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विधानसभा में ध्वनिमत से पारित हुआ उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक, 2025


हमारा संकल्प उत्तराखंड के संसाधनों, जमीनों, को भू माफियाओं से बचाए रखना है : मुख्यमंत्री

मंत्री प्रेमचंद अग्रवाल के बयान पर सीएम धामी ने  बात सम्हालते हुए कहा कि



विधानसभा बजट सत्र के दौरान मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक, 2025 पर चर्चा के दौरान कहा कि यह संशोधन भू सुधारों में अंत नहीं अपितु एक शुरुआत है। राज्य सरकार ने जन भावनाओं के अनुरूप भू सुधारों की नींव रखी है। भू प्रबंधन एवं भू सुधार पर आगे भी अनवरत रूप से कार्य किया जाएगा। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने राज्य की जनता की जनभावनाओं एवं अपेक्षाओं के अनुरूप निर्णय लिया है। सरकार कई नए महत्वपूर्ण मामलों पर ऐतिहासिक निर्णय ले रही है। उन्होंने कहा हम उत्तराखंड के संसाधनों, जमीनों को भूमाफियाओं से बचाने का संकल्प है। जिन उद्देश्यों से लोगों ने जमीन खरीदी है, उसका उपयोग नहीं दुरुपयोग हुआ, ये चिंता हमेशा मन में थी। उन्होंने कहा उत्तराखंड में पर्वतीय इलाकों के साथ मैदानी इलाके भी हैं। जिनकी भौगोलिक परिस्थिति एवं चुनौतियां अलग-अलग है। उन्होंने कहा जब से स्व. श्री अटल जी ने उत्तराखंड राज्य के लिए औद्योगिक पैकेज दिया तब से राज्य सरकार बड़ी संख्या में औद्योगीकरण की ओर जा रही है। ऐसे में राज्य में आने वाले असल निवेशकों को कोई दिक्कत न हो, निवेश भी न रुके। उसके लिए इस नए संशोधन / कानून में  हमने सभी को समाहित किया है। 



मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार सबकी जन भावनाओं के अनुरूप कार्य कर रही है। हम लोकतांत्रिक मूल्यों पर विश्वास रखते हैं। बीते कुछ वर्षों में देखा जा रहा था कि प्रदेश में लोगों द्वारा विभिन्न उपक्रम के माध्यम से स्थानीय लोगों को रोजगार देने के नाम पर जमीनें खरीदी जा रही थी। उन्होंने कहा भू प्रबंधन एवं भू सुधार कानून बनने के पश्चात इसपर पूर्ण रूप से लगाम लगेगी। इससे असली निवेशकों और भू माफियाओं के बीच का अंतर भी साफ होगा। राज्य सरकार ने बीते वर्षों में बड़े पैमाने पर राज्य से अतिक्रमण हटाया है। वन भूमि और सरकारी भूमियों से अवैध अतिक्रमण हटाया गया है। 3461.74 एकड़ वन भूमि से कब्जा हटाया गया है। यह कार्य इतिहास में पहली बार हमारी सरकार ने किया। इससे इकोलॉजी और इकॉनमी दोनों का संरक्षण मिला है। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में कृषि एवं औद्योगिक प्रयोजन हेतु खरीद की अनुमति जो कलेक्टर स्तर पर दी जाती थी। उसे अब 11 जनपदों में समाप्त कर केवल हरिद्वार और उधम सिंह नगर में  राज्य सरकार के स्तर से निर्णय लिए जाने का प्रावधान किया गया है। किसी भी व्यक्ति के पक्ष में स्वीकृत सीमा में 12.5 एकड़ से अधिक भूमि अंतर्करण को 11 जनपदों में समाप्त कर केवल जनपद हरिद्वार एवं उधम सिंह नगर में राज्य सरकार के स्तर पर निर्णय लिया जाएगा। उन्होंने कहा आवासीय परियोजन हेतु 250 वर्ग मीटर भूमि क्रय हेतु शपथ पत्र अनिवार्य कर दिया गया है। शपथ पत्र गलत पाए जाने पर भूमि राज्य सरकार में निहित की जाएगी। सूक्ष्म लघु एवं मध्यम उद्योगों के अंतर्गत थ्रस्ट सेक्टर एवं अधिसूचित खसरा नंबर भूमि क्रय की अनुमति जो कलेक्टर स्तर से दी जाती थी, उसे समाप्त कर, अब राज्य सरकार के स्तर से दी जाएगी। 


मुख्यमंत्री ने कहा इसके साथ की नए कानून में कई बड़े बदलाव किए गए हैं। उन्होंने कहा सरकार ने गैरसैंण में भी हितधारकों, स्टेकहोल्डर से विचार लिए थे। इस नए प्रावधानों में राज्यवासियों के विचार लिए गए हैं, सभी के सुझाव भी लिए गए हैं। सभी जिलों के जिलाधिकारियों एवं तहसील स्तर पर भी अपने जिलों में लोगों से सुझाव लिए गए। सभी के सुझाव के अनुरोध ये कानून बनाया गया है। उन्होंने कहा उत्तराखंड राज्य मूल स्वरूप बना रहे, यहां का मूल अस्तित्व बचा रहे। इसके लिए इस भू सुधार किए गए हैं। उन्होंने कहा राज्य की डेमोग्राफी बची रहे इसका विशेष ध्यान रखा गया है।



मुख्यमंत्री ने बताया कि प्रदेश में औद्योगिक, पर्यटन, शैक्षणिक, स्वास्थ्य तथा कृषि एवं औद्यानिक प्रयोजन आदि हेतु आतिथि तक राज्य सरकार एवं कलेक्टर के स्तर से कुल 1883 भूमि क्रय की अनुमति प्रदान की गयी। उक्त प्रयोजनों / आवासीय प्रयोजनों हेतु क्रय की गयी भूमि के सापेक्ष कुल 599 भू-उपयोग उल्लंघन के प्रकरण प्रकाश में आये हैं, जिनमें से 572 प्रकरणों में उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (अनुकूलन एवं उपान्तरण आदेश-2001) की धारा 166/167 के अन्तर्गत वाद योजित किये गये हैं तथा 16 प्रकरणों में वाद का निस्तारण करते हुए 9.4760 हे० भूमि राज्य सरकार में निहित की गयी है। अवशेष प्रकरणों में कार्यवाही की जा रही है।

मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी से विधानसभा परिसर में विधानसभा बजट सत्र में उत्तराखण्ड (उत्तर प्रदेश जमींदारी विनाश और भूमि व्यवस्था अधिनियम, 1950) (संशोधन) विधेयक, 2025 ध्वनि मत से पारित होने पर विधायक श्री उमेश शर्मा काऊ, महंत श्री दिलीप रावत, श्री प्रमोद नैनवाल, श्रीमती रेणु बिष्ट, श्री सुरेश चौहान, श्री राम सिंह कैड़ा , श्री महेश जीना , श्री राजकुमार , श्री अनिल नौटियाल, सहित विभिन्न विधायकों ने भेंट कर इस ऐतिहासिक कार्य के लिए मुख्यमंत्री का आभार व्यक्त किया।




पुतला फूंकना, पहाड़ी को गाली दी यह कहकर  उत्तराखंड में अच्छा खासा बवाल मचा हुआ है।

क्या वाकई हम उत्तराखंड वासी कभी पहाड़ और मैदान से बाहर आ पाएंगे।

कमोबेश 24 साल पहले  यह स्थिति हुआ करती तो.. 



जबकि सच यह है कि हर पहाड़ में रहने वाला व्यक्ति 500 से 600 वर्ष पूर्व कहीं न कही मैदान से ही आ रहे थे।


विधायक ऋषिकेश का विरोध गाली देने पर है या  मुद्दा सिर्फ पहाड़  शब्द को लेकर है। गाली देने का विरोध तो  विधानसभा  मर्यादा को देखते हुए किसी हद तक सही है परंतु बार बार पहाड़ी को , पहाड़  शब्द को हाईलाइट करना , कहाँ तक सही है, यह सोचना भी जरूरी है।


उत्तराखंड कोई पहाड़ के निवासियों से ही नही है,  बल्कि  बड़ा जिला हरिद्वार, देहरादून, रुद्रपुर, काशीपुर इत्यादि  निवासियों से भी है।मंत्रियों में भी पहाड़ और मैदान का भूत लानेवाले कौन है?

क्या ये वास्तव में वो है जो पहाड़ पर बैठकर राजनीति या समाजसेवा या पत्रकारिता कर रहे है ? क्या इन्होंने पहाड़ की कठिनतम डगर को छोड़कर मैदान का रुख नही किया?क्या, इन्होंने पलायन का सहारा नही लिया? क्या इन्होंने विस्थापन का दंश झेलने के बाद भी मैदान का रुख नही किया?

यदि हाँ तो इन्हें जरूर हक बनता है , अन्यथा  उत्तराखंड के विकास में बाधा बनने का इन्हें कोई हक नही है। हम कब यह सुनेंगे, कि उत्तराखंड एक पर्वतीय बहुल क्षेत्र है,जिसमे सभी का बराबर हक है। यही विचारणीय है, पहाड़- पहाड़ी चिल्लाना बंद कर काम की बात पर अपना कीमती समय लगाकर प्रदेश की जनता हक को दिलाने में सहायता करना चाहिए । यही आवश्यक और समय की मांग है।




क्या यह,देवी देवताओं की आस्था, स्थान, नाम और पौराणिक स्वरूप के साथ छेड़खानी नही है?



 डुंडा/उत्तरकाशी:



 जहाँ डुंडा गाँव की देवी माँ भगवती वेणुका की आस्था, पहचान, नाम को छुपानें और देवी वेणुका के स्थान पर गढ़ देवी सिद्धपीठ माँ भगवती रेणुका के नाम से मेला करना दोनों देवियों को अप्रसन्न करनें की शुरुआत है, वहीं गाँव, क्षेत्र और समाज के लिए भी बहुत बड़ा अभिशाप है। 

24फरवरी 2018 को पूर्व प्रमुख कनकपाल सिंह परमार नें तीन दिवसीय विकास एवं सांस्कृतिक मेले की नींव रखी, पहली बार विकास एवं सांस्कृतिक मेले के मुख्य अथिति पूर्व मुख्यमंत्री हरीश रावत और विशिष्ट अतिथि पूर्व विधायक विजयपाल सिंह सजवान रहे।


बेशक पहली बार गाँव, क्षेत्र के मेलार्थियों नें विकास एवं सांस्कृतिक मेले की नींव में देव डोलियों के नृत्य, पांडव चक्रव्यूह मंचन के साथ चरखी, कृषि, उद्यान, ग्राम्य, समाज कल्याण, स्वास्थ्य, और रोजगार कई विभागों के स्टॉल देखे होंगे। लेकिन आज के परिदृश्य में सामाजिक चिंतक, सामाजिक कार्यकर्ता, साहित्यकार, दूर दृष्टा विजन रखनें वाले तमाम बुद्धिजीवी इस तरह के मंचन को विकास एवं संस्कृति की झूठी पटकथा पर लिखा जानें वाला राजनीतिक चक्रव्यूह मंचन बताते नहीं थक रहे हैं। 


डुंडा मेला समिति देवी भगवती वेणुका के रूप स्वरूप, पहचान के साथ छेड़खानी ही नहीं बल्कि सिद्धपीठ गढ़ देवी रेणुका के पौराणिक मेले और माँ के स्वरूप, स्थान, पहचान को राजनीतिक स्वार्थ के चलते जहाँ नाम बदलवाकर भुलानें की भूल करते देखी सुनी जा रही है। समाज के बीच यह मेला चर्चा का विषय बना है, कुछ लोगों का कहना है कि किसी व्यक्ति व देव स्थान, नाम, आस्था, स्वरूप और इतिहास के साथ छेड़खानी भविष्य में गाँव, क्षेत्र, समाज की उन्नति, प्रगति, हरियाली, खुशहाली के लिए अच्छा संकेत नहीं होती है। इस तरह की संस्कृति को जो माँ वेणुका देवी के स्थान पर माँ रेणुका के नाम से विकास एवं सांस्कृतिक मेला करना और उसके बाद उस मेले को जनपद स्थापना दिवस के नाम से प्रचलित करना मेला संस्कृति, समाज, सौहार्द को मैला करनें जैसा है।


तीन दिवसीय विकास एवं सांस्कृतिक मेला 2018 के शुरू होते ही तुरंत कोरोना जैसी महामारी के चलते दो सालों तक सादगी से संपन्न होता आया, इसी बीच विकास एवं सांस्कृतिक मेले को जनपद स्थापना दिवस का नाम देकर 5दिवसीय भी किया गया, लेकिन अबकी बार मेला समिति 2025 में मेले को भव्य दिव्य बनानें के लिए सात दिवसीय करनें जा रही है। मेला समिति द्वारा समाज, शासन, प्रशासन के बीच इस तरह के अपभ्रंश फैलाकर जहाँ देवी के नाम, स्थान, आस्था, विकास और पौराणिक स्वरूप के परिवर्तन को दर्शानें की कोशिश की जा रही है। 


पौराणिक देव नामों के साथ छेड़खानी और विकास संस्कृति से जनपद स्थापना की झूठी पटकथा बनाकर समाज को धोखे में रखना जन-प्रतिनिधियों के साथ शासन-प्रशासन को इस तरह के आयोजनों पर त्वरित विचार कर संज्ञान लेना चाहिए। राजनीतिक लाभ के लिए इस तरह के भ्रम, समाज को जोड़ने का नहीं तोड़नें का काम करते हैं, देवी-देवताओं की आस्था, नाम, पहचान, स्वरूप और सिद्धपीठों के साथ राजनीतिक स्वार्थ सिद्धि के लिए छेड़खानी वर्तमान की चाकाचौंद में भावी पीढ़ियों के लिए अच्छे संकेत नहीं समझे जायेंगे।

 जॉर्ज एवरेस्ट मसूरी में अवैध वसूली पर को हटाने एयर अवैध वसूली पर सर्कात रोक के साथ स्थानीय लोगों के अधिकार सुरक्षित न हुए तो देंगे मुंहतोड़ जवाब


हमारे जंगल और जमीन पर कब्जा कर रही  है कंपनी

मामले का संज्ञान ले सरकार 

इन सभी बिंदुओं को लेकर मसूरी की जनता ने सरकार को घेरने की तैयारी कर ली है ।

जॉर्ज एवरेस्ट मुद्दे पर 2 वर्षों से  लगातार विवाद की जड़ बने गेट और अवैध वसूली को लेकर सरकार की मौन स्वीकृति को देखकर स्थानीय निवासी हतप्रभ है। यह कहना है जॉर्ज एवरेस्ट  के मुद्दे पर आवाज़ उठाने वाले संगठनों का।



तमाम विरोध-प्रदर्शनों के बावजूद मसूरी के जॉर्ज एवरेस्ट क्षेत्र में पर्यटकों और स्थानीय निवासियों से अवैध रूप से शुल्क वसूला जा रहा है। 

ठेकेदारों द्वारा प्रवेश शुल्क के रूप में ₹200 प्रति व्यक्ति और पार्किंग शुल्क ₹1,000 तक लिया जा रहा है। इसके अलावा, रास्ते में अवैध बैरियर लगाकर आवागमन बाधित किया जा रहा है, जिससे न केवल पर्यटकों को परेशानी हो रही है बल्कि स्थानीय व्यापारियों को भी नुकसान उठाना पड़ रहा है। इसको लेकर हमारे द्वारा पूर्व में भी विरोध-प्रदर्शन किया जा चुका है, लेकिन अभी तक इस पर कोई कारवाई नहीं हुई। हम सरकार और मसूरी प्रशासन को अंतिम चेतावनी दे रहे हैं। इसी तरह अवैध वसूली होती रहे और स्थानीय लोगों के अधिकार प्रभावित होते रहे तो इसका अब मुंहतोड़ जवाब दिया जाएगा। 


राज्य सरकार द्वारा जॉर्ज एवरेस्ट एस्टेट के आसपास की भूमि को पारदर्शी निविदा प्रक्रिया के बिना लीज़ पर देने के आरोप लगे हैं। एक प्रमुख मामले में, 142 एकड़ भूमि को 15 वर्षों के लिए एक निजी कंपनी को बाजार दर से काफी कम कीमत पर दिया गया है, जिससे नियमों के उल्लंघन और पारदर्शिता की कमी को लेकर सवाल खड़े हुए हैं।


जॉर्ज एवरेस्ट हाउस तक जाने वाली सड़कें भी विवादों के घेरे में हैं। कुछ निजी भू-स्वामियों ने इन सड़कों पर स्वामित्व का दावा किया है, जिससे पर्यटन विभाग और स्थानीय प्रशासन के बीच टकराव की स्थिति बनी हुई है। 

कई बार इन विवादों के कारण मार्ग अवरुद्ध कर दिया जाता है, जिससे स्थानीय निवासियों और पर्यटकों को काफी असुविधा होती है।


यही नहीं मसूरी वाइल्ड लाइफ क्षेत्र के ऊपर कायदे-कानूनों को ताक पर रखकर हेलीकॉप्टर चल रहे हैं। हेलीकॉप्टर संचालन कर रही कंपनी पर मुकदमा भी दर्ज हुआ। लेकिन अभी भी हेलीकॉप्टर का संचालन जारी है। सरकार और वन विभाग के उच्चाधिकारियों को इन गंभीर विषयों पर ध्यान देना चाहिए। हमें ऐसा पर्यटन बिल्कुल नहीं चाहिए, जिससे हमारी वाइल्ड लाइफ और हमारे पर्यावरण पर असर पड़े और हमें अपने जंगलों और जमीन से बेदखल होना पड़े।


(हालांकि इस पोस्ट के साथ पुराने वीडियो शेयर किए गए हैं, लेकिन आज भी कमोबेश यही स्थिति बनी हुई है)

 

देहरादून:




*द्वितीय राजभाषा संस्कृत संभाषण से गूंजी विधानसभा* 


*राज्य सरकार ने 13 ग्रामों को संस्कृत ग्राम घोषित किया*


सत्यवाणी प्रतिनिधि

देहरादून। 

 विधानसभा सत्र के दूसरे दिन, विधानसभा के हाल में एक अद्वितीय और ऐतिहासिक दृश्य देखा गया, जब राज्य की द्वितीय राजभाषा संस्कृत में संवाद हुआ। यह पहल विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण और मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी की विशेष दिशा-निर्देश पर शुरू की गई, जो संस्कृत को राज्य की द्वितीय राजभाषा के रूप में सम्मानित करने के लिए प्रतिबद्ध हैं। मध्यान भोजन के बाद, जब सत्र प्रारंभ होने से पहले विधानसभा का हाल गूंज उठा, तो यह एक नई शुरुआत का प्रतीक था, संस्कृत शिक्षा विभाग द्वारा संस्कृत अकादमी के सहयोग से राज्य के सभी मंत्रियों, विधायकों को सरल संस्कृत संभाषण का प्रशिक्षण दिया गया।


कार्यक्रम में विधानसभा अध्यक्ष ऋतु खण्डूडी भूषण ने संस्कृत की महत्ता पर जोर देते हुए कहा, संस्कृत से ही भारत के विश्व गुरु बनने का रास्ता तय होता है, और इसलिए भारतीय जनता पार्टी की सरकार ने संस्कृत को द्वितीय राजभाषा का दर्जा दिया है। हम सभी को संस्कृत का सम्मान करते हुए इसे अपने दैनिक संवाद का हिस्सा बनाना चाहिए। इसके अलावा, शिक्षा एवं संस्कृत शिक्षा मंत्री डॉ. धन सिंह रावत ने भी अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा, राज्य सरकार ने 13 ग्रामों को संस्कृत ग्राम घोषित किया है, जहां प्रशिक्षकों की नियुक्ति की जा रही है, जो ग्रामीणों को सरल संस्कृत संभाषण सिखाएंगे। संस्कृत शिक्षा विभाग के सभी अधिकारियों को धन सिंह रावत नें बधाई और शुभकामनाएं भी दी।


इस कार्यक्रम में संस्कृत उन्नयन समिति के अध्यक्ष और विधायक भरत चौधरी, कैबिनेट मंत्री सुबोध उनियाल, सौरभ बहुगुणा, विधायक बृजभूषण गैरोला, सविता कपूर, उमेश कुमार, रेनू बिष्ट, सचिव दीपक गैरोला, निदेशक आनंद भारद्वाज, उपनिदेशक डॉ. चंडी प्रसाद घिल्डियाल, संस्कृत अकादमी के सचिव बाजश्रवा आर्य, पंकज पालीवाल समेत कई अन्य गणमान्य व्यक्ति विशेष रूप से उपस्थित रहे।

 

हरिद्वार :

21 फरवरी 2025



आज भारतीय मानक ब्यूरो देहरादून की ओर से भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान रुड़की के मानक क्लब के विद्यार्थियों के लिए हरिद्वार सिडकुल स्थित हैवल्स इंडिया लिमिटेड में इंडस्ट्रियल एक्सपोजर विजिट का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम के प्रारंभ में हैवल्स इंडिया लिमिटेड सिडकुल की इकाई की ओर से श्री भीष्म सिंह गहलोत तथा श्री अनूप सिंह ने व्याख्यान के माध्यम से औद्योगिक इकाई की कार्यप्रणाली पर विस्तार से जानकारी दी। इस कार्यक्रम में आईआईटी रुड़की के अनेक विद्यार्थियों ने औद्योगिक स्थल पर औद्योगिक प्रक्रिया को जाना। इस कार्यक्रम में मानक क्लब के मेंटर डॉ मोहित प्रकाश मोहंती ने कहा कि हैवल्स इंडिया लिमिटेड में आयोजित इस शैक्षिक भ्रमण के द्वारा विद्यार्थियों को मैन्युफैक्चरिंग की संपूर्ण विस्तार से प्रक्रिया को जानने का अवसर मिला। इस अवसर पर भारतीय मानक ब्यूरो की ओर से डॉ जितेंद्र नेगी ने बताया कि भारतीय मानक ब्यूरो का यह प्रयास विद्यार्थियों को मानक के प्रति जागरूक करने का अहम प्रयास हैं। इस अवसर पर कार्यक्रम के समन्वयक एस एम जे एन पीजी कॉलेज के प्राध्यापक एवम् भारतीय मानक ब्यूरो के रिसोर्स पर्सन डॉक्टर विजय शर्मा ने भारतीय मानक ब्यूरो के द्वारा मानक जागरूकता के कार्यक्रमों की जानकारी भी साझा की। उन्होंने भारतीय मानक ब्यूरो तथा हैवल्स इंडिया लिमिटेड की स्थानीय इकाई का धन्यवाद ज्ञापन किया।

देहरादून :

Congress protest against  UCC


भाजपा सरकार द्वारा राज्य में लागू की गई यू.सी.सी. में लिव-इन-रिलेशन का प्रावधान किये जाने तथा राज्य सरकार की जन विरोधी नीतियों के विरोध में आज प्रदेश कांग्रेस कमेटी एवं महिला कांग्रेस कमेटी के संयुक्त तत्वावधान में प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री करन माहरा एवं महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती ज्योति रौतेला के संयुक्त के नेतृत्व में कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने विशाल प्रदर्शन करते हुए विधानसभा का घेराव किया। 

 कार्यक्रम में पार्टी के वरिष्ठ नेतागण एवं बडी संख्या में कार्यकर्ता उपस्थित थे।
पूर्व निर्धारित कार्यक्रम के तहत आज कांग्रेस कार्यकर्ताओं ने हरिद्वार रोड़ स्थित होटल हिम पैलेस के निकट बडी संख्या में एकत्र होकर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री करन माहरा एवं महिला कांग्रेस की प्रदेश अध्यक्ष श्रीमती ज्योति रौतेला के संयुक्त के नेतृत्व में हाथों में तख्तियां लेकर राज्य सरकार द्वारा लागू यूसीसी में लिव-इन-रिलेशन का प्रावधान किये जाने एवं राज्य में बिजली के प्रीपेड मीटर लगाये जाने के खिलाफ नारेबाजी करते हुए विधानसभा भवन की ओर कूच किया।
इस अवसर पर प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष श्री करन माहरा ने कहा कि यूसीसी में लिव इन रिलेशन शिपक ा प्रावधान देवभूमि उत्तराखण्ड की संस्कृति के खिलाफ है इसमें जिस प्रकार की धारायें हैं कांग्रेस पार्टी उसका विरोध करती है। उन्होंने कहा कि एक ओर भाजपा सरकार राज्य में पलायन रोकने में असफल रही है वहीं राज्य सरकार ने यूसीसी के माध्यम से बाहरी लोगों को एक साल के रहवास पर उत्तराखण्ड राज्य का निवासी बनाने का षडयंत्र किया जा रहा है तथा समाज में व्यभिचार की संस्कृति को बढ़ावा दिया जा रहा है। उन्हांनेे कहा कि कांग्रेस पार्टी ने पूर्व में भी यूसीसी के अनुच्छेद 44 पर सवाल उठाये थे परन्तु भाजपा के किसी भी नेता और प्रवक्ता ने न तो अनुच्छेद 44 और न ही लिव इन रिलेशनशिप विशेषकर उसके भाग तीन पर कोई जवाब नहीं दिया। उन्होंने कहा कि भारतीय जनता पार्टी सनातन धर्म की रक्षक पार्टी होने का दावा तो करती है परन्तु उसका आचरण सनातन धर्म की मर्यादाओं के खिलाफ है।  
प्रदेश अध्यक्ष श्री करन माहरा ने यह भी कहा कि सरकार द्वारा केवल अपने सहयोगी व्यावसायियों को फायदा पहुंचाने के लिए पूरे प्रदेश में जनता पर जबरन बिजली के प्रीपेड मीटर थोपे जा रहे हैं जबकि कुछ ही समय पूर्व पूरे प्रदेश में लगाये गये इलेक्ट्रॉनिक मीटरों से आने वाले भारी भरकम बिजली के बिलों से राज्य की जनता पहले ही परेशान है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी प्रीपेड मीटर लगाये जाने का पुरजोर विरोध करती है तथा मांग करती है कि प्रीपेड मीटर लगाये जाने की योजना पर तुरंत रोक लगाई जाय।
प्रदेश महिला कांग्रेस अध्यक्ष ज्योति रौतेला ने कहा कि यूसीसी केन्द्र का मामला होेने के बावजूद भारतीय जनता पार्टी की धामी सरकार जनता को गुमराह कर रही है तथा यूसीसी में लिव-इन-रिलेशन जैसे  नियमों का प्रावधान कर राज्य की संस्कृति को नष्टभ्रष्ट करना चाहती है। उन्होंने कहा कि बेटी-बचाओ-बेटी पढाओ का नारा देने वाली भाजपा सरकार में सबसे अधिक त्रस्त प्रदेश की महिलाएं हैं। उन्होंने कहा कि लिव-इन-रिलेशन प्रावधान के कारण बेटियों का जीवन पूरी तरह असुरक्षित हो गया है। उन्होंने कहा कि कांग्रेस पार्टी सड़क से लेकर सदन तक इस प्रावधान का विरोध करती है तथा मांग करती है कि राज्य सरकार राज्य में लागू यूसीसी पर तुरंत रोक लगाये।

कार्यक्रम में पूर्व मंत्री हीरा सिंह बिष्ट, शूरवीर सजवाण, प्रदेश उपाध्यक्ष धीरेन्द्र प्रताप, मीडिया चेयरमैन राजीव महर्षि, महामंत्री राजेन्द्र शाह, नवीन जोशी, ललित फर्स्वाण, राजपाल बिष्ट, जयेन्द्र रमोला, विरेन्द्र पोखरियाल, याकूब सिद्धिकी, गोदावरी थापली, पूरन रावत, विधायक रवि बहादुर, पूर्व विधायक राजकुमार, प्रदेश प्रवक्ता शीशपाल बिष्ट, सुजाता पॉल, डॉ0 प्रतिमा सिंह, गिरिराज हिंदवान, गरिमा दसौनी, मानवेन्द्र सिंह, महानगर अध्यक्ष डॉ0 जसविन्दर सिंह गोगी, मोहित उनियाल, अमन गर्ग, राजेन्द्र चौधरी, राजीव चौधरी, मनीष राणा, दिनेश चौहान, भगत सिंह डसीला, मुकेश नेगी, राहुल छिमवाल, उत्तम असवाल, विनोद नेगी, विनोद डबराल, कुंवर सजवाण, राकेश राणा, मुशर्रफ हुसैन, राकेश नेगी, हिमांशु गाबा, दर्शन लाल, लालचन्द शर्मा, सोनिया आनन्द, संदीप चमोली, गिरीश पपनै, नवनीत सती, शीशपाल सिंह बिष्ट, अमरजीत सिंह, महेन्द्र सिंह नेगी, हेमा पुरोहित, मनीष नागपाल, आशीष नौटियाल, मोहन काला, पुष्पा पंवार, चन्द्रकला नेगी, उर्मिला थापा, अनुराधा तिवारी, संजय कद्दू, धनीलाल शाह, नवतेज पाल सिंह, अभिनव थापर, नजमा खान, आशा शर्मा, उर्मिला थापा, निधि नेगी, पूनम भगत, जगदीश धीमान, विशाल मौर्य, डॉ0 प्रदीप जोशी, आनन्द बहुगुणा, सुलेमान अली, नवीन रमोला, विरेन्द्र पंवार, अर्जुन पासी, रॉबिन त्यागी, अनूप कपूर, सावित्री थापा, मंजू, अनुराग मित्तल, नरेन्द्र सौंठियाल, आशि रावत, विकास नेगी, मीना शर्मा, आशा रावत, मुन्नी देवी, सागर मनवाल, आदि सैकड़ों कार्यकर्ता उपस्थित थे।

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