गणतंत्र दिवस का पर्व हर्षोल्लास का विषय है देश के लोकतंत्र को मजबूती करने का दिन है और देश के लोकतंत्र को मजबूत करने के लिए जिन्होंने शहादत दी है उनको सम्मानित श्रद्धांजलि देने का दिन है।
परंतु उसी गणतंत्र दिवस का अपमान करने में कसर नहीं छोड़ी है तथाकथित किसानों ने ।खुद को किसान कहने वाले ट्रैक्टरों पर आए और लाल किले की प्राचीर पर चढ़कर पुलिस पर हमला करने वाले इन दंगाइयों को शर्म नहीं आई।
लाल किले की प्राचीर जानी जाती है स्वतंत्रता दिवस के लिए ।जिस पर झंडा फहरा कर आजादी का संदेश और आजादी पाने के लिए शहादत देने वाले सैनिकों और जनता को श्रद्धांजलि अर्पित की जाती है ।
परंतु आज उसी लाल किले पर दंगाइयों का हुजूम देखकर देशभर के लोगों की आंखें फटी रह गई । देश ही क्यों दुनिया ने भी देखा होगा यह दृश्य। देश की अस्मिता को खतरे में डालने वाले अराजकता फैलाने वाले इन दंगाइयों का नेता कौन है ? कौन इनका मार्गदर्शक है यह जानना जरूरी हो गया है?
जनता की रक्षा में लगे पुलिस को हमला करने वाले मीडिया कर्मियों को धक्का देने वाले हाथों में नंगी तलवार और लाठी डंडे लेकर सरकारी संपत्ति को नुकसान पहुंचाने वाले यह दंगाई देश की राजधानी में शक्ति प्रदर्शन करने वाले कौन हैं?
किसान आंदोलन के नाम पर जोर दिखाने वाले हाथों में अस्त्र शस्त्र लेकर नंगा नाच नाचने वाले इन दंगाइयों से पूछा जाए कि यह कौन है ?देश जानना चाहता है देश के दिल में जिसको दिल्ली भी कहा जाता है ऐसा छेद किसने करने की कोशिश की है?
उन नेताओं को जिन्होंने इस आंदोलन को हवा देकर इस स्थिति तक पहुंचाया है उन्हें भी देश कभी माफ नहीं करेगा।
परंतु बता देना चाहता है इस देश का असली नागरिक और असली किसान कि हम ना झुके हैं ना झुकेंगे .
अभिव्यक्ति के नाम पर देश में दंगा कराने वाले और कराने वाले किसी भी व्यक्ति को बख्शा नहीं जाएगा।
दिल्ली के मामले में अब तक 7 एफ आई आर हो चुकी हैं। पूर्वी दिल्ली में चार एफआईआर ,1 नजफगढ़ में ,एक द्वारिका में और एक उत्तम नगर में दर्ज की गई है।
यही नहीं एक महिला पुलिसकर्मी को भी इन दंगाइयों ने अपना निशाना बनाया। देश भर से किसान आंदोलन के समर्थन में जाने वाले राजनीतिक पार्टियों के नेता ,अपने को किसान कहने वाले तथाकथित नेता देख लें और जान ले यह शर्मनाक हरकतें उनकी सहायता के बिना संभव नहीं थी।
संपादक की कलम से-
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