नरेंद्र नगर;
वाचस्पति रयाल
यहां पालिका के रामलीला मैदान में प्रभु राम की लीला के मंचन के चौथे दिन राम बनवास व केवट लीला के दृश्यों को देख श्रद्धालु राम भक्त भावुक हो जाते हैं।
प्रभु राम के वन गमन से पूर्व के दृश्य कोप भवन में दशरथ- कैकई,कैकई- सुमंत, राम-कैकई व राम -दशरथ आदि दृश्यों के संवाद भी प्रभाव पूर्ण थे।
राजा दशरथ प्रभु राम के राज्याभिषेक को लेकर जहां बेहद उत्सुक हैं ,वहीं दूसरी ओर अपनी सेविका मथुरा के भड़काने पर कोप भवन में बैठी कैेकई से राजा दशरथ द्वारा कारण पूछने पर रानी अपने दो वरों की याद दिलाते हुए राजा दशरथ से राम को 14 वर्ष का वनवास और भरत को राजगद्दी देने का वचन मांगती है।
राजा दशरथ व्यथित होकर अपने परंपरा "रघुकुल रीत सदा चली आई ,प्राण जाए पर वचन न जाई"का पालन करते हुए
कैकई को वचन दे देते हैं।
तब श्री राम पिता की आज्ञा को स्वीकार पर"उतारू राज के कपड़े ,बनाऊं वेश मुनियों का"कह कर रात और लक्ष्मण और सीता के साथ वनवास पर चले जाते हैं।
वनवास का दृश्य देख दर्शकों के आंखें भी नम हो जाती हैं, पूरी अयोध्या नगरी व्यथित हो जाती है।
राम लक्ष्मण सीता को वन जाते देख सभी अयोध्यावासी विलाप करती हुई है राम को रोकने का प्रयास करते हैं।
प्रभु राम सभी को धीरज बंधाकर आगे बढ़ जाते हैं।
इसके बाद भगवान राम, लक्ष्मण, सीता गंगा नदी को पार करने के लिए केवट की मदद लेते हैं। जहां केवट व निषाद राज जो पहले ही प्रमुख राम की महिमा सुन चुके हैं उन्हें सामने पाकर भाव विभोर हो उठते हैं और बड़ी आवभगत करते हुए नदी पार कर आने से पूर्व प्रभु नाम से कहते हैं "पयां पखारूं चढों मोरी नैया"और केवट निषाद राज प्रभु राम, लक्ष्मण, सीता के पांव धोकर उन्हें गंगा नदी पार करवाते हैं। यह दृश्य श्रद्धालु दर्शकों में प्रभु राम के प्रति श्रद्धा,निष्ठा व सेवा भाव उत्पन्न कर गया।
कलाकारों में हितेश जोशी, शैलेंद्र नौटियाल, पवन कुमार ड्यूंडी,संजय रतूड़ी, महेश, ऋतिक, धूम सिंह नेगी, हिमांशु रयाल, द्वारिका प्रसाद जोशी, सुरेंद्र, राकेश बहुगुणा, विद्यासागर गौड़, की भूमिका प्रशंसनीय रही। इस मौके पर पालिका अध्यक्ष राजेंद्र विक्रम सिंह पंवार, राजवीर पुंडीर, पूर्व सभासद जयपाल सिंह नेगी,पूर्व पालिका अध्यक्ष राजेंद्र सिंह राणा, सभासद बसंती देवी नेगी, मनवीर नेगी, आशा टम्टा, नरपाल सिंह भंडारी, सुरेंद्र थपलियाल, महेश गुसाईं आदि उपस्थित थे।
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