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Elephant moving in residential area
ऋषिकेश/हरिद्वार:

रविवार शाम को ऋषिकेश में बैराज कॉलोनी में अचानक बैराजपुर से होते हुए एक  हाथी घुस आया। जिसे आता देखकर कॉलोनी वीडियो में हड़कंप मच गया और सब इधर-उधर भागने लगे देहाती कॉलोनी से होता हुआ मीरा बहन की कुटिया से होता हुआ आगे निकल गया परंतु इसी बीच इसने सड़क पर चल रहे एक मुक बधिर व्यक्ति को उठाकर पटक दिया।

उसे व्यक्ति को तुरंत अस्पताल ले जाया गया परंतु मुख बधिर होने के कारण उसकी पहचान नहीं हो पाई है।

हरिद्वार बहादराबाद क्षेत्र से भी इसी प्रकार की घटनाएं सुनने को मिल रही है रोहलकी किशनपुर गांव में भी हाथी चहलकदमी करते हुए देखे गए है। रोहलकी किशनपुर से सटे से हुए खेतों में भी हाथियों ने तूफान मचाया है। किसानों का कहना है कि किसी  हथिनी ने बच्चों को जन्म दिया है,इसकी खबर है। परंतु वन विभाग कोई बात सुनने को तैयार नही है। उनका कहना है कि हाथी तो आएगा ही।

बड़े बड़े विकास कार्यों , पुलों, फ्लाई ओवर, हाईवे के निर्माणों ने हाथियों के कॉरिडोर को ध्वस्त कर दिया जिस कारण वे इधर उधर इंसानी मानव बस्तियों रुख करते है।इसके अतिरिक्त वन क्षेत्र में कमी आना भी इसका महत्वपूर्ण कारण है। खासतौर से उत्तराखंड में जंगलों को भारी नुकसान पंहुच है, जिसका खामियाजा इन जानवरों को चुकाना पड रहा है।ऐसे में ये भोजन के लिये बस्तियों की और खेतों की और जाते है।


चूंकि हाथी विशालकाय जीव है अतः इसे कोई डर भी नही होता। अमूमन सर्दियों में हाथी अपने कॉरिडोर में विचरण करते हुए अपने स्थान को परिवर्तित भी करते है।अपने रास्ते को आजीवन याद रखते है। उनके रास्ते मे आये निर्माणों पर उनका आक्रोशित होना स्वाभाविक है।  गन्ने की फसल की तरफ भी आकर्षित होते है क्योंकि यह उनका पसंदीदा भोजन है। शाकाहारी यह जीव शांत स्वभाव का होता है परंतु आक्रोशित हो जाने पर आक्रामक होता है। जंगल की तरफ और खेतों की तरफ रहनेवाले किसानों और राहगीरों को चाहिए कि सावधान रहें।

हाथियों के कॉरिडोर को लेकर समीक्षा की आवश्यकता भी है।

विशेषज्ञों और वन विभाग को चेतने की आवश्यकता है अन्यथा दुष्परिणाम हो सकते है।

कुल मिलाकर विकास के नाम पर पर्यावरण को नष्ट करना और उसके अनदेखी करना मनुष्य कर सकता है सकता है परंतु जीव जंतु प्रकृति को नष्ट होते हुए नहीं देख सकते हैं और अपने घरों पर कब्जा तो कोई भी बर्दाश्त नहीं कर सकता तो हाथी भी क्यों करें?


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