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       ऋषिकेश :


 गौहरीमाफी आपदा का पैसा सही जांच नहीं  होने पर वापस भेज दिया, पीड़ित तरसते रह गए. प्रशासन की कार्यवाही पर उठ रहे है सवाल ?


जनता की पीडा को सुनने वाले अधिकारी ही जब दुत्काराने  लगे तो जनता किसके पास अपनी समस्या लेकर जाये । ऐसा ही पूरा मामला  ऋषिकेश तहसील का है । जहां साल भर से गौहरीमाफी बाढ पीडित सुनील निरंकारी तहसील प्रशासन से लगातार क्षतिग्रस्त भवन का  मुआवजा की गुहार लगा रहा है ।  जहां पर शुक्रवार  को जब तहसील पहुंचे बाढ पीडित को  तहसीलदार ने दुत्कार घर  वापस भेज दिया । वहीं  गौहरीमाफी बाढ पीडित सुनील निरंकारी ने बताया कि शुक्रवार को जब वह  तहसीलदार के पास अपनी पीडा को लेकर पहुंचे । जिस पर  तहसीलदार ने बजट वापस  होना की बात को कहकर टाल दिया । तब बाढ पीडित ने  तहसीलदार से कहा कि मै साल भर से  तहसील के चक्कर काट रहा हूँ।  इस बात पर  तहसीलदार ने बाढ पीडित को  दुत्कारा और कार्यालय से बाहर भागा दिया । वही कुछ समय पूर्व मुख्यमंत्री के कैम्प कार्यालय मे भी संज्ञान मे लाया गया था । जहां पर अपर सचिव ने उपजिलाधिकारी से फोन पर गौहरीमाफी बाढ पीडित के मुआवजा से जुडी फाईल के बारे पूछा था । तो उपजिलाधिकारी ने इस मामले को संज्ञान मे ना होने का बहाना बनाकर टाल दिया । इस क्षेत्र के विधायक प्रदेश के विधानसभा अध्यक्ष है । विधानसभा अध्यक्ष के क्षेत्र के अधिकारी ही बेलगाम हो तो अन्य विधानसभा क्षेत्र की अधिकारियों से क्या उम्मीद की जा सकती है ।जहां अधिकारी ही जनता की पीडा ना सुनते हो  ।वहीं कैसा बनेगा उत्तराखंड खुशाल प्रदेश जहां पर ऐसे अधिकारी विराजमान होगें ।
 तो उपजिलाधिकारी ने इस मामले को संज्ञान मे ना होने का बहाना बनाकर टाल दिया । जहां अब अधिकारी ही जनता की पीडा ना सुनने तो क्या उम्मीद लगायी जा सकती ।कैसा होगा उत्तराखंड खुशहाल  प्रदेश जहां पर ऐसे अधिकारी विराजमान होगे ।

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