हरिद्वार;
गंगा माँ के लिए एक के बाद एक तपस्वी अनशन पर बैठने को तैयार है।स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद जी की तपस्या के क्रम में आज से मातृ सदन में ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद की तपस्या शुरू और पुण्यानंद जी का अन्न त्याग शुरू हो गया है ।उनका कहना है कि सरकार बलिदान चाहती है आत्मबोधानंद के बलिदान के बाद उसी कड़ी में अपने आपको प्रस्तुत करते हुए पुण्यानंद का 24 से ही अन्न का त्याग प्रारम्भ हो गया है ।
उधर गंगा की अविरल धारा के यथास्वरूप रहने के लिए स्वामी सानन्द ने जो बलिदान दिया है, उसी की कड़ी में संत गोपालदास भी प्रयासरत है।
स्वामी सानन्द की मृत्यु के बाद ही, सन्त गोपालदास को भी प्रशासन ने एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया और फिर 2 दिन पश्चात ही मातृ सदन छोड़ आये। अनशन पर बैठे इस संत को आभास तक नही था, जब 18 अक्टूबर को उन्हें मातृ सदन से जबरदस्ती एम्बुलेंस में डालकर फिर अस्पताल ले जाया गया और अचानक रात्रि में पी जी आई चंडीगढ़ भेज दिया गया। रात में ही उबड़-खाबड़ रास्ते से ले जाते हुए उनकी एम्बुलेंस लगभग 3 बार टकराने से बची।
संत गोपालदास ने माननीय न्यायालय को एक पत्र प्रेषित करते हुए समस्त स्थिति से अवगत भी कराया था, उनकी मांग थू कि जब वे एकदम स्वस्थ है तो उनको अस्पताल क्यों ले जाया जा रहा है। और उनके सहमति के बगैर एलोपथिक दवाई दी जा रही है ।
आज सुबह ही चंडीगढ़ से उन्हें एम्स ऋषिकेश रेफेर किया गया था, परंतु आधे रास्ते से ही वापस चंडीगढ़ बुला लिया गया है। मातृ सदन के अनुसार उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। साथ ही उन्होंने मांग की है कि इलाज कराने के लिए उन्हें स्वतंत्र छोड़ दिया जाए।
गंगा माँ के लिए एक के बाद एक तपस्वी अनशन पर बैठने को तैयार है।स्वामी ज्ञानस्वरूप सानंद जी की तपस्या के क्रम में आज से मातृ सदन में ब्रह्मचारी आत्मबोधानंद की तपस्या शुरू और पुण्यानंद जी का अन्न त्याग शुरू हो गया है ।उनका कहना है कि सरकार बलिदान चाहती है आत्मबोधानंद के बलिदान के बाद उसी कड़ी में अपने आपको प्रस्तुत करते हुए पुण्यानंद का 24 से ही अन्न का त्याग प्रारम्भ हो गया है ।
उधर गंगा की अविरल धारा के यथास्वरूप रहने के लिए स्वामी सानन्द ने जो बलिदान दिया है, उसी की कड़ी में संत गोपालदास भी प्रयासरत है।
स्वामी सानन्द की मृत्यु के बाद ही, सन्त गोपालदास को भी प्रशासन ने एम्स ऋषिकेश में भर्ती कराया और फिर 2 दिन पश्चात ही मातृ सदन छोड़ आये। अनशन पर बैठे इस संत को आभास तक नही था, जब 18 अक्टूबर को उन्हें मातृ सदन से जबरदस्ती एम्बुलेंस में डालकर फिर अस्पताल ले जाया गया और अचानक रात्रि में पी जी आई चंडीगढ़ भेज दिया गया। रात में ही उबड़-खाबड़ रास्ते से ले जाते हुए उनकी एम्बुलेंस लगभग 3 बार टकराने से बची।
संत गोपालदास ने माननीय न्यायालय को एक पत्र प्रेषित करते हुए समस्त स्थिति से अवगत भी कराया था, उनकी मांग थू कि जब वे एकदम स्वस्थ है तो उनको अस्पताल क्यों ले जाया जा रहा है। और उनके सहमति के बगैर एलोपथिक दवाई दी जा रही है ।
आज सुबह ही चंडीगढ़ से उन्हें एम्स ऋषिकेश रेफेर किया गया था, परंतु आधे रास्ते से ही वापस चंडीगढ़ बुला लिया गया है। मातृ सदन के अनुसार उनकी हालत नाजुक बनी हुई है। साथ ही उन्होंने मांग की है कि इलाज कराने के लिए उन्हें स्वतंत्र छोड़ दिया जाए।
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