Halloween party ideas 2015

 *खुशबू वाली भीमल और पीरुल की राखियों का प्रशिक्षण *


श्यामपुर;





"अगर इरादे नेक हो तो आसमान को धरती पर लाया जा सकता है और मन में दृढ़ संकल्प लिया गया हो तो इंसान पत्थर में भी फूल उगा सकता है" इन्ही कसौटी पर खरी उतरी रही है खदरी खडकमाफ श्यामपुर की हस्तशिल्प शिक्षका ईशा कलूड़ा।

जो खुद आत्मनिर्भर और सशक्त तो है ही लेकिन अपने साथ अन्य महिलाओं को आत्मनिर्भर व सशक्त बना रही है।वह भी बिना किसी शासन/ प्रशासन सहयोग के।ईशा कलूडा ने बताया कि अभी वर्तमान में वह राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन के समूह से भी जुड़ी है।

ईशा कलूडा ने रक्षाबंधन के पर्व पर इस बार चार प्रकार की  राखियों पर कलात्मक ढंग से प्रवेश करके उन बेकार पड़ी वस्तुओं में जान डाल दी है। उन्होंने इन राखियों को बनाने का निःशुल्क प्रशिक्षण अभी सिर्फ 5 समूह की  महिलाओं को दिया गया है। जिसमें एकता महिला पहाड़ी नोनी , प्यारी पहाड़न ,मेरु पहाड़ ,सरस्वती स्वयं सहायता समूह खदरी की महिलाएं थी, जिन्हें राखियां के डिजाइन, उनकी क्वालिटी, उनकी बुनावट  के साथ उनकी सुंदर पैकिंग कैसे की जाए वह सब बताया गया है जिससे वह भविष्य में स्वरोजगार करके अपने आजीविका को बढ़ाकर  खुद को  सशक्त बन सके,क्योंकि एक मजबूत स्त्री से एक मजबूत राष्ट्र का निर्माण होता है।उनके द्वारा अभी तक 7 ग्राम संगठन को होली के हर्बल कलर के साथ 1 ग्राम संगठन व चार समूह को फैंसी राखियां का निःशुल्क प्रशिक्षण अभी तक दिया जा चुका है। 


इस बार उन्होंने भीमल और पीरूल और गाय के गोबर पर सुंदर राखियां बनाकर अपनी प्रतिभा का लोहा मनवा ही दिया। जो भी भीमल को  पशुओं के लिए चारा तक ही समझा जाता था, और पीरुल जो जंगलों में आग लगने का कारण बनता था  उनसे अब सुंदर राखियां भी बनाई जा रही है ।बेकार पडी़ वस्तुओं का नवसृजन कैसे किया जाए एक हस्तशिल्पकार ही उसको नया रूप प्रदान कर सकता है उनकी इसी दक्षता के कारण उन्होंने उत्तराखंड  की राज्य हस्तशिल्पकार प्रतियोगिता  में भी प्रथम स्थान भी  प्राप्त किया है।


*रक्षाबंधन पर्व पर पीरुल ,भीमल गोबर की राखियां बन रही आकर्षित*


ईशा कलूडा ने बताया पीरुल (चीड़ की पत्तियां ),गाय के गोबर की राखियां, भीमल (भीमल से प्राप्त होने वाला रेशा)की राखियां भी तैयार की है, और उनकी इन राखियों की खासियत यह है  कि यह जितनी सुंदर यह दिखती है उतनी सुंदर इनकी सुगंध भी है।  हमने पहले कई तरह की राखियों के नाम सुने होंगे, चाइनीज राखी, फैंसी राखी आदि लेकिन खुशबू वाली राखी पहली बार *(ईशा कलूडा द्वारा बनाई गई है जो की प्राकृतिक खुशबू के द्वारा बनाई गई है।  जो पहनने के बाद हाथों में खुशबू भी प्रदान करती है)।* यह राखियां हाथों में पहनकर जितना सुंदर लग रही है उसके साथ इन राखियों की खुशबू से मन में सकारात्मक का भाव उत्पन्न होता है।*

उन्होंने कहा भीमल व पीरूल राखियों के आर्डर आने लगे हैं। इनकी पीरुल और विमल राखियां सभी आमजन के पॉकेट बजट के  के अनुरूप तैयार की गई है जिससे हर वर्ग के व्यक्ति इनको खरीद सके। और गाय से गोबर की बनी राखियां पूजा की इष्ट देवों को प्रथम राखी चढ़ाने के उद्देश्य से भी बनाई गई।


*ईशा कलूडा को विभिन्न क्षेत्रों में सराहनीय व उत्कर्ष कायों के लिए सम्मान मिला*


  ईशा कलूडा को महामहिम राज्यपाल लेफ्टिनेंट गुरमीत सिंह जी द्वारा महिलाओं को रोजगार से जोड़ने व उत्कृष्ट कार्य करने हेतु सम्मानित  किया है,रोटरी क्लब ऋषिकेश द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 पर महिला सशक्तिकरण व समाज सेवा कि क्षेत्र में उन्हें हिमालय रत्न के अवार्ड से नवाजा गया है ,इसके साथ केंद्रीय शहरी विकास मंत्री डॉ प्रेमचंद अग्रवाल जी द्वारा अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस 2023 पर ही महिलाओं के लिए उत्कृष्ट कार्य करने हेतु सम्मानित भी किया जा चुका है।

प्रशिक्षण लेने में सोनिया बलोदी, सरिता पाल, आरती, रुचि बंदोलिया, दीपा , संजू ममता, रचना, मंजीता, सुमन लता, पूनम रतूड़ी,  राधिका, आराधना नौटियाल, नंदिनी चौहान आदि।

एक टिप्पणी भेजें

www.satyawani.com @ All rights reserved

www.satyawani.com @All rights reserved
Blogger द्वारा संचालित.