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 पारंपरिक हिमालयी चिकित्सा प्रणाली की उभरती


प्रासंगिकता” विषय पर हिमालयीय विश्वविद्यालय देहरादून एवं गोविंद बल्लभ पंत राष्ट्रीय हिमालयन पर्यावरण संस्थान कोसी अल्मोड़ा के संयुक्त तत्वाधान में दो दिवसीय राष्ट्रीय संगोष्ठी का आयोजन किया गया।


 संगोष्ठी में उत्तराखंड एवं अन्य राज्यों से लगभग 145 प्रतिभागियों ने अपने पत्र प्रस्तुत किया संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में  विश्वविद्यालय के कुलाधिपति प्रोo प्रदीप कुमार भारद्वाज , कुलपति प्रोo काशीनाथ जैना मुख्य वक्ता के रूप में डॉo मायाराम उनियाल , आयुर्वेदाचार्य डॉक्टर अरुण कुमार बडोनी   प्रोo आरoसी o सुंदरियाल , डॉक्टर सर्वेश उनियाल , हेमती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय   हिमालयीय आयुर्वैदिक मेडिकल कॉलेज के प्राचार्य प्रोoअनिल कुमार झा, डॉ निशांत राय जैन  प्रोo पुष्पा रावत आदि गणमान्य विद्वान उपस्थित रहे उद्घाटन सत्र में वक्ताओं ने हिमालयी क्षेत्र में वनोषधियों  का महत्व एवं उनकी उपयोगिता पर प्रकाश डालते हुए वर्तमान में आयुर्वेदिक औषधियां के महत्व को बताया  प्रातः कालीन  सत्र का मंच संचालन हिंदी विभाग की डॉ मनीष अग्रवाल के द्वारा किया गया एवं तकनीकी सत्र का मंच संचालन डॉo निधि उपाध्याय के द्वारा किया गया संगोष्ठी के समन्वयक डॉoअनूप बलूनी सहसमन्वयक हरीश ढोंढ़ियाल डॉक्टर एस के श्रीवास्तव मौसमी जैना  डॉoइंदु भारती नवानी डॉक्टर विपिन भट्ट डॉo महेश जगोटा डॉ रोहित पाल दीपाली तोमर गुरप्रीत कौर डॉo गजानंद वानखेडे डॉo शिवचरण नौडियाल  एवं सभी विभागों के विभाग अध्यक्ष  हिमालयीय आयुर्वैदिक मेडिकल कॉलेज के द्रव्य गुण विभाग के छात्र एवं प्राध्यापक संगोष्ठी में उपस्थित रहे तकनीकी संचालन मोहित पोखरियाल जी एवं राहुल देव जी राकेश पोखरियाल जी प्रशासनिक व्यवस्थाओं में योगदान हेतु हरीश नवानी जी  जनार्दन प्रसाद भट्ट जी ने पूर्ण रूप से संगोष्ठी  में अपनी सहभागिता देकर सभी आगंतुकों का आभार अभिवादन स्वागत किया।

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