ऋषिकेश;
गणेश मख्लोगा
मैत्री" स्वयंसेवी संस्था पूरे प्रदेश में नशाबन्दी अभियान चलाकर राज्य को नशा-मुक्त बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। शहर में मांस-मदिरा की दुकानें एवं बार खुलने से जहां तीर्थनगरी ऋषिकेश में इस प्रकार से मांस मदिरा बेचने और ग्राहकों को परोसने के लिए दुकानें तथा मयखाने खोले जा रहे हैं, उससे तीर्थनगरी की छवि धूमिल हो रही है। हमारी संस्था यहां पर इन सब कुरीतियों का विरोध लगातार करती आ रही रही है। सरकार के इस प्रकार के कार्य से संस्था के अभियान को भी ठेस पहुंच रही है । जिस तरह से राज्य सरकार ने तीर्थनगरी में बार का लाईसेंस एक बाद एक दिया, जा रहा है वह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है। तीर्थनगरी में अंग्रेजी हुकूमत के समय से मांस मदिरा पर प्रतिबंध था। ऋषिकेश धर्म और आस्था की नगरी है जो कि यौगिक गतिविधियों एवं मोक्षदायिनी गंगा के कारण विश्व में प्रसिद्ध है। पहले नगर निगम क्षेत्र में न तो शराब की दुकानें थी और न ही बार खोले जाने की अनुमति थी। धर्मत्व को बचाने के लिए तीर्थनगरी को सुरक्षित रखा गया था लेकिन उत्तराखंड राज्य के अस्तित्व में आने के बाद उत्तराखंड के प्रवेश द्वार को मांस मदिरा परोसने वाले होटलों- रेस्टोरेंट को लाईसेंस जारी किए जा रहे हैं।
आज धर्मनगरी में लगातार मयखाने खुल रहे है इतना ही नहीं नगर के आसपास अन्य स्थानों पर भी नए बार खोलने की शासन स्तर से अनुमति दी जा रही है।
उनका कहना है कि यह निर्णय तीर्थनगरी की धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड़ है। हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं। यदि शासन -प्रशासन दो दिन में बार के लाइसेंस को कैंसिल नहीं करता तो इस स्थिति में दो दिन बाद हम इन बारों के खिलाफ त्रिवेणीघाट गांधी स्थम्भ पर धरना प्रर्दशन करेगे जिसकी जिमेदारी शासन प्रशासन की होगी जनभावना का सम्मान करते हुऐ इस गम्भीर बिषय पर संज्ञान लिजिऐ
ज्ञापन देनेवालों में अध्यक्ष मैत्री संस्था कुसुम जोशी, कमला नेगी ,दीपक रयाल ,पार्षद रैना शर्मा, पंकज गुसाई, हरिचरण ,नंदनी जोशी, शुभम जोशी शामिल थे।
गणेश मख्लोगा
मैत्री" स्वयंसेवी संस्था पूरे प्रदेश में नशाबन्दी अभियान चलाकर राज्य को नशा-मुक्त बनाने की दिशा में कार्य कर रही है। शहर में मांस-मदिरा की दुकानें एवं बार खुलने से जहां तीर्थनगरी ऋषिकेश में इस प्रकार से मांस मदिरा बेचने और ग्राहकों को परोसने के लिए दुकानें तथा मयखाने खोले जा रहे हैं, उससे तीर्थनगरी की छवि धूमिल हो रही है। हमारी संस्था यहां पर इन सब कुरीतियों का विरोध लगातार करती आ रही रही है। सरकार के इस प्रकार के कार्य से संस्था के अभियान को भी ठेस पहुंच रही है । जिस तरह से राज्य सरकार ने तीर्थनगरी में बार का लाईसेंस एक बाद एक दिया, जा रहा है वह बड़ा दुर्भाग्यपूर्ण है। तीर्थनगरी में अंग्रेजी हुकूमत के समय से मांस मदिरा पर प्रतिबंध था। ऋषिकेश धर्म और आस्था की नगरी है जो कि यौगिक गतिविधियों एवं मोक्षदायिनी गंगा के कारण विश्व में प्रसिद्ध है। पहले नगर निगम क्षेत्र में न तो शराब की दुकानें थी और न ही बार खोले जाने की अनुमति थी। धर्मत्व को बचाने के लिए तीर्थनगरी को सुरक्षित रखा गया था लेकिन उत्तराखंड राज्य के अस्तित्व में आने के बाद उत्तराखंड के प्रवेश द्वार को मांस मदिरा परोसने वाले होटलों- रेस्टोरेंट को लाईसेंस जारी किए जा रहे हैं।
आज धर्मनगरी में लगातार मयखाने खुल रहे है इतना ही नहीं नगर के आसपास अन्य स्थानों पर भी नए बार खोलने की शासन स्तर से अनुमति दी जा रही है।
उनका कहना है कि यह निर्णय तीर्थनगरी की धार्मिक आस्था के साथ खिलवाड़ है। हम इसका पुरजोर विरोध करते हैं। यदि शासन -प्रशासन दो दिन में बार के लाइसेंस को कैंसिल नहीं करता तो इस स्थिति में दो दिन बाद हम इन बारों के खिलाफ त्रिवेणीघाट गांधी स्थम्भ पर धरना प्रर्दशन करेगे जिसकी जिमेदारी शासन प्रशासन की होगी जनभावना का सम्मान करते हुऐ इस गम्भीर बिषय पर संज्ञान लिजिऐ
ज्ञापन देनेवालों में अध्यक्ष मैत्री संस्था कुसुम जोशी, कमला नेगी ,दीपक रयाल ,पार्षद रैना शर्मा, पंकज गुसाई, हरिचरण ,नंदनी जोशी, शुभम जोशी शामिल थे।
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