उत्तराखंड में चार धाम यात्रा शुरू हो चुकी है 25 लाख लोगों ने पंजीकरण कराया है 13 मई तक के लिए रजिस्ट्रेशन फुल क्या आप जानते हैं?
इसका क्या कारण है? क्या यह सभी तीर्थ यात्री हैं? क्या यह सभी वह आस्था के पुंज हैं जो भगवान के चरणों में अपनी आस्था का दीपक जलाने आ रहे हैं?
नहीं !आप जानकर हैरान रह जाएंगे यह सभी तीर्थ यात्री नहीं है असल में तीर्थ यात्रा के नाम पर कुछ बेशर्म लोगों ने तीर्थ यात्रा को पर्यटन का अड्डा बना लिया है यह वह लोग हैं जो युटयुबर्स और ब्लॉगर्स के नाम से मशहूर हैं.
युटयुबर्स और ब्लॉग्स की एक बहुत जबरदस्त भीड़ है जिसे सभी धामों में और धामों के आसपास किराए कमरे होटल भवन धर्मशालाएं बुक कर रखी हैं।
कहीं कोई रुकने का आवास नहीं है। सारी सुविधाएं जो प्रदत्त की जा रही हैं उनका फायदा यही उठा रहे हैं।
यही तक सीमित नहीं रह जाता है इसके पश्चात सभी धामों पर बेख़ौफ़ होकर जाना जूते लेकर घूमना और अपनी रील्स बना बनाकर उनको लाइव चलाना इनका मुख्य काम है।
एक और आश्चर्य की बात है जैसा कि कल ही बद्रीनाथ में विरोध भी हुआ है बामणी गांव जो की एक पवित्र गांव है बद्रीनाथ धाम का वहां के और उसी के जैसे अनेक जो सीधे-साधे अपने उत्तराखंड के गांव है जो की धामों से जुड़े हैं उनमें भी यह घुसे चले जाते हैं बे रोक-टोक।
तीर्थ यात्रा के नाम पर एक अजीब सा जुनून लोगों को छा गया है ।युटयुबर्स और ब्लॉग्स की भीड़ ने जमावड़ा बनाया है ।धरती दब रही है कच्चे पहाड़ खिसकना चाहते हैं ।क्या फिर जलजला आएगा? फिर से इतनी बड़ी भारी भीड़ को महादेव और बद्री विशाल के धाम बर्दाश्त नहीं कर पाएंगे? क्या इस बार गंगा माता यमुना माता का भी धैर्य टूट जाएगा ?
असल में जो मुख्य बात आती है वह है नियम और कानून की तीर्थ यात्रा बुजुर्गों के लिए होती थी या उन लाचार लोगों के लिए होती थी जिनका भगवान का आसरा रहता है ।
वह लोग आज भी बिना टेंट के बिना आवास के धर्मों में जाकर दर्शन करने को मजबूर है उनका रहने के लिए स्थान नहीं मिल पाता है ना उनको सुविधा मिल पाती है।
नियम और कानून जब तक कड़े नहीं होंगे तब तक कुछ भी कहना मुश्किल है धर्मों में एक निश्चित दूरी पर एंट्री करते ही मोबाइल बन कर देना चाहिए।
यहां तक की मोबाइल ले जाना बंद कर देना चाहिए। पंचगव्य का सेवन अनिवार्य करना चाहिए। तब देखिए भीड़ कैसे छंट जाती है ?
तीर्थ यात्री ही प्रवेश करेंगे. यकीन मानिए तीर्थ यात्री इतने कम नहीं होंगे। इस समय की भीड़ में तीर्थ यात्री दबकर रह जाते हैं और युटयुबर्स और ब्लॉगर्स जो की युवा है वह आगे बढ़ चले जाते हैं.
कहीं ऐसा ना हो पैसे कमाने की होड़ में हम अपने धर्मों की पवित्रता को को खो दें।इस पर विचार करने की आवश्यकता है.
संपादक
सत्यवाणी न्यूज(www. satyawani.com)
अंजना "सत्यवाणी"
satyawani2016@gmail.com
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