रूद्रप्रयाग:
भूपेंद्र भंडारी
केदारनाथ स्पेशल---
रेगिस्तान में ऊंट और केदारनाथ यात्रा में घोड़े-खच्चरों के बिना यात्रा करनी सम्भंव नहीं है। केदारनाथ की यात्रा में घोड़े- खच्चरों की अहम भूमिका रहती है और वर्षों से घोड़े-खच्चर इस यात्रा के अंग माने जाते हैं।
ग्यारहंवे ज्योर्तिलिंग भगवान केदारनाथ की यात्रा 9 मई से प्रारम्भ हो रही है। वर्षों केदारनाथ यात्रा से न केवल केदारघाटी के लोगों की बल्कि आस-पास के जिले चमोली, टिहरी, पौडी, उत्तरकाशी के लोगों की आर्थिकी भी टिकी होती है। केदारनाथ मंदिर के कपाट खुलने से केदारघाटी में में एक उत्साह का महौल रहता है।
वर्ष 2013 की आपदा ने जरूर केदारनाथ यात्रा पर टिके व्यवसाय को चैपट कर दिया था लेकिन उसके बाद साल-दर-साल व्यवस्थाएं दुरूस्थ होने से यात्रा भी पटरी पर लौटी और यहां के स्थानीय लोगों का व्यवसाय भी। इसी कड़ी में घोडा खच्चर से सबसे ज्यादा रोजगार सृजन के साथ एक बड़ा कारोबार केदारघाटी के लेागों को मिलता है।
बताते चले कि पिछले वर्ष केदारनाथ यात्रा पर अकेले घोड़े-खच्चरों से 45 करोड़ का करोबार हुआ था जिसमें 3 करोड़ रूपयेे राजस्व के रूप में सरकार के खजाने में गया था। विगत वर्ष 7 लाख 53 हजार यात्रियों ने बाबा केदार के दर्शन किए थे जिसमें घोड़े-खच्चरों के माध्यम से 2 लाख 25 हजार तीर्थ यात्रियों ने भोलेनाथ के दर्शन किए।
केदारघाटी के अधिकतर ग्रामीणों की आर्थिकी की रीढ़ केदारनाथ यात्रा में घोड़े खच्चरों के संचालन पर टिकी होती होती है। इस वर्ष करीब 7 हजार घोड़े-खच्चरों का रजिस्ट्रेशन होना है इसके पशुपालन विभाग ने कार्य आरम्भ कर दिया है।
इस बार केदारनाथ यात्रा में घोड़े खच्चरों को गर्म पानी की व्यवस्था भी की जायेगी। घोड़े खच्चरों के लिए पानी पीने की चैरियों में हीटर लगाए जायेंगे जिससे उन्हें गर्म पानी मिल सके। आपको बतादे कि पिछले वर्ष करीब 80 घोड़े-खच्चरों की मृत्यु ग्लेशियरों के डंडे पानी पीने से हुई थी। इसी को ध्यान में रखते हुए इस बार यह व्यवस्था की जा रही है।
जबकि सोनप्रयाग, गौरीकुण्ड, लिचैली और केदारनाथ में घोड़े खच्चरों के लिए अस्थाई पशु चिकित्सा शिविर भी लगाये जायेंगे जिनमें डाक्टरों के साथ ही पशुधन प्रसार अधिकारी और फार्मेसिस्टों की की टीम तैनात रहेगी। इससे किसी भी घोड़े-खच्चर को किसी भी प्रकार की तकलीफ होती है तो उसका इलाज कराया जा सकेगा।
केदारघाटी के अधिकतर ग्रामीण लोग घोड़ा -खच्चरों का केदारनाथ यात्रा में संचालन करते हैं अपनी आजीविका के साथ अपने परिवार का भरण-पोषण भी करते हैं। ऐसे में 9 मई से आरम्भ होने वाली केदारनथ यात्रा से पुनः घोड़ा संचालकों में भारी उत्साह नजर आ रहा है।
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