सरकार ने प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना (पीएमएफबीवाई) के तहत बीमा दावों के निपटान में देरी होने की स्थिति में राज्यों और बीमा कंपनियों पर जुर्माना लगाने का प्रावधान शामिल करने का फैसला किया है।
यह महत्वपूर्ण प्रावधान पीएमएफबीवाई के क्रियान्वयन के लिए सरकार द्वारा जारी नए परिचालन दिशा-निर्देशों का एक हिस्सा है। निर्धारित अंतिम तिथि के दो माह बाद दावों का निपटान करने पर देरी होने के कारण बीमा कंपनियां किसानों को 12 प्रतिशत ब्याज का भुगतान करेंगी। बीमा कंपनियों की ओर से अपनी मांग प्रस्तुत करने के लिए निर्धारित अंतिम तिथि के तीन माह बाद सब्सिडी में राज्य का हिस्सा जारी करने पर विलम्ब होने के कारण राज्य सरकारें 12 प्रतिशत ब्याज देंगी। 1 अक्टूबर से शुरू होने वाले रबी सीजन को ध्यान में रखते हुए नए परिचालन दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं।
नए
परिचालन दिशा-निर्देशों में बीमा कंपनियों के आकलन के लिए एक मानक परिचालन
प्रक्रिया के साथ-साथ सेवाएं मुहैया कराने में अप्रभावी पाए जाने पर इस
योजना से हटाए जाने का विवरण भी दिया गया है। सरकार ने प्रायोगिक आधार पर
पीएमएफबीवाई के दायरे में बारहमासी बागवानी फसलों को भी शामिल करने का
निर्णय लिया है। नए परिचालन दिशा-निर्देशों के अनुसार, जंगली
जानवरों के हमले के कारण फसल नुकसान होने की स्थिति में भी बीमा कवर देने
को इस योजना में जोड़ा गया है। इसे प्रायोगिक आधार पर क्रियान्वित किया
जाएगा। लाभार्थियों द्वारा फिर से लाभ उठाने की स्थिति से बचने के लिए ‘आधार’ नंबर को इसमें अनिवार्य रूप से दर्ज किया जाएगा।
इस
योजना के तहत और ज्यादा संख्या में गैर कर्जदार किसानों का बीमा
सुनिश्चित करने के उद्देश्य से विभिन्न जागरूकता गतिविधियां संचालित करने
के अलावा बीमा कंपनियों को पिछले संबंधित सीजन की तुलना में 10 प्रतिशत
ज्यादा गैर कर्जदार किसानों को नामांकित करने का लक्ष्य भी दिया जाता है।
बीमा कंपनियों को इस योजना का प्रचार-प्रसार करने और इसके बारे में
जागरूकता बढ़ाने के लिए प्रति सीजन प्रति कंपनी सकल प्रीमियम का 0.5
प्रतिशत अनिवार्य रूप से खर्च करना होगा।
नए
परिचालन दिशा-निर्देशों के तहत अनेक कारगर समाधान पेश करने की बदौलत इस
योजना के क्रियान्वयन में आने वाली चुनौतियों से पार पा लिया गया है।
प्रीमियम जारी करने की प्रक्रिया को तर्कसंगत बनाने की मांग को भी नए
दिशा-निर्देशों में शामिल कर लिया गया है। इसके अनुसार बीमा कंपनियों के
लिए यह जरूरी नहीं है कि वे अग्रिम सब्सिडी के लिए कोई अनुमान व्यक्त
करें। एकमुश्त प्रीमियम सब्सिडी को सीजन के आरंभ में ही जारी कर दिया
जाएगा जो भारत सरकार/राज्य की सब्सिडी के रूप में पिछले वर्ष के संबंधित
सीजन की सब्सिडी में कुल हिस्सेदारी के 50 प्रतिशत से लेकर 80 प्रतिशत तक
पर आधारित होगी। शेष प्रीमियम का भुगतान दूसरी किस्त के रूप में किया
जाएगा जो दावों के निपटान के लिए पोर्टल पर उपलब्ध विशिष्ट स्वीकृत
कारोबारी आंकड़ों पर आधारित होगी। अंतिम कारोबारी आंकड़ों पर आधारित पोर्टल
पर उपलब्ध समस्त कवरेज डेटा के मिलान के बाद अंतिम किस्त का भुगतान
किया जाएगा। इससे किसानों के दावों के निपटान में पहले के मुकाबले कम देरी
होगी।
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