कैलाश-मानसरोवर यात्रा, भारत-तिब्बत स्थल व्यापार को मिलेगा बढ़ावा
पिथौरागढ़ ;
कठोर चट्टानों का सीना चीर सीमा सड़क संगठन ने चीन सीमा तक रोड बनाने की सबसे बड़ी बाधा पार कर ली है। लखनपुर और नजंग के बीच 2.5 किलोमीटर सड़क काटने का चुनौतीपूर्ण काम पूरा होते ही तवाघाट से नजंग तक 26 किलोमीटर लंबी सड़क कटिंग संपन्न हो गई है। इसके बाद सीमा सड़क संगठन के अधिकारी बुधवार को वाहनों से नजंग पहुंच गए।
अब नजंग से बूंदी तक 14 किलोमीटर सड़क और कटनी है। इसके बाद चीन सीमा पर लीपूपास से चार किमी पहले तक सड़क संपर्क बन जाएगा। चीन सीमा की ओर से बूंदी तक 51 किमी सड़क का निर्माण पहले ही पूरा किया जा चुका है। कैलास मानसरोवर यात्रा मार्ग पर तवाघाट से लीपूलेख तक 95 किमी लंबी सड़क का निर्माण कार्य सीमा सड़क संगठन की हीरक परियोजना के अधीन चल रहा है। कठोर चट्टानों के कारण लखनपुर से नजंग के बीच 2.5 किमी सड़क की कटिंग चुनौती बनी हुई थी।
सीमा सड़क संगठन के मुख्य अभियंता विमल गोस्वामी ने बताया कि घटियाबगड़ से नजंग तक सड़क का निर्माण कार्य पूरा कर लिया गया है। नजंग में उनके वाहन पहुंच गए हैं। अब सीमांत के बूंदी, छियालेख, गर्ब्यांग, गुंजी, कालापानी और नाभीढांग के ग्रामीणों को आवागमन में सुविधा मिल सकेगी। कैलाश-मानसरोवर यात्रा, भारत-तिब्बत स्थल व्यापार को बढ़ावा मिल सकेगा।
यदि सब कुछ अनुकूल रहा तो सड़क को 2020 तक पूरा कर लिया जाएगा। हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि एनएचडीएल के मानकों के अनुसार सड़क को सभी तरह के वाहनों के लिए जनता को उपलब्ध कराने में कुछ समय लगेगा। लखनपुर और नजंग की पहाड़ियों को काटने में पिछले दस सालों में ग्रिफ के एक जूनियर इंजीनियर, दो आपरेटर और छह स्थानीय मजदूरों को अपनी जान गंवानी पड़ी।
करोड़ों की मशीनें भी इन्हीं चट्टानों में दफन हो गईं थीं। ग्रिफ के चीफ इंजीनियर विमल गोस्वामी ने बताया कि सड़क निर्माण के दौरान 65 लाख की लागत का डोजर, 2.5 करोड़ रुपये की डीसी 400 ड्रिलिंग मशीन, 40 लाख रुपये की वेगन डील मशीन सहित कई मशीनें नष्ट हो गई थीं।
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