Halloween party ideas 2015

 झारखंड विधानसभा के शुरुआती रुझानों से संकेत मिलता है कि बीजेपी 29 निर्वाचन क्षेत्रों जेएमएम और उसके सहयोगियों - 40, जेवीएम -4, एजेएसयू -2 और अन्य -03 में आगे चल रही है। सभी केंद्रीय मतदान केंद्रों पर केंद्रीय अर्धसैनिक बलों के जवान तैनात हैं।

हॉट सीट, जो आकर्षण का केंद्र होगी, जमशेदपुर ईस्ट। मुख्यमंत्री रघुबर दास 1995 से यह सीट जीत रहे हैं। वह पूर्व कैबिनेट सहयोगी सरयू राय के खिलाफ हैं। सरयू राय ने पार्टी से टिकट कटने के बाद बगावत कर दी।
अन्य महत्वपूर्ण सीटें दुमका और बरेट हैं जहां से झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष और पूर्व मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन चुनाव लड़ रहे हैं। उन्हें दुमका में समाज कल्याण मंत्री लुईस मरांडी के खिलाफ खड़ा किया गया है।

पूर्व मुख्यमंत्री और झारखंड विकास मोर्चा-प्रजंतारिक (JVM-P) के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी धनवार विधानसभा सीट से लड़ रहे हैं।

AJSU अध्यक्ष, जो 2014 के विधानसभा चुनाव हार गए थे, सिल्ली सीट से फिर से अपनी किस्मत आजमा रहे हैं।

81 सदस्यीय राज्य विधानसभा के लिए मतदान 30 नवंबर से 20 दिसंबर के बीच पांच चरणों में हुआ। भाजपा और कांग्रेस गठबंधन दोनों ने मतदाताओं को लुभाने की पूरी कोशिश की। भाजपा राज्य में सत्ता बरकरार रखने की उम्मीद कर रही है। 2014 में, भाजपा ने 37 सीटें जीती थीं, जबकि उसके सहयोगी एजेएसयू ने पांच विधानसभा सीटों में जीत हासिल की थी। हालांकि, हेमंत सोरेन की झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेतृत्व वाली विपक्षी महागठबंधन जिसमें कांग्रेस और राजद शामिल हैं, भाजपा को एकजुट करने की उम्मीद कर रही है। AJSU सहित कई NDA के सहयोगियों ने अपने दम पर विधानसभा चुनाव लड़ा। लोक जनशक्ति पार्टी और जनता दल (यूनाइटेड) ने भी चुनाव लड़ा।


 झारखंड चुनाव परिणाम 2019 के शुरुआती रुझानों में झारखंड विकास मोर्चा के अध्यक्ष बाबूलाल मरांडी किंगमेकर बन सकते हैं। वह झारखंड के पहले मुख्यमंत्री के तौर पर जाने जाते हैं। उन्होंने साल 2006 में भाजपा को छोड़कर झारखंड विकास मोर्चा की स्थापना की थी। उन्होंने साल 2000 में बिहार से अलग होकर झारखंड राज्य बनने के बाद एनडीए के नेतृत्व में राज्य की पहली सरकार बनाई थी। उन्हें झारखंड के प्रमुख आदिवासी नेताओं में गिना जाता है।

 11 जनवरी, 1958 को झारखंड के गिरिडीह जिले के कोदाईबांक नामक गांव में जन्मे बाबूलाल मरांडी की शुरुआत से ही राजनीति में रूचि रही है। वह कॉलेज के दिनों में ही आरएसएस से जुड़ गए थे। इसके बाद उन्हें झारखंड के विश्व हिंदू परिषद का संगठन सचिव भी बनाया गया था। 

साल 1991 में वह भाजपा के टिकट पर दुमका लोकसभा सीट से चुनाव लड़े थे, लेकिन उन्हें हार का सामना करना पड़ा था। इसके बाद 1996 में वो फिर शिबू शोरेन से हार गए थे। हालांकि 1998 के चुनाव में उन्होंने शिबू शोरेन को संथाल से हराकर आखिरकार चुनाव जीता, जिसके बाद एनडीए की सरकार में बिहार के चार सांसदों को कैबिनेट में जगह दी गई। इनमें से एक बाबूलाल मरांडी भी थे। 2004 के लोकसभा चुनाव में बाबूलाल मरांडी इकलौते ऐसे शख्स थे, जो झारखंड में भाजपा की ओर से चुनाव जीते थे।
 हालांकि इसके दो साल बाद यानी 2006 में उन्होंने भाजपा की सदस्यता से भी इस्तीफा देकर 'झारखंड विकास मोर्चा' नाम से नई राजनीतिक पार्टी बना ली। इसके बाद भाजपा के पांच विधायक भी अपनी पार्टी छोड़कर इसमें शामिल हो गए। फिर कोडरमा उपचुनाव में वे निर्विरोध चुन लिए गए। 2009 के लोकसभा चुनाव में उन्होंने अपनी पार्टी की ओर से कोडरमा सीट से चुनाव लड़कर बड़ी जीत हासिल की थी।


एक टिप्पणी भेजें

www.satyawani.com @ All rights reserved

www.satyawani.com @All rights reserved
Blogger द्वारा संचालित.