ऋषिकेश:
परमार्थ निकेतन में चैत्र नवरात्रि और नववर्ष के शुभागमन पर विविध आध्यात्मिक एवं पर्यावरण सम्बंधी गतिविधियों का आयोजन किया गया। प्रातः काल सभी साधकों ने वेदमंत्रों के साथ गंगा स्नान किया तत्पश्चात सभी ने सर्वेश्वर मन्दिर में कलश स्थापना एवं हवन में भाग लिया। परमार्थ निकेतन के सभी देशी-विदेशी साधकों ने परमार्थ निकेतन परिसर, स्वर्गाश्रम गंगा तट और राजाजी नेशनल पार्क क्षेत्र में स्वच्छता अभियान चलाया।
आज के शुभअवसर पर ड्रिंकुग क्यबगाॅन टिनले के मार्गदर्शन 30 से अधिक लामा परमार्थ निकेतन पधारे उन्होने परमार्थ गंगा तट पर होने वाली विश्व विख्यात परमार्थ गंगा आरती एवं विश्व शान्ति हवन में सहभाग किया।
लामा एवं परमार्थ निकेतन के प्रतिनिधियों के मध्य उत्तराखण्ड को हरित एवं शुद्ध प्राणवायु ऑक्सीजन पर्यटन के रूप में विकसित करने के विषयों पर चर्चा हुई। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज अक्सर कहा करते है कि उत्तराखण्ड प्राणवायु ऑक्सीजन के विषय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, उत्तराखण्ड के पास गंगा रूपी अमूल्य धरोहर के साथ योग, आयुर्वेद और स्वच्छ वायु का स्रोत हिमालय है इसके लिये कुछ बेहतर योजना बनायी जाये तो हम दुनिया को योग, आध्यात्म और ऑक्सीजन की अमूल्य भेंट प्रदान कर सकते है और भारत के दो प्रमुख धर्म हिन्दू और बौद्ध मिलकर कार्य करे तो निश्चित रूप से विलक्षण परिवर्तन हो सकता है। वैसे भी भारत में अलग-अलग धर्मो के लिये भी विशिष्ट स्थान है। विभिन्न धर्मो के धर्मगुरू और अनुयायी साथ में रहकर एकता, सद्भाव, समरसता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश पूरे विश्व में प्रसारित कर सकते है। भारत ने हमेशा से ही सर्वधर्म सम्भाव का मंत्र दिया है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने विदेश से भेजे अपने संदेश में सभी देश वासियों को नववर्ष ’’भारतीय विक्रम संवत 2076’’ की शुभकामनायें देते हुये कहा कि आज व्रत के साथ वृक्षारोपण एवं वृक्षों के संरक्षण करने का संकल्प भी लें। पर्वों, उत्सवों, जन्मदिवस और खुशियों के अवसर पर वृक्षारोपण अवश्य करें क्योंकि बढ़ता वायु प्रदूषण एक वैश्विक समस्या हैं उन पर सभी को मिलकर चिंतन करने की जरूरत है। उन्होने कहा कि बढ़ता वायु प्रदूषण भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिये एक बहुत बड़ी समस्या है। पेड़ों के कटने से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है और ऑक्सीजन का स्तर कम होते जा रहा है हम वृक्षारोपण कर हमारी धरा को और हरा-भरा कर सकते हैं और अपने आस-पास के क्षेत्र को ऑक्सीजन बैंक बना सकते हैं।
पेड़ों को सुरक्षित कर हम मानव सभ्यता को सुरक्षित कर सकते हैं। दूसरी वजह यह भी है कि पेड़-पौधे वाहनों से होने वाले प्रदूषण को भी आत्मसात करते है। वर्तमान में देखे तो सड़कों पर वाहन बढ़ते जा रहे है और सड़कों के आस-पास लगे पेड़ कटते जा रहे है जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा हैनये वर्ष के अवसर पर वृक्षमण्डल से वायुमण्डल बचाने का संकल्प लें
6 अप्रैल, ऋषिकेश। परमार्थ निकेतन में चैत्र नवरात्रि और नववर्ष के शुभागमन पर विविध आध्यात्मिक एवं पर्यावरण सम्बंधी गतिविधियों का आयोजन किया गया। आज प्रातः काल सभी साधकों ने वेदमंत्रों के साथ गंगा स्नान किया तत्पश्चात सभी ने सर्वेश्वर मन्दिर में कलश स्थापना एवं हवन में भाग लिया। परमार्थ निकेतन के सभी देशी-विदेशी साधकों ने परमार्थ निकेतन परिसर, स्वर्गाश्रम गंगा तट और राजाजी नेशनल पार्क क्षेत्र में स्वच्छता अभियान चलाया।
आज के शुभअवसर पर ड्रिंकुग क्यबगाॅन टिनले जी के मार्गदर्शन 30 से अधिक लामा परमार्थ निकेतन पधारे उन्होने परमार्थ गंगा तट पर होने वाली विश्व विख्यात परमार्थ गंगा आरती एवं विश्व शान्ति हवन में सहभाग किया।
माननीय लामा जी एवं परमार्थ निकेतन के प्रतिनिधियों के मध्य उत्तराखण्ड को हरित एवं शुद्ध प्राणवायु ऑक्सीजन पर्यटन के रूप में विकसित करने के विषयों पर चर्चा हुई। स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज अक्सर कहा करते है कि उत्तराखण्ड प्राणवायु ऑक्सीजन के विषय में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, उत्तराखण्ड के पास गंगा रूपी अमूल्य धरोहर के साथ योग, आयुर्वेद और स्वच्छ वायु का स्रोत हिमालय है इसके लिये कुछ बेहतर योजना बनायी जाये तो हम दुनिया को योग, आध्यात्म और ऑक्सीजन की अमूल्य भेंट प्रदान कर सकते है और भारत के दो प्रमुख धर्म हिन्दू और बौद्ध मिलकर कार्य करे तो निश्चित रूप से विलक्षण परिवर्तन हो सकता है। वैसे भी भारत में अलग-अलग धर्मो के लिये भी विशिष्ट स्थान है। विभिन्न धर्मो के धर्मगुरू और अनुयायी साथ में रहकर एकता, सद्भाव, समरसता और पर्यावरण संरक्षण का संदेश पूरे विश्व में प्रसारित कर सकते है। भारत ने हमेशा से ही सर्वधर्म सम्भाव का मंत्र दिया है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने विदेश से भेजे अपने संदेश में सभी देश वासियों को नववर्ष ’’भारतीय विक्रम संवत 2076’’ की शुभकामनायें देते हुये कहा कि आज व्रत के साथ वृक्षारोपण एवं वृक्षों के संरक्षण करने का संकल्प भी लें। पर्वों, उत्सवों, जन्मदिवस और खुशियों के अवसर पर वृक्षारोपण अवश्य करें क्योंकि बढ़ता वायु प्रदूषण एक वैश्विक समस्या हैं उन पर सभी को मिलकर चिंतन करने की जरूरत है। उन्होने कहा कि बढ़ता वायु प्रदूषण भारत ही नहीं बल्कि पूरे विश्व के लिये एक बहुत बड़ी समस्या है। पेड़ों के कटने से वायु प्रदूषण बढ़ रहा है और ऑक्सीजन का स्तर कम होते जा रहा है हम वृक्षारोपण कर हमारी धरा को और हरा-भरा कर सकते हैं और अपने आस-पास के क्षेत्र को ऑक्सीजन बैंक बना सकते हैं। पेड़ों को सुरक्षित कर हम मानव सभ्यता को सुरक्षित कर सकते हैं। दूसरी वजह यह भी है कि पेड़-पौधे वाहनों से होने वाले प्रदूषण को भी आत्मसात करते है। वर्तमान में देखे तो सड़कों पर वाहन बढ़ते जा रहे है और सड़कों के आस-पास लगे पेड़ कटते जा रहे है जिससे वायु प्रदूषण बढ़ता जा रहा हैअतः वाहनों का प्रयोग भी कम करे और पौधों का रोपण अधिक मात्रा में कर हम अपने वायु मण्डल को बचा सकते है। उन्होने कहा कि प्रकृति बचेगी तभी प्राण बचेंगे और तभी प्राणों को ऑक्सीजन मिलेगी, इसके लिये पहले प्रकृति की शरण में जाना होगा; पौधों का रोपण करना होगा। वृक्ष हमारे लिये प्रकृति प्रदत उपहार हैं उनका संरक्षण करना हमारा परम कर्तव्य है। स्वामी जी महाराज ने कहा कि वृक्षों के मण्डल बनाये, वृक्षों के समूह तैयार करे, अपने घरों में वाटिकायें बनायें जहां पर भी जगह खाली हो वहां पर पौधों का रोपण करे। हमें सरकार के साथ सहकार कर नदियों के किनारों पर वृक्षारोपण हेतु आगे आना होगा।
ड्रिंकुग क्यबगाॅन टिनले जी ने बताया कि स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज के साथ व्यापक स्तर पर वृक्षारोपण कार्यक्रम चलाया है जिसमें हमने सहजन के पौधों का रोपण किया जो की नदियों के जल को स्वच्छ करने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा करता है।
चैत्र नवरात्रि और हिन्दू नववर्ष के पावन अवसर पर ड्रिंकुग क्यबगाॅन टिनले जी को पर्यावरण का प्रतीक रूद्र्राक्ष का पौधा भेंट किया तथा जल संरक्षण हेतु वाॅटर ब्लेसिंग सेरेमनी सम्पन्न की।
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