राजस्थान में अब क्षत्राणियां सामने आईं। उन्होंने कहा ." संजय लीला भंसाली आग से खेलने की कोशिश नहीं करें"।
10 नवम्बर को सुप्रीम कोर्ट ने उस जनहित याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें विवादित फिल्म पद्मावती पर रोक लगाने की मांग की गई थी। कोर्ट का कहना रहा कि अभी इस फिल्म को सेंसर बोर्ड ने सर्टिफिकेट नहीं दिया
है। इसलिए सुप्रीम कोर्ट सुनवाई नहीं कर सकता। अब फिल्म के समर्थक सुप्रीम कोर्ट के फैसले को विरोधियों को झटका बता रहे हैं, जबकि देखा जाए तो सुप्रीम कोर्ट को फिल्म पर कोई फैसला करना ही नहीं था, क्योंकि हमारी
सनातन संस्कृति का अपमान करने वाली इस फिल्म को रोकने की जिम्मेदारी सेंसर बोर्ड की है और सब जानते है कि देश का सेंसर बोर्ड प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी और राजस्थान की सीएम वसुंधरा राजे के अधीन काम करता है।
भले ही सेंसर बोर्ड को स्वतंत्र माना जाता हो, लेकिन सब जानते हैं कि सेंसर बोर्ड के अध्यक्ष और सदस्यों की नियुक्ति केन्द्र सरकार अपने नजरिए से करती है। ऐसा नहीं हो सकता कि सेंसर बोर्ड मोदी और वसुंधरा सरकार का नजरिया नहीं समझे।
कांग्रेस के शासन में भाजपा के नेताओं ने कई बार आरोप लगाया कि सेंसर बोर्ड में वामपंथी विचार धारा के लोग बैठे हैं, जिन्हें हमारी सनातन संस्कृति का मजाक उड़ाने में मजा आता है। इसलिए अब सनातन संस्कृति को मानने वाले लोग चाहते हैं कि मोदी और वसुंधरा की सरकार पद्मावती फिल्म पर दो टूक फैसला लें। सरकार चाहे तो फिल्म की समीक्षा के लिए एक कमेटी का गठन भी कर सकती है, जब देश का आम व्यक्ति यह मान रहा है कि यह फिल्म लोगों की भावनाओं के खिलाफ है तो सरकार को ऐसी फिल्म रिलीज होने पर रोक लगा देनी चाहिए।
क्षत्राणियां सामने आईंः
10 नवम्बर को जयपुर में राजपूत समाज की महिलाओं ने एक प्रेस काॅन्फ्रेंस कर कहा कि अपने सम्मान के खातिर चित्तौड़ की महारानी पद्मावती ने 16 हजार स्त्रियों के साथ जौहर किया था और अब पद्मावती फिल्म के विरोध में 32 हजार क्षत्राणियां सड़कों पर आजाएंगी।
सरकार को सम्पूर्ण हिन्दू समाज के धैर्य की परीक्षा नहीं लेनी चाहिए।
इसके साथ ही पद्मावती के एक वंशज का कहना रहा कि सवाल किसी प्रेम प्रसंग का नहीं है। सवाल राजपूत संस्कृति की मर्यादाओं का है। संजय लीला भंसाली ने फिल्म के एक नृत्य का जो प्रसारण किया है वह पूरी तरह राजपूत संस्कृति के विरुद्ध है। किसी भी राजपरिवार की महिला इस तरह नृत्य नहीं करती है। जिस रानी ने 16 हजार स्त्रियों के साथ अग्निकुंड में कूद कर जान दे दी, उस रानी को नृत्य करते हुए दिखाया जाना बेहद ही शर्मनाक है। उन्होंने कहा कि भंसाली ने फिल्म बनाने से पहले हमारे परिवार से कोई अनुमति नहीं ली।
हमारी अनुमति के बगैर ही हमारे किसी परिवार के सदस्य पर फिल्म बनाना गैर कानूनी काम है। आग से ना खेले भंसालीः निर्माता निर्देशक संजय लीला भंसाली ने पद्मावती फिल्म का जो ट्रेलर और एक घूमर नृत्य जारी किया है उसको लेकर भी राजस्थान सहित देशभर में विरोध हो रहा है। भंसाली ने यह कहा है कि इस फिल्म में अल्लाउद्दीन खिलजी और रानी पद्मावती के प्रेम प्रसंग का कोई दृश्य नहीं है। लेकिन पूरा देश देख रहा है कि पद्मावती के बलिदान की ख्याति को भंसाली ने कमाई का जरिया बनाया है।
इसलिए भंसाली और इस फिल्म का जगह-जगह विरोध हो रहा है। भंसाली को स्वयं चाहिए कि वह एक दिसम्बर को फिल्म के रिलीज को टाल दें। वैसे माना यही जा रहा है कि सेंसर बोर्ड गुजरात चुनाव से पहले सर्टिफिकेट नहीं देगा।