ऋषिकेश ;
भारत के आध्यात्मिक पूज्य संतों के पावन सान्निध्य में आज से नित्य श्री यमुना जी की आरती का शुभारम्भ हुआ।
श्री स्वामी गुरूशरणानन्द महाराज, श्री स्वामी रामदेव महाराज, संत श्री रमेश भाई ओझा, श्री स्वामी अवधेशानन्द महाराज, श्री स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज, मलूकपीठाधीश्वर राजेन्द्र दास महाराज, गीता मनीषी श्री स्वामी ज्ञानानन्द महाराज, वैष्णवाचार्य पुण्डरीक गोस्वामी , श्री कृष्णचन्द्र ठाकुर , स्वामी परमाद्वैति एवं पूज्य संतों ने यमुना जी आरती में सहभाग किया
साथ ही स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज के साथ अमेरीका, कोलम्बिया, पेरू, कोस्टारिका, एक्वाडोर, अर्जेनटीना युरोप सहित विश्व के अनेक देशों से आये श्रद्धालुओं ने आरती का आनन्द लिया। परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि मेरी वर्षों की इच्छा थी कि जिस प्रकार गंगा जी की आरती परमार्थ निकेतन ऋषिकेश एवं अन्य तीर्थ स्थानों पर होती है, जो आज विश्व विख्यात हो गयी है, वैसी ही भव्य एवं दिव्य आरती वृंदावन, ब्रज में होनी चाहिये। इस पर पूज्य स्वामी गुरूशरणानन्द जी महाराज ने कहा कि यह अति उत्तम सुझाव है क्यों न ब्रह्मण्ड घाट, रमणरेती से यह शुरूआत की जाये।
स्वामी जी ने बताया कि पूज्य स्वामी गुरूशरणानन्द जी महाराज के सान्निध्य में यमुना जी के आरती की पूरी तैयारियाँ हो चुकी हैं जिसमें पूज्य, यशस्वी और तपस्वी संतों ने पधार कर श्री यमुना जी की दिव्य आरती का शुभारम्भ किया।
यमुना जी के तट पर उपस्थित सभी पूज्य संतों ने गंगा, यमुना और देश की सभी नदियों को स्वच्छ करने का संकल्प लिया तथा वहां उपस्थित श्रद्धालुओं की अपार भीड़ को भी कराया। स्वामी जी ने कहा कि यमुना जी और गंगा जी की स्वच्छता का काम काफी आगे बढ़ गया है अब उसे सभी के सहयोग से और आगे बढ़ाना है। आगामी प्रयागराज में कुम्भ मेला एक उत्कृष्ट अवसर है जब पूज्य संतों के सान्निध्य से सबको साथ लेकर कमर कस कर इस अभियान को आगे बढ़ाना होगा।
स्वामी जी महाराज ने बताया की यमनोत्री से निकलने वाली दिव्य और शुद्ध यमुना जी में अत्यधिक प्रदूषण डाला जा रहा है। राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली से गुजरते हुये यमुना नदी लगभग 22 किलोमीटर सफर तय करती है और इस सफर में लगभग 18 नाले यमुना में गिरते है। अपने एक हजार उन्नतीस किलोमीटर के सफर में दिल्ली से होते हुये आगरा-मथुरा मेेें सबसे अधिक प्रदूषित हो जाती है। स्वामी जी ने कहा कि नदियों को स्वच्छ रखने के लिये अविरलता के साथ जन जागरूकता नितांत आवश्यक है।
स्वामी जी महाराज ने कहा कि अगर नदियां स्वभावगत प्रवाहित होते रही तो वह अविरल और निर्मल रहेगी। परन्तु उनके प्रवाह को रोका गया; उसमें गंदे नाले, मल, सीवर और बिना उपचारित जल प्रवाहित किया गया तब नदियों को स्वच्छ करने की आवश्यकता पड़ती है। जीवनदायिनी नदियों को बचाने के लिये उनके प्रति जन समुदाय का जागरूक होना आवश्यक है। यमुना जी की आरती के माध्यम से स्वच्छता का संकल्प और जागरूकता का अभियान दोनों को सार्थक किया जा सकता है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने आह्वान किया की विश्व में जितने भी वैष्णव है वे सब यमुना जी को स्वच्छ और अविरल बनाने के लिये आगे आये। उन्होने कहा कि कुछ भी असम्भव नहीं है गंगा आरती की तरह विश्व को अब यमुना आरती के दर्शन होंगे।
यमुना आरती के लिये विशेष रूप से पधारे उत्तरप्रदेश के ऊर्जा मंत्री ब्रज के ही बेटे श्रीकान्त शर्मा ,परिवहन मंत्री स्वतंत्र देव , निष्ठावान अधिकारी ब्रज विकास परिषद् के उपाध्यक्ष श्री शैलजा कान्त एवं अनेक संतों, महापुरूषों एवं उच्चाधिकारियों ने भाग लिया
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