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देहरादून:



उधमसिंह नगर जनपद में पिछले चार वर्षों बन्द पड़ी सितारगंज चीनी मिल आगामी सत्र में पेराई की शुरूआत हो सकती है। इसके लिए राज्य सरकार एक बड़ी सौगात देने जा रही है। गन्ना विकास एवं चीनी उद्योग मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द ने बताया कि सरकार इसे पीपीपी मोड़ पर देकर शुरू कराने जा रही है, इसके लिए निविदाएं आमंत्रित की गई है। इस चीनी मिल के शुरू होने से तराई के हजारों किसानों को लाभ मिलेगा। उन्होंने बताया कि सितारगंज चीनी मिल को पीपीपी मोड़ पर शुरू कराने की पहल पूर्व में ही शुरू हो गयी थी। 

वर्तमान में सरकार नेे इस पर त्वरित निर्णय लेने की कार्यशैली से ही यह सम्भव हुआ है कि बहुत कम समय मे पूरी प्रक्रिया सम्पन्न हो चुकी है।

मंत्री ने कहा कि गन्ना किसान कृषि की रीढ़ है, उन्हें सुदृढ व सशक्त बनाने के लिए सरकार द्वारा हर सम्भव प्रयास किया जा रहा है। सितारगंज चीनी मिल पिछले चार वर्षों से बंद पड़ी थी, जिस कारण क्षेत्र के गन्ना किसानों को परेशानी हो रही थी। अब पीपीपी मोड़ पर सितारगंज चीनी मिल को चलाया जाएगा जिससे गन्ना किसानों को लाभ के साथ साथ गन्ने की पैदावार भी बढ़ेगी। उन्होंने कहा कि सरकार का प्रयास गन्ना किसानों की सभी लंबित समस्याओं का निराकरण कर उनकी आय को बढ़ाने की है।

गौरतलब है कि लगातार घाटे के चलते 2017 में सितारगंज चीनी मिल बन्द हो गयी थी, जिस कारण किसानों को गन्ने की फसल से नुकसान होने के भय से क्षेत्र में गन्ने की पैदावार काफी कम हो गयी थी। लेकिन अब सितारगंज चीनी मिल को प्राइवेट पार्टनरशिप प्रोग्राम के तहत पुनः शुरू कराये जाने की प्रक्रिया शुरू होने से किसानों में प्रसन्नता है। 

इससे पूर्व गन्ना मंत्री स्वामी यतीश्वरानन्द ने गन्ना किसानों के हित में कई अहम फैंसले लिए है, जिससे गन्ना किसानों का गन्ने की खेती करने के लिए भरोसा बढ़ा है। सरकार द्वारा लिए गए निर्णयों यथा पेराई सत्र समाप्त होते ही सरकारी चीनी मिलों को एकमुश्त पूर्ण भुगतान करने क साथ ही गन्ना समितियों में नकद खाद व कीटनाशक की बिक्री शुरू कराना आदि निर्णय किसानों के लिए बेहद उपयोगी है।

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