ऋषिकेश:
परमार्थ निकेतन में माँ गंगा के तट पर पर्यावरण संरक्षण एवं पतित पावनी माँ गंगा को समर्पित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान महोत्सव के समापन अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कथा आयोजक श्री राठी परिवार और उपस्थित श्रद्धालुओं को पौधा रोपण का संकल्प कराया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान महोत्सव की पूर्णाहुति के पावन अवसर पर देश भर में ढ़ाई करोड़ नीम के पौधे लगाने का महासंकल्प लेने वाले भारत की प्रसिद्ध महिला सशक्तिकरण एवं पर्यावरण प्रेमी संस्था मारवाड़ी महासभा के ठाणे जिल्हा महाराष्ट्र के सभापति श्री ओमप्रकाश राठी को इस महान संकल्प के लिये आशीर्वाद दिया तथा इस दिव्य अभियान को पूरा पूरा सहयोग देने का आश्वासन भी दिया
साथ ही श्री महेश को भी आगे बढ़ते रहने के लिये प्रेरणा दी। इस पुनीत कार्य का शुभारम्भ स्वामी जी ने कथा व्यास श्री मोहनलाल जी व्यास को पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा देते हुये कहा कि अब कथा की पूर्णाहुति पर पृथ्वी को बचाने के लिये पर्यावरण यज्ञ में पेड़ों को लगाने की आहुतियाँ हमें देनी होगी तभी पर्यावरण और हमारी पृथ्वी सुरक्षित रह सकती है।
परमार्थ गंगा तट पर सात दिनों से बह रही श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान महोत्सव की ज्ञान धारा का समापन आज पर्यावरण शुद्धि हवन एवं महासंकल्प के साथ हुआ।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि ’पृथ्वी को बचाने के लिये हमें अब पेड़ोेेें के रोपण और संरक्षण पर विशेष ध्यान देना होगा जैसे माँ आपने गर्भ में नौ माह तक बच्चे को रखती है ठीक उसी तरह से पेड़ों को भी अपने बच्चे की तरह पालें-पोसें और बड़ा करें। इससे पेड़ तो बचेंगे ही हमारा पर्यावरण भी बचेगा साथ ही हम सभी का जीवन भी बचेगा।’
स्वामी जी महाराज ने कहा कि ’’प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में तीन चीजें बहुत आवश्यक है, अपना आहार, विचार और व्यवहार क्योंकि जैसा खाओगे अन्न वैसा बनेगा मन और जैसे होंगे विचार वैसा होगा हमारा संसार। इसलिये वेद का उद्घोष है कि ’तन्मे मनः शिव संकल्पमस्तु’ हे प्रभु मेरे मन को शिव संकल्प वाला बनायें। संकल्प शिव होगा, उत्तम होगा तो सृष्टि भी शिव होगी उत्तम होगी, शिव संकल्प ही सत्यम्, शिवम्, सुन्दरम् की सृष्टि का निर्माण करता है। जैसा हमारा व्यवहार होगा वैसा ही हमारा जीवन बनेगा। स्वामी जी ने वाणी का महत्व बताते हुये कहा कि वाणी कैसी हो, कैसे बोले और किस तरह से बोलें, कब बोले और कब न बोले यह जानना बहुत जरूरी है। उन्होने कहा कि द्रोपदी जी के केवल एक ही बात से कि अंधों के अंधे ही होते है, उससे कितना बड़ा महाभारत जैसा युद्ध खड़ा हो गया। दूसरी ओर वाणी ही हमें बुद्धत्व की ओर ले जाती है। वाणी हमें युद्ध से बुद्ध की ओर ले जाती है, साथ ही वाणी ही युद्ध में और बड़़ा युद्ध भी खड़ा कर सकती है इसलिये इस पर विचार करें, संयमित व्यवहार करे तो जीवन स्वर्ग सा सुन्दर बन जायेगा और कथा उसमें मुख्य भूमिका निभाती है।’’
कथा व्यास श्री मोहनलाल जी व्यास ने कहा कि ’’कथा के श्रवण से ज्ञान, भक्ति और कर्म के साथ पुरूषोत्तम बनने का मार्ग प्रशस्त होता है। परमार्थ निकेतन के तट पर आयोजित दिव्य कथा पर्यावरण को संरक्षित कर पृथ्वी को प्रदूषण मुक्त करने का संदेश देती है इसे आत्मसात कर हरियाली और खुशहाली युक्त वातावरण के निर्माण में योगदान प्रदान करें।’’
मारवाड़ी महासभा मुम्बई ठाणे जिले के सभापति श्री ओमप्रकाश राठी जी ने कथा के मंच से बताया कि मारवाड़ी महासभा विश्व की प्रगतिशील मारवाड़ियों की संस्था है। मारवाडी महासभा ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ जल, पेड़ बचाओेे, नीम महोत्सव (नीम के पौधों का रोपण) के लिये कार्य कर रही है। उन्होने बताया कि हम ढ़ाई करोड़ नीम के पौधों का रोपण पूरे भारत में करने जा रहे हैं इस कार्य के शुभारम्भ के लिये तथा लोगों को पे्ररित करने के लिये उन्होने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को धन्यवाद दिया तथा मुम्बई के एक बड़े कार्यक्रम के लिये आमंत्रित भी किया। स्वामी जी महाराज ने भी पुनः सभी से आह्वान किया कि देश में जो ढ़ाई करोड़ नीम के पेड़ों का रोपण किया जा रहा है उसके संरक्षण के लिये आगे आये और मैं तो कहता हूँ कि आश्रम बहुत बने परन्तु अब वृक्ष मन्दिर बनें, नीम मन्दिर बनें, नीम आश्रम भी बने, नीम से आच्छादित आश्रम बने ताकि देश का वातावरण हमेशा स्वच्छ, स्वस्थ और सुरम्य बना रहे।
श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान महोत्सव की पूर्णाहुति के पश्चात सभी को रूद्राक्ष का एक दिव्य पौधा आशीर्वाद रूप में दिया। गरीब महिलाओं को कथा यजमान राठी परिवार द्वारा सिलाई की आधुनिक मशीनें दी गई तथा अस्पताल के लिये व्हील चेयर्स दी गई। सबने कहा ऋषिकेश छोड़ते समय बहुत ही दुःख हो रहा है। परमार्थ निकेतन सचमुच स्वर्ग है।
जर्मनी के संसद सदस्य डाॅ राॅबी श्लंड परमार्थ निकेतन पहुंचे उन्होने स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज से भेंट की। स्वामी जी महाराज और जर्मनी के संसद सदस्य डाॅ राॅबी श्लंड ने जैविक खेती, प्राकृतिक खेती तथा आयुर्वेद के विषय में विस्तृत चर्चा की। उन्होने कहा कि जर्मनी में जैविक खेती एवं आयुर्वेद के विस्तार की जरूरत है इस हेतु उन्होने स्वामी जी से मशवरा भी किया इस अवसर पर डाॅ नितिन अग्रवाल राष्ट्रीय सचिव विश्व आयुर्वेद परिषद, ग्रेटर नोएडा भी उपस्थित थे।
परमार्थ निकेतन में माँ गंगा के तट पर पर्यावरण संरक्षण एवं पतित पावनी माँ गंगा को समर्पित श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान महोत्सव के समापन अवसर पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कथा आयोजक श्री राठी परिवार और उपस्थित श्रद्धालुओं को पौधा रोपण का संकल्प कराया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती ने श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान महोत्सव की पूर्णाहुति के पावन अवसर पर देश भर में ढ़ाई करोड़ नीम के पौधे लगाने का महासंकल्प लेने वाले भारत की प्रसिद्ध महिला सशक्तिकरण एवं पर्यावरण प्रेमी संस्था मारवाड़ी महासभा के ठाणे जिल्हा महाराष्ट्र के सभापति श्री ओमप्रकाश राठी को इस महान संकल्प के लिये आशीर्वाद दिया तथा इस दिव्य अभियान को पूरा पूरा सहयोग देने का आश्वासन भी दिया
साथ ही श्री महेश को भी आगे बढ़ते रहने के लिये प्रेरणा दी। इस पुनीत कार्य का शुभारम्भ स्वामी जी ने कथा व्यास श्री मोहनलाल जी व्यास को पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा देते हुये कहा कि अब कथा की पूर्णाहुति पर पृथ्वी को बचाने के लिये पर्यावरण यज्ञ में पेड़ों को लगाने की आहुतियाँ हमें देनी होगी तभी पर्यावरण और हमारी पृथ्वी सुरक्षित रह सकती है।
परमार्थ गंगा तट पर सात दिनों से बह रही श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान महोत्सव की ज्ञान धारा का समापन आज पर्यावरण शुद्धि हवन एवं महासंकल्प के साथ हुआ।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा कि ’पृथ्वी को बचाने के लिये हमें अब पेड़ोेेें के रोपण और संरक्षण पर विशेष ध्यान देना होगा जैसे माँ आपने गर्भ में नौ माह तक बच्चे को रखती है ठीक उसी तरह से पेड़ों को भी अपने बच्चे की तरह पालें-पोसें और बड़ा करें। इससे पेड़ तो बचेंगे ही हमारा पर्यावरण भी बचेगा साथ ही हम सभी का जीवन भी बचेगा।’
स्वामी जी महाराज ने कहा कि ’’प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में तीन चीजें बहुत आवश्यक है, अपना आहार, विचार और व्यवहार क्योंकि जैसा खाओगे अन्न वैसा बनेगा मन और जैसे होंगे विचार वैसा होगा हमारा संसार। इसलिये वेद का उद्घोष है कि ’तन्मे मनः शिव संकल्पमस्तु’ हे प्रभु मेरे मन को शिव संकल्प वाला बनायें। संकल्प शिव होगा, उत्तम होगा तो सृष्टि भी शिव होगी उत्तम होगी, शिव संकल्प ही सत्यम्, शिवम्, सुन्दरम् की सृष्टि का निर्माण करता है। जैसा हमारा व्यवहार होगा वैसा ही हमारा जीवन बनेगा। स्वामी जी ने वाणी का महत्व बताते हुये कहा कि वाणी कैसी हो, कैसे बोले और किस तरह से बोलें, कब बोले और कब न बोले यह जानना बहुत जरूरी है। उन्होने कहा कि द्रोपदी जी के केवल एक ही बात से कि अंधों के अंधे ही होते है, उससे कितना बड़ा महाभारत जैसा युद्ध खड़ा हो गया। दूसरी ओर वाणी ही हमें बुद्धत्व की ओर ले जाती है। वाणी हमें युद्ध से बुद्ध की ओर ले जाती है, साथ ही वाणी ही युद्ध में और बड़़ा युद्ध भी खड़ा कर सकती है इसलिये इस पर विचार करें, संयमित व्यवहार करे तो जीवन स्वर्ग सा सुन्दर बन जायेगा और कथा उसमें मुख्य भूमिका निभाती है।’’
कथा व्यास श्री मोहनलाल जी व्यास ने कहा कि ’’कथा के श्रवण से ज्ञान, भक्ति और कर्म के साथ पुरूषोत्तम बनने का मार्ग प्रशस्त होता है। परमार्थ निकेतन के तट पर आयोजित दिव्य कथा पर्यावरण को संरक्षित कर पृथ्वी को प्रदूषण मुक्त करने का संदेश देती है इसे आत्मसात कर हरियाली और खुशहाली युक्त वातावरण के निर्माण में योगदान प्रदान करें।’’
मारवाड़ी महासभा मुम्बई ठाणे जिले के सभापति श्री ओमप्रकाश राठी जी ने कथा के मंच से बताया कि मारवाड़ी महासभा विश्व की प्रगतिशील मारवाड़ियों की संस्था है। मारवाडी महासभा ने बेटी बचाओ-बेटी पढ़ाओ, स्वच्छ जल, पेड़ बचाओेे, नीम महोत्सव (नीम के पौधों का रोपण) के लिये कार्य कर रही है। उन्होने बताया कि हम ढ़ाई करोड़ नीम के पौधों का रोपण पूरे भारत में करने जा रहे हैं इस कार्य के शुभारम्भ के लिये तथा लोगों को पे्ररित करने के लिये उन्होने स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी को धन्यवाद दिया तथा मुम्बई के एक बड़े कार्यक्रम के लिये आमंत्रित भी किया। स्वामी जी महाराज ने भी पुनः सभी से आह्वान किया कि देश में जो ढ़ाई करोड़ नीम के पेड़ों का रोपण किया जा रहा है उसके संरक्षण के लिये आगे आये और मैं तो कहता हूँ कि आश्रम बहुत बने परन्तु अब वृक्ष मन्दिर बनें, नीम मन्दिर बनें, नीम आश्रम भी बने, नीम से आच्छादित आश्रम बने ताकि देश का वातावरण हमेशा स्वच्छ, स्वस्थ और सुरम्य बना रहे।
श्रीमद् भागवत कथा सप्ताह ज्ञान महोत्सव की पूर्णाहुति के पश्चात सभी को रूद्राक्ष का एक दिव्य पौधा आशीर्वाद रूप में दिया। गरीब महिलाओं को कथा यजमान राठी परिवार द्वारा सिलाई की आधुनिक मशीनें दी गई तथा अस्पताल के लिये व्हील चेयर्स दी गई। सबने कहा ऋषिकेश छोड़ते समय बहुत ही दुःख हो रहा है। परमार्थ निकेतन सचमुच स्वर्ग है।
जर्मनी के संसद सदस्य डाॅ राॅबी श्लंड परमार्थ निकेतन पहुंचे उन्होने स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज से भेंट की। स्वामी जी महाराज और जर्मनी के संसद सदस्य डाॅ राॅबी श्लंड ने जैविक खेती, प्राकृतिक खेती तथा आयुर्वेद के विषय में विस्तृत चर्चा की। उन्होने कहा कि जर्मनी में जैविक खेती एवं आयुर्वेद के विस्तार की जरूरत है इस हेतु उन्होने स्वामी जी से मशवरा भी किया इस अवसर पर डाॅ नितिन अग्रवाल राष्ट्रीय सचिव विश्व आयुर्वेद परिषद, ग्रेटर नोएडा भी उपस्थित थे।
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