अव्यवस्थाओं का शिकार आवासीय विद्यालय रैन
बछरावां/ रायबरेली ;
उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा प्राथमिक शिक्षा को ऊंचाइयों तक पहुंचाने के लिए बड़े-बड़े दावे किए जा रहे हैं। अध्यापकों तथा शिक्षामित्रों व अनुदेशकों को तरह-तरह के प्रशिक्षण कराए जा रहे हैं।
परंतु इसे अधिकारियों की लेटलतीफी कहे या सरकार की उदासीनता कहे, जिसका ताजातरीन उदाहरण विकासखंड की ग्राम सभा रैन में स्थित आवासीय विद्यालय में देखा जा सकता है।
हालात यह है कि विद्यालय के अंदर जनरेटर तक की सुविधा नहीं है, बिजली जाने की दशा में बेचारी छात्राएं किसी तरह समय गुजारती है और मोमबत्ती के प्रकाश में शिक्षा का कार्य करती हैं।
सर्वविदित है कि इस विद्यालय में घटिया खाने को लेकर कई बार छात्राएं अपना विरोध दर्ज करा चुकी हैं और बीमार होकर अस्पताल भी पहुंच चुकी है।
गनीमत यह रही कि किसी प्रकार की जनहानि नहीं हुई। विद्यालय के अंदर पेयजल आपूर्ति के लिए टंकी बनी हुई है, छात्राओं ने कई बार आरोप लगाया कि उसकी साफ-सफाई भी नहीं की जाती है। नतीजा यह होता है कि दूषित पेयजल के सहारे भारत के भविष्य को गुजारना पड़ रहा है।
पता चलने पर ज्ञात हुआ जनरेटर व इनवर्टर आदि के टेंडर निकलने के लिए विद्यालय द्वारा जिलाधिकारी से अनुमोदन मांगा गया था। लेकिन आज तक फाइले लंबित पड़ी है। सवाल यह उठता है कि सरकार द्वारा किए जा रहे दावों को झूठा माना जाए, या इसे शिक्षा विभाग के अधिकारियों कर्मचारियों की लापरवाही!
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