स्वच्छता अभियान के नाम पर लाखों के बजट की बंदर बाँट
ऋषिकेश :
उत्तम सिंह
देहरादून जिले के विकासखंड डोईवाला की ग्राम पंचायत साहबनगर में भारत स्वच्छता अभियान के नाम पर आया लाखों के बजट को ठिकाने लगाने के लिये सौग नदी किनारे कूडा निस्तारण केंद्र बना दिया गया । जिसका आज तक उपयोग नही हो पाया । वहीं स्वच्छता कार्यों के नाम पर हर माह हजारों रूपये खर्चा दिखा दिया गया । वहीं इसका लाभ जनता को नहीं मिल पाया । जैविक व अजैविक कूड़ा निस्तारण के लिए बनाया गया ढांचा आधा अधूरा पड़ा है दो नदियों और झाड़ियों के बीच सिर्फ पीलर खड़े दिखायी दे रहे हैं। सवाल उठता है कि जिस कूड़ा निस्तारण केंद्र में पहुंचना मुश्किल हो तो वहां कूड़े की गाड़ी आखिर कैसे पहुंचती होगी।
आपको बता दे कि स्वच्छता अभियान के तहत करीब दो साल पहले एक प्रोजेक्ट लगाया गया था। यह प्रोजेक्ट सौंग नदी के पास लगाया गया था। जहां पर पहुँचना चुनौती से कम नहीं है । जिसमे यह योजना के तहत इस काम में करीब लाखो रुपए खर्चा को दिखा दिया गया है । वहीं जिसमें प्रत्येक घर में कूड़ा उठाने के लिए बाल्टी भी वितरित की गई। इतना नही नही गांव का कूड़ा उठान के लिए पंचायत द्वारा एक ट्रैक्टर और ट्राली भी खरीदी गयी। इतना ही नही ट्रैक्टर चालक और दो अन्य सफाई कर्मचारी भी नियुक्त किए गए जिनको प्रतिमाह मानदेय भी दिया जा रहा है।
ऋषिकेश :
उत्तम सिंह
देहरादून जिले के विकासखंड डोईवाला की ग्राम पंचायत साहबनगर में भारत स्वच्छता अभियान के नाम पर आया लाखों के बजट को ठिकाने लगाने के लिये सौग नदी किनारे कूडा निस्तारण केंद्र बना दिया गया । जिसका आज तक उपयोग नही हो पाया । वहीं स्वच्छता कार्यों के नाम पर हर माह हजारों रूपये खर्चा दिखा दिया गया । वहीं इसका लाभ जनता को नहीं मिल पाया । जैविक व अजैविक कूड़ा निस्तारण के लिए बनाया गया ढांचा आधा अधूरा पड़ा है दो नदियों और झाड़ियों के बीच सिर्फ पीलर खड़े दिखायी दे रहे हैं। सवाल उठता है कि जिस कूड़ा निस्तारण केंद्र में पहुंचना मुश्किल हो तो वहां कूड़े की गाड़ी आखिर कैसे पहुंचती होगी।
आपको बता दे कि स्वच्छता अभियान के तहत करीब दो साल पहले एक प्रोजेक्ट लगाया गया था। यह प्रोजेक्ट सौंग नदी के पास लगाया गया था। जहां पर पहुँचना चुनौती से कम नहीं है । जिसमे यह योजना के तहत इस काम में करीब लाखो रुपए खर्चा को दिखा दिया गया है । वहीं जिसमें प्रत्येक घर में कूड़ा उठाने के लिए बाल्टी भी वितरित की गई। इतना नही नही गांव का कूड़ा उठान के लिए पंचायत द्वारा एक ट्रैक्टर और ट्राली भी खरीदी गयी। इतना ही नही ट्रैक्टर चालक और दो अन्य सफाई कर्मचारी भी नियुक्त किए गए जिनको प्रतिमाह मानदेय भी दिया जा रहा है।
- वहीं जब इस बारे ग्रामीणो से पूछा तो उन्होने बताया कि अब तक एक भी दिन उनके घरों से कूड़ा नहीं उठाया गया है। सौंग नदी किनारे बना ढांचा सौंग नदी में आने वाली बाढ़ की भेंट चढ़ सकता है। जहां एक ओर सरकार नमामि गंगे प्रोजेक्ट के तहत नदियों और नालों को स्वच्छ बनाने की पहल कर रही है वहीं गांव का कूड़ा सौंग नदी के पानी को दूषित करने के लिए काफी है। ऐसे में सौंग नदी किनारे कूड़ा निस्तारण केंद्र बनाए जाने की अनुमति देने वाले जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका सवालों के घेरों मे है ।
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