावलपुर और मुरीदके जैसे स्थान लंबे समय से वैश्विक आतंकवाद के केंद्र के रूप में काम कर रहे थे, जो उन्हें दुनिया भर में बड़े हमलों से जोड़ते हैं, जिसमें अमेरिका के 9/11 हमले, लंदन ट्यूब बम विस्फोट और भारत में दशकों से चली आ रही आतंकवादी घटनाएं शामिल हैं। उन्होंने घोषणा की कि चूंकि आतंकवादियों ने भारतीय महिलाओं की गरिमा को नष्ट करने का साहस किया था, इसलिए भारत ने आतंक के मुख्यालय को नष्ट कर दिया। उन्होंने कहा कि इस अभियान के परिणामस्वरूप 100 से अधिक खतरनाक आतंकवादियों का सफाया हो गया, जिनमें वे प्रमुख व्यक्ति भी शामिल थे, जिन्होंने दशकों से भारत के खिलाफ खुलेआम साजिश रची थी। उन्होंने कहा कि भारत के खिलाफ धमकियां देने वालों को शीघ्र ही निष्प्रभावी कर दिया गया है।


श्री मोदी ने कहा कि भारत के सटीक और जोरदार हमलों ने पाकिस्तान को गहरी हताशा में डाल दिया है, जिससे वह हताश हो गया है। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान ने आतंकवाद के खिलाफ वैश्विक लड़ाई में शामिल होने के बजाय एक लापरवाह कार्रवाई की है - उसने भारतीय स्कूलों, कॉलेजों, गुरुद्वारों, मंदिरों और नागरिक घरों पर हमले किए, साथ ही सैन्य ठिकानों को भी निशाना बनाया। उन्होंने इस बात पर प्रकाश डाला कि कैसे इस आक्रमण ने पाकिस्तान की कमजोरियों को उजागर किया, क्योंकि उसके ड्रोन और मिसाइल भारत की उन्नत वायु रक्षा प्रणालियों के सामने तिनके की तरह ढह गए, जिसने उन्हें आसमान में ही बेअसर कर दिया। उन्होंने टिप्पणी की कि जब पाकिस्तान ने भारत की सीमाओं पर हमला करने की तैयारी की थी, तब भारत ने पाकिस्तान के भीतर एक निर्णायक झटका दिया। भारतीय ड्रोन और मिसाइलों ने बेहद सटीक हमले किए, जिससे पाकिस्तानी एयरबेस को गंभीर नुकसान पहुंचा, जिसका वह लंबे समय से दावा करता आ रहा था। भारत की प्रतिक्रिया के पहले तीन दिनों के भीतर, पाकिस्तान को उसकी उम्मीदों से कहीं ज़्यादा नुकसान उठाना पड़ा। भारत के आक्रामक जवाबी उपायों के बाद, पाकिस्तान ने तनाव कम करने के तरीके तलाशने शुरू कर दिए, और बढ़ते तनाव से राहत के लिए वैश्विक समुदाय से अपील की। उन्होंने खुलासा किया कि भारी नुकसान झेलने के बाद, पाकिस्तान की सेना ने 10 मई की दोपहर को भारत के डीजीएमओ से संपर्क किया। तब तक, भारत ने बड़े पैमाने पर आतंकवादी ढांचे को नष्ट कर दिया था, प्रमुख आतंकवादियों को खत्म कर दिया था और पाकिस्तान के आतंकी ठिकानों को बर्बाद कर दिया था। श्री मोदी ने कहा कि पाकिस्तान ने अपनी अपील में आश्वासन दिया है कि वह भारत के खिलाफ सभी आतंकवादी गतिविधियों और सैन्य आक्रमण को रोक देगा। इस बयान के आलोक में, भारत ने स्थिति की समीक्षा की और पाकिस्तान के आतंकवादी और सैन्य प्रतिष्ठानों के खिलाफ अपने जवाबी अभियानों को अस्थायी रूप से निलंबित करने का फैसला किया। उन्होंने दोहराया कि यह निलंबन कोई निष्कर्ष नहीं है - भारत आने वाले दिनों में पाकिस्तान के हर कदम का आकलन करना जारी रखेगा, यह सुनिश्चित करते हुए कि उसके भविष्य के कार्य उसकी प्रतिबद्धताओं के अनुरूप हों।


प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि भारत के सशस्त्र बल- सेना, वायु सेना, नौसेना, सीमा सुरक्षा बल (बीएसएफ) और अर्धसैनिक इकाइयाँ- हर समय राष्ट्रीय सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए हाई अलर्ट पर रहती हैं। उन्होंने घोषणा की, "ऑपरेशन सिंदूर अब आतंकवाद के खिलाफ लड़ाई में भारत की स्थापित नीति है, जो भारत के रणनीतिक दृष्टिकोण में एक निर्णायक बदलाव को दर्शाता है", उन्होंने कहा कि इस ऑपरेशन ने आतंकवाद विरोधी उपायों में एक नया मानक, एक नया सामान्य स्थापित किया है। प्रधानमंत्री ने भारत के सुरक्षा सिद्धांत के तीन प्रमुख स्तंभों को रेखांकित किया; पहला है निर्णायक जवाबी कार्रवाई, जब भारत पर किसी भी आतंकवादी हमले का मजबूत और दृढ़ जवाब दिया जाएगा। भारत अपनी शर्तों पर जवाबी कार्रवाई करेगा, आतंकी ठिकानों को उनकी जड़ों पर निशाना बनाएगा। दूसरा है परमाणु ब्लैकमेल को बर्दाश्त नहीं करना; भारत परमाणु धमकियों से नहीं डरेगा उन्होंने बताया कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान दुनिया ने एक बार फिर पाकिस्तान की परेशान करने वाली सच्चाई देखी- मारे गए आतंकवादियों के अंतिम संस्कार में पाकिस्तान के वरिष्ठ सैन्य अधिकारी खुलेआम शामिल हुए, जिससे साबित होता है कि राज्य प्रायोजित आतंकवाद में पाकिस्तान की गहरी संलिप्तता है। प्रधानमंत्री ने फिर से पुष्टि की कि भारत अपने नागरिकों को किसी भी खतरे से बचाने के लिए निर्णायक कदम उठाता रहेगा।


इस बात पर जोर देते हुए कि भारत ने युद्ध के मैदान में पाकिस्तान को लगातार हराया है, और ऑपरेशन सिंदूर ने देश की सैन्य शक्ति में एक नया आयाम जोड़ा है, श्री मोदी ने रेगिस्तान और पहाड़ी युद्ध दोनों में भारत की उल्लेखनीय क्षमता पर प्रकाश डाला और साथ ही नए युग के युद्ध में श्रेष्ठता स्थापित की। उन्होंने जोर देकर कहा कि ऑपरेशन के दौरान, मेड इन इंडिया रक्षा उपकरणों की प्रभावशीलता निर्णायक रूप से साबित हुई। उन्होंने टिप्पणी की कि दुनिया अब 21वीं सदी के युद्ध में एक दुर्जेय शक्ति के रूप में मेड इन इंडिया रक्षा प्रणालियों के आगमन को देख रही है।


प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि आतंकवाद के सभी रूपों के खिलाफ लड़ाई में एकता भारत की सबसे बड़ी ताकत है। उन्होंने कहा कि यह युग युद्ध का नहीं है, लेकिन आतंकवाद का भी नहीं है। उन्होंने कहा, "आतंकवाद के खिलाफ जीरो टॉलरेंस एक बेहतर और सुरक्षित दुनिया की गारंटी है।"


श्री मोदी ने जोर देकर कहा कि पाकिस्तान की सेना और सरकार ने लगातार आतंकवाद को बढ़ावा दिया है, उन्होंने चेतावनी दी कि इस तरह की कार्रवाइयां अंततः पाकिस्तान के पतन का कारण बनेंगी। उन्होंने घोषणा की कि अगर पाकिस्तान को अपना अस्तित्व बचाना है, तो उसे अपने आतंकी ढांचे को खत्म करना होगा - शांति का कोई दूसरा रास्ता नहीं है। उन्होंने भारत के दृढ़ रुख की पुष्टि करते हुए कहा कि आतंक और बातचीत एक साथ नहीं रह सकते, आतंक और व्यापार समानांतर नहीं चल सकते, और खून और पानी एक साथ नहीं बह सकते। वैश्विक समुदाय को संबोधित करते हुए उन्होंने भारत की लंबे समय से चली आ रही नीति को दोहराया कि पाकिस्तान के साथ कोई भी चर्चा केवल आतंकवाद पर केंद्रित होगी और पाकिस्तान के साथ कोई भी बातचीत पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर (पीओके) पर केंद्रित होगी।


बुद्ध पूर्णिमा के अवसर पर प्रधानमंत्री ने भगवान बुद्ध की शिक्षाओं पर विचार किया और इस बात पर जोर दिया कि शांति का मार्ग शक्ति द्वारा निर्देशित होना चाहिए। उन्होंने इस बात पर जोर दिया कि मानवता को शांति और समृद्धि की ओर बढ़ना चाहिए, यह सुनिश्चित करना चाहिए कि प्रत्येक भारतीय सम्मान के साथ रह सके और विकसित भारत के सपने को साकार कर सके। प्रधानमंत्री ने जोर देकर कहा कि भारत को शांति बनाए रखने के लिए मजबूत होना चाहिए और जब आवश्यक हो, तो उस ताकत का प्रयोग किया जाना चाहिए। उन्होंने कहा कि हाल की घटनाओं ने अपने सिद्धांतों की रक्षा करने के भारत के संकल्प को प्रदर्शित किया है। अपने संबोधन के समापन पर उन्होंने एक बार फिर भारतीय सशस्त्र बलों की वीरता को सलाम किया और भारत के लोगों के साहस और एकता के प्रति अपना गहरा सम्मान व्यक्त किया।

 दिल्ली :


15 मई 2025 को 05:29 बजे तक नागरिक विमान परिचालन के लिए 32 हवाई अड्डों पर लगी अस्थायी रोक हटा ली गई है।


 ये हवाई अड्डे अब तत्काल प्रभाव से नागरिक विमान परिचालन के लिए उपलब्ध हैं।


यात्रियों को सलाह दी जाती है कि वे एयरलाइनों से सीधे उड़ान की स्थिति की जांच करें और नियमित अपडेट के लिए एयरलाइन की वेबसाइट पर नज़र रखें।

 पाकिस्तान ने 4 घंटे में ही संयम खो दिया और अपनी औकात दिखा दी।। एलओसी पर सीज़ फायर तोड़ते हुए हमले शुरू कर दिए। 


रात्रि 10 :56 बजे 10 मई 2025 को MEA द्वारा की गई प्रेस वार्ता में स्पष्ट किया गया है कि पाकिस्तान ने स्वयं के द्वारा किये गए समझौते को कुछ ही घंटों में तोड़ दिया है।

 अगर वह इस बात को नही समझता है तो  एलओसी पर अतिक्रमण और  आक्रमण हेतु स्वयं जिम्मेदार होगा। भरतोय सेना उसके किसी भी आक्रम्ब का जवाब  पूरे दमखम से देगी।

इसी बीच जम्मू से खबर है कि ब्लैक आउट के बीच पाक की और से फायरिंग हो रही है। सेक्टर RS पुरा  में  भारी गोलाबारी में हताहत की खबर भी है।

अपनी पुरानी चाल चलता हुआ पाकिस्तान IMF की भीख पर इतरा रहा है। देश की जनता  की आवाज़ यही है कि अब सबक देना ही होगा।


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