ऋषिकेश;
परमार्थ निकेतन में अन्तर्राष्ट्रीय एवं राष्ट्रीय स्तर के हिन्दू, मुस्लिम धर्मगुरू और अन्य विशिष्ट अतिथियों ने मिलकर पारस्परिक सहयोग को मजबूत करने के लिये संवाद, बैठक का आयोजन किया यह पहला ऐतिहासिक अवसर है जिसमें सैकड़ों की संख्या में हिन्दू और मुस्लिम धर्मगुरूओं, युवाओं और पंतजलि योगपीठ की 50 से अधिक ऋषिकन्याओं एवं साध्वीयों ने सहभाग किया। इस पारस्परिक संवाद बैठक का आयोजन कायसीड और ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संयुक्त तत्वाधान में किया गया।
स्वीकृति, विविधता में एकता और शान्तिपूर्ण सहअस्तित्व, ऐसी नींव हैं जिन पर भारत का लोकतंत्र बनाया गया और आज भी सुरक्षित है। उन्होंने कहा कि राष्ट्र पिता महात्मा गांधी ने केवल भारत की स्वतंत्रता के लिये आंदोलनों के नेतृत्व ही नही किया बल्कि शान्तिपूर्ण और समावेशी समाजों के लिये भी अथक प्रयत्न किये तथा रास्ते में आने वाली अनेक चुनौतियों का सामना करते हुये आधुनिक भारत में इन मूल्यों को स्थापित करने का प्रयास किया।
समावेश और सह-अस्तित्व को बढ़ावा देना एक सतत प्रक्रिया है। आगामी वर्ष हम महात्मा गांधी जी की 150 वीं जन्मदिवस की वर्षगांठ मनायेंगे अतः यह अवसर इन महत्वपूर्ण प्रक्रियाओं पर जोर देने के लिये उपयुक्त है।
धार्मिक नेताओं ने भारत में समुदायों के बीच संबंधों को मजबूत करने तथा कई चुनौतियों का समाधान करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है।
8-9 दिसम्बर को दो दिवसीय आयोजन में हिन्दू और मुस्लिम समुदायों के धार्मिक नेताओं की ऐतिहासिक बैठक परमार्थ निकेतन में आयोजित की गयी। जिसमें धर्मगुरूओं ने अपने काम, अनुभवों को साझा किया तथा उसमें आने वाली चुनौतियों और उनके सम्भावित समाधानों पर चर्चा करने, सफलताओं को उजागर करने और ठोस सयुंक्त सहयोग के लिये संभावित क्षेत्रों की पहचान करने हेतु विशद चर्चा की।
09-10 दिसम्बर को दो दिवसीय आयोजन ’युवा नेता प्रशिक्षण’ का आयोजन किया जा रहा है ,जिसमें धर्म आधारित संगठनों के युवा धर्मगुरूओं व युवा नेताओं को शान्तिपूर्ण और समावेशी समाजों के चैंपियन बनाने के लिये प्रशिक्षित किया जा रहा है साथ ही उनहें शान्ति, सुलह और संघर्ष संकल्प के लिये प्रारंभिक सुझाव देकर प्रशिक्षित किया जा रहा है।
इस कार्यक्रम का उद्घाटन परमार्थ गंगा तट पर परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती , आचार्य बालकृष्ण , पतंजलि योगपीठ, स्वामी कैलाशानन्द , डाॅ इमाम उमर अहमद इलियासी , अखिल भारतीय इमाम संगठन के अध्यक्ष, अजमेर दरगाह शरीफ की गद्दी नशीन, हाजी सैयद सलमान चिश्ती, मौलाना अब्दुला , देवबंद, मौलाना कोकब मुस्तफा , मौलाना लुकमान तारापुरी जी, गुजरात, साध्वी भगवती सरस्वती जी, कायसीड के कार्यक्रम निदेशक मोहम्मद शिफान राफादीन और कायसीड समन्वयक अधिकारी रेनाटा कैटालिन नेल्सन ने दीप प्रज्ज्वलित कर किया।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज ने कहा, ’’जिस प्रकार एक धागा फूलों की अनेकता को एकता में बदल देता है उसी प्रकार इस तरह के आयोजन विविधता में एकता की इबारत लिखते है। भारत में भले ही सर्वत्र विविधता में एकता के दर्शन होते है परन्तु भारतीयों ने हमेशा एकता, भाईचारा, दयालुता और प्रेमपूर्ण एक साथ रहने का संदेश दिया। उन्होने कहा कि हम सभी चाहे किसी भी जाति, धर्म, भाषा और सम्प्रदाय को मानने वाले हो परन्तु हमारा नियंता एक है और हम सभी एक-दूसरे के भाई और बहने है आज यही संदेश हमारे युवाओं को देना है।
डाॅ इमाम उमर अहमद इलियासी , अखिल भारतीय इमाम संगठन के अध्यक्ष ने कहा कि परमार्थ निकेतन और अखिल भारतीय इमाम संगठन ने एक मुहिम की शुरूआत की है जिसमे गुरूकुल और मदरसा के बच्चे साथ में मिलकर जाग्रति जन आंदोलन करे जिसमें हमारी युवा पीढ़ी जो गुरूकुल और मदरसा में पढ़ कर पुजारी, मौलाना और मुफ़्ती बनते है उनको पहले से एकता, सद्भाव और समरसता की भावना से पोषित किया जाये ताकि उन बच्चों के बीच में सद्भाव, समरसता और साथ मिलकर कार्य करने की प्रेरणा उन्हे मिलती रहे। इस संवाद वार्ता में युवाओं को शान्ति दूत बनने का प्रशिक्षण प्रदान किया जा रहा है ताकि वे यहां से जाकर अपने क्षेत्र केे शान्तिदूत का कार्य कर सके।
उन्होने कहा कि धर्मगुरूओं का कार्य केवल इबादत करना ही नहीं है बल्कि उनका चिंतन और एक्शन यह होना चाहिये कि वे पर्यावरण और जल संरक्षण के लिये भी कार्य करे। आईये हम सभी धार्मिक संस्थाये मिलकर इन समस्याओं का समाधान करे और इसकी शुरूआत नई पीढ़ी से करे।
हाजी सैयद सलमान चिश्ती जी ने कहा कि ज्यादतर जो हिंसा, आक्रामकता और लोगों को बांटने की जो आवाजें है वह शीघ्रता से फैलती है परन्तु जो आवाजें शान्ति, सद्भावना, समरसता और एकता के लिये वह उस स्तर तक नहीं पहुंच पाती। हमारे देश में लाखों लोग कुम्भ मेला में और दरगाह शरीफ पर आते है परन्तु फिर भी शान्ति का संदेश उस स्तर तक नहीं पहुंच पाता इसलिये आज हम सभी मिलकर, सभी धार्मिक संस्थायें, धर्मगुरू और मीडिया बन्धु सभी मिलकर शान्ति, समरसता और सद्भावना का संदेश प्रसारित करे।
उन्होने कहा कि हम जो इबादत करते है वह हमारी आत्मा की शुद्धि के लिये है परन्तु हमारा नियंता वास्तव में हमसे क्या चाहता हैं इस पर ध्यान दे और नियंता द्वारा बनायी कायनात की सेवा करना ही सबसे बड़ी इबादत है। इस संदेश को अधिक से अधिक लोगों तक पहुंचाये यही श्रेष्ठ है।
साध्वी भगवती सरस्वती ने कहा कि भारतीय संस्कृति और परम्परा हमें वसुधैव कुटुम्बकम् और हम सभी आपस में भाई-भाई है, सभी एक परिवार है चाहे वह हिन्दू हो या मुस्लिम का संदेश देती है। भारत में हम इसी तरह से जीते है और हमें इसी तरह से जीना चाहिये। उन्होनेे कहा कि हम एक-दूसरे को समझे; एक-दूसरे का सम्मान करे। हम सहनशीलता की बात करते है परन्तु हमें इसके आगे एक-दूसरे को स्वीकार करने हेतु आगे बढ़ने की जरूरत है। हमें एक-दूसरे को एक परिवार की तरह स्वीकार करना चाहिये तथा यही शिक्षा अपनी युवा पीढ़ियों को भी प्रदान करे। आज हम सभी इसी परिपेक्ष्य में एक साथ मिलकर कार्य करने हेतु आये है ताकि हमारा युवा इस संदेश को ग्रहण करे और इसी तरह अपने भविष्य और विश्व का निर्माण करे।
इस अवसर पर सैकड़ोेेें की संख्या में युवा उपस्थित थे।
इसके अलावा पूज्य स्वामी हरिचेतनानन्द , हरिद्वार, पूज्य महामण्डलेश्वर स्वामी प्रेमानन्द ,महामण्डलेश्वर ईश्वरदास जी, कांतजी व्यास, प्रसिद्ध कथाकार,ध्यानमूर्ति माताजी, प्रतिष्ठित कथाकार,महंत ऋषिश्वरानन्द, स्वामी कमलदास,स्वामी रूपेश प्रकाश ,मुस्लिम धर्मगुरू ईमाम उमर अहमद इलियासी , अखिल भारतीय इमाम संगठन के अध्यक्ष मौलाना अब्दुल्ला , देवबंद मौलाना कोकब मुस्तबा, हाजी सैयद सलमान चिस्ती , गद्दी नशीन अजमेर दरगाहचेरीफ माजेन, टयूनीशिया मौलाना लुकमान तारापुरी , गुजरात सैयद अब्बास मुर्तजा शमसी, प्रबंध निदेशक, भारत रत्न उस्ताद बिस्मिल्लाह खान फाउण्डेशन, संयुक्त सेक्रेटरी/प्रबंधक शिया डिग्री काॅलेज,मुफ्ती रायसजी, देहरादून, मुफ्ती नसीहुर रहमान, प्रिंसिपल अल जीमयतुल इस्लामिया बनत, मदरसा मंगलदाई, दरारंग, असम
राजनैतिक नेता--श्री रमेश पोखरियाल निशंक, आरूषि निशंक, स्पेशल गंगा के राष्ट्रीय संयोजक कई अन्य विशिष्ट अतिथि उपस्थिति थे
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