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सहज संवाद / डा. रवीन्द्र अरजरिया

सपा-बसपा के विजयी प्रत्याशियों के समर्थन पर आश्वस्त है कांग्रेस


चुनावी समर में सभी राजनैतिक दल अपने तरकश के तीरों को नये अंदाज में चलाने लगे हैं। प्रतिव्दंदियों के वार पर प्रतिवार करने की कोशिशें तेज होने लगीं हैं। मोदी के विपक्षी अपने का संदेशों में राष्ट्र को तानाशाही से बचाने और विकास पथ पर ले जाने का घोष कर रहे है। भाजपा के यशगान के सामने घोषणागान करने में कांग्रेसी दिग्गज पूरा जोर लगा रहे हैं। अनेक वक्तव्यों में मर्यादाओं को लांघने की होड सी दिखने लगी है। भाजपा एवं उसके सहयोगी दलों का प्रचार अभियान विपक्ष के बयानों को अपने ढंग से परिभाषित करके उडने लगा है तो कांग्रेस और उसके साथ मिलकर चुनावी बिगुल फूंकने वाले दल भी भविष्य की योजनाओं और चुनावी घोषणा पत्र को ढाल बनाकर खडे हो रहे हैं। विचार चल ही रहा था कि हमारे पुराने मित्र रहमान भाई के आफिस में आने की सूचना सिक्यूरिटी ने इंटरकाम पर दी। उनकी अचानक उपस्थिति से हमें सुखद आश्चर्य हुआ। हमने तत्काल सिक्यूरिटी को आदेश देकर उन्हें अतिथि कक्ष तक ससम्मान पहुंचाने के लिए कहा। अपने लम्बित कार्यों को तीव्रता से पूरा किया और अपने चैम्बर से निकलकर हमने अतिथि कक्ष का रूख किया। कुछ समय बाद हम और रहमान भाई आमने-सामने थे। अभिवादन के आदान-प्रदान के बाद कुशलक्षेम पूछने-बताने की बारी आई। इन सभी औपचारिकताओं से निपट कर हमने चर्चा को वर्तमान चुनावों की आहट की ओर मोड दिया। उन्होंने राजनैतिक मंथन से किनारा करते हुए इस विषय पर किसी राजनैतिक समीक्षक को आमंत्रित करने का निवेदन किया। हमने भी उन्हें तंग करने की गरज से पूछा कि मसलन। चेहरे पर मुस्कुराहट लाते हुए उन्होंने कहा कि मसलन मीम अफजल। इसके बाद हम दौनों ने संयुक्त ठहाका लगाया। ऐसे चिन्तक कांग्रेस में कम ही हैं जो पार्टी को विषम परिस्थितियों में अपने सार्थक सुझाव से मजबूती प्रदान करते रहे हैं। हम कब पीछे रहने वाले थे। तत्काल कांग्रेस के कद्दावर नेता मीम अफजल को फोन लगा दिया। देश-विदेश में राजनैतिक परिपेक्ष को व्यवहार में चरितार्थ करने वाले कांग्रेसी नेता मीम अफजल ने कांग्रेस के घोषणा पत्र और पार्टी के राष्ट्रीय अध्यक्ष की नीतियों-रीतियों का बखान करते हुए लोकसभा में बहुमत हासिल करने का दावा किया। हमने उन्हें प्रियंका को उत्तर प्रदेश के एक भाग की जिम्मेदारी देने के पीछे का उद्देश्य रेखांकित करने को कहा तो उन्होंने निकट भविष्य में प्रियंका को उत्तर प्रदेश के विकास व्यक्तित्व के रूप में परिभाषित करना शुरू कर दिया। हमने भी उन्हें गहराई में ले जाने की नियत से प्रियंका को केवल एक प्रदेश तक सीमित कर देने का सवाल उठाये तो उन्होंने पार्टी की नीतिगत बातों का बखान करते हुए इसे पार्टी के मुखिया के निर्णय पर छोड दिया। एक सफल राजनेता के रूप में स्वयं को प्रमाणित करते हुए हमारे कठिन से कठिन प्रश्नों को वे हौले से हाशिये की ओर ढकेलते हुए गोलमोल उत्तर दे देते। प्रश्नों के तरकश से एक और तीर निकाला। उत्तर प्रदेश में सपा-बसपा के गठबंधन में कांग्रेस की उपेक्षा पर उनका पक्ष जानना चाहा तो उनके शब्दों ने गम्भीरता ओढ ली। चुनावी दावपेचों का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि चुनाव के बाद सपा-बसपा के सांसद हमारे साथ ही होंगे। हम सब एक हैं। हमारा सांझा उद्देश्य है जनता की हितैषी सरकार का गठन और हम इस उद्देश्य में सफल होंगे। सपा-बसपा के विजयी प्रत्याशियों के समर्थन पर आश्वस्त है कांग्रेस, यह बात सामने आयी तो लगा कि पर्दे के पीछे का सच उभर आया अन्यथा मीम अफजल जैसा परिपक्व कांग्रेसी यह दावा कभी नहीं करते। चर्चा चल ही रही थी कि फोन कर काल वेटिंग में स्टूडियो की काल आने लगी। सो मजबूरी में बातचीत को समेटते हुए हमने इस विषय पर फिर कभी लम्बी चर्चा के आश्वसन के साथ उससे विदा मांगी और स्टूडियो का काल रिसीव किया। आवश्यक कार्य हेतु स्टूडियो जाने की बाध्यता थी। रहमान भाई से कुछ समय के लिए क्षमा चाहते हुए हमने स्टूडियो का रुख किया। इस बार बस इतना ही। अगले सप्ताह एक नये मुद्दे के साथ फिर मुलाकात होगी। तब तक के लिए खुदा हाफिज।
(लेखक के अपने विचार )




Dr. Ravindra Arjariya
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