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अक्सर देखने में आया है की कई लोग अपनी शिकायत पुलिस को करते है पर पुलिस उस पर कोई कार्यवाही नहीं करती तो लोग कभी धरना देते है तो कभी समाज के प्रभावी लोगो के पास जाते है लेकिन उनकी न तो रिपोर्ट दर्ज होती है और न ही उनको न्याय मिलता है फिर वो सरकार की नीतियों में दोष निकलते हैI 

ऐसा क्यों होता है ? पुलिस अगर किसी व्यक्ति की रिपोर्ट नहीं लिखती तो क्या करना चाहिये ? तहरीर एम् एफ आई आर में क्या फर्क है? कानून में एफ आई आर को लेकर क्या प्रावधान है? आइये इन तमाम सवालो के बारे में जाने भारतीय जागरूकता समिति के अध्यक्ष एम् हाई कोर्ट के अधिवक्ता ललित मिगलानी से --

कोई व्यक्ति पुलिस को रिपोर्ट क्यों करता है? 

FIR का क्या मतलब होता है?क्योंकि आज के समय में बहुत ज्यादा लड़ाई झगड़े या आपस में किसी की जान लेना या किसी का बलात्कार करना या किसी से पैसे छीनने या चोरी करना आम घटनाएं बन चुकी है. तो इसके लिए जिस भी आदमी का नुकसान होता है वह पुलिस में जाकर FIR लिख आता है ताकि उसको न्याय मिले और दोषियों को उनके गलत कार्य के लिए सजा मिलेI 

तहरीर और एफ आई आर क्या होती है और इनमे क्या फर्क है?

जब कोई व्यक्ति किसी अपराध के बारे में अपनी शिकायत लिखित रूप से पुलिस को करता है तो वो कागज जिस पर व्यक्ति शिकायत लिखता है तहरीर कहलाता है और जब वो शिकायत थाने में पंजीकृत हो जाती है तब एफ आई आर कहलाती हैI  FIR का  पूरा नाम फर्स्ट इनफार्मेशन रिपोर्ट होती है. यानी घटना के बारे में पहली जानकारी यह सूचना लिखित में होनी चाहिए या इस को लिखित में बदला गया हो FIR CRPC 1973 के अनुसार चलती है. FIR को किसी बड़े मामले में लिखवाया जाता है और यदि मामला ज्यादा बड़ा नहीं है यह संगीन नहीं है तो FIR नहीं लिखी जाती है, उसकी एनसीआर होती हैI कोई भी आदमी किसी भी घटना की शिकायत पुलिस में कर सकता है. इसके लिए वह थाने में जाकर पुलिस अधिकारी को अपनी शिकायत के बारे में लिखवा सकता है. और यदि वह घटना के दौरान पुलिस में नहीं जा सकता है. तो वह फोन पर भी अपनी शिकायत दर्ज करवा सकता है. लेकिन अगर शिकायत आप फोन पर करते हैं. तो आपको बाद में पुलिस में जाकर उसे FIR लिखवाने होती है दो शिकायत आप पुलिस को फोन पर दर्ज करवाते हैं बाद में आपको थाने में जा कर उस शिकायत का पंजीकरण करवाना होता है और अगर आप ऐसा नहीं करते हैं तो आपकी शिकायत मान्य नहीं होगी तब आपकी शिकायत तहरीर कहलाती है और यदि FIR लिखवाने लिख आते समय थाने का अधिकारी थाने में मौजूद नहीं है तो उस स्थिति में थाने के सबसे वरिष्ठ अधिकारी के पास आप अपनी शिकायत दर्ज करवा सकते हैं.

यदि पुलिस FIR नहीं लिखती या लिखने से मना कर दे तो क्या कार्यवाही कर सकते है अपनी रिपोर्ट के लिए ?

* ऐसा आपने बहुत बार देखा होगा या बहुत बार सुना होगा बहुत सी न्यूज़ आती है. कि किसी भी घटना के बारे में अगर कोई आदमी शिकायत करता है.तो उसकी शिकायत पुलिस अधिकारी दर्ज नहीं करते हैं. और उसके बाद उस आदमी के साथ बहुत बड़ा हादसा हो जाता है. इसलिए आप पुलिस में शिकायत दर्ज करवाना करवाने जाते हैं और पुलिस अधिकारी आपकी शिकायत दर्ज नहीं करता है. तो आप उसके खिलाफ कड़ी कार्रवाई कर सकते हैं आप उस पुलिस अधिकारी की शिकायत वरिष्ठ अधिकारी से कर सकते हैं. इसके अलावा आप पुलिस अध्यक्ष या डिवीजन अधिकारी को भी इस मामले के बारे में बता सकते हैं. और कानून के अनुसार सभी घटनाओं में FIR दर्ज करवाना जरूरी है.आप अपनी शिकायत जिले के एसएसपी महोदय को पंजीक्रत  डाक द्वारा या स्वम् जा कर लिखित में दे सकते है जिसमे यह भी बताना चाहिये की थाने में रिपोर्ट दर्ज नहीं की गई उपरोक्त रिपोर्ट की रिसीविंग या पंजीक्रत डाक की प्रति रखना अनिवार्य है अगर तबभी आपकी रिपोर्ट नहीं लिखी जाती तब आप जिला न्यायालय में दण्ड प्रक्रिया की धारा 156 (3) के तहत दरखास्त दे सकते हैI 

FIR से जुडी क्या क्या महत्वपूर्ण बाते है जिनकी जानकारी होना अति आवश्यक है ?  

FIR में घटना का समय दिनांक का होना जरुरी है I 

FIR में घटना का कोई साक्षी है तो उसका विवरण अवशक हैI 

FIR पुलिस रजिस्ट्रार में दर्ज होनी आवश्यक हैI 

FIR की एक प्रति जो पुलिस रजिस्ट्रार में दर्ज है की कॉपी फ्री दी जाती है I 

यदि आप की FIR को लिखने से मना किया जा रहा है. या आप की FIR देरी से लिखी जा रही है या FIR लिखने में लापरवाही की जा रही है तो आप इसके बारे में जिम्मेदार अधिकारी की शिकायत कर सकते हैं. जब आप FIR लिखवाते हैं. तो इसकी पहचान के लिए FIR के ऊपर इसका नंबर लिखा हुआ होता है.

ताकि आपकी समस्या के ऊपर आगे प्रतिक्रिया की जा सके और इसके लिए सबसे महत्वपूर्ण बात यह भी है. कि जब आप FIR दर्ज करवाते हैं. तो किसी भी तरह की कोई भी चीज या पैसा नहीं लगता है. अगर आप पुलिस में शिकायत या FIR दर्ज करवाने जाते हैं.  अगर कोई भी पुलिस अधिकारी आपसे पैसे मांग रहा है. या कुछ और चीज मांग रहा है. तो आपको तुरंत उस अधिकारी की शिकायत है. वरिष्ठ अधिकारी से करनी चाहिए क्योंकि कई बार कुछ अनजान लोग इन चीजों का शिकार हो जाते हैं. कि पुलिस अधिकारी FIR लिखने के बदले उनसे पैसे ले लेता है. तो जब भी आप पुलिस में FIR लिख आते हैं तो इस बात को जरूर ध्यान रखें कि इस चीज का कोई भी पहचान नहीं लगता हैI 

FIR घटना के कितनी देर बार लिखवानी चाहिये?.

जब भी आप के साथ किसी भी तरह की कोई घटना या अपराध होता है. तो आपको तुरंत FIR दर्ज करवानी चाहिए और यदि आप उसी समय पर FIR दर्ज नहीं करवा सकते हैं. या आपको FIR दर्ज कराने में देरी हो जाती है. तो आप को इस बात के बारे में FIR में जरूर बताना चाहिए कि किस वजह से आपको FIR दर्ज करवाने में देरी हुई या किस वजह से आप तुरंत FIR दर्ज नहीं करवा पाए. यदि आप अपनी शिकायत बोलकर दर्ज करवा रहे हैं तो पुलिस अधिकारी आपकी शिकायत को दर्ज करेगा और कार्बन शीट के द्वारा शिकायत की चार सीट होनी चाहिए FIR को साफ और आसान भाषा में लिखा जाना चाहिए किसी भी तरह के मुश्किल शब्दों का प्रयोग नहीं होना चाहिए ताकि आप को समझने में दिक्कत हो या आप की घटना को समझने में दिक्कत हो और यह बात जरूर ध्यान रखें कि आप किस समय पुलिस स्टेशन आते हैं और किस समय आपकी शिकायत दर्ज की जाती है. और किस समय आप पुलिस स्टेशन से जाते हैं. और यह सभी चीजें पुलिस की डायरी में लिखी जानी चाहिए.

अगर घटना के समय कोई चोटिल हो जाता है तो उसके उपचार की क्या प्रक्रिया है ? 

अगर घटना के समय कोई ज्यादा चोटिल हो जाता है तो चोटिल को तुरन्त हॉस्पिटल ले जाना चाहिये ताकि उसका समय पर इलाज हो सके और उसकी जान बचाई जा सके आप रस्ते में या चोटिल को हॉस्पिटल में भर्ती करने के बाद पुलिस को रिपोर्ट लिखा सकते है और सुचना दे सकते हैI 

अगर हॉस्पिटल चोटिल का इलाज करने से मना करे और बोले पहले रिपोर्ट लिखा कर आओ तब क्या किया जा सकता है? 

अब ऐसा नहीं है हाल ही में माननीय उच्चतम न्यायालय ने हॉस्पिटलस के लिए ये दिशा निर्देश दिये है की वो पहले चोटिल का इलाज करे ज्यादा रिपोर्ट के चक्कर में न पड़े और हॉस्पिटल को लगता है की कोई पुलिस केस है तो वो भी पुलिस को इतला कर सकते है लेकिन इलाज के लिए मना नहीं कर सकते अगर कोई हॉस्पिटल इलाज के लिए मना करता है तो उसपर पुलिस कार्यवाही करेगी 

ऑनलाइन FIR की जा सकती है ?

जी हां अब ये सुविधा उपलब्ध है, आज के समय में इंटरनेट ने सब कुछ आसान बना दिया है. और इसी तरह से ही FIR को भी आसान बनाया जा चुका है. अब आपको FIR करने के लिए पुलिस स्टेशन जाने की जरूरत नहीं है. आप घर पर बैठ कर ही अपनी ऑनलाइन FIR कर सकते हैं. और शिकायत दर्ज करवाने के 24 घंटे के अंदर ही पुलिस का अधिकारी आपको कॉल करेगा ऑनलाइन शिकायत करने के लिए आपको अपना ईमेल ID और फोन नंबर भी दर्ज करवाना होता है. जिससे कि पुलिस अधिकारियों को आप तक संपर्क करने में आसानी हो और सुप्रीम कोर्ट ने FIR दर्ज करने को अनिवार्य बना बनाने का फैसला किया है. FIR दर्ज न करने वाले पुलिस अधिकारियों के ऊपर कड़ी से कड़ी कार्यवाही करने का आदेश भी दिया गया है. और कोर्ट ने साथ में यह भी कहा है. कि FIR दर्ज होने के 1 हफ्ते के अंदर कार्यवाही की शुरू की जांच पूरी हो जानी चाहिए. और इसमें यह जाना जाता है कि मामले की पड़ताल और मामला गंभीर है या नहीं और पुलिस इसलिए मामला दर्ज करने से इनकार नहीं कर सकती की शिकायत करने वाला झूठ बोल रहा है या सच बोल रहा है.

आम आदमी के क्या अधिकार है ?

1.किसी भी मामले में तुरंत FIR दर्ज करना यह जरूरी होता है FIR करने के बाद उस की कॉपी लेना आपका अधिकार है इसके लिए कोई भी पुलिस अधिकारी मना नहीं कर सकता और मना करता है. तो उसके खिलाफ कार्रवाई कर सकते हैं.

2.किसी अपराध के बारे में FIR में लिखे गए गए घटनाक्रम और दूसरी जानकारियों को शिकायतकर्ता को पढ़कर सुनाना जरूरी होता है अगर आप उससे सहमत है. तो आप उसके ऊपर हस्ताक्षर करें.

3. यह जरूरी नहीं होता है. कि सभी शिकायतकर्ताओं को अपराध के बारे में व्यक्तिगत जानकारी हो या फिर उसके सामने अपराध हुआ हो लेकिन फिर भी पुलिस को FIR दर्ज करनी पड़ती है.

4.FIR में कोई भी पुलिस अधिकारी अपनी तरफ से किसी भी तरह की टिप्पणियां शब्द या दूसरी चीजें नहीं लिख सकता है.यह सभी चीजें आपका अधिकार है. और आप इस को बिना किसी दिक्कत के पा सकते हैं. और यदि इनमें से किसी भी बात के लिए पुलिस अधिकारी मना करता है. तो आप उसके लिए उसके वरिष्ठ अधिकारी या उसके अलावा उससे बड़े अधिकारी से शिकायत कर सकते हैं.

FIR कोन लिखवा सकता है ?

FIR पीड़ित खुद लिखा सकता है पीड़ित के परिवार वो भी लिखा सकते है I और वो व्यक्ति भी लिखा सकता है जिससे घटना देखी हो पर उसका पीड़ित एम् पीड़ित परिवार से कोई सम्बन्ध न हो कहने का तात्पर्य ये है की हर वो व्यक्ति जो घटना के बारे में जनता हो रिपोर्ट लिखा सकता हैI

हमें किन किन बातो का ध्यान रखना चाहिये ? 

FIR के ऊपर पुलिस स्टेशन मोहर और पुलिस स्टेशन के अधिकारी के साइन होना जरूरी है. और FIR की कॉपी आपको उपलब्ध कराने के बाद पुलिस अधिकारी रजिस्टर में यह लिखेगा कि FIR की कॉपी शिकायतकर्ता को दे दी गई है. और आप की FIR पर जो कार्यवाही हो रही है. उसके बारे में आपको पुलिस डाक के माध्यम से जानकारी दे दीजिए और यदि आपको किसी भी तरह की घटना के बारे में उसकी जगह का मालूम नहीं है. तो भी पुलिस आपके FIR को दर्ज करेगी और उसके बाद उसकी कार्रवाई शुरू कर देगी और यदि यह पता लग जाता है कि किस थाना क्षेत्र में घटना हुई है तो वह केस उस थाना में भेज दिया जाता है.

तो ये थी एक वार्ता अधिवक्ता ललित मिगलानी से जो हाई कोर्ट नैनीताल में प्रक्टिस करते है उन्होंने विस्तार पूर्वक जानकारी दी की रिपोर्ट किस प्रकार लिखाई जाती है और एक आम व्यक्ति को रिपोर्ट लिखवाते वक्त किन किन बातो का ध्यान रखना चाहिये फिर मिलते है अगली चर्चा में जल्दी नमस्कार I

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