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देहरादून में लोक पर्व हरेला हर्षोल्लास एवं पर्यावरण संरक्षण संकल्प के साथ मनाया गया* 


*वन विभाग के तत्वावधान में विभाग एवं जनसहयोग से हरेला पर्व पर जिले में लगाए 2.13 लाख पौधे।* 


देहरादून:

harela planting by forest department ddun


लोक पर्व हरेला जनपद देहरादून में हर्षोल्लास एवं पर्यावरण संरक्षण के संकल्प के साथ मनाया गया। मा0 मुख्यमंत्री की प्रेरणा और जिलाधिकारी सविन बंसल के निर्देशन में इस वर्ष हरेला पर्व की थीम ‘‘ एक पेड़ माँ के नाम‘ के अंतर्गत वन विभाग के तत्वावधान में पूरे जनपद में वृहद स्तर पर पौधे रोपण किए गए। 


जिलाधिकारी ने हरेला पर्व की शुभकामनाएं देते हुए कहा कि हरेला केवल एक पर्व नहीं, बल्कि प्रकृति से जुड़ाव और पर्यावरण के प्रति हमारी जिम्मेदारी का प्रतीक है। यह पर्व हमें हरित क्षेत्र को बढ़ाने और जलवायु संतुलन बनाए रखने के लिए प्रेरित करता है। 


प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि हरेला पर्व के अवसर पर पहले दिन जनपद में 02 लाख पौधे लगाने का लक्ष्य निर्धारित किया गया था। जिले के सभी विकासखंडों में विभाग एव जनसमुदाय के सहयोग से व्यापक पौधरोपण अभियान के तहत 2.13 लाख पौधों का रोपण करने के साथ ही पौधों की देखरेख और संरक्षण का संकल्प लिया गया। कार्यक्रम के दौरान पर्यावरण संरक्षण की शपथ भी ली गई। 


प्रभागीय वनाधिकारी ने बताया कि जिलाधिकारी के निर्देशन में पूरे जनपद में वृहद स्तर पर पौधरोपण अभियान जारी है। उन्होंने सभी नागरिकों से अपील की है कि एक माह तक चलने वाले हरेला पर्व पर 'एक पेड मां के नाम' जरूर लगाए और उसकी देखरेख व संरक्षण का संकल्प लें। 



 

आइए, इस हरेला पर्व पर हम हम केवल धरती को ही हरित न करें बल्कि मानवता को भी जीवंत करें*

स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश:

harela festival in parmarth niketan


 परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने उत्तराखंड की पौराणिक संस्कृति का लोकपर्व हरेला की देशवासियों को शुभकामनायें देेेते हुये कहा कि हरेला पर्व, हरियाली और नई फसल के आगमन का प्रतीक है। हरेला हमें प्रेरणा देता है कि हम लौटें, धरती माँ की गोद में, पेड़ों की छाँव में, मिट्टी की महक में।

यह पर्व उत्तराखंड की सांस्कृतिक विरासत, पर्यावरणीय चेतना और प्रकृति प्रेम का अनुपम महोत्सव है। जो जीवन में हरियाली, समृद्धि और संतुलन का संदेश देता है। हरेला का अर्थ ही है ‘हरियाली’, और यह पर्व वर्षा ऋतु के आरंभ में, श्रावण मास की संक्रांति को मनाया जाता है। उत्तराखंड के कुमाऊं क्षेत्र में विशेष रूप से मनाए जाने वाला यह पर्व उत्तराखंड सहित पूरे भारत में भी पर्यावरण संरक्षण का संदेश दे रहा हैं।

हरेला पर्व, मातृभूमि और धरती माता के प्रति सम्मान का पर्व है। यह प्रकृति के साथ हमारे रिश्ते को पुनर्स्थापित करने, धरती की उर्वरता को नमन करने और अपने पूर्वजों की परंपराओं को सम्मान देने का एक सुंदर अवसर है। इस पर्व के माध्यम से युवा पीढ़ी के लिये यह संदेश है कि हम सभी प्रकृति के अंश हैं और प्रकृति है तो ही हमारी संस्कृति व संतति हैं।

हरेला के दिन घरों में सात प्रकार के अन्नों के बीजों को बोते हैं, जो नौ दिनों में अंकुरित होते हैं। इनको हरेला कहा जाता है और इन अंकुरों को सिर पर रखकर आशीर्वाद लिया जाता है। यह परंपरा हमें हमारे कृषि संस्कारों, श्रम-संस्कारों और प्रकृति के साथ आत्मीय रिश्तों का संदेश देती है।

हरेला पर्व के पावन अवसर पर परमार्थ निकेतन के अध्यक्ष पूज्य स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने शिक्षिकाओं और मातृशक्ति को पौधे भेंट कर पर्यावरण संरक्षण का सुंदर संदेश दिया। उन्होंने सभी को एक पौधा माँ के नाम और एक पौधा धरती माँ के नाम रोपित करने का संकल्प कराया। 

स्वामी जी ने कहा कि हरेला पर्व, पर्यावरण जागरूकता का आंदोलन है। यदि हर नागरिक एक-एक पौधा रोपे और उसका पालन-पोषण अपने बच्चों की तरह करे, तो धरती फिर से हरी-भरी हो सकती है। हमारी संस्कृति में प्रकृति को देवता माना गया है और हरेला पर्व इस भावना को और भी सशक्त करता है।

आज जब पृथ्वी पर वनों की कटाई, जलवायु परिवर्तन और प्रदूषण की समस्या विकराल रूप ले रही है, तब हरेला जैसे प्रकृति समर्पित पर्वों की प्रासंगिकता और भी बढ़ जाती है। हरेला पर्व हमें स्मरण कराता है कि प्रकृति केवल उपयोग की वस्तु नहीं है, वह हमारी माँ है। उसकी रक्षा करना हमारा धर्म है।

स्वामी जी ने कहा कि प्रकृति के प्रति संवेदनशीलता जागृत कर हम आने वाले कल को सुरक्षित और हरा-भरा कर सकते हैं।

आइए, हम सब मिलकर हरेला को हरित जीवन और हरित भविष्य की ओर एक पवित्र पहल बनाएं। हरेला मनाएं, पौधे लगाएं, धरती को हरियाली से सजाएं।

 


ऋषिकेश;

harela in aiims rishikesh


राज्य भर में मनाए जा रहे हरेला पर्व के तहत एम्स ऋषिकेश में वृक्षारोपण कार्यक्रम आयोजित किया गया। इस दौरान संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो0 मीनू सिंह ने कहा कि वृक्ष ही धरती का श्रंृगार हैं। इनका संवर्धन करना हम सबकी नैतिक जिम्मेदारी है। 


बुद्धवार को संस्थान परिसर के विभिन्न स्थानों में आयोजित हरेला पर्व कार्यक्रम के तहत संस्थान के अधिकारियों, फेकल्टी सदस्यों व अन्य स्टाफ द्वारा विभिन्न प्रजाति के फलदार पौधे रोपे गए। इस अवसर पर संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो0 मीनू सिंह ने वृक्षों की महत्ता बताते हुए इन्हें धरती का श्रृंगार बताया। उन्होंने कहा कि जीवन जीने के लिए वायु का होना बहुत जरूरी है और बिना वृक्षों के हमें वायु प्राप्त नहीं हो सकती। प्रो0 मीनू सिंह ने पर्यावरण के संरक्षण और संवर्धन के लिए वृक्षों का होना अत्यन्त महत्वपूर्ण बताया। संस्थान परिसर में इस दौरान अलग-अलग स्थानों पर बेहड़ा, त्रिफला और आंवला आदि प्रजाति के विभिन्न फलदार पौधे रोपे गए। 


इस दौरान डीन एकेडमिक प्रो0 जया चतुर्वेदी, चिकित्सा अधीक्षक प्रो0 बी0 सत्या श्री, डाॅ0 प्रशांत पाटिल, डाॅ0 वाई0एस0 पयाल, डाॅ0 कमर आजम, डाॅ0 मधुर उनियाल, अधीक्षण अभियन्ता ले0 कर्नल राजेश जुयाल, विधि अधिकारी प्रदीप चंन्द्र पाण्डेय, सुरक्षा अधिकारी पीएस राणा सहित कई अन्य मौजूद रहे।

हरिद्वार:

SP GRP celebrated harela festival  by plantation


राजकीय रेलवे पुलिस की पुलिस अधीक्षक तृप्ति भट्ट ( आईपीएस) ने आज  जीआरपी परिसर में 300 से ज्यादा जामुन, अमरुद, आंवला, अमलतास, आम, नीम, पापड़ी, अर्जुन, कनेर आदि पौधों का जवानों संग पौधारोपण कर समूचे परिसर को हरियाली से आच्छादित किया।


वृक्षारोपण उपरांत संपूर्ण परिसर में  साफ सफाई भी की गई।


कप्तान तृप्ति भट्ट ने अपने सम्बोधन में  जवानों में जोश का संचार भरते हुए कहा की "एक पौधा मां के नाम" इस वर्ष हरेला पर्व की थीम है।जैसे हम राजकीय  रेलवे की सेवा में तत्पर रहते है वैसे ही   हर जवान आज अपने द्वारा लगाए पौधे की रक्षा यानी देखभाल सुनिश्चित करे ताकि आज लगाए गए पौधे आने वालों दशकों तक हरियाली ,फल ,छाया और शुद्ध हवा प्रदान करते रहे।


*प्रकृति से सामंजस्य बैठाने हेतु यह एक बेहतरीन त्यौहार है, उत्तराखंड वैसे भी प्राकृतिक रूप से वन संपदा का एक खजाना है जिसको और बेहतर किए जाने हेतु सभी को कम से कम एक पौधा लगाकर अपना योगदान देना चाहिए" एसपी जीआरपी तृप्ति भट्ट*


   प्रकृतिप्रेमी IPS तृप्ति भट्ट द्वारा जामुन का पौधा तथा ऐ एस पी अरुणा भारती द्वारा द्वारा अमरूद का पौधा  उत्तराखंड के लोकपर्व हरेला को जीआरपी जवानों के साथ सैकड़ों पौधों का रोपण कर त्यौहार के रूप में मनाया गया।



संपूर्ण जीआरपी परिसर में जोश से भरे हुए जवानों द्वारा आम, अमरूद, जामुन, नीम, अमलतास, नींबू, आंवला, कनेर आदि फलदार, छायादार एवम् औषधीय पौधे लगाए गए तत्पश्चात सभी के द्वारा जीआरपी एवं आवासीय परिसर में साफ सफाई अभियान चलाया गया।


इस अवसर पर कप्तान महोदया द्वारा समस्त अधि०/कर्म० को अधिक से अधिक संख्या में वृक्षारोपण कर पर्यावरण को हरा-भरा रखने एवं "एक पौधा मां के नाम" लगाने हेतु प्रोत्साहित किया साथ ही सभी जवानों को उनके द्वारा लगाए गए पौधों की देखरेख करने हेतु भी प्रोत्साहित किया गया।


ज्ञात रहे की श्रवण कांवड़ मेले में दिन रात की कठिन ड्यूटी के बावजूद जीआरपी अधिकारियों और जवानों ने तन्मयता से हरेला पर्व पर वृक्षारोपण और सफाई अभियान में प्रतिभाग किया।


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देहरादून :

 

harela festival by chaupal dehradun

चौपाल के संयोजक व मालती रावत सेवा संस्थान के अध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार द्वारा उत्तराखण्ड़ की लोक परम्परा, प्रकृति, पर्यावरण, खुशहाली का प्रतीक “हरेला उत्सव” आज सड़क संसद, दीन दयाल पार्क, गांधी रोड़, देहरादून मे आयोजित किया गया। 

इस अवसर पर विभिन्न संगठनों ने हरेला उत्सव मे बढ़चढ़ कर भागीदारी कर संयुक्त रुप से हरियाली की पूजा अर्चना की गई। इस अवसर पर बोलते हुए उत्तराखण्ड़ कांग्रेस के पूर्व वरिष्ठ उपाध्यक्ष, चौपाल के संयोजक व मालती रावत सेवा संस्थान के अध्यक्ष सुरेन्द्र कुमार ने कहा कि हरेला हमारी परम्परा, हमारी संस्कृति की प्रतीक है मॉ नंदा देवी के मायके से जुड़ी हमारी परम्पराओं को इससे जोड़कर देखा जाता है  उत्तराखण्ड़ में हमारी बेटीयों को मायके से खुशहाली के रुप में हरियाली भेजने की परम्परा है, शिव-पार्वती के रुप में भी ये परम्परा विद्धमान रही है। उन्होने कहा कि राज्य की जनता को हरेला महसोत्सव व घी संक्राद की शुभकामनाए देते हुए कहा कि हमें अपने राज्य की इस प्राकृतिक व सास्कृतिक विरासत को अपने आने पीढी के लिये भी सहज के रखना है, इस प्रकृतिक व सास्कृतिक विविधता के सम्वर्धन व सुवर्धन के लिये भी प्रयास करना है। 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे अपना परिवार के राष्ट्रीय अध्यक्ष पुरुषोत्तम भटट ने सभी को हरेला की शुभकामना देते हुए बताया हमें अपने राज्य की इस प्राकृतिक व सास्कृतिक विरासत को अपने आने पीढी के लिये भी सहज के रखना है, इस प्रकृतिक व सास्कृतिक विविधता के सम्वर्धन व सुवर्धन के लिये भी प्रयास करना है। उन्होने कहा कि आज घी संक्राद भी है मैं राज्य के सब लोगों को हरेला महोत्सव व घी संक्राद की शुभकामनाए दी। 

कार्यक्रम का संचालन कर रहे मोहन सिंह नेगी ने जनकवि सतीश धौलाखण्ड़ी से हरेला उत्सव के उपलक्ष्य मे पेड़ है सासे पेड़ है जीवन गीत गाया गया उपस्थित सभी लोगों ने ताली बजाकर धौलाखण्ड़ी का उत्साह बढ़ाया। 

 पं0 शशि बल्लभ शास्त्री द्वारा हरियाली की पूजा अर्चना सम्पन्न कराई तथा झंगोरे की खीर व मंडुवे की पकौड़ी के प्रसाद के रुप में वितरित की गई। इस अवसर पर कामरेड़ जगदीश कुकरेती, कामरेड़ समर भण्ड़ारी, राज्य आन्दोलनकारी मंच के प्रदेश अध्यक्ष जगमोहन सिंह नेगी, कामरेड़ सोहन सिंह रजवार, कांग्रेस नेता महेन्द्र गुरुजी, पूर्व ज्यूष्ठ प्रमुख जौनपुर महिपाल सिंह रावत, जनकवि सतीश धौलाखण्ड़ी, कुलदीप प्रसाद, अधिवक्ता प्रेम सिंह दानू, हरजिन्दर सिंह, विकास कुमार, राकेश पंत, प्रो0 प्रदीप जखमोला, अवधेश पंत, ट्रेड यूनियन राकेश डोभाल, आकाश राणा, हरीश जोशी, जसवंत सिंह जगपांगी, संजय कोठियाल, मंजूर अहमद बेग, आदि उपस्थित रहे।


उत्पीड़न और अन्याय के खिलाफ लड़ाई है यह चुनावः हीरा सिंह बिष्ट

डोईवाला:

former MLA Doiwala hira singh bisht


बुल्लावाला में कांग्रेस समर्थित माजरीग्रांट जिला पंचायत प्रत्याशी सुखविंदर कौर के चुनाव कार्यालय का उद्घाटन पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट व उत्तराखंड कांग्रेस सैनिक प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष रिटायर कर्नल राम रतन नेगी द्वारा किया गया।


 इस मौके पर हीरा सिंह बिष्ट ने कहा, यह चुनाव महज जिला पंचायत के लिए नहीं बल्कि मातृशक्ति की सुरक्षा औऱ हर व्यक्ति को सम्मान दिलाने के लिए लड़ाई है। यह चुनाव उत्पीड़न एवं अन्याय के खिलाफ जंग है। 


रिटायर कर्नल राम रतन नेगी ने कहा कि सरकार द्वारा अग्निवीर योजना लाकर युवाओं के साथ कुठाराघात किया गया है। हमने आम जनता के हितों के लिए काम किया और कंधे से कंधा मिलाकर विकास की राह बनाई। कांग्रेस के सभी कार्यकर्ताओं और पदाधिकारियों से एकजुट होकर प्रत्याशियों को जीत दिलाने का आह्वान किया। 


माजरीग्रांट जिला पंचायत प्रत्याशी सुखविंदर कौर ने कहा कि ग्रामीण जनता की मूलभूत सुविधाओं के लिए ईमानदारी से कार्य करना उनकी प्राथमिकता में रहेगा। बुल्लावाला पुल की समस्या व बरसात में मारखंमग्रांट व माजरीग्रांट में जलभराव की समस्या के लिए योजना पर कार्य किया जाएगा।

उनके पति ताजेन्द्र ताज पूर्व में माजरीग्रांट के निर्वाचित प्रधान व पूर्व जिला पंचायत सदस्य रहे हैं। किसानों के मुद्दों को लेकर क्षेत्र में निरंतर सक्रिय रहते हैं । किसान आंदोलन व टाउनशिप के खिलाफ आंदोलन का सफल नेतृत्व किया। डोईवाला क्षेत्र में गन्ना किसानों के मुद्दों को लेकर निरंतर संघर्षशील रहते हैं ।


परवादून कांग्रेस ज़िलाध्यक्ष मोहित उनियाल में कहा की कांग्रेस का हर कार्यकर्ता जनता से जुड़ा है और जनहित के लिए हमेशा कांग्रेस ही आगे आई है। पंचायत चुनाव में जनता कांग्रेस समर्थित  प्रत्याशी के साथ खड़ी है, ऐसा हमारा विश्वास है। 


पीसीसी सदस्य गौरव चौधरी ने कहा कि हमने हमेशा जनता के हितों की बात उठाई। माजरीग्रांट जिला पंचायत व डोईवाला क्षेत्र

में किसानों के मुद्दों पर आंदोलन के लिए कांग्रेस हमेशा आगे रही। 

पूर्व जिला पंचायत सदस्य टीना सिंह के कार्यकाल में जिला पंचायत क्षेत्र में बहुत विकास हुआ है। हमे अधूरे कामों को आगे बढ़ाने का काम करना है। 


कार्यक्रम के पश्चात बुल्लावाला क्षेत्र का भ्रमण किया व उत्तराखंड के महापर्व हरेला के उपलक्ष में बुल्लावाला क्रिसेंट पब्लिक स्कूल में सुखविन्दर कौर व हीरा सिंह बिष्ट व साहियोगियों द्वारा वृक्षारोपण किया गया ।


कार्यक्रम में पूर्व काबीना मंत्री हीरा सिंह बिष्ट,उत्तराखंड कांग्रेस सैनिक प्रकोष्ठ प्रदेश अध्यक्ष रिटायर कर्नल राम रतन नेगी, परवादून कांग्रेस जिलाध्यक्ष मोहित उनियाल,पीसीसी सदस्य गौरव चौधरी,कांग्रेस प्रदेश सचिव सागर मनवाल,डोईवाला कांग्रेस नगर अध्यक्ष करतार नेगी,डोईवाला गन्ना समिति पूर्व अध्यक्ष मनोज नौटियाल,अब्दुल रज़्ज़ाक,ईश्वर चंद्र पाल,गोपाल सिंह गड़िया,सुनील बर्मन,देवराज सावन,जसबिंदर सिंह,शंकर मेहरालु,गुरदीप सिंह,सुखबीर सिंह,रियासत अली,कांग्रेस जिला महासचिव राहुल सैनी,सादिक अली,इक़बाल ढिल्लो,सुखबीर सिंह,एससी प्रकोष्ठ ज़िलाध्यक्ष जितेंद्र कुमार,आरिफ अली,ताजेन्द्र सिंह ताज,प्रवीण सैनी,शार्दूल सिंह नेगी,वसीम अली,मोइन खान,स्वतंत्र बिष्ट,मुकेश प्रसाद,विमल गोला,अमित सैनी,शुभम काम्बोज आदि उपस्थित रहे ।




sdrf uttarakhand harela festival


उत्तराखंड राज्य के पारंपरिक लोक पर्व हरेला के शुभ अवसर पर आज दिनांक 16 जुलाई 2025 को SDRF वाहिनी मुख्यालय, जॉलीग्रांट एवं प्रदेश में व्यवस्थापित SDRF की विभिन्न पोस्टों पर पर्यावरण संरक्षण की भावना के साथ वृहद वृक्षारोपण अभियान का आयोजन किया गया।


कमांडेंट SDRF श्री अर्पण यदुवंशी के दिशा-निर्देशन में आयोजित इस अभियान में SDRF के अधिकारियों, जवानों एवं उनके परिवारजनों द्वारा उत्साहपूर्वक सहभागिता की गई। इस अवसर पर रुद्राक्ष, आँवला, जामुन, अशोक, आम, पिलखन,  जैसे छायादार व फलदार वृक्षों का रोपण किया गया।


SDRF द्वारा इस पहल के माध्यम से राज्य की पारंपरिक सांस्कृतिक धरोहर को संरक्षित करते हुए पर्यावरण संरक्षण का संदेश भी जनसामान्य तक पहुँचाया गया।


वृक्षारोपण कार्यक्रम में वाहिनी के अधिकारी एवं कार्मिक उपस्थित रहे।


उत्तराखंड की लोक परंपराओं में प्रकृति के संरक्षण की भावना सदैव रही है, और SDRF इस भावना को अपनाते हुए निरंतर पर्यावरणीय उत्तरदायित्वों का निर्वहन करती आ रही है।

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