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30 वाँ वार्षिक अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव अद्भुत, अविस्मरणीय और नवोदित आयामों से युक्त रहा*


30 वाँ अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव विविध आयामों के साथ सम्पन्न हुआ। इस महोत्सव में छः महाद्वीपों और विश्व के 80 से भी अधिक देशों से योग जिज्ञासुओं योग की विभिन्न विधाओं को आत्मसात करने हेतु आये हुये थे।
 योगियों ने कहा कि जिस प्रकार से इस बार का प्रयागराज कुम्भ ’दिव्य कुम्भ और भव्य कुम्भ’ रहा, वही दूसरी ओर इस बार का अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव भी अविस्मरणीय रहा। विश्व के अनेक देशों से आये योगियों ने परमार्थ निकेतन से विदाई लेकर कुछ तो भारत दर्शन हेतु निकल गये कुछ योग साधक ने अपने-अपने देशों के लिये प्रस्थान किया।
 अनेक आयामों और विविधताओं को लिये इस बार का महोत्सव सफलता पूर्वक सम्पन्न हुआ।
 आज की दिव्य गंगा आरती में विश्व महिला दिवस के अवसर पर देश विदेश में सामाजिक और आध्यात्मिक स्तर पर उत्कृष्ट कार्य करने वाली महिला लीडर्स को स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने सम्मानित किया।
 स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि योेेग की वैश्विक राजधानी से योगी, योग कि विभिन्न विधाओं के साथ भारतीय संस्कृति और विश्व बंधुत्व का संदेश लेकर जा रहे है। उन्होने बताता कि इस बार हमने योग महोत्सव में विश्व के अनेक देशों के आदिवासी और जनजाति प्रमुखों को आमंत्रित किया था जिनका अमेजन के जंगलों और नदियों के संरक्षित करने में महत्वपूर्ण योगदान है। उनकी प्रार्थना पद्धति भी पर्यावरण संरक्षण के लिये है।
 योग की कक्षाओं के साथ इस बार योगियों ने ’स्वेट लाॅज’ शरीर शुद्धिकरण प्रक्रिया का भी लाभ लिया। परमार्थ निकेतन द्वारा आयोजित अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव विश्व में अपनी उत्कृष्ट पहचान स्थापित कर चुका है, इसे प्रसिद्ध प्रकाशनों जैसे टाइम पत्रिका, न्यूयार्क टाइम्स, बीबीसी, सी. एन. एन. और कई प्रतिष्ठित प्रकाशनों ने भी कवर किया है और इस बार भी इस महोत्सव ने अनेक ऐतिहासिक उपलब्धियां हासिल की है।
 स्वामी जी महाराज ने कहा कि इस प्रकार के ऐतिहासिक आयोजनों का उत्तराखण्ड सहित भारत के पर्यटन में महत्वपूर्ण योगदान है। इस तरह के आयोजन हमारी संस्कृति को गौरवान्वित करते है हमारे राष्ट्र को समृद्धि प्रदान करते है तथा इससे विश्व बन्धुत्व का संदेश प्रसारित होता है। वास्तव में योग एकत्व का ही दूसरा रूप है।
 चलते-चलते सभी योगाचार्यो, योगियों, संगीतज्ञों, आदिवासी और जनजाति प्रमुखों ने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज और जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती के सान्निध्य में पर्यावरण एवं नदियों को संरक्षित करने का संकल्प लिया। सभी ने भारी मन से परमार्थ निकेतन से विदा ली।

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