Halloween party ideas 2015
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उत्तराखंड सरकार के आईटी विभाग द्वारा डिजी लॉकर एवं एंटिटी लॉकर पर प्रशिक्षण कार्यशाला

digi locker workshop by uttarakhand govv


उत्तराखंड सरकार के सूचना प्रौद्योगिकी विभाग के अंतर्गत सूचना प्रौद्योगिकी विकास एजेंसी (ITDA) द्वारा राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक शासन प्रभाग (NeGD)  एवं राज्य ई.मिशन टीम (SeMT)  के सहयोग से देहरादून में डिजी लॉकर एवं एंटिटी लॉकर विषय पर एक दिवसीय जागरूकता एवं प्रशिक्षण कार्यशाला का आयोजन किया गया।


इस कार्यक्रम का शुभारंभ श्री रवि शंकर सिंहए प्रमुख, राज्य ई.मिशन टीम, उत्तराखंड द्वारा किया गया। उन्होंने अपने उद्बोधन में कहा कि डिजी लॉकर एवं एंटिटी लॉकर प्रणाली राज्य में डिजिटल शासन को मजबूती प्रदान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगी। कार्यक्रम का संचालन श्री अरुण बिष्टए सहायक महाप्रबंधक (ई.सेवाएं), आईटीडीए द्वारा किया गया।


इस अवसर पर श्री तीर्थ पाल सिंह,  अपर निदेशक, आईटीडीए ने कहा कि उत्तराखंड सरकार द्वारा डिजिटल इंडिया मिशन के तहत चलाए जा रहे विभिन्न कार्यक्रमों में डिजी लॉकर एवं एंटिटी लॉकर एक महत्वपूर्ण कड़ी है। उन्होंने सभी विभागों के अधिकारियों से आग्रह किया कि वे अपने-अपने विभागों में इस प्रणाली को अधिक से अधिक लागू करने का प्रयास करें।

कार्यशाला में माईटीए भारत सरकार के विशेषज्ञों द्वारा डिजी लॉकर एवं एंटिटी लॉकर की विस्तृत जानकारी प्रदान की गई। सत्र के दौरान इन प्लेटफॉर्म्स के माध्यम से दस्तावेजों के सुरक्षित भंडारणए साझाकरण एवं प्रबंधन पर विस्तार से चर्चा की गई।


इस प्रशिक्षण कार्यक्रम में राज्य के 35 से अधिक विभागों के 65 से ज्यादा अधिकारियों ने प्रतिभाग किया। कार्यशाला में प्रतिभागियों द्वारा इन डिजिटल प्लेटफॉर्म्स के व्यावहारिक उपयोग पर हाथों हाथ प्रशिक्षण भी प्राप्त किया गया।


श्री तीर्थ पाल सिंह ने कार्यक्रम के अंत में राज्य ई.मिशन टीम एवं राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिक शासन प्रभाग का आभार व्यक्त करते हुए कहा कि इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम उत्तराखंड को डिजिटल राज्य बनाने की दिशा में महत्वपूर्ण कदम हैं। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार द्वारा जल्द ही अन्य जनपदों में भी इस तरह के प्रशिक्षण कार्यक्रम आयोजित किए जाएंगे।


*प्रमुख तथ्य:*

उत्तराखंड सरकार द्वारा डिजी लॉकर एवं एंटिटी लॉकर पर कार्यशाला

35़ विभागों के 65़ अधिकारियों ने लिया भाग

डिजिटल उत्तराखंड की दिशा में महत्वपूर्ण पहल

जल्द अन्य जनपदों में भी होंगे ऐसे प्रशिक्षण


स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2024 – नवाचार एवं समस्या-समाधान का उत्सव

नवाचार के ज़रिए भारत के युवाओं की क्षमता को उजागर करना

एसआईएच किस तरह शिक्षा एवं वास्तविक दुनिया की चुनौतियों के बीच की खाई को पाटता है

भारत के तकनीकी नेतृत्व की नींव रखना

आईआईटी रुड़की नवाचार एवं उद्यमिता के भविष्य की अगुआई कर रहा है


Smart india hackethon #SIH


नवाचार एवं उद्यमिता को बढ़ावा देने के लिए भारत के सबसे बड़े मंचों में से एक, स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन (एसआईएच) 2024, 11 से 15 दिसंबर 2024 तक भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) रुड़की में अपने ग्रैंड फिनाले में समाप्त होने वाला है। अपने 7वें संस्करण के भाग के रूप में, एसआईएच 2024 युवा सशक्तिकरण एवं नवाचार के माध्यम से भारत को आत्मनिर्भर और विश्व स्तर पर प्रतिस्पर्धी बनाने के  प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी  के दृष्टिकोण का उदाहरण प्रस्तुत करता है। 


वह 11 दिसंबर 2024 को शाम करीब 4:30 बजे वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिए स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2024 के ग्रैंड फिनाले में युवा इनोवेटर्स से बातचीत करेंगे। ग्रैंड फिनाले में 1300 से अधिक छात्र टीमें भाग लेंगी। इस अवसर पर प्रधानमंत्री उपस्थित लोगों को संबोधित भी करेंगे।

86,000 से ज़्यादा पंजीकृत टीमों, 49,000 राष्ट्रीय स्तर पर आगे बढ़ने वाली टीमों और 10,800 फाइनलिस्टों के साथ, एसआईएच 2024 नवाचार के लिए एक नया मानदंड स्थापित करता है, स्मार्ट वाहन, एग्रीटेक, रोबोटिक्स, आपदा प्रबंधन, विरासत एवं अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी जैसे क्षेत्रों में 250 से ज़्यादा वास्तविक दुनिया की चुनौतियों का सामना करते हुए, भारत के तकनीकी नेतृत्व और सतत विकास को आगे बढ़ाता है। 

शिक्षा जगत को उद्योग एवं सरकार से जोड़कर, एसआईएच प्रतिभागियों को ऐसे स्केलेबल समाधान विकसित करने में सक्षम बनाता है जो वास्तविक दुनिया में प्रभाव डाल सकते हैं।


177 वर्षों की विरासत के साथ, आईआईटी रुड़की तकनीकी उत्कृष्टता और सामाजिक परिवर्तन के प्रतीक के रूप में खड़ा है। भारत के प्रमुख संस्थानों में से एक के रूप में, यह स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन और राष्ट्रीय शिक्षा नीति (एनईपी 2020) जैसी सरकारी पहलों के साथ सहजता से जुड़ते हुए, नवाचार के मामले में सबसे आगे रहा है। टीएमआई-102 (टिंकरिंग एंड मेंटरिंग) कोर्स और एक सक्रिय इनोवेशन एंड इनक्यूबेशन सेल (आईआईसी) जैसे अग्रणी प्रयासों के माध्यम से, आईआईटी रुड़की उद्यमी प्रतिभा को विकसित करता है और आलोचनात्मक सोच को बढ़ावा देता है। संस्थान के प्लेटफ़ॉर्म से शुरू होने वाली कई परियोजनाएँ प्रभावशाली स्टार्टअप में बदल गई हैं, वैश्विक मान्यता प्राप्त कर रही हैं, जिससे प्रौद्योगिकी को आगे बढ़ाने और एक आत्मनिर्भर, टिकाऊ भारत को आकार देने की इसकी प्रतिबद्धता और मजबूत हुई है।


स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन (एसआईएच) 2024 के भाग के रूप में, आईआईटी रुड़की नोडल सेंटर के रूप में कार्य कर रहा है, जो अग्रणी संगठनों द्वारा प्रस्तुत अभूतपूर्व चुनौतियों में भागीदारी की सुविधा प्रदान करता है। राष्ट्रीय तकनीकी अनुसंधान संगठन (एनटीआरओ) ने तीन परिष्कृत समस्या विवरण प्रस्तुत किए हैं, जिनमें सिंथेटिक एपर्चर रडार उपग्रह छवियों में स्वचालित परिवर्तन का पता लगाना (एसआईएच1563), नई सड़कों के लिए स्वचालित सड़क निष्कर्षण और अलर्ट जनरेशन (एसआईएच1564), और हाइपरस्पेक्ट्रल इमेज प्रोसेसिंग में विसंगति का पता लगाने के लिए एआई/एमएल का उपयोग करके लक्ष्य का पता लगाना (एसआईएच1565) शामिल हैं। कुल 15 टीमें, जिनमें से प्रत्येक समस्या विवरण के लिए पांच टीमें हैं, जो उन्नत समाधान विकसित करने के लिए प्रतिस्पर्धा कर रही हैं। हिमाचल प्रदेश सरकार ने सेब के बागों के प्रबंधन के लिए ड्रोन-आधारित इंटेलिजेंट प्रणालियों (एसआईएच1611) पर एक चुनौती के साथ योगदान दिया है, जिसका उद्देश्य सटीक कृषि को बढ़ावा देना है, जिसमें पांच टीमें शामिल हैं। इसके अतिरिक्त, गोदरेज ने इनोवेटिंग फॉर सस्टेनेबिलिटी: ड्राइविंग स्मार्ट रिसोर्स कंजर्वेशन (एनर्जी एंड वाटर) इन होम अप्लायंसेज जैसे कि रेफ्रिजरेटर, एयर कंडीशनर, वॉशिंग मशीन और डेजर्ट एयर कूलर (एसआईएच1524) नामक चुनौती प्रस्तुत की है, जिसमें पांच टीमों को टिकाऊ, ऊर्जा-कुशल समाधान खोजने में लगाया गया है। ये समस्या कथन एसआईएच 2024 द्वारा कवर किए गए क्षेत्रों की विविधता को उजागर करते हैं, जिसमें स्थिरता, उन्नत प्रौद्योगिकी और कृषि शामिल हैं, जो राष्ट्रीय विकास के लिए नवाचार को बढ़ावा देने में इस आयोजन की महत्वपूर्ण भूमिका को रेखांकित करते हैं।


आईआईटी रुड़की में एसआईएच के नोडल प्रभारी प्रो. करुण रावत ने कहा, "आईआईटी रुड़की में इस वर्ष के हैकथॉन में अत्याधुनिक तकनीकी समाधान दिखाए जाएंगे। हमें स्थिरता से लेकर अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी तक महत्वपूर्ण समस्या विवरणों पर काम करने वाली टीमों की मेजबानी करने पर गर्व है। राष्ट्र की नवाचार यात्रा में योगदान देना सौभाग्य की बात है।"


एसआईएच 2024 का ग्रैंड फिनाले भारत की नवाचार यात्रा में एक निर्णायक क्षण है, जिसमें प्रतिभागी वास्तविक दुनिया की चुनौतियों के लिए अग्रणी समाधान प्रस्तुत करेंगे, जिसमें उपग्रह-आधारित रोड मैपिंग, ऊर्जा-कुशल स्मार्ट डिवाइस और ड्रोन का उपयोग करके कृषि प्रौद्योगिकी नवाचार शामिल हैं। माननीय प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा उद्घाटन किया गया, जो अपने दूरदर्शी संबोधन से युवाओं को प्रेरित करेंगे, यह कार्यक्रम छात्रों, उद्योग जगत के नेताओं और विशेषज्ञ सलाहकारों के बीच सहयोग को बढ़ावा देता है। एक प्रतियोगिता से परे, एसआईएच 2024 राष्ट्रीय विकास को आगे बढ़ाने वाले एक परिवर्तनकारी मंच के रूप में खड़ा है, जो युवा नवप्रवर्तकों को जटिल सामाजिक चुनौतियों से निपटने के लिए कौशल से लैस करता है और वैश्विक नवाचार नेता के रूप में भारत के भविष्य को आकार देता है।


आईआईटी रुड़की के निदेशक प्रो. कमल किशोर पंत ने गर्व के साथ कहा, "स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन हमारे देश की नवाचार और रचनात्मकता को बढ़ावा देने की अटूट प्रतिबद्धता का एक शानदार उदाहरण है। आईआईटी रुड़की में, हमें इस महत्वपूर्ण कार्यक्रम की मेजबानी करने पर गर्व है, जो छात्रों को प्रौद्योगिकी और सरलता के माध्यम से महत्वपूर्ण राष्ट्रीय चुनौतियों का समाधान करने में सक्षम बनाता है। हम इस परिवर्तनकारी पहल को वास्तविकता बनाने में उनके अमूल्य मार्गदर्शन और अटूट समर्थन के लिए माननीय प्रधान मंत्री और शिक्षा मंत्री के प्रति बहुत आभारी हैं। स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन नवाचार की भावना का प्रतीक है जो आधुनिक भारत को परिभाषित करता है। आईआईटी रुड़की को इस ग्रैंड फिनाले की मेजबानी करने का सौभाग्य मिला है, जो न केवल छात्रों को सशक्त बनाता है बल्कि देश की तकनीकी और सामाजिक प्रगति में भी महत्वपूर्ण योगदान देता है। एसआईएच 2024 अगली पीढ़ी के नेताओं को प्रेरित करने और उन्हें उज्जवल भविष्य के लिए प्रभावशाली बदलाव लाने के लिए प्रेरित करने के लिए तैयार है।"

 नैनीताल/मुक्तेश्वर :

Aries centre in mukteshwar


राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल गुरमीत सिंह(से नि) ने मंगलवार को देवस्थल, मुक्तेश्वर स्थित आर्यभट्ट प्रेक्षण विज्ञान शोध संस्थान (एरीज) का भ्रमण किया। देवस्थल में स्थित विज्ञान केंद्र में एरीज के निदेशक प्रोफेसर दीपांकर बनर्जी ने राज्यपाल  को देवस्थल में स्थापित दूरबीनों के बारे में विस्तृत विवरण दिया और उन्हें यहां से की गई वैज्ञानिक खोज की जानकारी दी। उसके पश्चात राज्यपाल ने देवस्थल में स्थापित परियोजनाओं को मूर्त रूप देने के लिए उत्कृष्ट कार्य करने वाले पांच अधिकारियों को सम्मानित किया, जिनमें एरिस के डॉक्टर बृजेश कुमार, डॉ सौरभ, कुंतल मिश्रा ,मोहित जोशी, डीएस नेगी शामिल थे।


 इसके पश्चात राज्यपाल द्वारा नवनिर्मित इंजीनियरिंग लैब, मैकेनिकल वर्कशॉप और गेस्ट हाउस का उद्घाटन किया गया। भ्रमण के दौरान राज्यपाल ने भारत की सबसे बड़ी ऑप्टिकल दूरबीन 3.6 मीटर देवस्थल ऑप्टिकल दूरबीन का भ्रमण किया और उन्होंने टेलिस्कोप से की जाने वाली विभिन्न खोजों के बारे में विस्तार से जानकारी ली। साथ ही साथ उनके द्वारा इंटरनेशनल लिक्विड मिरर टेलिस्कोप का भी भ्रमण किया गया। एरीज की एक अन्य दूरबीन के माध्यम से राज्यपाल  ने स्वयं आकाशीय पिंडों का अवलोकन किया और कहा कि तारामंडल को देखना एक अद्भुत अनुभव रहा। 


राज्यपाल ने कहा की उत्तराखंड का सौभाग्य है कि यहां विश्व प्रतिष्ठित शोध संस्थान है। उन्होंने कहा कि देवभूमि का यह देवस्थल भारत में खगोलीय विज्ञान अनुसंधान के क्षेत्र में अतुलनीय योगदान दे रहा है। उन्होंने कहा कि यदि हमें परिवर्तन लाना है तो टेक्नोलॉजी, आई , मेटा, स्पेस आदि के क्षेत्र में स्वयं को स्थापित करना होगा। उन्होंने संस्थान में कार्य कर रहे वैज्ञानिकों एवं सभी कार्मिकों की सराहना की।


इस दौरान प्रथम महिला श्रीमती गुरमीत कौर, निदेशक प्रो0 दीपांकर बनर्जी, संस्थान के वरिष्ठ वैज्ञानिक डॉ. बृजेश कुमार, जीवन पांडे, नीलम पनवार, वीरेंद्र यादव, तरुण बांगिया सहित अन्य वैज्ञानिक एवं कर्मचारी उपस्थित रहे।

 सूचना प्रौद्योगिक विकास एजेंसी

अंतर जिला ड्रोन प्रतियोगिता


Inter district drone competition utrarakhand



ड्रोन एप्लीकेशन एंड रिसर्च सेंटर, ITDA द्वारा 29 दिसंबर 2022 को पहली अंतर जिला ड्रोन प्रतियोगिता का आयोजन किया गया .


ड्रोन प्रतियोगिता में यूकेस्वान, ई-डिस्ट्रिक्ट, पुलिस टेलीकॉम, आईटीडीए कैल्क आदि जैसे विभिन्न सरकारी विभागों से संबंधित उत्तराखंड के 13 जिलों के प्रतिभागी शामिल थे।


दो दिवसीय प्रतियोगिता का उद्घाटन श्री अमित कुमार सिन्हा, आईपीएस, निदेशक आईटीडीए ने किया। कार्यक्रम में बोलते हुए आईटीडीए के निदेशक ने प्रतिभागियों को पूरे उत्साह के साथ भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया। उन्होंने उत्तराखंड को ड्रोन राज्य के रूप में विकसित करने के लिए उत्तराखंड के प्रत्येक जिले में 13 ड्रोन स्कूल खोलने के अपने विचार साझा किए। प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए ड्रोन प्रशिक्षित युवाओं को रोजगार के बेहतर अवसर मिल सकते हैं। प्रतिभागियों ने ITDA के अधिकारियों के साथ ड्रोन क्षेत्र में अपने अनुभव पर भी चर्चा की और अपने विचार साझा किए कि कैसे ड्रोन तकनीक उनके संबंधित क्षेत्र के संचालन में गेम चेंजर हो सकती है।

श्री गिरीश चंद्र गुणवंत अपर निदेशक आईटीडीए, श्री यू.सी. जोशी, एसपी, पुलिस टेलीकॉम,आईटीडीए के अन्य अधिकारियों ने भी इस कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और प्रतिभागियों को पूरे उत्साह के साथ भाग लेने के लिए प्रोत्साहित किया।

 (NIXI)एनआईएक्सआई देश का पहला इंटरनेट एक्सचेंज है जो अमेरिका या विदेश की जगह  देश के भीतर ही घरेलू इंटरनेट ट्रैफिक को रूट कर आईएसपी को आपस में जोड़ने की सुविधा प्रदान करता है। ऐसा होने से सेवा की गुणवत्ता न केवल बेहतर होती है बल्कि कम बैंडविड्थ शुल्क लगता है। इससे अंतरराष्ट्रीय मुद्रा की भी बचत होती है।



सांसद अनिल बलूनी के प्रयासों से अब उत्तराखंड में आईटी के क्षेत्र में काम करने वाले युवाओं को बेहतर इंटरनेट कनेक्टिविटी प्राप्त हो सकेगी उन्होंने भारत सरकार मंत्रालय इलेक्ट्रॉनिक्स एंड एवं तकनीकी विभाग के मंत्री श्री राजीव  चंद्रशेखरन को एक पत्र प्रेषित किया है जिसमें उन्होंने गढ़वाल और कुमाऊं क्षेत्र में  इंटरनेट एक्सचेंज की सेवाएं दिए जाने का आग्रह किया है।

 उन्होंने अपने पत्र में बताया कि उत्तराखंड के बहुत से युवा कोविड-19 में अपने घर रह कर मल्टीनेशनल कंपनी के कार्यों को कर रहे थे ,जिनमें से अधिकतर आईटी की कंपनी बेंगलुरु अहमदाबाद पुणे इत्यादि से संबंधित थे ।ऐसे में युवाओं को इंटरनेट कनेक्टिविटी की समस्या का सामना करना पड़ा। भविष्य में ऐसी समस्याएं सामने ना आए और साथ ही उत्तराखंड में युवा अपना स्टार्टअप तैयार कर सकें ।

इसके लिए उन्होंने उत्तराखंड के कुमाऊं और गढ़वाल क्षेत्र में  इंटरनेट एक्सचेंज की सुविधा उपलब्ध कराने की मांग की है।जिस पर  श्री राजीव चंद्रशेखर ने उत्तराखंड में दो से तीन स्थानों पर इंटरनेट एक्सचेंज सुविधा उपलब्ध कराए जाने के प्रस्ताव के लिए हामी भर दी है.

राष्ट्रीय इंटरनेट एक्सचेंज:

NIXI निम्नांकित गतिविधियों के माध्यम से इंटरनेट की बुनियादी अवसंरचना तक भारत के नागरिकों की पहुँच स्थापित करने के लिये वर्ष 2003 से काम कर रही एक गैर-लाभकारी संस्था (कंपनी अधिनियम 2013 की धारा 8 के तहत) है:

इंटरनेट एक्सचेंज के माध्यम से इंटरनेट सेवा प्रदाताओं (ISP’s), डेटा केंद्रों और सामग्री वितरण नेटवर्क (CDNs) के बीच इंटरनेट डेटा का आदान-प्रदान करना।

 



 

एक बार जब आप अपना आयकर रिटर्न (आईटीआर) जमा कर देते हैं, तो फाइलिंग प्रक्रिया को पूरा करने के लिए इसे सत्यापित करना महत्वपूर्ण है। आप ई-सत्यापन के माध्यम से अपने आईटीआर को ऑनलाइन सत्यापित कर सकते हैं।

केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड (CBDT) ने सितंबर 2021 के महीने में, ITR दाखिल करने की नियत तारीखों और आकलन वर्ष 2021-22 के लिए ऑडिट की विभिन्न रिपोर्टें बढ़ा दी थीं। 

AY 2021-22 के लिए ITR दाखिल करने की अंतिम तिथि 31 दिसंबर, 2021 तक बढ़ा दी गई है।


आयकर विभाग द्वारा प्रदान की गई जानकारी के अनुसार, आप इलेक्ट्रॉनिक सत्यापन कोड, आधार ओटीपी का उपयोग करके या नेट बैंकिंग के माध्यम से लॉग इन करके ई-सत्यापन कर सकते हैं।

प्रक्रिया को पूरा करने के लिए नीचे दिए गए चरणों की जाँच करें:-

1. ई-फाइलिंग पोर्टल में लॉग इन करें और ई-फाइल, फिर इनकम टैक्स रिटर्न और फिर ई-वेरीफाई रिटर्न पर जाएं।

2. आईटीआर के सामने उपलब्ध ई-सत्यापन लिंक पर क्लिक करें जिसे ई-सत्यापित किया जाना है।

3. ई-सत्यापन मोड का चयन करें, जैसा लागू हो।

4. अपने आईटीआर को ई-सत्यापित करने के लिए ईवीसी/ओटीपी दर्ज करें।

5. आईटीआर का ई-वेरिफिकेशन अब पूरा हो गया है।
हालांकि, अगर आपने अभी तक अपना आईटीआर (आईटीआर 1 और आईटीआर 4) दाखिल नहीं किया है तो आप इसे ऑनलाइन भी कर सकते हैं। यहां प्रक्रिया की जांच करें:

1. ई-फाइलिंग पोर्टल में लॉग इन करें और ई-फाइल पर जाएं। फिर फाइल इनकम टैक्स रिटर्न चुनें।

2. असेसमेंट ईयर, फाइलिंग टाइप, आईटीआर टाइप, सबमिशन मोड चुनें।

3. स्थिति का चयन करें।

4. जारी रखें यदि आप आईटीआर प्रकार के बारे में सुनिश्चित हैं या आप अपना आईटीआर खोजने में सहायता के लिए आगे बढ़ें पर क्लिक कर सकते हैं।

5. दाखिल करने का कारण चुनें और आईटीआर के लागू क्षेत्रों को भरें।

6. सत्यापन मोड चुनें।

7. आईटीआर में सभी लागू फ़ील्ड भरें।

8. अपने आईटीआर को ई-सत्यापित करने के लिए ईवीसी/ओटीपी दर्ज करें या सत्यापन के लिए हस्ताक्षरित आईटीआर-वी सीपीसी भेजें।

9. आईटीआर की ई-फाइलिंग अब पूरी हो गई है।

 



भारत के ध्रुवीय उपग्रह प्रक्षेपण यान PSLV-C51 ने सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र शेयर, श्रीहरिकोटा से आज (28 फरवरी, 2021) को 18 सह-यात्री उपग्रहों के साथ सफलतापूर्वक अमेजोनिया -1 लॉन्च किया।

PSLV-C51 को SDSC SHAR के पहले लॉन्च पैड से 10:24 बजे (IST) नियोजित तरीके से हटा दिया गया। लगभग 17 मिनट की उड़ान के बाद, वाहन ने अपनी इच्छित कक्षा में अमेजोनिया -1 को इंजेक्ट किया और 1 घंटे 38 मिनट में सभी 18 सह-यात्री उपग्रहों को सफलतापूर्वक पूर्व निर्धारित क्रम में PSLV से अलग कर दिया।

इसरो के अध्यक्ष डॉ के के सिवन ने अमेजोनिया -1 और 18 सह-यात्री उपग्रहों के सटीक इंजेक्शन के लिए टीम इसरो को बधाई दी। प्राथमिक उपग्रह, अमेजोनिया -1 के बारे में बात करते हुए, उन्होंने कहा कि “भारत और इसरो को ब्राजील द्वारा डिजाइन, एकीकृत और संचालित पहला उपग्रह लॉन्च करने पर बेहद गर्व और सम्मान महसूस हो रहा है। इस उपलब्धि के लिए ब्राजील की टीम को हार्दिक बधाई। ''

एच. ई. मार्कोस सीजर पोंट्स, विज्ञान, प्रौद्योगिकी और नवाचार मंत्री, ब्राजील ने आज के सफल प्रक्षेपण के लिए इसरो टीम को बधाई दी। 

"अमाज़ोनिया -1 ब्राजील के लिए एक महत्वपूर्ण मिशन है जो देश में उपग्रह विकास के लिए एक नए युग की शुरुआत का प्रतीक है" उन्होंने टिप्पणी की। उन्होंने भारत और ब्राजील के बीच साझेदारी के महत्व पर जोर दिया और भारत के साथ संबंधों को और मजबूत करने के लिए तत्पर थे।

Amazonia-1 राष्ट्रीय अंतरिक्ष अनुसंधान संस्थान (INPE) का ऑप्टिकल पृथ्वी अवलोकन उपग्रह है। यह उपग्रह उपयोगकर्ताओं को अमेज़ॅन क्षेत्र में वनों की कटाई की निगरानी और ब्राजील के क्षेत्र में विविध कृषि के विश्लेषण के लिए रिमोट सेंसिंग डेटा प्रदान करेगा।

PSLV-C51 / Amazonia-1, अंतरिक्ष विभाग के तहत भारत सरकार की कंपनी न्यूस्पेस इंडिया लिमिटेड (NSIL) का पहला समर्पित वाणिज्यिक मिशन है। NSIL के अध्यक्ष और प्रबंध निदेशक, श्री नारायणन जी ने इस मिशन की सुविधा के लिए ISRO और NSIL की ताकत और मेसर्स स्पेसफलाइट इंक USA में उनके विश्वास के लिए INPE, ब्राज़ील को धन्यवाद दिया। उन्होंने इस मिशन में अन्य सहायक पेलोड को भी स्वीकार किया और सभी ग्राहकों से उनके इच्छित लक्ष्यों को प्राप्त करने की कामना की। "मैंने टीम ISRO और DOS को उनकी घड़ी की सटीकता के लिए धन्यवाद दिया" उन्होंने निष्कर्ष निकाला।

PSLV-C51 ऑनबोर्ड 18 उप-यात्री उपग्रहों में IN-SPACe से चार और NSIL से चौदह शामिल हैं।

NSIL के चौदह उपग्रह भारत (1) और USA (13) के वाणिज्यिक उपग्रह थे।

IN-SPACe के 4 उपग्रहों में से तीन UNITYsats थे, जिन्हें Jeppiaar Institute of Technology, Sriperumbudur, GHRaisoni College of Engineering, नागपुर और Sri Shakti Institute of Engineering and Technology, कोयंबटूर द्वारा संयुक्त विकास के रूप में बनाया और बनाया गया और एक सतीश धवन सतवान (एसडीएसएटी) स्पेस किड्ज इंडिया से।

 डॉ. सिवन ने उपग्रहों के निर्माण में टीमों के प्रयासों की सराहना की। PSLV-C51 PSLV की 53 वीं उड़ान है और 'DL' कॉन्फ़िगरेशन में (2 स्ट्रैप-ऑन मोटर्स के साथ) PSLV की तीसरी उड़ान है। यह SDSC SHAR, श्रीहरिकोटा से 78 वां लॉन्च वाहन मिशन था।

आज के लॉन्च के साथ, पीएसएलवी द्वारा कक्षा में रखे गए विदेशी देशों के कुल ग्राहक उपग्रह 34 देशों के 342 उपग्रह हैं। अध्यक्ष, इसरो ने आगामी मिशनों के बारे में जानकारी दी।


 

मुख्यमंत्री की उपस्थिति में यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल एवं सचिव एनसीएसएम श्री समरेन्द्र कुमार ने समझौता ज्ञापन पर किये हस्ताक्षर

173 करोड़ रूपये की परियोजना है साइंस सिटी

88 करोड़ रूपये केन्द्र सरकार एवं 85 करोड़ रूपये राज्य सरकार वहन करेगी



         मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की उपस्थित में शुक्रवार को मुख्यमंत्री आवास में साइंस सिटी देहरादून के लिए उत्तराखण्ड विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी परिषद् (यूकॉस्ट) उत्तराखण्ड शासन एवं राष्ट्रीय विज्ञान संग्रहालय परिषद् (एनसीएसएम ) के मध्य समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर हुए। यूकॉस्ट के महानिदेशक डॉ. राजेंद्र डोभाल एवं सचिव एनसीएसएम ने समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किये। एनसीएसएम भारत सरकार के संस्कृत मंत्रालय की एक स्वायत्तशासी संस्था है जो देश में विज्ञान संग्रहालयों का निर्माण तथा संचालन करती है। साइंस सिटी देहरादून में विज्ञान धाम, झाझरा में विकसित होगी। साइंस सिटी लगभग चार वर्षों में बनकर तैयार हो जायेगी। 173 करोड़ रूपये की इस परियोजना के लिए 88 करोड़ रूपये केन्द्र सरकार एवं 85 करोड़ रूपये राज्य सरकार वहन करेगी। 

        मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने कहा कि देहरादून में बनने वाले साइंस सिटी सबके आकर्षण का केन्द्र बने इसके लिए विशेष प्रयासों की जरूरत है। इसे निर्धारित समयावधि से पूर्व पूर्ण करने के प्रयास किये जाए। उन्होंने कहा कि किसी भी बड़े प्रोजक्ट को पूरा करने के लिए दृढ़ इच्छा शक्ति का होना जरूरी है। सबके सामुहिक प्रयासों से यह प्रोजक्ट समय से पहले पूरा करने का प्रयास किया जायेगा। उन्होंने कहा कि भारत की वैज्ञानिक संस्कृति को आगे बढ़ाने की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण कदम होगा। राज्य सरकार का प्रयास होगा कि उत्तराखण्ड के वैशिष्ट्य को  लोग साइंस सिटी के माध्यम से देख सकें। साइंस सिटी के लिए स्थान का चयन भी छात्र-छात्राओं एवं लोगों की सुविधा को ध्यान में रखते हुए किया गया है। 

        साइंस सिटी देहरादून में खगोल एवं अंतरिक्ष विज्ञान ,रोबोटिक्स, विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी की विरासत, भूगर्भीय जीवन, जलवायु परिवर्तन, ऊर्जा, जैव प्रौद्योगिकी, वर्चुअल रियलिटी, ऑग्मेंटेड रियलिटी, आर्टिफीसियल इंटेलीजेन्स के साथ स्पेस थियेटर सहतारामंडल, हिमालय की जैवविविधता पर डिजिटल पैनोरमा, सिम्युलेटर, एक्वेरियम, उच्च वोल्टेज व लेजर, आउटडोर साइंस पार्क, थीम पार्क, बायोडोम, बटरफ्लाई पार्क, जीवाश्म पार्क एवं मिनिएचर उत्तराखंड आदि होंगे। साथ ही अन्य सुविधाओं के रूप में कन्वेंशन सेंटर तथा प्रदर्शनी हॉल आदि भी साइंस सिटी का हिस्सा होंगे।



         साइंस सिटी प्रदेश में विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी के संचार, लोकव्यापीकरण तथा नवप्रवर्तन की दिशा में विद्यार्थियों, शिक्षकों, आम नागरिकों एवं पर्यटकों के लिए महत्वपूर्ण तथा आकर्षण का केन्द्र होगी। केंद्र सरकार की स्पोक्स योजना के तहत क्षेत्र्रीय विज्ञान केंद्र देहरादून के साइंस सिटी देहरादून में उन्नयन के लिए राज्य सरकार के प्रस्ताव को संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार की सैद्धांतिक मंजूरी मिली थी। इस सैद्धांतिक मंजूरी के बाद संस्कृति मंत्रालय भारत सरकार के डेलीगेटेड इन्वेस्टमेंट बोर्ड (डीआईबी) की मंजूरी भी साइंस सिटी देहरादून के लिए अप्रैल 2020 में प्राप्त हो गई थी।  

         इस अवसर पर  विधायक श्री सहदेव सिंह पुण्डीर, ग्राम्य विकास एवं पलायन आयोग के उपाध्यक्ष डॉ. एस.एस. नेगी, मुख्यमंत्री के तकनीकि सलाहकार डॉ. नरेन्द्र सिंह, सचिव विज्ञान एवं प्रौद्योगिकी श्री आर.के सुधांशु, एनसीएसएम के भूतपूर्व महानिदेशक श्री गंगा सिंह रौतेला, निदेशक इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ पेट्रोलियम डॉ. अजंन रे, अपर सचिव श्री विजय यादव, अपर प्रमुख वन संरक्षक डॉ. समीर सिन्हा, डॉ. प्रकाश चौहान आदि उपस्थित थे।

 


 भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, ISRO ने अंतरिक्ष में  देश का नया संचार उपग्रह CMS-01 कल सफलतापूर्वक लॉन्च किया है। 

सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र, श्रीहरिकोटा के दूसरे लॉन्च पैड से PSLV-C50 उपग्रह  द्वारा  लॉन्च किया गया और उपग्रह को भू-समकालिक स्थानांतरण कक्षा में रस्थापित  किया गया।

इसरो के अध्यक्ष डॉ। के सिवन ने टीम इसरो को करतब के लिए बधाई दी और कहा कि पेलोड के सौर पैनल तैनात किए गए हैं और इसे राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी की ब्लूटूथ टीम ने संभाल लिया है। उन्होंने कहा, इसे सी-बैंड में अपनी दूरसंचार सेवा प्रदान करने के लिए सामान्य युद्धाभ्यास की एक श्रृंखला के बाद 21 दिसंबर तक अंतिम कक्षा में लाया जाएगा।

डॉ। सिवन ने कहा कि इसरो आने वाले दिनों में उपग्रहों और जांच की एक श्रृंखला शुरू करने में सक्रिय रूप से शामिल है। उनमें PSLV-C51 और लघु उपग्रहों के लॉन्च वाहन SSLV शामिल हैं। उन्होंने कहा, चंद्रयान -3, गगनयन और आदित्य एल -1 नामक सूर्य का अध्ययन करने के लिए जांच जैसे प्रतिष्ठित मिशन की तैयारी भी जोरों  पर है।


 केन्द्रीय मंत्री इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी श्री रविशंकर प्रसाद  ने वर्चुअल माध्यम से एवं मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने आईटीडीए, देहरादून में शुक्रवार कोएसटीपीआई देहरादून इन्क्यूबेशन केन्द्र का शिलान्यास किया।  इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने घोषणा की कि देहरादून में जल्द ही एक रोबोटिक लैब की स्थापना की जायेगी जिसके लिए भूमि भी उपलब्ध है। इस दौरान मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत एवं सूचना तकनीकी राज्यमंत्री, भारत सरकार श्री संजय धोत्रे ने ई-वेस्ट स्टूडियो का उद्घाटन भी किया। 

केन्द्रीय मंत्री इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी श्री रविशंकर प्रसाद ने कहा कि मैं देवभूमि उत्तराखण्ड से बहुत प्यार करता हूं और वहां के लोगों का बहुत सम्मान करता हूं। उत्तराखण्ड आध्यात्मिक, सांस्कृतिक एवं भारत की सभ्यतागत संस्कृति का केन्द्र है। इन्क्यूबेशन का मतलब है, सृजना। उत्तराखण्ड से वेद की शुरूआत हुई है, श्री केदारनाथ, श्री बदरीनाथ, गंगा एवं यमुना का जहां उद्गम स्थल हैं उस उत्तराखण्ड राज्य से आज टेक्नॉलाजी को इंक्यूबेट कर रहे है। संस्कार, संस्कृति से टेक्नॉलाजी तक ये उत्तराखण्ड का परिचय होना चाहिए। उत्तराखण्ड के लोगों में कार्य करने की असीमित क्षमता एवं समर्पण की भावना है। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत की अगुवाई में उत्तराखण्ड राज्य तेजी से आगे बढ़ रहा है।   

केन्द्रीय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद ने एसटीपीआई के अधिकारियों को निर्देश दिया कि यह इन्क्यूबेसन सेंटर बेहतर एवं आधुनिक बने। स्टार्टअप के क्षेत्र में उत्तराखण्ड में प्रबल संभावनाएं हैं। उत्तराखण्ड के देहरादून एवं हल्द्वानी में बीपीओ बनाये गये हैं। उन्होंने कहा कि ‘‘चुनौती’ नाम से एक नई योजना चलाई जा रही है। इस योजना का उद्देश्य छोटे शहरों के बच्चों में भी सृजनात्मकता का विकास हो। उन्होंने कहा कि देहरादून में एक रोबोटिक सेंटर बनाया जाय। यह भारत का महत्वपूर्ण रोबोट सेंटर बनना चाहिए। इसके लिए राज्य सरकार को पूरा सहयोग दिया जायेगा। उत्तराखण्ड का एक ब्रांड अध्यात्म है तो दूसरा रोबोटिक बनना चाहिए। आज उत्तराखण्ड के 46 अस्पताल ई-अस्पताल बन चुके हैं। ऋषिकेश एम्स अच्छा कार्य कर रहा है। प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की डिजिटल इंडिया का उद्देश्य आम लोगों को टेक्नॉलॉजी के माध्यम से मजबूत बनाना है। इसके लोगों को अनेक फायदे हो रहे हैं। टेक्नॉलाजी के माध्यम से आम आदमी के जीवन को बदला जा सकता है। भारत नेट फेज 1 में उत्तराखण्ड के 1800 ग्राम पंचायत कनेक्ट हो चुके हैं। फेज 2 में भी राज्य सरकार को पूरा सहयोग दिया जायेगा। हरिद्वार में 310 ग्राम पंचायतों सीएससी सेंटर के माध्यम से 50 हजार लोगों को वाईफाई सुविधा दी गई है। 

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने एसटीपीआई देहरादून इन्क्यूबेशन केन्द्र के शिलान्यास के लिए केन्द्रीय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद का आभार व्यक्त किया। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि आईटीडीए द्वारा सभी इलेक्ट्रिक वेस्ट का बेहतर इस्तेमाल किया जा रहा है।  टीम वर्क से इलेक्ट्रानिक वेस्ट को बैस्ट में बदलने का सराहनीय कार्य किया जा रहा है। आईटी पार्क ने 2019-20 में 150 करोड़ रूपये का व्यापार किया है। इससे 2500 से अधिक लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार मिला है। एसटीपीआई देहरादून इन्क्यूबेशन केन्द्र बनने से स्टार्टअप को जो प्ले एण्ड प्लग की फैसिलिटी चाहिए वो उन्हें उपलब्ध होगी। इससे स्टार्टअप को और अधिक बढ़ावा मिलेगा।

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि एसटीपीआई देहरादून इन्क्यूबेशन केन्द्र उत्तराखण्ड में निवेश को आकर्षित करने तथा प्रमुख आईटी/आई.टी.ई.एस गंतव्य के रूप में स्थापित करने के लिए प्रोत्साहन देने में मददगार होगा। इससे स्टार्टअप एवं उद्यमियों के लिए अतिरिक्त इंक्यूबेसन सुविधा उपलब्ध कराने एवं राज्य में आईटी साफ्टवेयर, सेवाओं के निर्यात व उद्यमशीलता को बढ़ावा देने में भी सहायता मिलेगी। इससे राज्य में रोजगार के नये अवसर बढ़ेंगे। उन्होंने कहा कि भारत नेट-2 के प्रसार से उत्तराखण्ड में पर्वतीय क्षेत्रों से पलायन रोकने में महत्वपूर्ण भूमिका होगी। राज्य के नौजवान हौनहार एवं प्रगतिशील विचारधारा तथा रचनात्मक सोच वाले हैं। भारत नेट फेज 2 परियोजना के तहत की 2 हजार करोड़ रूपये की इस योजना से 5991 ग्राम पंचायतों में इंटरनेट पहुंचाया जायेगा। आज हमारे नौजवान ऑनलाईन बिजनेस की दिशा में आगे बढ़ रहे हैं। ड्रोन एप्लीकेशन के क्षेत्र में भी उत्तराखण्ड में अच्छा कार्य हो रहा है। राज्य में अनेक ड्रोन के पायलेट तैयार हो रहे हैं। आने वाले समय में राज्य को इसका बहुत लाभ होगा।  इस अवसर पर मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने केन्द्रीय मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद से काशीपुर में आरक्षित 100 एकड़ भूमि में इलेक्ट्रॉनिक एवं मैन्युफैक्चरिंग कलस्टर के लिए सहयोग एवं राज्य में भारत नेट भेज 2 का जल्द कार्य शुरू करवाने का अनुरोध किया।


आईटीडीए के निदेशक श्री अमित कुमार सिन्हा ने ई-वेस्ट स्टूडियो के विषय में जानकारी देते हुए बताया कि ई-कचरा पुनर्चक्रण और निपटान के बारे में जन जागरूकता के उद्देश्य से  बना यह स्टूडियो पूरी तरह से पुनर्चक्रण किये हुए ई-कचरे से तैयार किया गया है। जिसमें आंतरिक ड्रोन रेसिंग ट्रैक भी बनाया गया है। इस स्टूडियो को बनाने के लिए एकत्रित किये गए ई-कचरे को पुनः उपयोग कर 25 कंप्यूटर तैयार किये गए जिन्हे की जनपद के 10 प्राथमिक विद्यालयों को  भेंट किया गया। 

इस अवसर पर सूचना तकनीकी राज्यमंत्री, भारत सरकार, श्री संजय धोत्रे, मेयर श्री सुनील उनियाल गामा, सचिव, सूचना प्रौद्योगिकी श्री आर.के. सुधांशु, एवं निदेशक आईटीडीए श्री अमित कुमार सिन्हा, वर्चुअल माध्यम से सचिव इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी मंत्रालय भारत सरकार श्री अजय प्रकाश साहनीएवं महानिदेशक एसटीपीआई डॉ. ओंकार राय आदि उपस्थित थे।

 

केंद्रीय पूर्वोत्तर क्षेत्र विकास राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्यमंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज कहा कि इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) अपनी सुविधाओं को निजी क्षेत्र के लिए खोलने को पूरी तरह तैयार है।

 प्रधानमंत्री नरेन्‍द्र मोदी के नेतृत्व में अंतरिक्ष विभाग में हुए कुछ महत्वपूर्ण ऐतिहासिक सुधारों का जिक्र करते हुए, डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि संभवत: स्वतंत्र भारत के इतिहास में पहली बार ग्रहों से संबंधित अनुसंधान की भविष्य की परियोजनाएं, बाहरी अंतरिक्ष की यात्राएं आदि निजी क्षेत्र के लिए खोल दी जायेंगी। उन्होंने कहा कि यह कदम भारत को आत्मनिर्भर बनाने की दिशा में मोदी सरकार के "आत्मनिर्भर" योजना का भी हिस्सा है। इसमें अंतरिक्ष गतिविधियों में निजी क्षेत्र की भागीदारी को बढ़ावा देने की पहल की परिकल्पना की गयी है।

 

डॉ. जितेंद्र सिंह ने इस बारे में आगे जानकारी देते हुए कहा कि भारतीय निजी क्षेत्र भारत के अंतरिक्ष क्षेत्र की यात्रा में सहयात्री होंगे। उन्होंने कहा कि निजी कंपनियों को उपग्रह प्रक्षेपण और अंतरिक्ष आधारित गतिविधियों में बराबरी का अवसर प्रदान किया जायेगा।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि नए सुधार, देश में अंतरिक्ष संबंधी गतिविधियों को "आपूर्ति आधारित मॉडल" से "मांग आधारित मॉडल" में बदलने की कोशिश करेंगे। भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन और प्राधिकरण केंद्र (आईएन-एसपीएसीई) के निर्माण के साथ हमारे पास इसके लिए एक निश्चित तंत्र होगा और निजी क्षेत्र को अपनी क्षमता में सुधार करने के लिए इसरो की सुविधाओं तथा अन्य प्रासंगिक संपत्तियों का उपयोग करने की अनुमति होगी।

डॉ. जितेंद्र सिंह ने आगे बताया कि निजी उद्योगों को अपना आवेदन जमा करने के लिए एक वेब लिंक प्रदान किया गया है। उन्होंने कहा कि उद्योगों और स्टार्ट-अप से प्राप्त आवेदनों की जांच एक उच्च स्तरीय समिति द्वारा की जायेगी।




 


 

नई पीढ़ी के एंटी रेडिएशन मिसाइल (रुद्रम) का कल ओडिशा के तट से दूर व्हीलर द्वीप पर रेडिएशन परीक्षण किया गया। इसका परीक्षण सुखोई-30 एमकेआई फाइटर एयरक्राफ्ट से किया गया है।

रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (डीआरडीओ) ने भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के लिए देश का पहला स्वदेशी एंडी ​रेडिएशन ​मिसाइल रुद्रम विकसित की है। इस मिसाइल को लॉन्च प्लेटफॉर्म के रूप में सुखोई एसयू-30 एमकेआई लड़ाकू विमान में एकीकृत किया गया है, इसमें लॉन्च स्थितियों के आधार पर अलग-अलग रेंज की क्षमता है। इसमें अंतिम हमले के लिए पैसिव होमिंग हेड के साथ आईएनएस-जीपीएस नेविगेशन है। 'रुद्रम' ने रेडिएशन लक्ष्य को पिनपॉइंट सटीकता से मारा।

पैसिव होमिंग हेड एक विस्तृत बैंड पर लक्ष्य का पता लगाने, वर्गीकृत करने और लक्ष्य को इंगेज करने (उलझाने) में सक्षम है। मिसाइल बड़े स्टैंड ऑफ रेंज से प्रभावी तरीके से दुश्मन के वायु रक्षा को रोकने के लिए आईएएफ का एक शक्तिशाली हथियार है।

इसके साथ ही, देश ने दुश्मन रडार, संचार साइटों और अन्य आरएफ उत्सर्जक लक्ष्यों को बेअसर करने के लिए लंबी दूरी की हवा में लॉन्च की गई एंटी-रेडिएशन मिसाइल विकसित करने के लिए स्वदेशी क्षमता स्थापित कर ली है।

 

 


आवास एवं शहरी मामलों (एमओएचयूए) के सचिव एवं राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र परिवहन निगम (एनसीआरटीसी) के अध्यक्ष श्री दुर्गा शंकर मिश्र ने कहा कि हमारे प्रधानमंत्री की "आत्मनिर्भर भारत" परिकल्पना के पांच स्तंभों में से एक है -अवसंरचना और यह बहुत गर्व की बात है कि आरआरटीएस के लिए तेज़गति और उच्च आवृत्ति वाली यात्री ट्रेनों का निर्माण पूरी तरह सरकार की "मेक इन इंडिया" नीति के अंतर्गत किया जाएगा। भारत की पहली आरआरटीएस ट्रेनों का पहला लुक जारी करते हुए एमओएचयूए के सचिव ने कहा कि पर्यावरण अनुकूल, ऊर्जा सक्षम ट्रेनों से राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र (एनसीआर) के भीतर और बाहर के इलाकों में जीवन की गुणवत्ता में सुधार होगा। इससे आर्थिक प्रगति की रफ्तार तेज़ होगी, आर्थिक गतिविधियों के अवसर बढ़ेंगे और साथ साथ वायु प्रदूषण, कार्बन फुटप्रिंट, भीड़भाड़ और दुर्घटनाओं में कमी आएगी।
इस अवसर पर एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक विनय कुमार सिंह , एनसीआरटीसी के बोर्ड ऑफ डायरेक्टर्स के सभी सदस्य और एमओएचयूए, एनसीआरटीसी और बम्बार्डियर इंडिया के अन्य वरिष्ठ अधिकारी भी उपस्थित थे।

 



स्टेट ऑफ दि आर्ट आरआरटीएस ट्रेनें भारत की पहली ऐसी ट्रेनें होंगी जो 180 किलोमीटर प्रति घंटे की डिजाइन गति से चलेंगी। इनकी बाहरी बॉडी चमकदार स्टेनलैस स्टील की होगी ,ये एयरोडायनैमिक आरआरटीएस ट्रेनें वज़न में बहुत हल्की और पूरी तरह वातानुकूलित होंगी । हर डिब्बे में छह ऑटोमैटिक प्लग इन टाइप के चौड़े दरवाज़े होंगे जिनमें से तीन तीन दरवाज़े दोनों तरफ होंगे। (बिजनैस क्लास के डिब्बों में दोनों तरफ दो दो दरवाज़े यानी कुल चार दरवाज़े होंगे) इससे यात्रियों को चढ़ने उतरने में आसानी होगी। 

इन डिब्बों में आड़ी दो गुना दो सीटें होंगी और पांव फैलाने के लिए भी पर्याप्त जगह होगी, चौड़ा गलियारा होगा और उसमें खड़े होकर यात्रा करने वाले यात्रियों के पकड़ने के लिए हैंडल और खंभे होंगे ताकि वे आराम से अपनी यात्रा कर सकें। इसके अलावा ऊपर की तरफ सामान रखने के लिए रैक होगा, मोबाइल और लैपटाप चार्ज करने के लिए सॉकेट होंगे और अन्य सुविधाओं के साथ साथ वाई फाई की सुविधा भी होगी। नई दिल्ली स्थित लोटस टेंपल धारणीयता का एक अच्छा उदाहरण है जिसके डिज़ाइन के कारण उसमें हवा और रोशनी की प्राकृतिक रूप से आवाजाही बहुत अच्छे से होती है। इसी को आधार बनाकर आरआरटीएस ट्रेनों के डिब्बों में रोशनी और तापमान नियंत्रण प्रणाली लगाई जाएगी ताकि कम ऊर्जा की खपत कर यात्रियों को एक गुणवत्तापूर्ण यात्रा का अनुभव दिलाया जा सके। सभी अत्याधुनिक सुविधाओं से लैस आरआरटीएस ट्रेनों में नए युग की प्रौद्योगिकी और भारत की समृद्ध धरोहर का कुशल मिश्रण होगा।

 


इस परियोजना के लाभ बताते हुए एनसीआरटीसी के प्रबंध निदेशक श्री विनय कुमार सिंह ने बताया, "भारत की इन पहली आरआरटीएस ट्रेनों का डिज़ाइन नए भारत की आकांक्षाओं को पूरा करने की परिकल्पना के साथ किया गया है। ये आरआरटीएस ट्रेनें ऊर्जा की बचत करने वाली होंगी और खड़े रहने के समय 30 प्रतिशत ऊर्जा पैदा करेंगी। एनसीआरटीसी ने निर्माता को संपूर्ण दीर्घकालिक व्यापक रखरखाव का जिम्मा दिया है ताकि इसके जीवन काल की पूरी अवधि में इसका लाभ उठाया जा सके। मुझे विश्वास है कि आरआरटीएस एनसीआर के निवासियों के लिए परिवहन अवलंब और परिवहन क्षेत्र के लिए मील का पत्थर साबित होगा तथा क्षेत्र के समग्र विकास का पायदान बनेगा।"

 इसके प्रोटोटाइप का 2022 तक उत्पादन शुरू हो जाएगा और व्यापक परीक्षणों से गुज़रने के बाद जनता के उपयोग के लिए उपलब्ध होगा। एनटीआरटीसी छह छह डिब्बों वाली 30 जोड़ी ट्रेनों की खरीद करेगा और उन्हें इस समूचे कॉरिडोर पर चलाया जाएगा तथा 10 जोड़ी ट्रेनें मेरठ के भीतर स्थानीय आवागमन के लिए चलाई जाएंगी। दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ कॉरिडोर आरआरटीएस के लिए डिब्बों का निर्माण बंबार्डियर के गुजरात के सेवली स्थित प्लांट में किया जाएगा ।
 दिल्ली -गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर पहले चरण में बनाए जाने वाले प्राथमिकता वाले तीन आऱआऱटीएस कॉरिडोरों में से एक है। 82 किलोमीटर लंबा यह दिल्ली-गाजियाबाद-मेरठ आरआरटीएस कॉरिडोर भारत में बनने वाला पहला आरआरटीएस कॉरिडोर होगा। इस कॉरिडोर के चालू होने से दिल्ली से मेरठ पहुंचने में लगने वाला समय घटकर एक तिहाई रह जाएगा। इससे दिल्ली से मेरठ जाने में मात्र एक घंटे का समय लगेगा जबकि अभी इसमें तीन-चार घंटे का समय लगता है। साहिबाबाद से मेरठ के शताब्दी नगर तक के 50 किलोमीटर लंबे सेक्शन का निर्माण कार्य पूरे ज़ोर शोर से चल रहा है। इसके साथ ही चार स्टेशनों-गाजियाबाद, साहिबाबाद, गुलधर और दुहाई का निर्माण कार्य भी जारी है। इस कॉरिडोर के प्राथमिकता वाले सेक्शन को 2023 तक चालू करने का लक्ष्य रखा गया है और समूचा कॉरिडोर 2025 तक चालू हो जाएगा। पहले चरण के अन्य दो आरआरटीएस कॉरिडोर दिल्ली-गुरुग्राम-एसएनबी और दिल्ली-पानीपत हैं। दिल्ली-गुरूग्राम-एसएनबी कॉरिडोर पर निर्माणपूर्व गतिविधियां पूरे जोर शोर से चल रही हैं और इसकी डीपीआर को मंजूरी देने पर भारत सरकार पूरी सक्रियता से विचार कर रही है। दिल्ली-पानीपत कॉरिडोर की डीपीआर को मंजूरी देने पर भी संबद्ध राज्य सरकारें पूरी सक्रियता से विचार कर रही हैं ।


यात्रियों के लिए सुविधाएं :

 




    आरआरटीएस ट्रेनों के डिब्बों में दो गुना दो आकार की आड़ी सीटें होंगी
    चौड़ा गलियारा होगा और उसमें खड़े होकर यात्रा करने वाले यात्रियों के पकड़ने के लिए हैंडल और खंभे होंगे ताकि वे आराम से अपनी यात्रा पूरी कर सकें। इसके अलावा ऊपर की तरफ सामान रखने के लिए रैक होगा, मोबाइल और लैपटाप चार्ज करने के लिए सॉकेट होंगे ,यात्रियों







प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी आज शाम 4:30 बजे अखिल भारतीय तकनीकी शिक्षा परिषद के स्मार्ट इंडिया हैकथॉन को संबोधित करेंगे। वह इस अवसर पर छात्रों के साथ बातचीत भी करेंगे। मानव संसाधन मंत्री रमेश पोखरियाल निशंक ने कहा कि स्मार्ट इंडिया हैकथॉन -2020 (सॉफ्टवेयर) का ग्रैंड फिनाले 3 अगस्त तक आयोजित किया जाएगा।
 एचआरडी मंत्रालय द्वारा आयोजित हैकाथॉन का चौथा संस्करण है और यह युवा दिमाग में आउट-ऑफ-द-बॉक्स सोच को बढ़ावा देने में बेहद सफल साबित हुआ है।
       
स्मार्ट इंडिया हैकथॉन एक राष्ट्रव्यापी पहल है जो छात्रों को हमारे दैनिक जीवन में आने वाली कुछ समस्याओं को हल करने के लिए एक मंच प्रदान करता है। स्मार्ट इंडिया हैकाथॉन 2017 के पहले संस्करण में 42 हजार छात्रों की भागीदारी देखी गई जो 2018 में बढ़कर एक लाख और 2019 में दो लाख हो गई। स्मार्ट इंडिया हैकथॉन 2020 के पहले दौर में चार लाख 50 हजार से अधिक छात्रों की भागीदारी देखी गई।

ग्रांड फिनाले का आयोजन देश भर के सभी प्रतिभागियों को एक विशेष रूप से निर्मित उन्नत मंच पर एक साथ जोड़कर ऑनलाइन किया जाएगा। दस हजार से अधिक छात्र 37 केंद्र सरकार के विभागों, 17 राज्य सरकारों और 20 उद्योगों से 243 समस्या बयानों को हल करने के लिए प्रतिस्पर्धा करेंगे।

इस अवसर पर, प्रधान मंत्री नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 पर भी बोलेंगे। हाल ही में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने राष्ट्रीय शिक्षा नीति 2020 को बड़े पैमाने पर, स्कूल और उच्च शिक्षा दोनों में परिवर्तनकारी सुधारों को मंजूरी दी थी। क्षेत्रों। यह नई नीति शिक्षा 1986 पर चौंतीस वर्ष पुरानी राष्ट्रीय नीति की जगह लेगी।
 

ऋषिकेश:



अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स ऋषिकेश) में मरीजों व तीमारदारों की सुविधा के लिए बने उत्तराखंड के पहले ऑटो वॉक का एम्स निदेशक पद्मश्री प्रोफेसर रवि कांत  ने निरीक्षण किया। इस अवसर पर उन्होंने बताया कि सौर ऊर्जा से संचालित होने वाले ऑटो वॉक से लोगों को संस्थान के चारों भवनों में आवागमन की सुविधा मिलेगी।        

 निदेशक एम्स पद्मश्री प्रो.रवि कांत  ने एम्स में नवनिर्मित ऑटो वॉक का औचक निरीक्षण किया। उन्होंने बताया कि यह ऑटो वॉक एम्स संस्थान की चार बिल्डिंगों मेडिकल कॉलेज, हॉस्पिटल, ओपीडी ब्लॉक व ट्रॉमा सेंटर को आपस में जोड़ेगा। बताया कि इससे मरीजों व उनके तीमारदारों के साथ साथ एम्स फैकल्टी, चिकित्सकों व स्टाफ को एक से दूसरे भवन में आवागमन की सुविधा मिल सकेगी। बताया कि लोगों के आवागमन की सुविधा के लिए जल्द ही ऑटो वॉक का लोकार्पण किया जाएगा। एम्स के अधीक्षण अभियंता अनुराग सिंह व इलेक्ट्रिकल इंजीनियर इंद्रजीत सिंह ने बताया कि जनसुविधा के लिए बनाए गए ऑटो वॉक का प्रावधान एम्स संस्थान के डीपीआर प्रोजेक्ट में किया गया था, जिसका निर्माण कार्यदायी एजेंसी द्वारा किया गया है। उन्होंने बताया कि निर्माण एजेंसी द्वारा ऑटो वॉक के एम्स को हस्तांतरण की प्रक्रिया पूरी होने के बाद इसका लोकार्पण किया जाएगा।

 बताया गया कि इस वॉक में बिल्डिंग ए व बी तथा बी व सी के बीच 37-37 मीटर के दो पथ व बिल्डिंग ए,बी व सी को ट्रॉमा सेंटर से जोड़ने के लिए 75 व 95 मी. के दो पथ का निर्माण किया गया है। नेचुरल एनर्जी (सौर ऊर्जा) से संचालित होने वाले इस ऑटो वॉक से शतप्रतिशत बिजली की बचत होगी व लोगों के एक से दूसरी बिल्डिंग में आने जाने में सहूलियत होगी। इस अवसर पर डीन (एकेडमिक) प्रोफेसर मनोज गुप्ता, डीन (हॉस्पिटल अफेयर्स) प्रो. यूबी मिश्रा, प्रो.ब्रिजेंद्र सिंह, अधिशासी अभियंता एमपी सिंह, एम्स निदेशक के स्टाफ ऑफिसर डा.मधुर उनियाल, डा.अनुभा अग्रवाल आदि मौजूद थे।



भारत नेट फेज-2 की स्वीकृति से राज्य में नई दूरसंचार क्रांति: मुख्यमंत्री
  • उत्तराखण्ड में भारतनेट फेज 2 को केंद्र से मिली स्वीकृति।
  • मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने केंद्र से किया था अनुरोध।
  • 2 हजार करोड़ रूपए की इस योजना से राज्य के 12 जनपदों के 65 ब्लॉक के अंतर्गत 5991 ग्राम पंचायतों में इंटरनेट पहुंचाया जाएगा।

भारत नेट फेज -2 परियोजना में राज्य के 12 जनपदों (हरिद्वार जनपद में पूर्व में किया जा चुका है) के 65 ब्लॉक के अंतर्गत 5991 ग्राम पंचायतों में इंटरनेट पहुचाया जाएगा। मीडिया सेंटर, सचिवालय में आयोजित प्रेस वार्ता में यह जानकारी देते हुए मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बताया कि केंद्र सरकार द्वारा इसके लिए लगभग 2 हजार करोड़ रूपए की स्वीकृति दी गई है। उन्होंने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी व केंद्रीय सूचना प्रौद्योगिकी व दूरसंचार मंत्री श्री रविशंकर प्रसाद का आभार व्यक्त किया।
मुख्यमंत्री ने कहा कि इससे प्रदेश की सभी ग्राम पंचायतों में इंटरनेट पहुचने से विकास के एक नए युग आरंभ होगा व ग्रामीण अंचलों की अर्थ व्यवस्था को गति मिलेगी।

 केन्द्रीय दूरसंचार मंत्रालय अंतर्गत यूनीवर्सल सर्विसेज ऑबलीगेशन फंड द्वारा यह परियोजना वित्त पोषित है तथा भारत ब्रॉड बैंड नेटवर्क लिमिटेड  द्वारा यह परियोजना दो चरणों में क्रियान्वित की जा रही है।
उत्तराखंड राज्य में भारत नेट फेज -1 परियोजना का कार्य भारत ब्रॉड बैंड नेटवर्क लिमिटेड  द्वारा स्वयं विभिन्न संस्थाओं जैसे ठैछस् व अन्य कंपनियों के माध्यम से कराया गया है। प्रथम चरण में 11 जनपदों के 25 ब्लॉक की 1865 ग्राम पंचायतों को जोड़ा जाना था। मुख्यमंत्री ने बताया कि उन्होंने केन्द्रीय दूरसंचार मंत्री श्री.रविशंकर प्रसाद से व्यक्तिगत रूप से भेंट कर उत्तराखंड राज्य के लिए भारत नेट फेज -2 परियोजना परियोजना प्राथमिकता पर स्वीकृत किए जाने का अनुरोध किया था। दूरसंचार मंत्रालय द्वारा उत्तराखंड के लिए भारत नेट 2.0 परियोजना पर स्टेट लेड माॅडल के अन्तर्गत सहमति प्रदान कर दी गई है। राज्य के लिए भारत नेट फेज -2 परियोजना की लागत लगभग रु.2000 करोड़ है, तथा इसका क्रियान्वयन आई0टी0डी0ए0 के द्वारा किया जाएगा।

मुख्यमंत्री ने कहा कि उक्त भारत नेट 2.0 परियोजना की क्रियान्वयन होने से राज्य में ई-गवर्नेस, ई-आॅफिस, ई-डिस्ट्रिक्ट, ई-हेल्थ, टेली मेडिसन, ई-एजुकेशन, ई-बैंकिंग, ई-नाम ;मछ।डद्ध , इन्टरनेट और अन्य सुविधायें राज्य की जनता को प्राप्त होंगी जिससें उन्हें स्वावलम्बी बनने में न केवल सहायता प्राप्त होगी बल्कि स्वरोजगार के कई अवसर भी प्राप्त हो सकेंगे। जैसे ई-हेल्थ के माध्यम से दूरदराज ग्रामों में बैठे हुए प्रदेश की जनता सीधे अस्पतालों से जुड़कर अपना ईलाज करा सकेंगे, विद्याार्थी घर बैठ कर पढाई कर सकत हैं,े बिना बैंक में गये बैंक की सुविधा प्राप्त कर सकते है, किसान भाईयों को फसलों के सम्बन्ध में दवाओं के सम्बन्ध में भण्डारण के सम्बन्ध में तथा फसल मूल्य के सम्बन्ध में भी जानकारी प्राप्त हो सकेंगी। किसान भाई अपनी फसलों एवं कृृषि उत्पादों को ई-नाम के माध्यम से अपने गांव से भी आॅनलाइन बेच सकेंगे। छोटे-छोटे व्यवसायी भी अपने व्यवसाय के सम्बन्ध में यथा ई-मार्केटिंग आदि के सम्बन्ध में जानकारी हासिल करते हुए ई-मार्केटिंग कर सकते हैं।

मुख्यमंत्री ने कहा कि हमारी सरकार ने विगत 3 वर्षो में उत्तराखण्ड में सूचना प्रौधोगिकी के क्षेत्र में महत्वपूर्ण कार्य किए गए हैं। सी0एम0 डेश बोर्ड इसके द्वारा राज्य के प्राथिमिकता के कार्यक्रमों की समीक्षा यथा उनकी वित्तीय एवं भौतिक प्रगति की समीक्षा जनपद स्तर से लेकर मुख्यमंत्री के कार्यालय तक की जाती है। राज्य के पहले स्टेट डाटा सेन्टर का निर्माण किया गया। जिससें सभी विभागों के डाटा को राज्य में संरक्षित किया जा सकता है। ड्रोन के क्षेत्र में भी राज्य में काफी प्रगति की गयी है, प्रत्येक वर्ष यह न केवल दो फेस्टिवल का सफल आयोजन किया जा रहा है वहीं छात्रों आदि को ड्रोन से सम्बन्धित प्रशिक्षण भी दिया जाता है, जिससें वह रोजगार के नये अवसर प्राप्त कर सकते है। प्रदेश में किसी भी प्रदेश सरकार के द्वारा बनाया गया यह पहला ड्रोन सेन्टर है। ड्रोन के माध्यम से आपदा के समय आपदा राहत कार्यो में भी तेजी आयेगी। स्वान के माध्यम से राज्य मुख्यालय से समस्त जनपदों, तहसीलो एवं ब्लाकों को जोड़ा गया है जिससें विभागीय समीक्षा मुख्यालय ब्लाक या तहसील तक सीधे की जा सकती है। सरकार के द्वारा उक्त सुविधा ग्राम पंचायत स्तर तक किये जाने का लक्ष्य है। वर्तमान में मुख्यालय से लेकर ब्लाॅक स्तर तक वीडियों कान्फ्रेंसींग के माध्यम से बैठके आयोजित की जा सकती है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि काॅमन सर्विस सेन्टर कतिपय महत्तपूर्ण नागरिक सेवायें यथा वित्तीय शिक्षा, स्किल्ड डवलपमेन्ट, स्वास्थ्य, कृषि आदि काॅमन सर्विस सेन्टर के माध्यम से नागरिको दी जा रही है, वर्तमान में लगभग 8350 सी0एस0सी0 केन्द्र संचालित है परन्तु सभी ग्राम पंचायते/ग्रामों डाटा नेटवर्क न होने के कारण यथा हाई स्पीड इन्टर नेट से न जुड़े होने के कारण उक्त सुविधायें त्रुटिहिन तरीके से दिये जाने में परेशानी का सामना करना पड़ता है, परन्तु भारत नेट 2.0 परियोजना के क्रियान्वयन के उपरान्त उक्त सुविधा प्रदेश के सभी ग्राम पंचायतों/ग्रामों को प्राप्त हो सकेंगी।

ई-कैबिनेट सरकार के द्वारा मंत्री मण्डल की बैठकों को पेपरलेस करते हुए ई-मंत्रिमण्डल सेवा लागू कर दी गयी है। ई-आॅफिस एवं ई-कलेक्ट्रेट सरकार के द्वारा प्रदेश मुख्यालय के सचिवालय के लगभग 20 विभागों के ई-आॅफिस का कार्य प्रारम्भ किया जा चुका है तथा जनपद स्तर तक ई-आॅफिस,ई-कलेक्ट्रेटके क्रियान्वयन को शीघ्र ही लागू किये जाने का निर्णय लिया गया है तथा जनपद देहरादून में इसका शुभारम्भ भी कर लिया गया हैइससे किसी भी व्यक्ति को किसी भी कार्यालय के चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं होगी तथा इसकी भी सुचारू रूप से समीक्षा की जा सकती है, कि किस पटल पर फाईल कितने समय तक लम्बित रही।

 ई-डिस्ट्रिक्ट के माध्यम से नागरिकों को लगभग 82 सुविधायें प्रदान की जा रही हैं, और शीघ्र ही समस्त नागरिक सुविधायें प्रदान करने का लक्ष्य है। इसके माध्यम से कोई भी व्यक्ति यथा जाति प्रमाण-पत्र, आय प्रमाण-पत्र, समाज काल्याण के आदि हेतु आवेदन कर सकते है। अब उन्हें इन कार्यो हेतु विभागों के चक्कर लगाने की आवश्यकता नहीं है।

मुख्यमंत्री ने कहा कि युवाओं को आई0टी0 के क्षेत्र में स्किल्ड किये जाने के सम्बन्ध में अभी दो ग्रोथ सेन्टर देहरादून और पिथौरागढ़ में बनाये गये है तथा इन्हंें समस्त जनपदों में विकसित किये जाने की योजना है ताकि विधार्थियों को आई0टी0 के क्षेत्र में आत्म निर्भर बनाया जा सकें। जिससे रोजगार के नये अवसर प्राप्त हो सकें। सी0एम0 हेल्पलाईन 1905 उत्तराखंड  प्रदेश के वासियों के लिए बहुत ही उपयोगी हेल्पलाइन है जिसके माध्यम से सीमान्त जनपदों एवं दूरदराज के नागरिक भी अपने घर से ही समस्याओं का संतुष्टि पूर्वक समाधान प्राप्त की रहें है, विशेषतः इस कोविड -19 के समय जब प्रदेशवासी विभिन्न समयस्याओं से जूझ रहे थे तब इस सीएम हेल्पलाइन के माध्यम से कुछ ही घन्टों के भीतर उन्हें पूरी तरह सहायता पहुंचायी गयी।

राज्य सरकार के द्वारा ई-गर्वेनेस के अन्तर्गत कई अन्य ऐसे कदम उठाये गये है, जिसका सीधा लाभ जनता को प्राप्त हो रहा है, जैसे काॅमर्सियल टैक्स, लेंड रिकार्ड, पुलिस(सी0सी0टी0एन0एस0), रोड़ ट्रांसपोर्ट, ट्रेजरी कम्प्यूटराइजेशन, पी0डी0एस0, ई-कोर्ट, ई-प्रोक्योरमेन्ट, ई-डिजिटल लाॅकर, ई-विधान आदि जैसे डिजिटल लाॅकर के माध्यम से जितने भी प्रमाण-पत्र है, वो ईलैक्ट्रोनिक माध्यम से अपने ईलैक्ट्रोनिक डाक्यूमेन्ट अपने मोबाईल मे रख सकता है, जैसे आधार कार्ड,शैक्षिण प्रमाण-पत्र, ड्राईविंग लाईसेंस, आदि। मुख्यमंत्री ने कहा कि भारत नेट 2.0 के माध्यम से दूरदराज के गांव भी डिजिटल गांव बन सकेंगे और उत्तराखण्ड राज्य को पूर्ण रूप से डिजिटल उत्तराखण्ड बनाने का हमारी सरकार का उद्देश्य साकार होगा।

प्रेस वार्ता में भाजपा के पूर्व महानगर अध्यक्ष श्री विनय गोयल, मा. मुख्यमंत्री के आईटी सलाहकार श्री रविन्द्र दत्त, निदेशक आई.टी.डी.ए. श्री अमित सिन्हा, अपर सचिव आई.टी श्री विजय कुमार यादव, वित्त नियंत्रक आई.टी. श्री मनीष उप्रेती भी उपस्थित थे। 


स्वास्थ्य  हेल्थ बुलेटिन के अनुसार आज उत्तराखंड में  64 मामले सामने आए हैं  अच्छी खबर यह है कि सक्रिय मामलों की संख्या 500  से भी कम रह गई है। उत्तराखंड में कुल मामलों की संख्या 3048 पहुंच गई है जबकि सक्रिय मामले 498 और   और रिकवर मामलों की संख्या 2481 है 42 लोगों की मौत हो चुकी है ।रिकवर मामलों की संख्या 2481 हैआज 76 लोग ठीक हुए जबकि 1348 लोगों के सैंपल नेगेटिव आए हैं। देहरादून जनपद में मात्र 10 संक्रमित जोन रह गए हैं। सबसे अधिक संक्रमित जोन हरिद्वार जनपद में  68 है । आज सबसे अधिक मामले देहरादून से 21 हैं।  नैनीताल से 13, उधमसिंह नगर से 12 , 08 अल्मोड़ा से, 03 बागेश्वर से ,  हरिद्वार चमोली चंपावत से दो दो और पिथौरागढ़ से एक मामला सामने आया है।




एम्स ऋचमोली षिकेश में पिछले 24 घंटे में 2 लोगों की रिपोर्ट कोविड पाॅजिटिव आई है। पॉजिटिव पाए गए दो पेशेंट में एक एम्स की महिला नर्सिंग ऑफिसर हैं जबकि दूसरा कोटद्वार, पौड़ी गढ़वाल निवासी है।
 एम्स के जनसंपर्क अधिकारी हरीश मोहन थपलियाल  ने बताया कि संस्थान में की गई सेंपलिंग में 2 लोगों की रिपोर्ट कोविड पॉजिटिव पाई गई है। उन्होंने बताया कि गली नंबर 5, टिहरी विस्थापित पशुलोक ऋषिकेश निवासी एम्स संस्थान की ब्रेस्ट सर्जरी विभाग की 27 वर्षीया नर्सिंग ऑफिसर जिनका बीती 30 जून को एम्स ओपीडी में कोविड सेंपल लिया गया था। महिला नर्सिंग ​ऑफिसर बीते माह 2 जून को रामपुर उत्तरप्रदेश से एम्स ऋषिकेश आई थी। गौरतलब है ​कि इसी विभाग की एक अन्य नर्सिंग ऑफिसर बीती 29 जून को कोविड पॉजिटिव पाई गई हैं,जिनका एम्स के कोविड वार्ड में उपचार चल रहा है, संक्रमित 27 वर्षीया नर्सिंग ऑफिसर बीते माह 16 जून तक पूर्व में पॉजिटिव पाई गई अपने साथी नर्सिंग स्टाफ के साथ ड्यूटी पर रही हैं। कोविड पॉजिटिव रिपोर्ट आने पर उन्हें एम्स में भर्ती कर दिया गया है। इसी प्रकार दूसरा मामला कोटद्वार पौड़ी गढ़वाल का है। कोटद्वार निवासी एक 40 वर्षीय पुरुष जो कि शरीर में दर्द की शिकायत के साथ बीती 1 जुलाई को एम्स इमरजेंसी में आए थे, जहां पर पेशेंट का कोविड सेंपल लिया गया था और उन्हें एम्स के कोविड आइसालेशन वार्ड में भर्ती कर दिया गया था। बृहस्पतिवार देरशाम उसकी रिपोर्ट कोविड पााजिटिव पाई गई है,जिसके बाद पेशेंट को कोविड वार्ड में शिफ्ट कर दिया गया है। उन्होंने बताया कि उक्त मामलों के बाबत संस्थान की ओर से स्टेट सर्विलांस ऑफिसर को सूचित कर दिया गया है।






केंद्रीय पूर्वोत्तर  क्षेत्र विकास (डोनर) राज्यमंत्री (स्वतंत्र प्रभार), प्रधानमंत्री कार्यालय, कार्मिक, लोक शिकायत, पेंशन, परमाणु ऊर्जा एवं अंतरिक्ष राज्य मंत्री डॉ. जितेंद्र सिंह ने आज यहां कहा कि भारत के पहले मानव अंतरिक्ष मिशन गगनयानकी शुरुआत कोविड महामारी से प्रभावित नहीं होगी और तैयारियां सही दिशा में आगे बढ़ रही हैं।
पिछले एक वर्ष के दौरान भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) एवं अंतरिक्ष विभाग की महत्वपूर्ण उपलब्धियों और भविष्य के लिए कुछ महत्वपूर्ण मिशनों के बारे में चर्चा करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि भले ही कोविड-19 महामारी के कारण रूस में चार भारतीय अंतरिक्षयात्रियों का प्रशिक्षण बाधित हो गया था, फिर भी इसरो के अध्यक्ष एवं वैज्ञानिक टीम का विचार है कि प्रशिक्षण कार्यक्रम एवं लॉन्च की डेडलाइन दोनों में ही एक गुंजाइश’   रखी गई थी। उन्होंने कहा कि अंतरिक्षयात्रियों का प्रशिक्षण अब फिर से आरंभ हो गया है और जैसेकि योजना थी 2022 में भारत की स्वतंत्रता की 75वीं वर्षगांठ से पूर्व लॉन्च का कार्यक्रम निर्धारित किया गया है।
इसरो की गतिवधियों में निजी क्षेत्र की सहभागिता को प्रोत्साहित करने के कैबिनेट के फैसले की व्याख्या करते हुए डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि, भारतीय राष्ट्रीय अंतरिक्ष संवर्धन एवं प्रमाणीकरण केंद्र (इन-स्पेस) नामक एक नियामकीय निकाय की स्थापना की जानी है। उन्होंने कहा कि यह निजी क्षेत्र की कंपनियों के लिए समान अवसर उपलब्ध कराएगा और उनकी सहभागिता को प्रोत्साहित करेगा।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने कहा कि हमारे अंतरिक्ष मिशनों की क्षमता एवं संसाधनों को बढ़ाने के अतिरिक्त, निजी क्षेत्र की कंपनियों की बढ़ी हुई सहभागिता अंतरिक्ष वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों के ब्रेन ड्रेन को निरुत्साहित करेगी, जो अवसरों की तलाश में भारत से बाहर जाने लगे थे।
डॉ. जितेंद्र सिंह ने चंद्रयान-3 लुनर मिशन के बारे में कहा कि अभी तक की योजना के अनुसार, इसे अगले वर्ष लॉन्च किया जाएगा। उन्होंने कहा कि इस मिशन में मूव करने के लिए मोड्यूल्स को कैरी करने हेतु एक लैंडर, रोवर तथा एक प्रोपलसन प्रणाली शामिल होगी लेकिन इसमें आर्बिटर नहीं होगा क्योंकि पिछला आर्बिटर पूरी तरह प्रचालनगत है।


कोविड-19 के संक्रमण को रोकने में केंद्रीय वैज्ञानिक उपकरण संगठन (सीएसआईओ) के वैज्ञानिकों द्वारा विकसित इलेक्ट्रोस्टेटिक डिस्इन्फेक्शन मशीन प्रभावी साबित हो सकती है। बड़े पैमाने पर इस मशीन का उत्पादन करने के लिए इसकी तकनीक को भारत हैवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (बीएचईएल) को सौंपा गया है।

यह इलेक्ट्रोस्टेटिक डिस्इन्फेक्शन मशीन स्थिरवैद्युतिक रूप से आवेशित अत्यंत सूक्ष्म द्रव कणों का छिड़काव कर सकती है। इस मशीन के उपयोग से संक्रमण फैलाने वाले सूक्ष्मजीवों से किसी सतह को मुक्त किया जा सकता है। इसमें किसी भी दवा का उपयोग छिड़काव के लिए किया जा सकता है। मशीन से 10-20 माइक्रोन आकार के सूक्ष्म द्रव कणों का छिड़काव कर सकते हैं। बाजार में मिलने वाली इस तरह की दूसरी मशीनें आमतौर पर 40-50 माइक्रोन आकार के द्रव कणों का छिड़काव कर पाती हैं।
सीएसआईओ के वैज्ञानिक डॉ मनोज पटेल ने इंडिया साइंस वायर को बताया कि “मशीन से निकलने वाले द्रव कणों के प्रवाह की दर 110 मिलीलीटर प्रति मिनट है। हालाँकि, इसकी प्रवाह दर में बदलाव भी जा सकता है। दूसरी मशीनों के मुकबाले यह मशीन बेहद छोटे और समान आकार के द्रव कणों का छिड़काव करने में प्रभावी पायी गई है। छिड़काव के दौरान मशीन से निकलने वाले द्रव कणों से सतह पर किसी वायरस या संक्रमण के बचे रहने की संभावना लगभग न के बराबर रह जाती है।”

इस मशीन को मुख्य रूप से अस्पतालों, एयरपोर्ट, बस स्टैंड और रेलवे स्टेशन जैसे सार्वजनिक स्थलों की सफाई के लिए बनाया गया था। लेकिन, इसका उपयोग अब कोविड-19 के संक्रमण को दूर करने में भी किया जा सकता है। मशीन सतह को पूरी तरह कवर कर सकती है और इसमें दवा का उपयोग भी लगभग आधा हो सकता है।

डॉ पटेल ने बताया कि “इस मशीन का उपयोग इनडोर-आउटडोर दोनों जगह सैनिटाइजेशन के लिए किया जा सकता है। यह पर्यावरण के अनुकूल है और इसका असर हानिकारक सूक्ष्मजीवों पर सामान्य से 80 प्रतिशत अधिक हो सकता है। यह तकनीक आवेशित कणों पर आधारित है, कोविड-19 से संक्रमित सतह से वायरस को हटाने में कारगर हो सकती है।”

चंडीगढ़ स्थित सीएसआईओ वैज्ञानिक तथा औद्योगिक अनुसंधान परिषद (सीएसआईआर) की एक प्रमुख वैज्ञानिक प्रयोगशाला है। कोविड-19 से निपटने के अपने प्रयासों को तेज करने के लिए सीएसआईआर ने हाल में बीएचईएल के अलावा दवा निर्माता कंपनी सिप्ला और साफ्टवेयर जगत की कंपनी टीसीएस की लाइफ साइंस विंग के साथ करार किया है। इस मशीन का उत्पादन हरिद्वार स्थित बीएचईएल की प्रमुख विनिर्माण इकाई में किया जाएगा।

इस मशीन को सीएसआईआर मिशन-मोड प्रोग्राम ऑन फूड ऐंड कंज्यूमर सेफ्टी सॉल्यूशन (फोकस) के तहत विकसित किया गया है। यह मशीन करीब 50 हजार रुपये की लागत से विकसित की गई है। शोधकर्ताओं का कहना है कि बीएचईएल में बड़े पैमाने पर इस मशीन का उत्पादन किया जाएगा तो इसकी लागत और भी कम हो सकती है।





देहरादून;


नई तकनीकों का इस्तेमाल कर युवा निभाएं महत्वपूर्ण भूमिकाः मुख्यमंत्री

मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र सिंह रावत ने बुधवार को सूचना प्रौद्योगिकी भवन, आईटी पार्क, देहरादून में इंडिया ड्रोन फेस्टिवल-2.0 का शुभारम्भ किया। मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने विभाग को बधाई देते हुए कहा कि उत्तराखण्ड राज्य ने एनटीआरओ के सहयोग से इस क्षेत्र में बहुत कम समय में काफी प्रगति की है। आज के तकनीकी युग में ड्रोन का बहुआयामी उपयोग हो सकता है। उत्तराखण्ड जैसे पर्वतीय राज्यों में ड्रोन की उपयोगिता बढ़ी है। उन्होंने कहा कि आपातकालीन स्वास्थ्य सेवाओं एवं प्राकृतिक आपदा जैसी परिस्थितियों में ड्रोन महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। इस तकनीक का इस्तेमाल कर अपने जीवन को नई दिशा दे सकते हैं।
मुख्यमंत्री श्री त्रिवेन्द्र ने कहा कि युवाओं को देश का भविष्य बताते हुए मुख्यमंत्री ने कहा कि ऐसे कार्यक्रमों में युवाओं की भागीदारी जरूरी है। उन्होंने कहा कि देहरादून में देश के पहले ड्रोन एप्लीकेशन प्रशिक्षण केन्द्र एवं अनुसंधान प्रयोगशाला की स्थापना की गई। इस प्रकार की नई-नई तकनीकों का इस्तेमाल करते हुए युवा अपने देश व प्रदेश की प्रगति में अहम भूमिका निभा सकते हैं। ड्रोन व इससे सम्बन्धित तकनीकी शिक्षा से युवाओं को रोजगार के अवसर भी प्राप्त होंगे।
इस अवसर पर मुख्यमंत्री ने उत्तराखण्ड के मेरी सरकार (My Gov) पोर्टल (www.uttarakhand.mygov.in) का भी शुभारम्भ किया। इस पोर्टल के माध्यम से कोई भी व्यक्ति सीधे सरकार से सम्पर्क कर किसी भी विषय में अपने सुझाव दे सकता है। मुख्यमंत्री ने जीआईएस बेस्ड, ड्रोन मैपर साॅफ्टवेयर 'DARC MAPPER' का भी विमोचन किया। ड्रोन एप्लीकेशन सेंटर के माध्यम से तैयार इस साॅफ्टवेयर के द्वारा फोटो को कैप्चर करने, 3डी माॅडल बनाने एंव डाटा विश्लेषण करने में किया जा सकेगा।
सचिव श्री आर.के. सुधांशू ने कहा कि इण्डिया ड्रोन फेस्टिवल 2.0 को प्रदेश के 13 जनपदों के 1500 स्कूल एवं लगभग 2 लाख बच्चे इस कार्यक्रम से सीधे जुड़े हुए हैं। उन्होंने ड्रोन की उपयोगिता को समझाते हुए कहा कि यह प्रदेश की भौगोलिक परिस्थितियों को देखते हुए राज्य में आपातकालीन परिस्थितियों में काफी सहायक सिद्ध होगा।
इस अवसर पर मेयर देहरादून श्री सुनील उनियाल गामा, विधायक श्री गणेश जोशी, मुख्य सचिव श्री उत्पल कुमार सिंह, पुलिस महानिदेशक श्री अनिल रतूड़ी, सर्वेयर जनरल ऑफ इंडिया लेफ्टिनेंट जनरल गिरीश कुमार, अपर मुख्य सचिव श्रीमती राधा रतूड़ी, सचिव आईटी श्री आरके सुधांशु एवं निदेशक आईटीडीए श्री अमित सिन्हा भी उपस्थित थे।

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