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ऋषिकेश;

सतत् शान्ति निर्माण के लिये यूनाईटेड नेशन हेडक्वाटर, न्यूयाॅर्क में आयोजित विश्व स्तर की फेथ महिला लीडर्स के सम्मेलन में भारत का प्रतिनिधित्व परमार्थ निकेतन की साध्वी भगवती सरस्वती  ने किया।

दो दिवसीय उच्चस्तरीय बैठक में संयुक्त राष्ट्र के राजनायिकों, राष्ट्रीय नीति निर्माताओं तथा संघर्ष की स्थितियों में शान्ति की स्थापना और सुलह की दिशा में कार्य करने वाली फेथ महिला लीडर्स ने सहभाग किया।

बैठक में प्रमुखता से इस बात पर जोर दिया गया कि विश्व स्तरीय महिला फेथ लीडर्स विश्व व्यापी समाज में स्थायी शान्ति की स्थापना के लिये मिलकर प्रयास करे ताकि इस अन्तर्राष्ट्रीय समुदाय के प्रयास से वैश्विक स्तर पर स्थायी शान्ति की स्थापना की जा सके।

महिलाओं की प्रति होने वाली हिंसा, छेड़छाड़ की घटनायें, महिलाओं को प्रताड़ित करना आदि अनेक घटनाओं को समाप्त करने में धार्मिक समुदाय का महत्वपूर्ण योगदान हो सकता है। विश्व के कई देशों यथा बोस्निया, मध्य अफ्रीकी गणराज्य, कोलंबिया, सीरिया में महिला फेथ लीडर्स महत्वपूर्ण भूमिका निभा रही है।

जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव साध्वी भगवती सरस्वती  ने स्थायी शान्ति स्थापना उच्चस्तरीय बैठक में अपने विचार व्यक्त करते हुये कहा, ’’महिलाओं के प्रति हो रहे जघन्य अपराधों एवं जोखिमों को वैश्विक स्तर पर समाप्त करने के लिये तथा मानव अधिकारों की रक्षा, हिंसात्मक अतिवाद एवं संघर्ष को नियंत्रित करने हेतु फेथ लीडर्स की अहम भूमिका हो सकती है।
साध्वी जी ने कहा, शान्ति (पीस) से तात्पर्य अपने जीवन या अपने आस-पास के परिवेश में शान्ति से नहीं है बल्कि शान्ति का तात्पर्य पूरी समष्टि में शान्ति की स्थापना से है। जब हमारे जल में; मिट्टी में, वायु में जगंल में और पूरे वातावरण में शान्ति होगी तब हम कह सकते है कि हमने एक शान्त गृह का निर्माण कर लिया है। इसके लिये महिलायें महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकती है। महिलायें निर्माण के साथ-साथ सतत शान्तिपूर्ण विकास और बच्चों के स्वास्थ्य के विषय में महत्वपूर्ण योगदान प्रदान कर सकती है।

यू. एन. में आयोजित इस वार्ता के आयोजकों से चर्चा करते हुये साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि जब हम शान्ति की बात करते है तो हमें इस बात पर विशेष ध्यान देना होगा कि आज भी करोड़ों लोगों के पास स्वच्छ पेयजल और उचित शौचालय जैसी मौलिक व्यवस्थायें नहीं है। जब करोड़ों लोग मौलिक जरूरतों के अभाव में जीवन यापन करने को मजबूर है तब विश्व शान्ति की बात कैसे पूरी हो सकती है। साध्वी जी ने जोर देते हुये कहा कि हमारा प्रथम ध्येय प्रत्येक व्यक्ति तक मौलिक जरूरतों को पूरा करना होना चाहिये। साध्वी जी ने इस अवसर पर कई सुझाव दिये और कहा कि जब हम महिलाओं के विषय में जब बात करते है तो बात आधी आबादी अर्थात 50 प्रतिशत की होती है तो हमें हर टेबल और हर सम्मेलन में कम से कम 50 प्रतिशत तक निर्णय लेने का अधिकार उनके लिये सुरक्षित रखना होगा।

महिलाओं के खिलाफ हो रहे जघन्य अपराधों एवं उनको उकसाने वाले तत्वों को रोकने हेतु अगर वैश्विक स्तर पर प्रयास किया जाये तो सफलता की सम्भावना और अधिक बढ़ जाती है जब हम सभी विभिन्न धर्मो के सहयोगी मिलकर कार्य करे तो विलक्षण परिणाम प्राप्त किये जा सकते है।’’

इस उच्चस्तरीय बैठक में संयुक्त राष्ट्र महासचिव, नरसंहार की रोकथाम हेतु विशेष सलाहाकार श्री अदामा डायेंग, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या निधि प्रबंधन सहायक महासचिव एवं उप कार्यकारी निदेशक, लौरा लंदन, जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव और डिवाइन शक्ति फांउडेशन की अध्यक्ष साध्वी भगवती सरस्वती, फुमजा़इल माल्म्बो, दक्षिण अफ्रीकी राजनेता, संयुक्त राष्ट्र अन्डर सेक्रेटरी जनरल एवं संयुक्त राष्ट्र महिला सेके्रटरी जनरल, लिंग मुद्दों के लिये ईईएएस प्रिंसपल एडवाइजर और महिला शान्ति और सुरक्षा राजदूत मारा मारिनकी, राजा अब्दुल्ला बिन अब्दुलजाज इंटरनेशनल सेंटर फाॅर इंटरनेशनल एंड इंटरकल्चर डाॅयलाग संस्थापक महासचिव फैसल बिन मुआमामर, मिनिस्टर आॅफ सोशल अफेयर्स एच इ वर्जीनी, सीरियाई-कनाडाई अन्तर्राष्ट्रीय वकील,  प्रो हिंद अबौद काबावत, शिक्षा, पर्यावरण, शान्ति निर्माण लिंग नेतृत्व एवं नाइजीरिया के लिये संर्घष प्रबंधन फेलो फातिमा मादाकी अबुबाकर, जाॅइस डुबिन्स्की, नाहला कार्यकारी निदेशक, सेहजा डेडोविक, लेटिन अमेरिका-कोलंबिया के जेमी पेइडाड नेमे नाइवा, राजदूत अल्वारो अल्बासेटे एवं विश्व विख्यात लोगों ने सहभाग किया।

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