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देहरादून;




कैबिनेट ने होम स्टे योजना के संबंध में एक अहम संशोधन करते हुए इस योजना के अंतर्गत 30 लाख तक की ऋण सुविधा  से लाभान्वित होने वाले आवेदकों को स्टांप शुल्क से छूट दे दी है। स्टांप शुल्क की प्रतिपूर्ति अब उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद द्वारा की जाएगी।


योजना के अंतर्गत लाभार्थियों को बैंक द्वारा ₹ तीस लाख रुपए तक के व्यावसायिक ऋण के सापेक्ष लाभार्थी की भूमि को बैंक के पक्ष में बंधक रखे जाने हेतु निष्पादित किए जाने वाले 'पंजीकृत बंधक विलेख' (Registered Motgage deed)पर अब लाभार्थी द्वारा भुगतान किए जाने वाले प्रभार्य शुल्क की प्रतिपूर्ति उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद के माध्यम से की जाएगी। इसके लिए लाभार्थी को बंधक विलेख की बैंक द्वारा प्रमाणित की गई प्रति उपलब्ध करवानी होगी।


पर्यटन मंत्री सतपाल महाराज ने कहा कि होम स्टे योजना को पूरे राज्य में लागू करने के उद्देश्य से यह संशोधन किया गया है। संशोधन के लागू होने के पश्चात लाभार्थियों को अपनी जमीन बैंक के पास बंधक रखने के लिए कोई अतिरिक्त शुल्क देने की आवश्यकता नहीं पड़ेगी। इस प्रकार अब उन्हें इस योजना का लाभ उठाने  पर किसी भी प्रकार का अतिरिक्त भार वहन नहीं करना पड़ेगा। उन्होंने कहा कि इस योजना के तहत वर्ष 2020 तक 5000  होमस्टे पंजीकृत करने का लक्ष्य रखा गया है।


सचिव पर्यटन, दिलीप जावलकर ने कहा कि इस संशोधन के लागू होने के पश्चात राज्य सरकार होम स्टे योजना को प्रभावी रूप से लागू कर पाएगी तथा अधिक से अधिक लाभार्थियों को इसका लाभ मिल सकेगा। राज्य में पर्यटन क्षेत्र में स्वरोजगार को बढ़ावा देने तथा पर्यटकों को उत्तराखंड के गांव की ओर आकर्षित करने के उद्देश्य से चलाई जा रही इस योजना के अंतर्गत आकर्षक करें एवं सब्सिडी दी जा रही हैं।  उन्होंने बताया कि इस योजना का उद्देश्य ग्रामीण अर्थव्यवस्था को मजबूत करना और स्थानीय स्तर पर रोजगार के अधिकतम अवसर मुहैया कराना है।


ज्ञातव्य है कि राज्य में अब तक सोलह सौ से अधिक होमस्टे पंजीकृत हो चुके हैं। इस योजना के अंतर्गत लाभार्थी अपने घर को एक गेस्ट हाउस के रूप में संचालित कर सकते हैं इसके लिए उन्हें उत्तराखंड पर्यटन विकास परिषद में अपना रजिस्ट्रेशन करवाना होता है। नए होमस्टे निर्माण अथवा पुश्तैनी मकान का पुनरुद्धार करते हुए होमस्टे बनाने के इच्छुक अभ्यर्थी ऋण के लिए आवेदन कर सकते हैं।




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