जागरूकता से ही होगा सर्वाइकल कैंसर का उन्मूलन
30 से अधिक उम्र की महिलाओं को स्क्रीनिंग करवाने की सलाह
एम्स ऋषिकेश में आयोजित हुआ जनजागरूकता कार्यक्रम
एम्स अपडेट
17 नवम्बर 2023
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ऋषिकेश। सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन दिवस के अवसर पर एम्स में आयोजित जनजागरूकता कार्यक्रम के दौरान महिलाओं को समय-समय पर स्की्रनिंग करने की सलाह दी गयी। कहा गया कि जनजागरूकता के माध्यम से गर्भाशय ग्रीवा के कैंसर को खत्म किया जा सकता है।
एम्स ऋषिकेश के प्रसूती व स्त्री रोग विभाग तथा नर्सिंग विभाग के संयुक्त तत्वावधान में सर्वाइकल कैंसर पर जनजागरूकता कार्यक्रम आयोजित किया गया। गायनी विभाग की ओपीडी में आयोजित इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रो. मीनू सिंह ने कहा कि गर्भाशय कैंसर के उन्मूलन के लिए समाज की प्रत्येक महिला को जागरूक होना पड़ेगा। जनजागरूकता के माध्यम से इस बीमारी का निदान किया जा सकता है। डाॅ. मीनू सिंह ने कहा कि घरेलू कार्यों में व्यस्त रहने के कारण महिलाएं आमतौर पर अपने स्वास्थ्य के प्रति लापरवाही बरतती हैं जो भविष्य में उन्हें नुकसान देती हैं। यदि वो प्रत्येक वर्ष अपने जन्मदिन पर सर्वाइकल कैंसर की जांच हेतु स्क्रीनिंग करवाने का नियम बना लें तो वह इस बीमारी से बच सकती हैं।
डीन एकेडेमिक और गायनी विभाग की हेड प्रो. जया चतुर्वेदी ने एम्स ऋषिकेश द्वारा संचालित स्क्रीनिंग कार्यक्रम की जानकारी दी और एचपीवी टीकाकरण अभियान को बढ़ाने पर जोर दिया। साथ ही बताया कि एम्स में इस बीमारी के निदान के लिए सभी प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध हैं। चिकित्सा अधीक्षक प्रो. आर.बी. कालिया ने इसके लिए व्यापक जनजागरूकता अभियान संचालित करने की आवश्यकता बतायी। कहा कि इसके खात्मे के लिए हम सभी को एक योजनाबद्ध तरीके से समाज की प्रत्येक महिला को जागरूक करना होगा। गायनी विभाग की आॅन्कोलाॅजिस्ट प्रोफेसर डाॅ0 शालिनी राजाराम ने बताया कि इसके लक्षण देरी से दिखते हैं लेकिन एचपीवी वैक्सीन से इसे रोका जा सकता है। उन्होंने 30 वर्ष से अधिक उम्र की सभी महिलाओं को स्क्रीनिंग करवाने के लिए अस्पताल आने के लिए प्रोत्साहित किया।
‘‘सर्वाइकल कैंसर उन्मूलन दिवस‘‘ के अवसर पर नर्सिंग विभाग की डीएनएस सुश्री वंदना ने कार्यक्रम का संचालन करते हुए ओपीडी में मौजूद महिलाओं को इस दिवस की महत्ता बतायी। इस दौरान नर्सिंग ऑफिसर्स और रेजिडेंट डॉक्टरों की टीम द्वारा नुक्कड़ नाटक प्र्रस्तुत कर इस बीमारी के प्रति महिलाओं को जागरूक किया गया। साथ ही इस विषय पर पोस्टर और स्लोगन प्रतियोगिता भी आयोजित की गई। कार्यक्रम में सर्वाइकल कैंसर के जोखिम कारक, संकेत और लक्षण, स्क्रीनिंग कार्यक्रम, एचपीवी टीकाकरण आदि के बारे में विस्तृत जानकारियां दी गयीं। इस दौरान गायनी विभाग की डॉ. अनुपमा बहादुर, चीफ नर्सिंग आॅफिसर रीटा शर्मा, एएनएस सुश्री सोनिया, सुश्री नीमवाक, एएनएस, एनओ सहित कई अन्य मौजूद रहे।
बाॅक्स समाचार-
एम्स ऋषिकेश की गायनी ओपीडी में सोमवार से शुक्रवार तक प्रत्येक दिन महिलाओं में सर्वाइकल कैंसर की जांच की जाती है। ’वीआईए ओपीडी क्लीनिक’ सुबह 9 बजे से अपरान्ह 1 बजे तक संचालित होती है। स्त्री रोग आॅन्कोलाॅजिस्ट डाॅ0 शालिनी राजाराम ने बताया कि एम्स में यह कार्यक्रम अगस्त 2023 में शुरू किया गया था। ’विजुअल इंस्पेक्शन विद एसिटिक एसिड’ (वीआईए) विधि द्वारा अभी तक 500 से अधिक महिलाओं की स्क्रीनिंग की जा चुकी हैं। उन्होंने कहा कि 30 से 65 वर्ष की उम्र की महिलाओं को प्रत्येक 5 वर्ष के अन्तराल में सर्वाइकल कैंसर की जांच हेतु अनिवार्य रूप से स्क्रीनिंग करवानी चाहिए।
मधुमेह में व्यायाम व योग का महत्व
ऋषिकेश। विश्व मधुमेह दिवस के उपलक्ष्य में एम्स द्वारा इन दिनो जनजागरूकता मुहिम संचालित की जा रही है। इस श्रृंखला में गुरुवार को संस्थान की कार्यकारी निदेशक प्रोफेसर मीनू सिंह ने विभिन्न लाभप्रद जानकारियां देते हुए बताया कि यदि हम नियमित तौर से व्यायाम करें तो डायबिटीज को नियंत्रित कर सकते हैं।
एम्स ऋषिकेश की कार्यकारी निदेशक डॉक्टर मीनू सिंह ने मधुमेह (डायबिटीज) की बीमारी में व्यायाम करने से होने वाले लाभ के बारे में महत्वपूर्ण सुझाव व जानकारी दी है। उन्होंने बताया कि शारीरिक व्यायाम एक मुख्य घटक है जो जीवन शैली को सुधारने का काम करता है। टाइप 1 मधुमेह या टाइप 2 मधुमेह या प्रीडायबिटीज वाले बच्चों और किशोरों को प्रति दिन 60 मिनट या अधिक मध्यम या जोरदार तीव्रता वाली एरोबिक गतिविधि में संलग्न होना चाहिए, जिसमें कम से कम 3 दिन/सप्ताह में जोरदार मांसपेशियों को मजबूत करने और हड्डियों को मजबूत करने वाली गतिविधियां शामिल होनी चाहिए। टाइप 1 मधुमेह और टाइप 2 मधुमेह वाले अधिकांश वयस्कों को प्रति सप्ताह 150 मिनट या उससे अधिक की मध्यम से तीव्र तीव्रता वाली एरोबिक गतिविधि में संलग्न होना चाहिए, जो कम से कम 3 दिन/सप्ताह में फैली हुई हो। लचीलेपन, मांसपेशियों की शक्ति और संतुलन को बढ़ाने के लिए व्यक्तिगत प्राथमिकताओं के आधार पर योग और ताई ची को शामिल किया जा सकता है। टाइप 2 मधुमेह वाले लोगों के लिए, मन-शरीर प्रथाओं - योग, गहरी साँस लेना और ध्यान जैसी चीजों का उपयोग - रक्त शर्करा (रक्त शर्करा) के स्तर को और कम कर सकता है। मन-शरीर व्यायाम न केवल मन को शांत और आराम देने में मदद करते हैं, जिससे किसी को इस समय अधिक उपस्थित रहने की अनुमति मिलती है, बल्कि वे शरीर में सकारात्मक बदलाव भी ला सकते हैं।
व्यायाम के लाभ:-
1. मन प्रसनचित्त रहता है
2. शुगर की बीमारी से रोकथाम में सहायक
3. शुगर पर अच्छा कंट्रोल
4. रक्तचाप को कंट्रोल करने में सहायक
5. कोलेस्ट्रॉल को कंट्रोल करने में सहायक
6. मासपेशियों को शक्ति प्रदान करने में सहायक
7. हृदयघात से बचाव में सहायक
8. शुगर की दवाओं की मात्रा को कम करने में सहायक
9. बजन को नियंत्रित करने में सहायक
10. मधुमेह एवं उससे होने वाली जटिलताओं के इलाज में होने वाले खर्च को कम करने में सहायक
योग के लाभ:
1. योग, जिसमें शारीरिक मुद्रा, एकाग्रता और गहरी सांस लेने का उपयोग किया जाता है
2. माइंडफुलनेस-आधारित तनाव में कमी, एक ध्यान रणनीति जो मूल रूप से तनाव को प्रबंधित करने के लिए डिज़ाइन की गई है।
3. ध्यान और सचेतनता के कुछ अन्य लाभों में शामिल हैं:
• निम्न रक्तचाप
• तनाव और अवसाद में कमी
• दर्द के लक्षणों में सुधार
• बेहतर नींद की गुणवत्ता
• वजन पर काबू
व्यायाम के प्रकार : मधुमेह के रोगियों को निम्नलिखित व्यायाम करने चाहिए-
1. शक्ति - गतिविधियां जो किसी काम को करने या किसी भार का प्रतिरोध करने के लिए मांसपेशियों की शक्ति का इस्तेमाल करती है।
2. ऐरोबिक - इसमें बड़ी मांसपेशियों के समूह का उपयोग किया जाता है तथा लगातार लम्बे समय तक ऑक्सीजन की जरूरत होती है।
3. लचीलापन - जोड़ों के मोशन की रेंज को बढ़ाना। यह जोड़ों की गति की सीमा को बनाये रखता है या बढ़ाता भी है।
4. एंड्यूरेंस - यह निम्न आवेग में किसी व्यायाम को बार-बार लम्बे समय तक दोहराना प्रदर्शित करता है।
एक मधुमेह के रोगी में व्यायाम कब बंद करें:
1. ब्ल्ड ग्लूकोस >250 मिग्रा/डीएल
2. पैरों में झुनझुनाहट/दर्द/सुन्न होना
3. चक्कर आना उल्टी होना और धुंधला दिखाई देना- ऐसे लक्षण जो रक्त शर्करा के बढ़ने के लक्षण हैं
4. छाती का दर्द हो
व्यायाम करते समय सावधानी:-
मधुमेहका रोगी जो पैरिफरल न्यूरोपैथी के साथ हो-
• पैरिफिरल न्यूरोपैथी से पैरों में संवेदना कम या समाप्त हो जाती है।
• एक संवेदनहीन पैर से बार-बार व्यायाम करना अल्सरेशन तथा हड्डी के टूटने का ख़तरा पैदा करता है।
• भार उठाने वाले व्यायाम (ट्रेडमिल, चलना, जॉगिंग) को सीमित करें।
• व्यवस्थित रूप से जूते पहने तथा हमेशा पैरों का ध्यान करें।
ऑटोनोमिक न्यूरोपैथी के साथ रोगी :
• रक्त शर्करा के लक्षणों को ध्यान से देखें।"
• सायलेंट हार्ट अटैक के लक्षणों को ध्यान से देखें (जैसे की सांस लेने में परेशानी, पसीना आना या उठते समय चक्कर आना) ।
• व्यायाम के समय रक्तचाप (बी.पी) तथा हृदय गति का ध्यान रखें।
• यह अवस्था व्यायाम की क्षमता को सीमित कर सकती है और व्यायाम के दौरान हृदय रोग के जोखिम को बढ़ा सकती है।
वे रोगी जिन्हें थरमों रेगुलेशन के साथ परेशानी है:
• गर्म तथा ठंडे वातावरण में व्यायाम करने से बचें।
• पर्याप्त हाइड्रेशन को प्रोत्साहित करें।
मधुमेह के रोगियों को निम्नलिखित योगासन करने चाहिए- योग शारीरिक गतिविधि, तनाव में कमी और सचेतनता को बढ़ावा देकर मधुमेह के प्रबंधन के लिए एक समग्र दृष्टिकोण प्रदान करता है। नियमित अभ्यास से इंसुलिन संवेदनशीलता बढ़ सकती है, रक्त शर्करा के स्तर में सुधार हो सकता है और वजन प्रबंधन में योगदान हो सकता है। योग में आसन, प्राणायाम और ध्यान एक संतुलित जीवनशैली बनाने में मदद करते हैं, जिससे मधुमेह वाले व्यक्तियों के लिए समग्र कल्याण को बढ़ावा मिलता है। कपालभाति, अनुलोम-विलोम, मंडूकासन, पवनमुक्त आसन, पर्वतासन, वज्रासन, बालासन, भुजंगासन जैसे कुछ योग आसन मधुमेह रोगियों के लिए बहुत उपयोगी हैं। रोगियों को ये आसन अपने उपचार करने वाले चिकित्सक से उचित परामर्श के बाद और किसी योग विशेषज्ञ के मार्गदर्शन में करना चाहिए।
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