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रूद्रप्रयाग:

भूपेंद्र भंडारी 



आजादी के 70 सालों बाद भी पहाड़ के कई गांव सड़क मार्ग से नहीं जुड़ पाये हैं। लोकतंत्र का एक और महाकुम्भ शुरू हो चुका है और फिर से दावों और वादों के भँवसागर में जनता को नहलाया जा रहा लेकिन बार-बार ठगी गई जनता नेताओं के प्रलोभन मे ंनहीं आनी वाली है। इसलिए रूद्रप्रयाग जनपद के धौल-सारी के ग्रामीणों ने इस बार लोक सभा चुनाव का बहिष्कार कर लिया है। ग्रामीणों ने स्लोगन दिया है सड़क नहीं तो वोट नहीं। देखिए रिपोर्ट- 

 वर्ष 2014 में जनता को जिन्ह अच्छे दिनों का भरोसा देकर प्रचंड बहुमत से सत्ता में आई भारतीय जनता पार्टी के पाँच साल गुजर गए हैं। आपको याद होगा भाजपा ने कहा था  कि 70 साल के आजादी के इतिहास और 18 साल के उत्तराखण्ड राज्य में अब तक जो नहीं हो पाया है उसे भाजपा पर डब्बल इंजन लगते ही वह अच्छे दिन लायेंगी। वहीं आज पक्ष विपक्ष वहीं है। जनता है, जनता भी वहीं है। हां सत्ता कांग्रेस से भाजपा के हाथोें में जरूर गई थी लेकिन आज भी जनता के मुद्दे वहीं हैं, वहीं समस्या और जिल्लत भरी जिंदगी है। उत्तराखण्ड के पहाड़ी अंचलों में भाजपा का डब्बल इंजन भी अच्छे दिन नहीं ला पाया है। 

रूद्रप्राग जनपद के अगस्त्यमुनि विकासखण्ड के धौल-सारी गांव के 90 परिवारों के ग्रामीणों सड़क के अभाव में कठिन जीवन जीने के लिए मजबूर होना पड़ रहा है। एक बार फिर चुनावों का शंख बज चुका है। वहीं चेहरे, वहीं मोहरे, वहीं पाटियां जनता के बीच दावो-वादों की बड़ी फेरिस्त लेकर पहुँच रही है। पर अबकी बार ग्रामीणों ने एक स्वर में कहा है इस बार कोई भी पार्टीं हो, जबा! सड़क नही ंतो वोट नहीं। 
- धौलसारी के ग्रामीण हिमदेई देवी,और ग्रामीण नरेद्र बुटोला, ग्रामीण पिछले 40 वर्षों से गांव को सड़क मार्ग से जोड़ने की माँग करते आ रहे हैं लेकिन जनप्रतिनिधियों के कमजोर नेतृत्व के कारण सरकारी विभागों द्वारा ग्रामीणों की अनदेखी की जा रही है। जिसकेक चलते ग्रामीणों की सुनवाई नहीं हो पा रही है।  साल 2016 में लोक निर्माण विभाग द्वारा धौलसारी गांव के लिए 3 किमी मोटर मार्ग स्वीकृत किया गया और इसके प्रथम चरण के निर्माण के लिए 32 लाख 16 हजार की धनराशि भी आ चुकी है। लेकिन लोक निर्माण विभाग की घोर लापरवाही और हीलाहवाई के चलते चार साल बाद भी सड़क का निर्माण कार्य आरम्भ नहीं हुआ है। जबकि इस मामले में जनप्रतिनिधि का रवैया भी सुस्त नजर आ रहा है। ऐसे में ग्रामीणों, बीमारों, गर्भवती महिलाओं और बच्चों को  भारी परेशानियों का सामना करना पड़ता है।: 
जगदीश कठैत, ग्रामीण  और गम्भीर बिष्ट, सामाजिक कार्यकर्ता ने बताया है कि ग्रामीणों ने लोक सभा चुनावों के बहिष्कार की घोषणा के बाद जिलाधिकारी का कहना है कि ग्रामीणों की समस्याओं पर गम्भीरता के साथ कार्यावाही की जायेगी, संबंधित विभाग को कड़े निर्देश दिए जाऐंगे की वे ग्रामीणों की समस्या को प्रमुखता के साथ हल करें। 

.कुछ भी कहें सरकारें और कुछ भी कहें नेता-मंत्री। कुछ भी बोले सरकार और कुछ भी कहे उनका तंत्र। लेकिन इन ग्रामीणों की बदकिस्मत तुम्हारी पोल खोल रही है। शर्म नहीं आती सफेदकुर्ताधारियों! जिन लोगों की एक-एक वोट की बदौलत तुम सत्ता पर काबिज होते हैं, सुसज्जित गांडियों और ऐश्यों आराम बंगालों में मौज करते हैं। उन्हीं को जीतने के बाद पलट कर तक नहीं देखते हैं। ये लोग तुम्हें और तुम्हारें इस लोकतंत्र को कोस रहे हैं, जिनकी किसमत का दर्द तुम्हारे 70 सालों की विकासगाथा भी नहीं बदल पाई है। क्यों दे वोट और क्या करें इस लोकतंत्र को मजबूत करके, जिस लोकतंत्र से असल में लोक शब्द ही गायब नजर आता है।

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