ऋषिकेश :
उत्तराखंड के पहाडो से हो रहे पलायन एक चिता का विषय बन गया है | सरकारी आकडे भी चौकाने वाले आ रहे है | जो खाली होते गाँव के लिये शुभ संकेत नहीं हैं |पहाड़ प्रकृति का वरदान हैं लेकिन पलायन रूपी अभिशाप से पहाड़ अपना अस्तित्व खो रहे हैं।युवा गायक विनोद बगियाल ने पहाड के दर्द को पित्र कुड़ी गीत में दर्शाया है।
वी बी प्रोडक्शन के बैनर तले विनोद बगियाल का पित्र कुड़ी गीत रिलीज़ हुआ है | पित्र कुड़ी गीत में विनोद बगियाल ने वर्तमान हालातों को बखूबी गीत में बयां किया है |विपिन सकलानी ने गीत को संगीत दिया है।लम्बे समय बाद विनोद बगियाल ने संगीत जगत में वापसी की और वो भी संवेदनशील मुद्दे पर लिखा उनका गीत श्रोताओं को खूब पसंद आ रहा है। लोक गायक विनोद बगियाल के प्रचारक टीम के सदस्य नरेश राणा ने कहा की इससे पहले भी पीडा मेरे पहाड की गीत गया | उनके गीत समाज में चेतना जगाने का काम करते हैं |जहा श्रोताओं ने भी विनोद बगियाल के इस गीत की खूब प्रसंशा की और आगे भी ऐसे विषयों पर गीत लिखने एवं गाने के लिए प्रेरित किया।
पित्र कुडी गीत उन प्रवासियों को सन्देश दे रहा की पुरखों की बसाई सम्पदा को छोड़कर शहरों में बस गये हो | भले ही प्रवासी बेहतर शिक्षा और स्वास्थ्य के लिए शहरों में बसना मजबूरी है| लेकिन अगर सब एकजुट होकर प्रयास करें तो उत्तराखण्ड के खाली होते गाव को आबाद किया जा सकता है |
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