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ऋषिकेश;

अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव परमार्थ निकेतन में तीसरे दिन की शुरूआत स्वेट लाॅज से और समापन म्यूजिक फाॅर पीस से हुआ

शक्ति पैनल मंच से विश्व विख्यात महिला लीडर्स द्वारा महिला सशक्तिकरण पर हुई जोरदार चर्चा

म्यूजिक फाॅर पीस’’ सत्र में मंत्रमुग्ध हुये योगी


’योग और ध्यान एक वैज्ञानिक विधा है’

तन, मन और जीवन को दिशा देती है योग साधना -स्वामी चिदानन्द सरस्वती*

स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने भारत की बेटियों से आह्वान किया कि वे करे ’’बाल विवाह को ना और शिक्षा को हाँ’’

 नारी शक्ति ने जल संरक्षण हेतु सम्पन्न की वाॅटर ब्लेसिंग सेरेमनी*

  परमार्थ निकेतन, ऋषिकेश, अतुल्य भारत, पर्यटन मंत्रालय, के एसोसियेशन से परमार्थ निकेतन द्वारा आयोजित 30 वें वार्षिक विश्व विख्यात अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव के तीसरे दिन पूज्य संतों, विख्यात महिला लीडर्स और विश्व विख्यात योगाचार्यो ने योग जिज्ञासुओं को योग, ध्यान, सेकिंड साउंड, संगीत, आध्यात्मिक जिज्ञासा समाधान सत्र, मंत्र जप, आरती, हवन और अन्य नवोदित विधाओं से अवगत कराया। सांयकालीन सत्र में मध्य अमरीका, दक्षिण अमरीका, यूरोप, उत्तर अमरीका, कोलम्बिया, पेरू और विभिन्न देशों से आये जनजाति और आदिवासियों के प्रमुखों ने ‘‘म्यूजिक फाॅर पीस’’ का अभ्यास कराया।

 *विशेष-* अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में आये योग जिज्ञासुओं को सम्बोधित करते हुये परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा ’योग और ध्यान एक वैज्ञानिक विधा है। योग, कोई एक विषय या ग्रन्थ नहीं बल्कि यह जीवन पद्धति है; जीवन ऊर्जा है। तन, मन और जीवन को दिशा देती है योग साधन। योग का आशय विश्वास से नही बल्कि सत्य से है तथा योग का सम्बंध आन्तरिक और बाह्य दोनों शक्तियों से है अतः योग की ऊर्जा और शक्ति को आत्मिक उत्थान के साथ पर्यावरण संरक्षण और नारी सशक्तिकरण में लगायें।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी ने कहा हम इक्कीसवीं सदी में दुनिया के सबसे बड़े लोकतंत्र के नागरिक है। हमारे राष्ट्र को दुनिया के बेशुमार सांस्कृतिक समृद्धि वाले राष्ट्रों में शामिल किया गया है। वैदिक युग से लेकर इक्कीसवीं सदी तक भारत ने दुनिया को संस्कार, संस्कृति और शान्ति की शिक्षा दी है, इसमें भारत की नारियों ने महत्वपूर्ण भूमिका निभायी रही है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने भारत की बेटियों से आह्वान किया कि वे ’’बाल विवाह को ना और शिक्षा को हाँ’’ करें। छोटे बच्चों की शादी करना मानवता के खिलाफ अपराध है इसमें शारीरिक, सांस्कृतिक, आध्यात्मिक और भावनात्मक स्तर पर बदलाव करने की जरूरत है। आज हम सभी को बाल विवाह, मासिक धर्म, महिला सशिक्तकरण जैसे मुद्दों पर अपनी चुप्पी तोड़कर एकजुट होकर नये विश्व के निर्माण का संकल्प लें। उन्होनेेेे कहा कि ’’हम स्वयं परिवर्तन बनें और परिवर्तन लायें।’’
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की निदेशक साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि दुनिया का सबसे ताकतवर शब्द है ‘माँ’। चाहे धर्म कोई भी हो, कोई भी सभ्यता हो या फिर आदिमयुग हो या वर्तमान, माँ तो माँ हैं। माँ हमेशा से शक्ति, प्राण, ऊर्जा, प्रेम, करूणा और ममता को अपने आंचल में समेटे अपने घर-संसार का ताना बाना बुनती है फिर उस माँ की, मातृ शक्ति की, नारी की पीड़ा को समझना; उसके भविष्य को समझना और उसके भविष्य के बारे में सोचना बहुत ज़रूरी है। हम दुनिया को बदलने की बात करते हैं परन्तु दुनिया को बदलने के लिये हमें बेटियों को जीवन देना उन्हें शिक्षित करना होगा। बेटियां शिक्षित होगी तो समझो हमने दो पीढ़ियों को शिक्षित किया। आज इस सभ्य और सुंस्कृत समाज में सोच बदलने की जरूरत है; बेटा और बेटी के बीच के अन्तर को दूर करने की आवश्यकता है।’’
विख्यात पर्यावरणविद् डाॅ वन्दना शिवा जी ने कहा कि आदिवासी और जनजातियाँ ही है जिन्होने वन और पर्यावरण को संरक्षित किया है। मानव को लें या प्रकृति को दोनों का संवर्द्धन एवं संरक्षण ’देना और प्रेम’ करना ही होता है। उन्होने कहा कि हमारा कार्य बीज की रक्षा करना है क्योंकि एक बीज एक इतने बड़े वृक्ष का निर्माण करता है। संसार में अनके विविधतायें हैं परन्तु विविधता में ही एकता है।
योगाचार्य गुरूमुख कौर खालसा, इस संसार को नियंता ने बनाया है। आध्यात्मिक दृष्टिकोण से देखें तो संसार नर और नारी में विभक्त नहीं है, यह नियंता का प्रसाद है।
दक्षिण अमरीका से आयी माता ओबेला चेरेल ने कहा कि नारी, ’मदर अर्थ’ का प्रतीक है। जो प्रकृति की तरह ही बीज को धारण कर जीवन प्रदान करती है।
माता मार्टिना ममानी ने कहा कि हम यहां पर विश्व शान्ति, जल और पर्यावरण संरक्षण के लिये एकत्र हुये हैं।
*आध्यात्मिक सत्संग, साधना एवं व्याख्यान श्रंखला में-*
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने भारतीय संस्कृति और दर्शन पर ज्ञानवर्द्धक व्याख्यान दिया।
आज के सत्र में विश्व विख्यात महिला लीडर्स द्वारा ’’शक्ति पैनल’’ के माध्यम से महिला सशक्तिकरण पर चर्चा की। इसमें साध्वी भगवती सरस्वती जी ने ’’शक्तिः द योग फेमिनिन आॅफ ए यौगिक लाइफ’’, विख्यात पर्यावरणविद् डाॅ वन्दना शिवा ने योग और पर्यावरण संरक्षण, अमरीका से आयी विख्यात योगाचार्य गुरूमुख कौर खालसा, अमरीका की विख्यात योगाचार्य शाॅन काॅन, अमरीका की योगाचार्य लौरा प्लम्ब, दक्षिण अमरीका से आयी माता अबेला टोनलिमट, मार्टिना ममानी, ओबेला चेरेल  और अन्य विख्यात महिला लीडर्स ने अपने विचार व्यक्त किये।
विश्व के विभिन्न देशों से आये योगाचार्यो एवं योग जिज्ञासुओं ने परमार्थ गंगा तट पर होने वाली विश्व विख्यात गंगा आरती और हवन में सहभाग किया। ’शक्ति पैनल’ के समापन अवसर पर पर्यावरण का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।
*विशेष सत्र-*
अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव का शुभारम्भ विश्व के विभिन्न देशों से आये आदिवासी और जनजाति के प्रमुखों ने 5:00 बजे ’’स्वेट लाॅज’’ साधना के माध्यम से शरीर के शुद्धिकरण समारोह में अपनी स्थानीय भाषा में प्रार्थना, गीत-संगीत और ध्यान की संयुक्त प्रक्रिया द्वारा सम्पन्न किया। जिसमें स्व से जुड़ने का अभ्यास कराया गया।
प्रातःकाल के सत्र में अष्टांग योग संस्थान मैसूर से आये योगाचार्य पट्टाभि जोइस और चिकित्सक परमगुरू शरथ जोइस ने योग घाट पर पारम्परिक अष्टांग योग का अभ्यास कराया। चीन से आये योगाचार्य युजिया ने ताओवादी योग, अमरीका की योगाचार्य कीया मिलर ने योग का अभ्यास कराया। ऋषिकेश मूल के चीन के प्रमुख योग केन्द्र के सह-संस्थापक योगाचार्य श्री मोहन भण्डारी ने आसन संरेखण की कला, अमरीका के योगाचार्य टाॅमी रोजन ने ’द थ्री ज्वेल्स’, योगाचार्य डीन फ्लिन ने ’सोल स्वेट’, अमरीका की शाॅन काॅर्न ने ’योग का अनाहत प्रवाह’, योगाचार्य, हीलर और म्यूजिशियन सोल डेविड राॅय ने ’द पाॅवर आॅफ ओम’, कोलम्बिया से आये स्वामी परमाद्वैति जी ने ’इनबाउंड योग’, माँ ज्ञान सुवेरा ने काॅस्मिक इंटेलिजेंस मेडिटेशन’ सिखाया।
साथ ही योग की अनेक कक्षायें प्रातः 4:00 बजे से रात 9:30 बजे तक सम्पन्न हुईं जिसमें प्रमुख रूप से अष्टांग योग, आयंगार योग, विन्यास योग, कुण्डलिनी योग, जीवमुक्ति योग, सिन्तोह योग, सेमैटिक योग, हठ योग, राज योग, भक्ति योग, गंगा योग, लीला योग, डीप योग आदि एक सप्ताह तक प्रस्तुत किये जाने वाले योग के मुख्य प्रारूप हैं। इसके अतिरिक्त  ध्यान, मुद्रा, वैदिक मंत्र, संस्कृतवाचन, आयुर्वेद, रेकी एवं भारतीय दर्शन की भी कक्षायें सम्पन्न हो रही हैं। देश-विदेश से आये हुये आध्यात्मिक महापुरूषों एवं धर्मगुरूओं द्वारा धार्मिक सवांद, जिज्ञासा समाधान एवं  प्रश्नोत्तरी का भी विशेष आयोजन इस अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में हो रहा है।

अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में  भारत, स्पेन, ब्राजील, पुर्तगाल, चीन, मैक्सिको, बेल्जियम, अमेरिका, कोलम्बिया, नीदरलैण्ड, पेरू, अर्जेन्टीना, जर्मनी, आस्ट्रेलिया, इटली, नार्वे,  जर्मनी, तिब्बत, भूटान, रूस, इजरायल, इंग्लैंड, फ्रांस, जर्मनी, कनाडा, स्वीडन, हांगकाग, बेल्जियम, स्विट्जरलैण्ड, बहरीन, अफगानिस्तान, अफ्रीका, सिंगापुर, ताईबान, फिलिस्तीन, ईरान, जापान, केन्या, यमन, पेलस्टाईन, चीन, सिंगापुर, ताईबान, बैंकाक, नामिबिया, इक्वेडोर, कोलम्बिया, ग्वाटेमाला, आॅस्ट्रिया, क्यूबा, चिले, थाईलैण्ड, तुर्की, ब्रिटेन, दक्षिण अमेरिका सहित विश्व के विभिन्न देेशों के योग जिज्ञासुओं ने सहभाग किया।

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