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मनुष्य का जीवन अनमोल है उसे जागरूक और दूर दृष्टि के साथ जियें-स्वामी चिदानन्द सरस्वती

ऋषिकेश;

परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने दशहरे के दिन अमृतसर में हुये रेल हादसे पर गहरा दुःख व्यक्त किया।
 स्वामी चिदानन्द सरस्वती महाराज, जैन धर्मगुरू डाॅ लोकेश मुनि जी, बौद्ध धर्मगुरू भिक्खु संघसेना जी और परमार्थ गुरूकुल के ऋषिकुमारों ने हाथ में रूद्राक्ष को पौधे लेकर मृतकों की आत्मा की शान्ति के लिये मौन रख कर प्रार्थना की।
 परमार्थ गंगा तट पर मृतकांे की आत्मा की शान्ति के लिये शान्ति हवन कर सभी ने मौन रखा तथा परमार्थ गंगा तट पर होने वाली दिव्य गंगा आरती मृतको की आत्मा की शान्ति हेतु समर्पित की गयी।
 स्वामी जी महाराज ने कहा कि मनुष्य का जीवन अनमोल है हमें हादसो से सबक लेना चाहिये। उन्होने कहा कि इस तरह के आयोजन करने वालों को पूरी जांच पड़ताल करना चाहिये। साथ ही कहा कि हमारे देश की सड़कें और रेलवे फाटकों की उचित व्यवस्था होनी चाहिये। स्वामी जी महाराज ने कहा कि हादसों वाले स्थान को चिन्हित कर उस पर कार्य करना नितांत आवश्यक है।
 स्वामी जी महाराज ने लोगों से अपील की कि अपने और अपनों के जीवन की सुरक्षा प्रथम है इसके लिये जागरूक होकर दूर दृष्टि के साथ निर्णय लिया जाना चाहिये। अपनी सुरक्षा की जिम्मेदारी सर्वप्रथम हमारी है।
 स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि इस विपदा की घड़ी में हम किसी का दोष न निकालते हुये मदद के लिये आगे आये ये जरूरी है।
 श्री भिक्खु संघसेना जी ने कहा कि दशहरा पर्व के उत्सव के अवसर पर इस प्रकार की दुखद घटना का होना अत्यंत हृदय विदारक है। उन्होने कहा कि मैं भगवान से दुर्घटना में घायल हुये लोगों के शीघ्र स्वास्थ्य लाभ एवं मृतकों की आत्मा की शान्ति के लिये प्रार्थना करते है।
 आचार्य लोकेश मुनि जी ने कहा कि मुझे असीम दुख है कि पर्व के अवसर पर अत्यंत हृदय विदारक घटना घटी जिसमें अनेक घरों के चिराग बुझ गये उन सभी के परिवारों के साथ मेरी संवेदनायें है।
 दशहरा पर्व के दिन हुये इस हादसे पर गहरा दुःख व्यक्त करते हुये स्वामी जी महाराज ने कहा कि पूरा देश मृतक परिवारों के साथ है। उन्होने सभी से निवेदन किया की दुखद क्षण में मृतको के परिवार वालो को संवेदना और अपनेपन की आवश्यकता है हम उनके अपनो को तो लौटा नहीं सकते परन्तु उनके साथ अपनेपन से खड़े होकर उनके दुःख को कम जरूर कर सकते है।
 स्वामी जी ने बढ़ते हादसों को कम करने हेतु जागरूक होकर कार्य करने का संदेश दिया ताकि आगे इस प्रकार की दुखद घटना न हो सके।

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