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दूधली/डोईवाला/देहरादून;



अगर किसान को इतनी सोच हो सकती है कि फसलों को किस प्रकार जंगली जानवरों से बचाया जा सके कम से कम लागत और समय में तो , वन विभाग ज्यूँ आंखे मूंदे बैठा रहता है। साल दर साल फाइलों को घुमाता रहता है ,सरकार की फजीहत कराता है।सालों से लंबित शिकायत का सरकार और विभाग से हल नही निकला तो कैसे अन्नदाताओं ने अपनी  फसलों को कम लागत में बचाव का उपाय किया जो अत्यंत सराहनीय है।

 किसानों का कहना है कि जब वन विभाग व टाईगर रिजर्व नेशनल पार्क व विधायक, सांसद,व सरकार द्वारा कोई भी धनराशि सिमलास ग्रांट को जंगली जानवरों, हाथियों से रोकथाम के लिए नहीं दी गई तो किसानों ने एक हजार रुपये प्रति बीघा जमीन के हिसाब से चंदा कर सात सौ मीटर सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट बनाया गया।

Solar fencing  protected from wild animals


 एक लाख रुपए की लागत से बने सौर ऊर्जा बाढ़ से अब किसानों को जंगली हाथियों के साथ जंगली जानवरों से अपनी फसलों को बचाने में कामयाब हो रहें हैं।

 सरकार की उपेक्षा के चलते किसानों ने उठाया कदम मददगार साबित हो रहा है जहां क्षेत्रों के ग्रामीण क्षेत्रों में आज कल भी जंगली हाथियों द्वारा फसलों को चौपट करने के मामले आये दिन समाचार पत्रों में प्रकाशित हो रहें दूधली क्षेत्रों के साथ बुल्लावाला झबरावाला आदि गांवों को भी इस तरह से सौर ऊर्जा बाढ़ सुरक्षा व्यवस्था बनाने की जरूरत है अभी हमारे गांव में सौर ऊर्जा बाढ़ अधूरी है जिसमें झडोंद क्षेत्र अभी टाईगर रिजर्व नेशनल पार्क की ओर बाकी है जिससे अभी जंगली जानवरों से सुरक्षित नहीं है ग्रामीणों द्वारा चन्दा कर इस क्षेत्रों को भी सुरक्षित किया जायेगा.

 उमेद बोरा पूर्व प्रधान एवं सामाजिक कार्यकर्ता डोईवाला देहरादून उत्तराखंड का कहना है कि उत्तराखंड प्रदेश सरकार, विधायक, सांसद, पंचायत, क्षेत्र पंचायत, जिला पंचायत,वन विभाग द्वारा किसानों की फसलों को बचाने के लिए बार बार मांग करने पर कोई उपाय न करने पर सिमलास ग्रांट के किसानों ने चंदा एकत्रित कर सौर ऊर्जा प्रोजेक्ट बनाया इन सभी को आईना दिखाया।

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