नेशनल यूनिवर्सिटी ऑफ सिंगापुर के एशिया कम्पटेटिवनेस इन्सटीट्यूट के 06 सदस्यीय प्रतिनिधि मण्डल ने आज उत्तराखण्ड पर्यटन विकास परिषद् मुख्यलय में अपर सचिव पर्यटन श्री सी0 रविशंकर से भेंट की।
बैठक में कौशल विकास, हॉस्पिटैलिटी ट्रेनिंग, यात्रा मार्ग में सुरक्षा एवं बीमा, आपदा प्रबन्धन आदि विषयों पर विस्तृत चर्चा की गयी। सिंगापुर के प्रतिनिधि मण्डल का नेतृत्व एशिया कम्पटेटिवनेस इन्सटीट्यूट के डायरेक्टर डॉ0 गप्ता टैन द्वारा किया गया।
बैठक के बाद श्री रविशंकर ने बताया कि सिंगापुर के प्रतिनिधि मण्डल ने उत्तराखण्ड के प्राकृतिक सौन्दर्य तथा यहां पर मौजूद साहसिक पर्यटन की विभिन्न विधाओं में काफी रूचि दिखाई है।
उन्होंने कहा कि प्रतिनिधि मण्डल ने राज्य में मौजूद पर्यटक स्थलों में अवसंरचना तथा सुविधा विकास के विषय में कार्य किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि सिंगापुर व्यवसायिक पर्यटन का प्रमुख केन्द्र है,परन्तु वहां पर प्राकृतिक सौन्दर्य, योगा एवं वैलनेस, साहसिक तथा ईको टूरिज्म आदि की उपस्थिति नहीं हैं। उत्तराखण्ड इस प्रकार के शहरी
वातावरण में रहने वाले लोगों के लिये अल्पकालीन प्रवास का एक आदर्श
केन्द्र बन सकता है, जिसके लिये आपसी सम्बन्धों को मजबूत किये जाने के
दृष्टिकोण से इस प्रकार की परिचयात्मक भेंट वार्ता एक कारगर उपाय सिद्ध हो
सकती है।
उन्होने कहा कि अगली बार राज्य के स्थानीय स्टेक होलडरस के साथ प्रतिनिधि मण्डल की वार्ता करवाई जाने की योजना है, ताकि दोनो देशों के बीच प्रगाढ़ सम्बन्ध स्थापित किये जा सके।
इस दौरान प्रतिनिधि मण्डल ने राज्य की भौगौलीक विषमताओं को देखते हुये सुरक्षा उपायों तथा यात्रा-बीमा आदि सुविधाओं को आरम्भ करने का सुझाव दिया, साथ ही उन्होंने आपदाओं के
प्रभाव को कम करने तथा पहाड़ी स्थानों की सुगम यात्रा हेतु हैलीपैड तथा रोप-ंउचयवे जैसी नई तकनीकों का प्रयोग करने हेतु विदेशी निवेश आमंत्रित करने का सुझाव दिया। इसके अतिरिक्त प्रतिनिधिमण्डल द्वारा राज्य की संस्कृति, बौद्ध धर्म, राफटिंग, पैराग्लाईडिंग, स्कींग आदि के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की गयी।
बैठक में कौशल विकास, हॉस्पिटैलिटी ट्रेनिंग, यात्रा मार्ग में सुरक्षा एवं बीमा, आपदा प्रबन्धन आदि विषयों पर विस्तृत चर्चा की गयी। सिंगापुर के प्रतिनिधि मण्डल का नेतृत्व एशिया कम्पटेटिवनेस इन्सटीट्यूट के डायरेक्टर डॉ0 गप्ता टैन द्वारा किया गया।
बैठक के बाद श्री रविशंकर ने बताया कि सिंगापुर के प्रतिनिधि मण्डल ने उत्तराखण्ड के प्राकृतिक सौन्दर्य तथा यहां पर मौजूद साहसिक पर्यटन की विभिन्न विधाओं में काफी रूचि दिखाई है।
उन्होंने कहा कि प्रतिनिधि मण्डल ने राज्य में मौजूद पर्यटक स्थलों में अवसंरचना तथा सुविधा विकास के विषय में कार्य किये जाने की आवश्यकता पर बल दिया।
उन्होंने कहा कि सिंगापुर व्यवसायिक पर्यटन का प्रमुख केन्द्र है,परन्तु वहां पर प्राकृतिक सौन्दर्य, योगा एवं वैलनेस, साहसिक तथा ईको टूरिज्म आदि की उपस्थिति नहीं हैं। उत्तराखण्ड इस प्रकार के शहरी
वातावरण में रहने वाले लोगों के लिये अल्पकालीन प्रवास का एक आदर्श
केन्द्र बन सकता है, जिसके लिये आपसी सम्बन्धों को मजबूत किये जाने के
दृष्टिकोण से इस प्रकार की परिचयात्मक भेंट वार्ता एक कारगर उपाय सिद्ध हो
सकती है।
उन्होने कहा कि अगली बार राज्य के स्थानीय स्टेक होलडरस के साथ प्रतिनिधि मण्डल की वार्ता करवाई जाने की योजना है, ताकि दोनो देशों के बीच प्रगाढ़ सम्बन्ध स्थापित किये जा सके।
इस दौरान प्रतिनिधि मण्डल ने राज्य की भौगौलीक विषमताओं को देखते हुये सुरक्षा उपायों तथा यात्रा-बीमा आदि सुविधाओं को आरम्भ करने का सुझाव दिया, साथ ही उन्होंने आपदाओं के
प्रभाव को कम करने तथा पहाड़ी स्थानों की सुगम यात्रा हेतु हैलीपैड तथा रोप-ंउचयवे जैसी नई तकनीकों का प्रयोग करने हेतु विदेशी निवेश आमंत्रित करने का सुझाव दिया। इसके अतिरिक्त प्रतिनिधिमण्डल द्वारा राज्य की संस्कृति, बौद्ध धर्म, राफटिंग, पैराग्लाईडिंग, स्कींग आदि के बारे में विस्तृत जानकारी प्राप्त की गयी।
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