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आजकल समाज में एक व्यापक मुद्दा नशा बन रखा है देखने में आया है कि समाज में नशे ने अपना जाल पूरी तरहें से फैला रखा है जिसमे समाज का युवा दिन प्रति दिन फंसता नजर आ रहा है.

 नशा न केवल एक जिंदगी बर्बाद करता है बल्कि पुरे परिवार को नष्ट कर देता हैI नशे के गंभीर मुद्दे को लेकर हाई कोर्ट के अधिवक्ता और भारतीय जागरूकता समिति के अध्यक्ष ललित मिगलानी से जानते है कि नशे के दुष्परिणाम एम् उससे सम्बंधित कानून के बारे में--


 नशे के बारे -

नशा समाज में एक ऐसी बुराई है जो हमारे युवा एम् समाज को अन्दर से खोखला कर रहे है ये एक दीमक कि तरह समाज में काम करता है जिस प्रकार वो धीरे धीरे पुरे पेड़ को को खोखला करके उसके वजूद को ही नष्ट कर देता है उसी प्रकार समाज को नशा ख़तम कर रहा हैI 

युवा किस प्रकारहो रहा है,  प्रभावित

समाज में युवा वर्ग एक ऐसा है जो नशे के गिरफ्त में सबसे ज्यादा अरहा है जो इसका सेवन करते है वो स्वस्थ से प्रभावित हो रहा है और जो उकसे व्यापार में फस जाता है वो कानून कि गिरफ्त में आकर अपना पूरा जीवन बर्बाद हो जाता हैI 

कानून की नजर में नशे को किस प्रकार देखते है-

नशे को लेकर कानून काफी कठोर है जो व्यक्ति नशे की खरीद - फरोक्त करते हुए पकडे जाते है कानून में उनके खिलाफ काफी सख्त सजा का प्रावधान है कानून में ऐसे लोगो के लिये 10 साल से लेकर उम्रकैद तक प्रावधान समिलित है और भारी जुर्माने का भी प्रावधान इस में होते है जिसमे से कुछ इस प्रकार है:- 

धारा 15 

अगर कोई व्यक्ति किसी भी वजह से एनडीपीएस एक्ट अथवा सम्बंधित लाइसेंस रूल्स का उल्लंघन करता है तो इस कार्य को दंडनीय माना जाता है। पापी स्ट्रा (पोस्ता) से सम्बंधित उल्लंघन के मामलों, 50 किलोग्राम से अधिक मात्रा पाए जाने पर मिनिमम 10 साल तक सजा और अधिकतम 20 साल तक कारावास की सजा हो सकती है और 100000 से ₹200000 के बीच में जुर्माना लगाया जा सकता है।

धारा 16  

इसी प्रकार एनडीपीएस एक्ट की धारा 16 में अगर कोका का पौधा अथवा उसकी पत्ती के संबंध में कोई नियम का वायलेशन होता है, तो उसके लिए भी सजा निर्धारित की गई है। इसमें कोका के पौधे की खेती करना या उसके किसी भी भाग का कलेक्शन करना, बिक्री करना, खरीदना इत्यादि प्रतिबंधित किया गया है और इसमें 10 साल कारावास की सजा और ₹100000 जुर्माने का प्रावधान किया गया है।

धारा 17

एनडीपीएस एक्ट की धारा 17 की बात करें, तो इसमें अगर कोई अफीम का उत्पादन, निर्माण करता है, उसे अपने पास रखता है, उसकी खरीद-बिक्री करता है, अगर उसकी मात्रा अधिक है तो 10 साल तक की सजा और अगर बड़े स्तर पर अफीम की मात्रा पायी जाती है तो 10 से 20 साल तक की सजा हो सकती है। इसमें अधिकतम जुर्माने की राशि ₹200000 है।

धारा 18

एनडीपीएस एक्ट की धारा 18 में अफीम का कारोबार प्रतिबंधित किया गया है। इसमें अफीम पोस्ता की खेती, उत्पादन अथवा निर्माण को प्रतिबंधित किया गया है। इसकी अधिक मात्रा में पाए जाने पर 10 से 20 साल तक की सजा और अधिकतम दो लाख जुर्माना किया जा सकता है।

धारा 19  

एनडीपीएस एक्ट की धारा 19 में किसी भी किसान द्वारा अफीम अवैध रूप से उत्पादन करना शामिल है और लाइसेंस धारी होने के बावजूद भी सरकार के तय खाते से अफीम का गबन करना, सजा का कारण बन सकता है। इसमें कम से कम 10 साल तक की जेल और अधिकतम 20 साल तक की जेल की जा सकती है और एक से ₹200000 के बीच में जुर्माना दिया जा सकता है।

इसी प्रकार से एनडीपीएस एक्ट की धारा 20 है, जो भांग/ गांजा के पौधे के संबंध में है। इसमें भी कमोवेश ऐसी ही सजा है। एनडीपीएस एक्ट की धारा 21 ड्रग के उत्पादन और निर्माण के संबंध में निश्चित की गई है और इसमें भी कमोबेश सजा उसी प्रकार की रखी गई है, जैसी उपरोक्त धाराओं में है, लेकिन महत्वपूर्ण बात यह है कि किसी भी तरह के ड्रग का उत्पादन करने पर भारत का एनडीपीएस एक्ट कठोर रुख अख्तियार करता है।

एनडीपीएस एक्ट की धारा 22 में किसी भी नशा के प्रोडक्ट हेतु मिले लाइसेंस की शर्तों का उल्लंघन प्रतिबंधित करता है, तो धारा 23 भारत में नशीली दवाओं के आयात निर्यात के लिए सजा निर्धारित करता है।

एनडीपीएस एक्ट की धारा 24 इसी संबंध में नशीले पदार्थों के बाहरी लेनदेन के लिए कड़ा रुख अख्तियार करती है, तो धारा 25 यह बताती है कि अगर किसी एक जगह पर यह कारोबार किया जाता है अर्थात अगर आप अपना घर या कोई जगह, अपनी कोई गाड़ी इस तरह के कारोबार के लिए देते हैं तो कड़ी सजा के हकदार हो सकते हैं। धारा 26 किसी भी लाइसेंसधारी अथवा उसके नौकर द्वारा किये गए उल्लंघन हेतु सजा निश्चित करती है, जिसमें सरकार को गलत सूचनाएं देना भी शामिल है।

एनडीपीएस एक्ट की धारा 27 किसी भी नशीली दवा के सेवन से संबंधित है और इसे प्रतिबंधित किया गया है। 27 क में इस प्रकार के अवैध व्यापार को प्रतिबंधित किया गया है और इसका वित्त पोषण करने वाले अपराधियों को कड़े दंड का प्रावधान किया गया है।


माता पिता अपने बच्चो को किस प्रकार नशे से बचा सकते है-

माता पिता को बच्चे कि संगती एम् उनके खर्चो पर नजर रखनी चाहिये और अपने युवा वर्ग के बच्चो को हमेशा ये एहसास कराना चाहिये कि वो एक काबिल व्यक्ति है और समाज और उनके परिवार को उनकी सख्त आवश्यकता हैI कभी भी किसी बच्चो को नोकरी न मिलने के कारण कटाश / टोंट नहीं मरना चाहिये इससे उसका मनोबल कमजोर होता हैI और वो नशे कि तरफ आकर्षित हो जाते हैI 

समाज में नशे का साम्राज्य बड़े का क्या कारण है-

समाज में कई कारण है जो समाज में नशे को बढ़ावा देता है इनमे से मुख्य है बेरोजगारी, युवाओ के खर्चे, जागरूकता का आभाव, राजनेतिक लाभ, प्रलोभन, युवाओ में आत्मविश्वास कि कमीI

 



               समाज को सन्देश

समाज के हर वर्ग को मे ये ही सन्देश देने चाहूँगा कि समाज किसी भी प्रलोभन, और विश्वास में न आये जिसकी वजहे से उनको नशे कि और जाना पड़े ये एक मीठे जहर कि तरह होता है जो उपर से अच्छा लगता है और अन्दर से वो न केवल के व्यक्ति को बल्कि पुरे परिवार और समाज को खत्म करता हैI

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