संस्मरण--
जब 1990 में अविभाजित उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री कल्याण सिंह श्रीनगर गढ़वाल आये।
मुख्यमंत्री माननीय कल्याण सिंह के निधन से देशभर में शोक की लहर,श्रद्धांजलियों का दौर जारी
नयी दिल्ली/लखनऊ/ देहरादून 21 अगस्त:
अविभाजित उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री, राजस्थान के पूर्व राज्यपाल, श्री राम जन्म भूमि आंदोलन के पुरोधा माननीय श्री कल्याण सिंह जी का 89 वर्ष की उम्र में निधन हो गया वह पीजीआई लखनऊ मे भर्ती थे। उनके निधन से एक युग का अंत हो गया है। करोड़ो- करोड़ राम भक्तो के लिए यह खबर अत्यंत दुःखद है। सभी धर्मों के लोग श्री कल्याण सिंह के मुरीद थे। देवस्थानम बोर्ड के मीडिया प्रभारी डा. हरीश गौड़ ने बताया कि वह उन दिनों हेमवती नंदन बहुगुणा गढ़वाल विश्वविद्यालय के छात्र थे उस दौरान माननीय कल्याण सिंह 1990 में श्रीनगर गढ़वाल आये थे। तो रामलीला मैदान में उनके भाषणों को सुनने के लिए जगह नहीं मिली लोग घरों की छत पर चढ़ गये। उन्होंने प्रदेश के विकास की चर्चा की भगवान राम की महिमा भी बखान किया तो भगवान कृष्ण से अधिक अधिक महाकवि " रसखान" का जिक्र किया। रसखान " मानस हूं तबहि रसखान बसो बृज गोकुल गांव के ग्वालन" कविता भी कही।
भारी बारिश हुई लेकिन लोग जमे रहे माननीय कल्याण सिंह जी ने छाता ओढने से इंकार कर मंच में बारिश में भीग कर भाषण पूरे किये। कहते है कि देशभक्त मुसलमान विरादरी हमेशा उनके साथ खड़ी रही। वह राम- रहीम की सांझी संस्कृति का अपने भाषणों में यदा- कदा जिक्र करते थे। देशभर में शोक की लहर के बीच श्रृद्धांजलि का दौर जारी है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी,राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद प्रदेश के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी, पूर्व मुख्यमंत्री त्रिवेंद्र सिंह रावत, पूर्व मुख्य मंत्री तीरथ सिंह रावत, पर्यटन- तीर्थाटन मंत्री सतपाल महाराज, उच्च शिक्षा मंत्री डा. धन सिंह रावत दूनविश्व विद्यालय की कुलपति एवं हिल्ट्रान( उत्तरप्रदेश) की अध्यक्ष रही प्रोफेसर सुरेखा डंगवाल, श्री बदरीनाथ- केदारनाथ मंदिर समिति की पूर्व उपाध्यक्ष मधु भट्ट ने
ईश्वर दिवंगत आत्मा को शांति एवं शोकाकुल परिवारजनों को धैर्य प्रदान कर श्रृद्धांजलि ब्यक्त की है।
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