रुद्रप्रयाग-
अगर आप बर्फवारी का आनंद उठाना चाहते हैं तो बेझिझक रुद्रप्रयाग आइये मगर आपकी समझदारी ही आपको भारी बर्फवारी से बाहर निकलने में मददगार हो सकती है। यही कुछ हुआ मिनी स्विटजरलैण्ड के नाम से प्रसिद्व चोपता दुगलविट्टा में फंसे शैलानियों के साथ। जानकारी रही नहीं और तीन दिनों तक फंसे रहे, वर्फ के टैन्टों में।
बर्फवारी का आनंद लेने के लिए हर साल हजारों की तादाद मे ंचोपता में सेलानी जुटते हैं मगर इस बार कुछ ज्यादा ही बर्फवारी हो गयी। जिसके चलते चोपता के बनियांकुण्ड में करीब 13 पर्यटक अपने टैंटों में कैद हो गये। और अन्य करीब 50 पर्यटक वहां स्थित अपने कमरों में कैद हो कर रह गये। देर रात्रि जैसे ही प्रशासन को खबर मिली तो आज सुबह से ही रेस्क्यू अभियान शुरु किया गया। भारी बर्फवारी होने के कारण चोपता मोटर मार्ग पर वाहनों की आवाजाही बन्द हो गयी थी जिसको देखते हुए जिला आपदा प्रबन्धन टीम के साथ ही पुलिस व जेसीबी स्नो कटर को मौके के लिए भेजा गया। मक्कू बैण्ड से लेकर चोपता तक करीब 10 किमी मोटर मार्ग पूरा बर्फ से से अटा पडा है।
हरीश शर्मा जिला आपदा प्रबन्धन अधिकारी रुद्रप्रयाग का कहना है कि ऐसे में किसी तरह टीम ने बनियांकुण्ड पहुचकर 13 शैलानियों को पैदल ही रेस्क्यू कर उखीमठ तक पहुंचाया और अन्य शैलानियों की जानकारी ली। सडक मार्ग बन्द होने के कारण शैलानी अपने कमरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं जिसको देखते हुए जिला प्रशासन अब सडक मार्ग को खोलने पर जुट गया है और प्रशासन का दावा है कि अगर रात्रि तक ज्यादा बर्फवारी नहीं होती है तो अन्य पर्यटकों को भी उखीमठ पहुंचा दिया जायेगा। साथ ही उनके वाहनों को भी निकाल दिया जायेगा।
हरीश शर्मा जिला आपदा प्रबन्धन अधिकारी रुद्रप्रयाग का कहना है कि ऐसे में किसी तरह टीम ने बनियांकुण्ड पहुचकर 13 शैलानियों को पैदल ही रेस्क्यू कर उखीमठ तक पहुंचाया और अन्य शैलानियों की जानकारी ली। सडक मार्ग बन्द होने के कारण शैलानी अपने कमरों से बाहर नहीं निकल पा रहे हैं जिसको देखते हुए जिला प्रशासन अब सडक मार्ग को खोलने पर जुट गया है और प्रशासन का दावा है कि अगर रात्रि तक ज्यादा बर्फवारी नहीं होती है तो अन्य पर्यटकों को भी उखीमठ पहुंचा दिया जायेगा। साथ ही उनके वाहनों को भी निकाल दिया जायेगा।
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