, सुप्रीम कोर्ट ने आज धारा 377 पर फैसला सुनाते हुए कहा कि समलैंगिकों को भी अन्य लोगों की तरह अधिकार मिलना चाहिए। नैतिकता की आड़ में किसी के अधिकार नही छीने जाने चाहिए।
हिंदुस्तान में होमोसेक्सुअलिटी संबंध अर्थात पुरुषों के पुरुष और स्त्रियों के स्त्रियों से सम्बन्ध गैरकानूनी नहीं है।
समलैंगिगकता को अपराध नही माना जायेगा।सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि अप्राकृतिक यौन सम्बन्ध नाजायज़ नही है। पुरानी धारणाओं से आगे सोचना होगा। मुख्य न्यायधीश दीपक मिश्रा के साथ अन्य 5 जजों ने फैसले को सहमति दी है।
इस प्रकार के फैसले से LGBT को पहचान मिलेगी और आम नागरिकों की तरह जी पाएंगे।
जजों के फैसले को सुनकर समलैंगिकों में खुशी का माहौल है।उनका कहना है कि भारत को आज़ादी बहुत पहले मिली पर हमें आज मिली है।
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