मंडी में टमाटर की भारी गिरावट के कारण काश्तकारों के सामने संकट पैदा हो गया है. काश्तकारों का कहना है कि 50 से 150 ₹ मे टमाटर का एक क्रेट जिसमें 25 किलो टमाटर आता है . उस पर 60 ₹ खेत से मन्डी तक का भाडा अर्थात 110₹ मे प्रति क्रेट किसानों को मिल रहा है।
इससे किसानों का मनोबल नगदीफसलो के प्रति कम हो रहा है किसानों की उम्मीद कम होती जा रही है । एक तरफ बेरोजगारी दूसरी तरफ मूल्य की मार ।
उनका कहना है कि तीसरी मार लोकडॉउन , चौथी मार ग्राम प्रधान के द्वारा एक साल तीन महीने परिवार के साथ गांव में आये हुए हो गए है ।लेकिन अभी तक मनरेगा योजना के द्वारा कोई कार्य नही दिया गया ।जबकि 100 एक साल में 100 दिन का रोजगार मिलना चाहिए था।
उनके अनुसार जो जॉब कार्ड बने हुए हैं वह आज तक किसी भी योजना के नही लगाए गए लोकडॉउन में प्रवासी सोवत राणा अपने परिवार के साथ गांव लौटे थे, जिनको न तो सरकार द्वारा कोई रोजगार मिल पाया न ग्राम प्रधान द्वारा.
इस वर्ष सोवत राणा के द्वारा दस हजार से अधिक टमाटर की पौधें लगाई गई थी .आज उन टमाटरों के प्रति कैरेट के दाम 50 से 150 तक के दाम मिल रहे हैं .
किसानो की अत्यंत दयनीय अवस्था पर सोचने का विषय है कि सरकार पलायन को रोकने की बात कर रही है और किसान की दुगुनी आय की बात कर रही है.और हालात सामने है।
हालात यही रही तो बड़ी समस्याओं का सामना करना पड़ेगा .देश मे लोकडॉउन होने के कारण पहली बार गांव में बंज़र भूमि को आवाद करने सौभाग्य जो उत्तराखंड की धरती को मिला है ,वह कहीं व्यर्थ ही न चला जाए।
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