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  अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष आईएमएफ ने आज पाकिस्तान को एक अरब डॉलर की ऋण सुविधा और 1.3 अरब डॉलर के नए लोन को लेकर के समीक्षा बैठक की .

एक जिम्मेदार देश के तौर पर आईएमएफ द्वारा पाकिस्तान को लोन देने के मामले में भारत ने अपना रुख स्पष्ट कर दिया है।

India steps taken regardimg loan to pak by IMF


 भारत में आईएमएफ को पाकिस्तान के उसे ट्रैक रिकॉर्ड का हवाला देते हुए कहा है कि आईएमएफ द्वारा दिए गए फंड का इस्तेमाल सीमा पर आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए किया जा सकता है। 


भारत ने स्पष्ट किया है कि 1989 से लेकर अब तक 35 सालों में 28 बार आईएमएफ पाकिस्तान को लोन दे चुका है। 

 पिछले 5 वर्षों में ही चार बार आईएमएफ ने पाकिस्तान को कर्ज दिया है।

  पाकिस्तान अगर आईएमएफ फंडिंग का इस्तेमाल अपनी आर्थिक स्थिति को मजबूत करने के लिए करता तो उसे बेलआउट पैकेज के लिए आईएमएफ के पास आना ही नहीं पड़ता। 

भारत में स्पष्ट कहा है कि पाकिस्तान का ट्रैक रिकॉर्ड  आईएमएफ फंडिंग के इस्तेमाल और उसकी निगरानी प्रणाली को सवालों के घेरे में खड़ा करता है। 


भारत ने साल 2021 में यूनाइटेड नेशन की एक रिपोर्ट का हवाला देते हुए कहा कि पाकिस्तान में रक्षा विभाग ही देश का सबसे बड़ा बिजनेस है .

भारत में एक बार फिर से साफ कर दिया है कि इस स्थिति में अब कोई भी सुधार नहीं हुआ है और यहां तक की पाकिस्तान कि सेना ही अब पाकिस्तान के विशेष निवेश सुविधा परिषद के रूप में काम करती है। 


भारत में आईएमएफ को याद दिलाया कि बार-बार बिलव्ड पैकेज देने से पाकिस्तान का खुद का कर्ज़ का बोझ कितना बड़ा हो गया है कि वह खुद आईएमएफ के लिए सर दर्द बन चुका है 


 भारत ने कहा कि सीमा पार आतंकवाद के लिए पाकिस्तान को प्रोत्साहित करना पुरी वैश्विक व्यवस्था के लिए एक खतरनाक संदेश है इससे फंडिंग एजेंसीज के खुद की साख सवालों के घेरे में आ जाती है।

 *देवभूमि में बनेगी आयुर्वेद का परचम लहराने की रणनीति*


*वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस 2024 में तीन दिन तक चलेगी इंटरनेशनल असेंबली*


*केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने कई देशों में स्थापित की है आयुष चेयर*


*विषय विशेषज्ञ करेंगे दुनिया में आयुर्वेद के प्रचार प्रसार पर विमर्श*


देहरादून;




 दुनिया में आयुर्वेद का परचम लहराने की रणनीति उत्तराखंड की धरती पर बनेगी। वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो 2024 में तीन दिन इंटरनेशनल असेंबली का आयोजन किया जा रहा है। 


दुनिया के विभिन्न देशों में केंद्रीय आयुष मंत्रालय के स्तर पर स्थापित आयुष चेयर के प्रतिनिधि इस असेंबली में उपस्थित रह कर विचार विमर्श करेंगे।


 मकसद ये ही है कि दुनिया के तमाम देशों में आयुर्वेद के व्यापक प्रचार प्रसार के लिए रणनीति तैयार की जा सके।

वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो 2024 में जो कार्यक्रम फाइनल हुआ है, उसमे इंटरनेशनल असेंबली तीन दिन कराए जाने का निर्णय लिया गया है। 

12 से लेकर 14 दिसंबर तक हर दिन असेंबली का कार्यक्रम रखा गया है।

 प्रमुख रूप से अमेरिका, ब्रिटेन, अर्जेंटीना, ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, श्री लंका, इटली, स्पेन, फ्रांस, जर्मनी, स्वीडन, कनाडा, नीदरलैंड, पुर्तगाल सिंगापुर जैसे देशों में स्थापित आयुष चेयर के डेलीगेट्स असेंबली का हिस्सा होंगे, जिनकी संख्या 40 से 50 के करीब रहेगी।


प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जिस तरह दुनिया में आयुष के प्रचार के लिए ब्रांड एंबेसडर बन कर कार्य किया है, उससे आयुष के लिए बेहतर माहौल बन रहा है। उत्तराखंड भी इस अभियान में कदमताल कर रहा है। अब वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस जैसे विश्व स्तरीय कार्यक्रम की मेजबानी का उत्तराखंड को महत्वपूर्ण अवसर मिला है।


*पहला हिमालयी राज्य, जहां हो रहा आयोजन*

देहरादून; वर्ल्ड आयुर्वेद कांग्रेस एवं आरोग्य एक्सपो-2024 के दसवें संस्करण की मेजबानी कर रहे उत्तराखंड के नाम एक उपलब्धि दर्ज हुई है। यह पहला हिमालयी राज्य है, जहां पर आयुर्वेद का विश्वस्तरीय यह कार्यक्रम आयोजित किया जा रहा है। वर्ष 2022 से यह आयोजन शुरू हुआ है। कोच्चि केरल को इसके पहले संस्करण की मेजबानी का अवसर मिला था। इसके बाद, देश के विभिन्न हिस्सों में इसके आयोजन हुए हैं। उत्तर भारत क्षेत्र की बात करे, तो सिर्फ दिल्ली में अभी तक यह आयोजन हुआ है। वर्ष 2014 में परेड ग्राउंड में यह कार्यक्रम आयोजित किया गया था। उत्तराखंड इस हिसाब से दिल्ली के बाद उत्तर भारत का दूसरा राज्य बन रहा है, जहां पर यह आयोजन किया जा रहा है।


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*उत्तराखंड का सौभाग्य है कि वह आयुर्वेद के इस विश्व स्तरीय कार्यक्रम की मेजबानी कर रहा है। आयुर्वेद के लिहाज से उत्तराखंड की धरती हमेशा से समृद्ध रही है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी जी ने आयुष को दुनिया भर में प्रचारित प्रसारित करने का बीड़ा उठाया है। इस आयोजन से निश्चित तौर पर हम इस दिशा में और आगे बढ़ेंगे।*

*पुष्कर सिंह धामी, मुख्यमंत्री*

 रूसी राष्ट्रपति श्री पुतिन ने मास्को में वीटीबी रूस कॉलिंग इन्वेस्टमेंट फोरम में प्रधानमंत्री श्री मोदी की "इंडिया-फर्स्ट" नीति और "मेक इन इंडिया" पहल की प्रशंसा की

Putin praises modi

राष्ट्रपति श्री पुतिन ने भारत में विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने की रूस की इच्छा से अवगत कराया

राष्ट्रपति श्री पुतिन ने एसएमई के विकास के लिए रूस-भारत सहयोग पर जोर दिया

राष्ट्रपति श्री पुतिन ने ब्रिक्स निवेश मंच को वैश्विक दक्षिण देशों को समर्थन देने में महत्वपूर्ण माना


नई दिल्ली :


 राष्ट्रपति श्री व्लादिमीर पुतिन ने 15वें वीटीबी रूस कॉलिंग इन्वेस्टमेंट फोरम में प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी की "इंडिया फर्स्ट" नीति और "मेक इन इंडिया" पहल की प्रशंसा की। राष्ट्रपति श्री पुतिन ने विकास के लिए स्थिर माहौल को बढ़ावा देने के भारत के प्रयासों की सराहना करते हुए इस बात पर जोर दिया कि इन नीतियों ने भारत के विकास में किस तरह योगदान दिया है।


उन्होंने जोर देकर कहा कि विनिर्माण को बढ़ावा देने और विदेशी निवेश को आकर्षित करने के उद्देश्य से शुरू की गई "मेक इन इंडिया" पहल ने वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत की स्थिति को मजबूत करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। राष्ट्रपति श्री पुतिन की टिप्पणियों ने प्रधानमंत्री श्री मोदी के नेतृत्व में भारत की आर्थिक प्रगति को चिन्हित किया। उन्होंने भारत सरकार द्वारा छोटे और मध्यम आकार के उद्यमों (एसएमई) के लिए "स्थिर स्थिति" बनाने को लेकर किए गए प्रयासों की सराहना की। उन्होंने विशेष रूप से प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी द्वारा शुरू की गई आर्थिक पहलों पर प्रकाश डाला, जिसमें "मेक इन इंडिया" कार्यक्रम पर विशेष ध्यान दिया गया।


राष्ट्रपति श्री पुतिन ने रूस के आयात घटाने के कार्यक्रम और भारत की "मेक इन इंडिया" पहल के बीच समानताएं बताते हुए भारत में विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के प्रति रूस की इच्छा व्यक्त की। उन्होंने कहा कि भारत में निवेश लाभदायक है। उन्होंने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत के नेतृत्व ने अपने राष्ट्रीय हितों को प्राथमिकता देने पर ध्यान केंद्रित किया है।


रूसी राष्ट्रपति ने कहा, "प्रधानमंत्री श्री मोदी के पास ‘मेक इन इंडिया’ नामक एक ऐसा ही कार्यक्रम है। हम भी भारत में अपना विनिर्माण संयंत्र स्थापित करने के लिए तैयार हैं। प्रधानमंत्री के नेतृत्व में भारत सरकार ‘इंडिया फर्स्ट’ की नीति से प्रेरित होकर स्थिर स्थितियां बना रही है। हमारा मानना ​​है कि भारत में निवेश करना लाभदायक है।" उन्होंने यह भी कहा कि रूसी कंपनी रोसनेफ्ट ने हाल ही में भारत में 20 बिलियन डॉलर का निवेश किया है।


राष्ट्रपति श्री पुतिन ने ब्रिक्स के उदय के संदर्भ में रूस के आयात घटाने के कार्यक्रम के महत्व पर भी प्रकाश डाला, जिसमें एसएमई के विकास पर ध्यान केंद्रित किया गया तथा ब्रिक्स व अन्य देशों में एसएमई के लिए सुचारू व्यापारिक लेनदेन की सुविधा के लिए त्वरित विवाद समाधान प्रणाली की आवश्यकता पर बल दिया गया।


उन्होंने बाजार से बाहर हो चुके पश्चिमी ब्रांडों के स्थान पर नए रूसी ब्रांडों के उदय की ओर इशारा किया तथा उपभोक्ता वस्तुओं, आईटी, उच्च तकनीक और कृषि जैसे क्षेत्रों में स्थानीय रूसी निर्माताओं की सफलता के बारे में बताया।


उन्होंने कहा, "हमारे लिए, यह हमारे आयात घटाने के कार्यक्रम के हिस्से के रूप में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है। नए रूसी ब्रांडों के उभरने से उन पश्चिमी कंपनियों की जगह लेने में मदद मिल रही है, जो स्वेच्छा से हमारे बाजार को छोड़ चुकी हैं। हमारे स्थानीय निर्माताओं ने न केवल उपभोक्ता वस्तुओं में बल्कि आईटी और उच्च तकनीक वाले उद्योगों में भी महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है।"


राष्ट्रपति श्री पुतिन ने एसएमई के विकास को समर्थन देने के लिए ब्रिक्स देशों के बीच और अधिक सहयोग का भी आग्रह किया। उन्होंने सदस्य देशों को अगले साल ब्राजील में होने वाले शिखर सम्मेलन के दौरान सहयोग कायम करने की दिशा में प्रमुख क्षेत्रों की पहचान करने के लिए भी प्रोत्साहित किया। रूस द्वारा ब्रिक्स के साथ मिलकर विकसित किए जा रहे निवेश मंच के बारे में चर्चा करते हुए राष्ट्रपति श्री पुतिन ने कहा कि इसमें सभी भागीदार देशों को लाभ पहुंचाने की क्षमता है और उम्मीद है कि यह हमारी अर्थव्यवस्थाओं को समर्थन देने और वैश्विक दक्षिण और पूर्व के देशों को वित्तीय संसाधन प्रदान करने के लिए एक महत्वपूर्ण साधन बन जाएगा।


उन्होंने कहा, "मैं अपने ब्रिक्स के भागीदार देशों से सहयोग के प्रमुख क्षेत्रों में वर्तमान स्थिति का मूल्यांकन करने का आग्रह करता हूं, और हम निश्चित रूप से इसे अपने ब्राजीलियाई नेताओं के ध्यान में लाएंगे, जो अगले वर्ष ब्रिक्स का नेतृत्व करेंगे।"


अधिक जानकारी के लिए देखें http://en.kremlin.ru/events/president/news/75751

 


 देहरादून उद्घोषणा - 2023

Dehradun declaration 2023


 आपदा प्रबन्धन पर छठा विश्व सम्मेलन (डब्ल्यू.सी.डी.एम.) -2023


 *प्रस्तावना


इस छठे विश्व सम्मेलन का केन्द्रीय विषय रहा है- जलवायु क्रियाशीलता एवं आपदा-सम्मुख लचीलेपन को सुदृढ़ करना विशेषतः पर्वतीय पारिस्थितिकी प्रणालियों और समुदायों के सन्दर्भ में


यह विश्व सम्मेलन अथर्ववेद में वर्णित मन्त्र

 *धरती माता और मैं धरती का पुत्र हूं*  की अभिप्रेरणा को पुनस्र्स्थापित करता है कि हम भारतवासियों के लिए यह धरती पवित्र है, यह हिमालय पूज्य है। पारिस्थितिकी के प्रति हमारी संवेदना अपनी माँ, पृथ्वी के प्रति हमारा आदर एवं समर्पण है, हमारी श्रद्धा है।


 *केन्द्रीय मान्यता* 


यह विश्व सम्मेलन विश्व की सबसे युवा पर्वतीय प्रणाली की चुनौतियों, स्थानीय समुदायों के अनुभवों और इन प्रणालियों पर निर्भर जनजीवन का संज्ञान लेता है। हिमालय निरन्तर बढ़ते पर्यावरणीय संकटों, आपदाओं और जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न वैश्विक संकटों का सजीब उदाहरण है। संतुलित प्रणालियों और समुदायों की सक्रिय भागीदारी ऐसे संकटों खतरों और आपदाओं से निबटने में अत्यन्त सहायक सिद्ध होती है। यह विश्व सम्मेलन ऐसी कार्ययोजनाओं को प्रस्तावित करता है जिन्हें सभी हिमालयी राज्यों में प्राथमिकता के आधार पर लागू करने की आवश्यकता है और जो न केवल विश्व की सम्पूर्ण पर्वतीय प्रणालियों के लिए बल्कि जो अन्य सम्बन्धित क्षेत्रों के लिए भी अत्यन्त लाभप्रद सिद्ध हो सकेंगी।


 *क्रियान्वयन के सन्दर्भ* 


 *आपदा सम्मुख लचीलेपन (Resilience) की तैयारी को सुदृढ़ बनाना* 


पर्वतीय राज्यों के भावी कर्णधार युवाओं को आपदा प्रचन्धन की दिशा में विशेष रूप से तैयार करने की आवश्यकता है। इस लक्ष्य को प्राप्त करने हेतु स्कूल/कॉलेज सुनिश्चित करना, गतिमान परियोजनाओं की निरन्तर निगरानी और मूल्यांकन की अवधारणा को अनुकूल एवं सुदृढ़ बनाना प्रमुख रूप से अनिवार्य है।


 *पर्वतीय समुदायों का सशक्तीकरण* 


• सामुदायिक भागीदारी और स्थानीय समुदायों के सम्मुख आने वाले विशिष्ट जोखिमों के बारे में उन्हें पूर्णरूपेण शिक्षित करना, और आपदाओं का सामना करने के लिए उन्हें तैयार करना आवश्यक है। पारिस्थितिकी की बेहतर समझ और सामुदायिक भागीदारी के लिए पारम्परिक ज्ञान और स्थानीय भाषा-संस्कृति का व्यापक पैमाने पर उपयोग सुनिश्चित किए जाने की आवश्यकता है।


• सामुदायिक समझ पर आधारित प्रारम्भिक चेतावनी प्रणालियों में स्थानीय ज्ञान परम्परा का समावेश एवं प्रारम्भिक चेतावनी संकेतों की निगरानी और आपदा राहत कार्यों में स्थानीय समुदाय की सहभागिता आवश्यक है।

 • आर्थिकी  के दुर्बल क्षेत्रों पर निर्भरता कम करने के लिए आजीविका और आजीविका प्रणालियों को मज़बूत और विविध बनाना, तथा इस भाँति आपदा-राहत की तैयारी, प्रतिक्रिया और पुनर्स्थापना सुनिश्चित करना के आवश्यक है।


 • आपदा प्रतिरोधी व्यवस्थाओं हेतु सहयोग बढ़ाने के लिए समुदायों, स्वयं सहायता समूहों, सरकारी, गैर-सरकारी संस्थानों और अन्य हितधारकों के बीच नेटवर्क और साझेदारी की स्थापना सुनिश्चित करना आवश्यक है।


 *नीति एकीकरण का समर्थन* 


• उन नीतियों और व्यवस्थाओं के पूर्णरूपेण समर्थन की आवश्यकता है जो आपदा जोखिम की दुर्बलताओं पर ध्यान केन्द्रित करती हैं और समय-समय पर आपदा प्रतिरोध को सुदृढ़ बनाती हैं। राज्य में एक ऐसे अत्याधुनिक 'आपदा प्रबन्धन संस्थान' की स्थापना अत्यन्त आवश्यक है, जो हिमालय में आपदा जोखिम लचीलेपन के लिए अनुकूल नीतियों

तथा कार्यवाहियों का इनपुट प्रदान करने पर विशेष रूप से केन्द्रित हो।


• इस संस्थान को आपदा जोखिम के लिए समुचित तैयारी और रणनीतियों की स्थापना के लिए आवश्यक ज्ञान, डेटाबेस तथा सूचना प्रणालियों को विकसित करने के लिए एक मिशन मोड पर स्थापित किया जाना चाहिए।


• हिमालय में आपात स्थिति और महामारी की स्थिति में टिकाऊ पारिस्थितिकी तन्त्र, सुरक्षित वातावरण तथा स्वास्थ्य सेवाओं के सभी घटकों की आवश्यक तैयारी सुनिश्चित करना।


 *नवाचार के प्रति प्रतिबद्धता* 


• आपदा प्रतिरोध हेतु सुसज्जित समाज के लिए नवीन दृष्टिकोण, तरीक़ों, व्यवस्थाओं और तन्त्रों में योगदान करने के लिए हिमालयी ज्ञान प्रणालियों को मज़बूत करना।


• दुरूह, संवेदनशील और नाजुक इलाकों में आपदा जोखिम लचीलेपन और प्रतिक्रिया की सर्वोत्तम व्यवस्थाओं के मध्य सहयोग और उनका सफल संचारण।


• हिमालय में आपात स्थिति और आपदा जोखिम लचीलेपन के लिए नये उपकरण और ऐप्लीकेशन विकसित करने हेतु स्टार्ट-अप और उद्यमिता में निवेश को प्रोत्साहित करना।


• हिमालयी राज्यों और पर्वतीय पारिस्थितिकी प्रणालियों के लिए लचीलापन, पुनर्स्थापना और प्रतिरोध के सिलक्यारा मॉडल के अनुरूप नयी व्यवस्थाएँ विकसित करना।


उपर्युक्त के साक्ष्य-सम्मुख, छठे विश्व सम्मेलन के प्रतिभागी एवं आयोजक हिमालय और हिमालयी समुदायों के पारिस्थितिकी तन्त्र के लचीले और टिकाऊ भविष्य की दिशा में अथक प्रयास करने के लिए दृढ़प्रतिज्ञ हैं, जिससे एक सुव्यवस्थित और सुरक्षित विश्व की संकल्पना हेतु वैश्विक प्रयास में योगदान प्रदान किया जा सके।


पाठ्यक्रम में आपदा, आपदा जोखिम न्यूनीकरण और आपदा-सम्मुख लचीलेपन (disaster resilience) पर विशेष पाठ्य-घटक होने चाहिए।


• आपदा से निपटने के दौरान समाज के कमजोर वर्गों, जैसे बच्चों, महिलाओं एवं वृद्धजनों पर विशेष ध्यान देने की आवश्यकता है। इस सन्दर्भ में यह विश्व सम्मेलन नियम तथा विधायी ढाँचे स्थापित करने का प्रस्ताव करता है।


• दिव्यांग समुदायों की भागीदारी सहित समावेशिता, विचार-विमर्श के एक महत्वपूर्ण विषय के रूप में उभरी है। विशेष रूप से इस समूह को ध्यान में रखते हुए 'उत्तरजीविता का विज्ञान' (Science of Survival) विकसित करने की आवश्यकता इसका एक महत्वपूर्ण घटक है।


• यह विश्व सम्मेलन सभी सम्बन्धित परियोजनाओं और उनके क्रियान्वयन के लिए आपदा जोखिम न्यूनीकरण तथा आपदा प्रतिरोध के लिए बजट आवंटन या सी.एस.आर. के माध्यम से विशेष वित्तीय उपकरणों की आवश्यकता का भी संज्ञान लेता है।


 *पर्वतीय पारिस्थितिकी तन्त्र की रक्षा* 


• इस विश्व सम्मेलन में आपदा जोखिम न्यूनीकरण के लिए पारिस्थितिकी दृष्टिकोण के साथ हिमालयी क्षेत्र के लिए अनुकूल प्रकृति आधारित समाधानों/प्रकृति जलवायु समाधानों के क्रियान्वयन पर विशेष बल देने का प्रस्ताव है।


• स्थानीय समुदायों के अनुभवों की विशिष्टता की पहचान, उसकी मान्यता एवं सराहना, तथा आपदाओं और उनके समाधानों की बेहतर समझ के लिए समकालीन प्रौद्योगिकियों एवं भविष्यवाणी के उपकरणों के साथ-साथ स्थानीय ज्ञान-प्रणालियों का सन्दर्भ एवं समावेश भी आवश्यक है। ढाँचागत विकास और परियोजनाओं के लिए हिमालयी तन्त्र की भूवैज्ञानिक, जल- वैज्ञानिक, पारिस्थितिकी, और सामाजिक जटिलताओं को समझने के लिए विभिन्न संस्थानों के मध्य डेटा /सूचना की साझेदारी  परियोजना सुनिश्चित करना आवश्यक होगा।


आपदा प्रबंधन विश्व स्तरीय सम्मेलन में चार दिन चला मंथन-  निष्कर्ष रूपी अमृत पूरे विश्व में पहुंचेगा: राज्यपाल


 छठी वर्ल्ड कांग्रेस ऑन डिजास्टर मैनेजमेंट में करीब 70 देशो से उमड़े वरिष्ठ वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने ग्राफिक एरा डीम्ड यूनिवर्सिटी में अपने अनुभवों एवं सुझावों से इस महासम्मेलन को विश्व भर के लिए के यादगार बना दिया। इस से महासम्मेलन से निकलने वाले अमृत का लाभ आपदाओं से त्रस्त दुनिया के देशों को निश्चित रूप से होगा I


     यह उदगार आज ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी के सिल्वर जुबली कनवेंशन सेंटर में आयोजित महासम्मेलन के समापन अवसर पर बतौर मुख्य अतिथि उत्तराखंड के राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त)  गुरमीत सिंह ने व्यक्त किए I उन्होंने महासम्मेलन को संबोधित करते हुए कहा कि विश्व पटल पर आपदा प्रबंधन एवं प्राकृतिक आपदाओं से जूझने एवं उनका सामना करने के लिए  मुख्य रूप से आयोजित किए गए इस महासम्मेलन में जिस तरह देश विदेश के 70 से ज्यादा वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने आपदाओं से होने वाली क्षति को रोकने के लिए मंथन किया है, उससे निश्चित रूप से विश्व के सभी देशों को लाभ होगा।


राज्यपाल ने कहा कि इस मंथन से प्राप्त अमृत सभी देशों में जाएगा, इससे विभिन्न तरह की आपदाओं का सामना वे अधिक दक्षता से कर सकेंगे। समूचे विश्व में समय-समय पर प्राकृतिक आपदाएं आती रहती हैं। उत्तराखंड राज्य में ऐसी आपदाएं समय-समय पर आ चुकी हैं और बड़ी चुनौतियां खड़ी कर देती हैं, लेकिन इन्हें चेतावनी के रूप में स्वीकार करते हुए सावधानियां बरतनी होंगी। उन्होंने कहा कि उत्तरकाशी और केदारनाथ में जहां वर्ष 2012 और 2013 की प्राकृतिक आपदाओं ने भारी क्षति पहुंचाई थी,  वहीं कई अन्य घटनाओं ने समस्याओं को हमारे सामने चुनौतियों के रूप में समय-समय पर खड़ा किया है। ऐसी चुनौतियों का का सामना करने के लिए हमें तैयार रहना चाहिएI


राज्यपाल लेफ्टिनेंट जनरल  गुरमीत सिंह ( सेवानिवृत ) ने प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के कार्यों की प्रशंसा करते हुए कहा कि आपदा के मामलों में प्रधानमंत्री श्री मोदी ने त्वरित गति से कार्य किए हैं जिससे पीड़ित के दुख दर्द कम करना संभव हुआ है। राज्यपाल ने जी-20 सम्मेलनों का भी जिक्र किया और उसके लिए केंद्र सरकार के कदमों की सराहना की I हाल ही में सिलक्यारा सुरंग के हादसे में भी प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी और उत्तराखंड की सरकार द्वारा तत्काल राहत बचाव के कार्य किए गए और आखिरकार उसमें 17 दिन बाद कामयाबी मिल पाई I इस अवसर पर अंडमान निकोबार के राज्यपाल एडमिरल डीके जोशी ने सम्मेलन में 70 देश के विशेषज्ञों और वैज्ञानिकों के मंथन को पूरी तरह से सफल बताते हुए कहा कि आपदाओं को हम कम तो नहीं कर सकते लेकिन उनका सामना करने की रणनीति अपनाकर होने वाले नुकसान को कम किया जा सकता है और आपदाओं को ज्यादा फैलने से रोका जा सकता हैI


राज्यपाल ने कहा कि छठवें विश्व आपदा प्रबंधन सम्मेलन का मूल उद्देश्य हिमालययी पारिस्थितिकी तंत्र और समुदायों पर ध्यान केंद्रित करते हुए जलवायु व आपदा प्रबंधन की चुनौतियों पर चर्चा करके समाधान सुझाना है। इससे उत्तराखंड को आपदा प्रबंधन एवं जलवायु परिवर्तन के अंतर्राष्ट्रीय शोध व समाधान केंद्र के रूप में विकसित करने के प्रयासों को बल मिलेगा। आठ दिसंबर से दून में होने वाले वैश्विक निवेशक सम्मेलन से पहले यह आयोजन विदेश में 'सुरक्षित निवेश, सुदृढ़ उत्तराखंड' की धारणा को पुष्ट करेगा।


     कार्यक्रम में केंद्रीय भूविज्ञान मंत्री श्री किरण रिजिजू ने कहा कि प्राकृतिक आपदाओं के आने पर प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में सुरक्षा कवच के रूप में त्वरित उपाय समय-समय पर किए गए हैं जिसके लिए केंद्र सरकार निश्चित रूप से बधाई की पात्र है I उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार के प्रयासों का ही परिणाम है कि आज यदि रिक्टर स्केल पर सात की तीव्रता भूकंप अथवा आपदा आती है, तो उससे अब पहले की तरह बहुत अधिक नुकसान नहीं होगा क्योंकि सरकार ने इस दिशा में आगे बढ़कर सुरक्षात्मक कार्यों को किया है।


केंद्रीय मंत्री श्री रिजिजू ने कहा कि बदलते परिवेश में हम आज भारी  चुनौतियों का सामना कर रहे हैं, 40 वर्ष पूर्व जहां बर्फीली पहाड़ियों थी,  आज वे पहाड़ियां अधिकतर बिना बर्फ वाली बन गई है, जो कि हमारे सामने बड़ी चुनौती एवं समस्या है I उन्होंने कहा कि अब जो खतरनाक आपदा संबंधित परिस्थितियों आने वाली हैं। उसके लिए हमें तैयार रहना होगा I भविष्य के मौसम को समझ कर हम सभी को सावधानियां बरतनी होंगी I उन्होंने यह भी कहा कि ग्राफिक एरा यूनिवर्सिटी में जो महासम्मेलन हुआ है, उसके निष्कर्ष को विदेशों में पहुंचना है और यही हमारे लिए बड़ी सफलता होगी I


      महासम्मेलन में राज्यसभा सांसद श्री नरेश बंसल ने अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि उत्तराखंड की  सरकार ने राज्य में आने वाली आपदाओं का सामना जीरो ग्राउंड पर रहकर किया है, यह बहुत सराहनीय है I उत्तराखंड राज्य के आपदा प्रबंधन सचिव डॉ रंजीत सिन्हा,  यूकोस्ट के महानिदेशक डॉ दुर्गेश पंत और  कार्यक्रम के संयोजक आनंद बाबू ने भी इस अवसर पर विचार व्यक्त किए I


 इससे पहले समारोह के चौथे दिन आज देश-विदेश से आए वरिष्ठ वैज्ञानिकों एवं विशेषज्ञों ने विभिन्न आपदाओं पर गहरी चिंता व्यक्त करते हुए जनता को जागरुक करके सहयोग लेने पर विशेष बल दिया I 

 प्रो. उन्नत पी.पंडित (पेटेंट, डिज़ाइन और ट्रेड मार्क महानियंत्रक) ने जल सम्मेलन का उल्लेख करते हुए कहा कि इसका एक अंतरराष्ट्रीय समझौता है जिसका उद्देश्य सीमा पार जल संसाधनों के टिकाऊ और न्यायसंगत उपयोग को बढ़ावा देना है।  यह दो या दो से अधिक देशों द्वारा साझा किए जाने वाले जलस्रोतों के सहयोग, प्रबंधन और सुरक्षा के लिए दिशानिर्देश प्रदान करता है।  यह बहुत महत्वपूर्ण है कि कैसे देश पानी के उचित और जिम्मेदार उपयोग को सुनिश्चित करने के लिए एक साथ आते हैं। सतत विकास, अंतर्राष्ट्रीय शांति और सुरक्षा में योगदान देने वाले जल सहयोग का एक कानूनी और संस्थागत ढांचा, सयुक्त राष्ट्र की छत्रछाया में दुनिया भर में जल उपयोग सहयोग की प्रगति पर चर्चा करने के लिए एक अनूठा मंच सभी इच्छुक देशों के लिए खुला है, 130 से अधिक देशों ने सहयोग में शीघ्र प्रगति के लिए अनुभव और ज्ञान का आदान-प्रदान किया | उन्होंने दुनिया भर में कुल ताजे पानी की प्रति घन मीटर जीडीपी के बारे में भी बताया कि अफगानिस्तान 1%, बांग्लादेश 7%, भूटान 7%, भारत 4%, मालदीव 768%, नेपाल 3%, पाकिस्तान 2%, श्रीलंका 7% के हैं i

 पैनलिस्ट डॉ.एलशान अहमदोव (अज़रबैजान राज्य अर्थशास्त्र विश्वविद्यालय, अर्थशास्त्र विभाग, अज़रबैजान) ने कहा कि सभी प्रकार की प्राकृतिक आपदाओं से हम सभी को लड़ना होगा और उनका सामना भी करने के लिए सभी को तैयार रहना चाहिए I

प्रो.तात्सुया इशिकावा (इंजीनियरिंग संकाय, होक्काइडो विश्वविद्यालय, जापान) ने वर्षा-प्रेरित ढलान विफलताओं और जलवायु परिवर्तन के तहत भविष्य के कार्यों के लिए जापानी प्रारंभिक चेतावनी प्रणाली के बारे में बताया। उन्होंने उत्तराखंड, केरल समेत दुनिया के कई देशों के उदाहरण देते हुए कहा कि हाल के जलवायु परिवर्तनों के कारण अभूतपूर्व वर्षा और भू-आपदा के संभावित जोखिमों पर लगातार विभिन्न स्तरों पर अध्ययन करना आवश्यक है।  पृथ्वी संरचना के लिए पारंपरिक डिजाइन, निर्माण और रखरखाव पद्धति को उन्नत करें इसके अलावा, जल्द से जल्द एक ढांचा स्थापित करना आवश्यक है, जिससे उद्योग, सरकार और शिक्षा जगत समेत पूरे समाज जोड़ा जाये।


देश-विदेश से सम्मेलन में प्रतिभाग करने आए सभी वैज्ञानिकों और विशेषज्ञों का ग्राफिक एरा ग्रुप ऑफ इंस्टीट्यूशंस के अध्यक्ष डॉ कमल घनसाला ने आभार व्यक्त किया।


लंदन:


CM Dhami in london

CM reached london, grand welcome


 चार दिवसीय ब्रिटेन दौरे लेक लिए मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी सोमवार को लंदन एयरपोर्ट पहुँचे। एयरपोर्ट पर मुख्यमंत्री श्री धामी के स्वागत में बड़ी संख्या में प्रवासी भारतीय पहुँचे । लंदन पहुँचने पर भारतीय समुदाय और उत्तराखंड मूल के लोगों के द्वारा मुख्यमंत्री का उत्तराखण्ड के पारंपरिक वाद्य यंत्रों के वादन तथा उत्तराखण्ड की परम्परा के अनुसार गर्मजोशी से स्वागत किया गया। 

*उत्तराखण्डी लोकगीतों में झूमा लंदन, सीएम धामी के स्वागत में भव्य रंगारंग कार्यक्रम आयोजित*


 *प्रवासी उत्तराखण्ड के लोगों से अह्वान, साल में एक बार अपने प्रदेश अवश्य आयें*


मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के सोमवार को लंदन पहुँचने पर वहां मौजूद प्रवासी भारतीय एवं लंदन में रह रहे उत्तराखंड के निवासियों द्वारा भव्य रंगारंग स्वागत कार्यक्रम आयोजित किया गया। लंदन में रह रहे उत्तराखण्ड के प्रवासियों द्वारा गढ़वाली, कुमाऊँनी, जौनसारी लोकगीतों पर मनमोहन  प्रस्तुति दी गई। स्वागत कार्यक्रम में मौजूद समस्त प्रवासी भारतीय उत्तराखण्ड के पारंपरिक परिधानों में नज़र आए। 


इस अवसर पर मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने लंदन में रह रहे समस्त प्रवासी उत्तराखण्ड के लोगों का आभार प्रकट किया। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि “यह मेरा सौभाग्य है कि उत्तराखण्ड के मुख्य सेवक के रूप में मुझे इन्वेस्टर समिट की बैठक में शामिल होने के लिए लंदन आने का अवसर प्राप्त हुआ।” उन्होंने कहा लंदन में उत्तराखण्ड के लोगों की इतनी बड़ी भारी संख्या में उपस्थित देखकर यह प्रतीत हो रहा है कि यूके में भी उत्तराखण्ड का छोटा यूके बसता है।

Uttarakhand CM Dhami in UK


मुख्यमंत्री धामी ने कार्यक्रम में मौजूद प्रवासी उत्तराखण्डियों को संबोधित करते हुए कहा कि उत्तराखण्ड देवभूमि होने के साथ ही योग, आध्यात्मिक की भी भूमि है। इसके साथ ही उत्तराखण्ड देश की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत का प्रतीक  भी है । उन्होंने कहा कि हमें गर्व है कि हमारी जड़े उत्तराखण्ड से जुड़ी हुई है। 


मुख्यमंत्री ने समस्त प्रवासी उत्तराखण्डियों से आह्वान करते हुए कहा कि वह साल में एक बार अपने प्रदेश उत्तराखण्ड ज़रूर आएँ।


मुख्यमंत्री ने कहा कि देश के प्रधानमंत्री आदरणीय नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में दुनिया भर में भारत का मान,सम्मान और स्वाभिमान बढ़ा है। उन्होंने कहा कि आज विदेशों में भी एक भारत श्रेष्ठ भारत की परिकल्पना को मूर्त रूप दिया जा रहा है। मुख्यमंत्री ने कहा कि आज भारत विश्व गुरु बनने की दिशा में तेजी से बढ़ रहा है हाल में ही चंद्रयान-3 का सफल प्रक्षेपण और चंद्रमा पर सेफ लैंडिंग इसका प्रत्यक्ष उदाहरण है।


इस अवसर पर सचिव मुख्यमंत्री डॉ आर मीनाक्षी सुंदरम, सचिव विनय शंकर पांडेय, महानिदेशक उद्योग रोहित मीणा, स्थानीय आयुक्त अजय मिश्रा समेत समेत बड़ी संख्या में उत्तराखण्ड के निवासी एवं प्रवासी भारतीय मौजूद रहे।





मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार का यह डेलिगेशन 25 सितंबर से 29 सितंबर तक ब्रिटेन दौरे पर रहेगा। राज्य सरकार का डेलिगेशन लंदन और बर्मिघम में दुनिया के बड़े बिजनेस हाउसेस से बैठक करेगा और आगामी दिसंबर में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के लिए न्यौता देगा। मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में लंदन और बर्मिघम दौरे पर टूरिज्म, आईटी, एजूकेशन, हेल्थकेयर, फूड प्रोसेसिंग के अलावा ऑटोमोबिल इन्डस्ट्री के उद्योग घरानों के साथ बैठकें की जाएंगी।

 मुख्यमंत्री के नेतृत्व में प्रदेश सरकार का एक डेलिगेशन आगामी 25 सितंबर से 28 सितंबर तक रहेगा ब्रिटेन के दौरे पर

CM Dhami meet to Bageshwar MLA Parvati Das


मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में प्रदेश सरकार का एक डेलिगेशन आगामी 25 सितंबर से 28 सितंबर तक ब्रिटेन दौरे पर रहेगा। राज्य सरकार का डेलिगेशन लंदन और बर्मिघम में  बड़े बिजनेस हाउसेस से बैठक कर उन्हें आगामी दिसंबर में होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर समिट के लिए आमंत्रित करेगा। 


मुख्यमंत्री के नेतृत्व में लंदन और बर्मिघम दौरे पर टूरिज्म, आईटी, एजूकेशन, हेल्थकेयर, फूड प्रोसेसिंग के अलावा ऑटोमोबिल इन्डस्ट्री के उद्योग घरानों के साथ बैठकें की जाएंगी। 


मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी के नेतृत्व में 26 सितंबर को लंदन में आयोजित होने वाले रोड शो के दौरान डेलिगेशन रोपवे के क्षेत्र में अग्रणी पोमा ग्रुप के साथ बैठक करेंगे। बैठक में पोमा ग्रुप के साथ प्रदेश में इको फ्रेंडली मोबिलिटी के सम्बंध में चर्चा की जाएगी। 

इसी दिन लंदन में अन्य उद्योग घरानों के साथ बैठक की जाएगी एवं विश्वस्तरीय निवेशकों को उत्तराखंड ग्लोबल इन्वेस्टर मीट के लिए आमंत्रित किया जाएगा। 

ब्रिटेन भ्रमण के दौरान डेलिगेशन द्वारा लंदन के प्रमुख हस्तियों से भी भेंट की जाएगी।

 

डेलिगेशन द्वारा 27 सितंबर को बर्मिघम में डब्ल्यू0एम0जी0 वार्बिक मेनिफेक्चरिंग ग्रुप के साथ बैठक की जाएगी। इसके साथ ही टीवीएस नॉर्टन ग्रुप के साथ उत्तराखंड में निवेश की सम्भावनाओं पर चर्चा की जाएगी। इस दौरे पर ब्रिटेन के टूरिज्म सेक्टर से जुड़ी बड़े घरानों से भी बैठक आयोजित की जाएगी।


मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने कहा कि उत्तराखंड में आयोजित होने वाले ग्लोबल इन्वेस्टर समिट को लेकर प्रदेश सरकार ने तैयारियां पूरी कर दी हैं। राज्य सरकार दुनियांभर के इन्वेस्टर्स को उत्तराखंड में आमंत्रित करने के लिए व्यापक स्तर पर कार्य कर रही है। उत्तराखंड के प्रति दुनियाभर के बड़े निवेशकों का ध्यान आकर्षित करने के लिए राज्य सरकार द्वारा देश के बड़े शहरों के अलावा विदेश में भी निवेशकों से विचार विमर्श शुरू कर दिया है। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि उत्तराखण्ड में राज्य की आर्थिकी को सुदृढ़ करने के लिये सशक्त उत्तराखण्ड मिशन लॉच किया गया है, जिसके तहत अगले 5 वर्षों में राज्य की एसजीडीपी को दोगुना करने का लक्ष्य रखा गया है। राज्य द्वारा इस लक्ष्य की प्राप्ति की कड़ी के रूप में उत्तराखण्ड ग्लोबल इनवेस्टर्स समिट-2023 का आयोजन किया जा रहा है। उन्होंने कहा कि उत्तराखण्ड में वर्तमान में लगभग 6000 एकड़ का लैण्ड बैंक विभिन्न सैक्टर के उद्योगों की स्थापना हेतु उपलब्ध है। 


मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य में रेल, रोड एवं एयर कनेक्टिविटी में लगातार सुधार हुआ है। देहरादून एयरपोर्ट से विभिन्न शहरों के लिये सीधी वायु सेवा उपलब्ध हो गई है। देहरादून एवं पंतनगर एयरपोर्ट का विस्तार भी किया जा रहा है। रेलवे नेटवर्क के विकास एवं उन्नयन के तहत ऋषिकेश - कर्णप्रयाग रेललाईन निर्माण का कार्य प्रगति पर है। राज्य में चार धाम यात्रा को सुगम बनाने के लिये ऑल वेदर रोड का निर्माण कार्य भी प्रगति पर है।

 

मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य के उद्यमियों का राज्य में निवेश बढ़ाने में सबसे अधिक सहभागिता है। हमारी सरकार सरलीकरण, समाधान, निस्तारण और संतुष्टि के आधार पर कार्य कर रही है और यह तभी सम्भव है, जब उद्योग संघों से निरन्तर संवाद कर उनकी समस्याओं का समाधान किया जाए। काशीपुर में अरोमा पार्क, सितारगंज में प्लास्टिक पार्क, काशीपुर में इलैक्ट्रॉनिक्स मैन्यूफैक्चरिंग क्लस्टर तथा अमृतसर कोलकाता इण्डस्ट्रियल कॉरिडोर की स्थापना की दिशा में प्रभावी कदम उठाये गये हैं। राज्य में पर्यटकों एवं श्रद्वालुओं की सुविधा हेतु सभी स्थलों पर नवाचार के माध्यम से सुविधाओं का विकास किया जा रहा है निर्यात् को बढ़ावा देने के लिये भी नीति निर्धारित की गई है।



.मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने शनिवार को विधानसभा में बागेश्वर विधानसभा से निर्वाचित प्रत्याशी श्रीमती पार्वती दास के शपथ ग्रहण समारोह में प्रतिभाग किया। विधानसभा अध्यक्ष श्रीमती ऋतु खंडूड़ी भूषण ने श्रीमती पार्वती दास को विधायक पद की शपथ दिलाई।


मुख्यमंत्री श्री पुष्कर सिंह धामी ने विधानसभा की नव निर्वाचित सदस्य श्रीमती पार्वती दास को शुभकामनाएं दी और बागेश्वर की जनता का आभार व्यक्त किया। उन्होंने कहा कि बागेश्वर के इतिहास में पहली बार बागेश्वर की जनता ने महिला प्रत्याशी को अपना विधायक चुना है। बागेश्वर के विकास के लिए स्व. श्री चंदनराम दास द्वारा जिन कार्यों को आगे बढ़ाया गया था, अब इन कार्यों को श्रीमती पार्वती दास तेजी से आगे बढ़ाएंगी। 


इस अवसर पर कैबिनेट मंत्री श्री प्रेमचंद अग्रवाल, श्री सौरभ बहुगुणा, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष श्री महेंद्र भट्ट उपस्थित थे।

 

Former PM. Japan Shinjo abe shot during speech


जापान के पूर्व प्रधानमंत्री शिंजो अबे को नारा शहर में भाषण के दौरान गोली मार दी गई है जापान के प्रधानमंत्री शिंजो अबे नाराज शहर में भाषण दे रहे थे उनके लिये सिक्योरिटी  भी थी, इसके बावजूद भी भीड़ में से ही किसी व्यक्ति ने पीछे से उन पर गोली चला दी । गोली लगने के बाद शिंजो अबे को हार्ट अटैक भी आया है।

गोली लगते ही शिंजो अबे गिर पड़े और सुरक्षाकर्मियों ने हमलावर को दबोच लिया शिंजो अबे को अस्पताल ले जाया गया जहां पर उनकी हालत गंभीर बताई जा रही है।

संदिग्ध हमलावर पूरी तैयारी के साथ आया था उसने बंदूक को कपड़े से ढका हुआ था।

 विश्व स्वास्थ्य संगठन के महानिदेशक डॉ .टेड्रोस घेब्रेयस ने वैक्सीन इक्विटी का समर्थन करने के लिए भारत और प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को धन्यवाद दिया है। 



 उन्होंने कहा, COVAX के लिए भारत की प्रतिबद्धता और COVID-19 वैक्सीन की खुराक अन्य देशों के साथ साझा करने से दुनिया भर में 60 से अधिक देशों को मदद मिल रही है। 

 डॉ. टेड्रोस ने रेखांकित किया कि भारत द्वारा वैक्सीन इक्विटी के इस अधिनियम ने प्राप्तकर्ता देशों को अपने स्वास्थ्य कार्यकर्ताओं और अन्य प्राथमिकता समूहों के लिए टीकाकरण कार्यक्रम शुरू करने में मदद की है।  

उन्होंने अन्य देशों के साथ-साथ भारत के उदाहरण का अनुसरण करने की कामना की।

 


विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा है कि भारत में बने  COVID टीके 25 देशों को दिए गए थे और जल्द ही दुनिया भर के 49 देशों को इसमें जोड़ा जाएगा। उन्होंने बताया, 25 देशों को कोविद -19 टीके प्रदान किए हैं, और 49 यूरोप, लैटिन अमेरिका और कैरिबियन से अफ्रीका, दक्षिण-पूर्व एशिया और प्रशांत द्वीप समूह उन्हें जल्द ही मिलेंगे।

मेक्सिको के विदेश मंत्री मार्सेलो लुइस एबरार्ड ने टीके प्रदान करने के लिए भारत को धन्यवाद दिया।

 UNSC ओपन डिबेट में बोलते हुए, डॉ. जयशंकर ने कहा कि संयुक्त राष्ट्र के शांति सैनिकों को उपहार के रूप में 2 लाख खुराक दी जाएगी। 

उन्होंने भगवत गीता का संदेश दिया - "हमेशा दूसरों के कल्याण के साथ अपना काम करो"। उन्होंने टीकाकरण अभियान के साथ बने रहने, जीनोमिक निगरानी और विनिमय सूचना पर सहयोग करने, टीकों के सार्वजनिक प्रतिरोध को प्रभावी ढंग से संबोधित करने और सार्वजनिक स्वास्थ्य में सुधार करने की आवश्यकता पर भी सुझाव दिया।

डॉ। जयशंकर ने कहा कि 'वैक्सीन राष्ट्रवाद' को रोकना चाहिए और अंतर्राष्ट्रीयता को बढ़ावा देना चाहिए। उन्होंने यह भी कहा कि विघटनकारी अभियानों को रोका जाना चाहिए और अगले वैश्विक महामारी के लिए सटीक तैयारी की जानी चाहिए। 

क्सीन असमानता की समस्या के बारे में जानकारी देते हुए, महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा: "सिर्फ दस देशों ने सभी कोविद -19 टीकों का 75 प्रतिशत प्रशासित किया है। इस बीच, 130 से अधिक देशों ने एक भी खुराक नहीं ली है।" 

 

स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों के लिए चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान के अंतर्गत कल कुल टीका लगवाने वालों की संख्या 88.5 लाख से ऊपर पहुंच गई ।

प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार कल शाम 6:00 बजे तक आयोजित कुल 1,90,665 सत्रों में 88,57,341 टीके लगाए जा चुके हैं।

इसमें 61,29,745 स्वास्थ्य कर्मी शामिल हैं जिन्हें टीके की पहली खुराक दी गई और 2,16,339 वे स्वास्थ्य कर्मी जिन्हें टीके की दूसरी खुराक दी गई। साथ ही साथ इसमें 25,11,257 अग्रिम पंक्ति के कर्मचारी हैं जिन्हें टीके की पहली खुराक दी गई है। कोविड-19 महामारी के खिलाफ भारत में टीकाकरण की शुरुआत 16 जनवरी 2021 को की गई थी जिसके अंतर्गत स्वास्थ्य कर्मियों का टीकाकरण शुरू हुआ था। जबकि अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों का टीकाकरण 2 फरवरी 2021 से आरंभ हुआ।

स्वास्थ्य कर्मियों और अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों के लिए चलाए जा रहे टीकाकरण अभियान के अंतर्गत कल कुल टीका लगवाने वालों की संख्या 88.5 लाख से ऊपर पहुंच गई ।

प्राथमिक रिपोर्ट के अनुसार कलशाम 6:00 बजे तक आयोजित कुल 1,90,665 सत्रों में 88,57,341 टीके लगाए जा चुके हैं।

इसमें 61,29,745 स्वास्थ्य कर्मी शामिल हैं जिन्हें टीके की पहली खुराक दी गई और 2,16,339 वे स्वास्थ्य कर्मी जिन्हें टीके की दूसरी खुराक दी गई। साथ ही साथ इसमें 25,11,257 अग्रिम पंक्ति के कर्मचारी हैं जिन्हें टीके की पहली खुराक दी गई है। कोविड-19 महामारी के खिलाफ भारत में टीकाकरण की शुरुआत 16 जनवरी 2021 को की गई थी जिसके अंतर्गत स्वास्थ्य कर्मियों का टीकाकरण शुरू हुआ था। जबकि अग्रिम पंक्ति के कर्मचारियों का टीकाकरण 2 फरवरी 2021 से आरंभ हुआ।

 

 





प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने कल रात  संयुक्त राज्य अमेरिका के राष्ट्रपति महामहिम डोनाल्ड ट्रम्प के साथ टेलीफोन पर बातचीत की।
राष्ट्रपति श्री ट्रम्प ने समूह-7 (जी-7) के अमेरिकी अध्यक्ष पद के बारे में बात की और भारत सहित अन्य महत्वपूर्ण देशों को शामिल करने के लिए मौजूदा सदस्यता से आगे जाकर समूह के दायरे का विस्तार करने की अपनी इच्छा व्यक्त की। इस संदर्भ में, उन्होंने यूएसए में आयोजित होने वाले अगले जी-7 शिखर सम्मेलन में भाग लेने के लिए प्रधानमंत्री श्री मोदी को आमंत्रित किया।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने रचनात्मक और दूरदर्शी दृष्टिकोण के लिए राष्ट्रपति श्री ट्रम्प की सराहना की और कहा कि इस तरह का विस्तारित मंच, कोविड के बाद की दुनिया की उभरती वास्तविकताओं के अनुरूप होगा। प्रधानमंत्री ने कहा कि प्रस्तावित शिखर सम्मेलन की सफलता सुनिश्चित करने के लिए अमेरिका और अन्य देशों के साथ काम करना, भारत के लिए खुशी की बात होगी।
प्रधानमंत्री श्री मोदी ने अमेरिका में चल रही सामाजिक अशांति के बारे में चिंता व्यक्त की और स्थिति के शीघ्र समाधान के लिए अपनी शुभकामनाएं दीं।
दोनों राजनेताओं ने अन्य सामयिक मुद्दों पर भी विचारों का आदान-प्रदान किया, जैसे दोनों देशों में कोविड -19 की स्थिति, भारत-चीन सीमा पर स्थिति और विश्व स्वास्थ्य संगठन में सुधार की आवश्यकता आदि।
राष्ट्रपति श्री ट्रम्प ने इस साल फरवरी में अपनी भारत यात्रा को उत्साह के साथ याद किया। प्रधानमंत्री श्री मोदी ने कहा कि यह यात्रा कई मायनों में यादगार और ऐतिहासिक रही है, और इसने द्विपक्षीय संबंधों को नयी मजबूती दी है।
बातचीत में असाधारण गर्मजोशी और स्पष्टता ने भारत-अमेरिकी संबंधों की विशेष प्रकृति को तथा दोनों राजनेताओं के बीच मित्रता और पारस्परिक सम्मान को दर्शाया।




नई दिल्ली द्वारा मानवीय आधार पर कुछ देशों को मलेरिया-रोधी दवा के निर्यात पर प्रतिबंध हटाने के कुछ दिनों बाद भारत से हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वीन की खेप अमेरिका पहुंची है।

इस हफ्ते की शुरुआत में, राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के अनुरोध पर भारत ने अमेरिका में हाइड्रोक्सीक्लोरोक्वाइन की 35.82 लाख गोलियों के निर्यात को मंजूरी दे दी, साथ ही दवा के निर्माण में आवश्यक नौ मीट्रिक टन सक्रिय दवा घटक भी शामिल था।

ट्रम्प ने पिछले सप्ताह एक फोन कॉल के दौरान, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी को मलेरिया-रोधी दवा के निर्यात पर लगी  रोक लगाने को हटाने को कहा था। भारत हाइड्रॉक्सीक्लोरोक्वाइन की दुनिया की आपूर्ति का 70 फीसदी उत्पादन करता है।




विश्व बैंक ने कोरोना वायरस महामारी से निपटने में मदद करने के लिए भारत के लिए एक बिलियन अमेरिकी डॉलर के इमरजेंसी फंड को मंजूरी दे दी है .

बैंक ने कहा कि विश्व बैंक की मदद का पहला सेट 1.9 बिलियन अमेरिकी डॉलर का है, जो 25 देशों की सहायता करेगा। इसमें कहा गया है कि फास्ट ट्रैक प्रक्रिया का उपयोग करके 40 से अधिक देशों में नए अभियान आगे बढ़ रहे हैं।

एक अरब अमेरिकी डॉलर की आपातकालीन वित्तीय सहायता का सबसे बड़ा हिस्सा भारत में चला गया है।

बैंक ने कहा कि फंड बेहतर स्क्रीनिंग, कॉन्टैक्ट ट्रेसिंग, प्रयोगशाला डायग्नोस्टिक्स में भारत का   sahyog  करेगा, व्यक्तिगत सुरक्षा उपकरण खरीदेगा और नए अलगाव वार्ड स्थापित करेगा।

दक्षिण एशिया में, विश्व बैंक ने पाकिस्तान के लिए 200 मिलियन अमेरिकी डॉलर, अफगानिस्तान के लिए 100 मिलियन, मालदीव के लिए 7.3 मिलियन और श्रीलंका के लिए 128.6 मिलियन की मंजूरी दी।

विश्व बैंक ने कहा, अब वह महामारी से निपटने के उपायों का समर्थन करने के लिए अगले 15 महीनों में 160 बिलियन अमेरिकी डॉलर तक का अनुदान देने के लिए काम कर रहा था, जो तत्काल स्वास्थ्य परिणामों और आर्थिक सुधार पर ध्यान केंद्रित करेगा।

 अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प  अपनी पत्नी मिलेन्या  ट्रम्प के साथ  वापिस लौट गए है. इससे पहले  कल
 भारत और अमेरिका ने  तीन अरब डॉलर के रक्षा सौदों को अंतिम रूप दिया और स्वास्थ्य और तेल क्षेत्रों सहित तीन समझौतों पर हस्ताक्षर किए।


श्री ट्रम्प ने अपने नागरिकों को कट्टरपंथी इस्लामी आतंकवाद से बचाने के लिए दोनों देशों की प्रतिबद्धता की भी पुष्टि की।
इंडियन ऑयल कॉर्पोरेशन लिमिटेड और एक्सॉन मोबिल इंडिया एलएनजी लिमिटेड और चार्ट इंडस्ट्रीज इंक, यूएस के बीच सहयोग पत्र पर हस्ताक्षर किए गए।

दोनों देशों के स्वास्थ्य विभागों के बीच मानसिक स्वास्थ्य पर एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए।

चिकित्सा उत्पादों की सुरक्षा पर एक अन्य समझौता ज्ञापन पर अमेरिकी खाद्य एवं औषधि प्रशासन के साथ केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन के बीच हस्ताक्षर किए गए।

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प के साथ व्यापक वार्ता करने के बाद एक संयुक्त प्रेस में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि दो देशों के बीच रक्षा सहयोग भारत और अमेरिका के बीच बढ़ती रणनीतिक साझेदारी का प्रतिबिंब है।

प्रधानमंत्री ने कहा, उन्होंने आतंकवाद के समर्थकों को जवाबदेह ठहराने के प्रयासों को बढ़ाने का फैसला किया है और मादक पदार्थों की तस्करी को रोकने के लिए नए तंत्र पर सहमति व्यक्त की है।

प्रधान मंत्री ने कहा कि दोनों देश खुलेपन, निष्पक्ष और संतुलित व्यापार के लिए प्रतिबद्ध हैं और उन्होंने रणनीतिक ऊर्जा साझेदारी को बढ़ाने का फैसला किया है।

अपने बयान में, राष्ट्रपति ट्रम्प ने कहा, भारत और अमेरिका ने नई दिल्ली के लिए तीन अरब डॉलर से अधिक उन्नत अमेरिकी सैन्य उपकरणों की खरीद के लिए समझौतों के साथ अपने रक्षा सहयोग का विस्तार किया है।

अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा, आज चर्चा का एक और प्रमुख ध्यान द्विपक्षीय आर्थिक संबंधों को बनाए रखना है जो उचित और पारस्परिक है।

 विदेश सचिव हर्षवर्धन श्रृंगला ने कहा, राष्ट्रपति ट्रम्प की यात्रा से भारत-अमेरिका की व्यापक रणनीतिक वैश्विक साझेदारी मजबूत हुई है। उन्होंने बताया कि दोनों नेताओं के बीच सुरक्षा, रक्षा, ऊर्जा, प्रौद्योगिकी और लोगों से संपर्क करने वाले लोगों की पांच प्रमुख श्रेणियों में वार्ता हुई।

बीजिंग में एक भारतीय दूतावास ने कहा, ई-वीजा पर चीन से भारत की यात्रा अस्थायी रूप से तत्काल प्रभाव से निलंबित।

यह चीनी पासपोर्ट के धारकों और चीन के पीपुल्स रिपब्लिक में रहने वाले अन्य राष्ट्रीयताओं के आवेदकों पर लागू होता है।

पहले से जारी किए गए ई-वीजा के धारक,अब मान्य नहीं हैं। वे सभी जो भारत आना चाहते है वे बीजिंग में भारत के दूतावास या शंघाई या ग्वांगझू में भारतीय वाणिज्य दूतावास और साथ ही इन शहरों में भारतीय वीज़ा एप्लीकेशन सेंटर से संपर्क कर सकते हैं।

साथ ही  केरल में  कोरोनावायरस का दूसरा सकारात्मक मामला सामने आया है। जिस मरीज को कोरोनावायरस के लिए सकारात्मक परीक्षण किया गया है, वह एक अस्पताल में एक आइसोलेशन वार्ड में है। स्वास्थ्य मंत्रालय ने कहा, रोगी स्थिर है और उसकी कड़ी निगरानी की जा रही है। राज्य में 1,793 लोग निगरानी में हैं।वे लोग जो हाल ही में चीन और अन्य हानिकारक क्षेत्रों से लौटे है।

  धनौल्टी ;

पर्यटन नगरी  धनौल्टी  फिर बदला मौसम का मिजाज बर्फबारी हुई शुरू आज दोपहर से ही मौसम ने करवट बदली और देखते देखते बारिश और बर्फबारी शुरू हो गई और पर्यटकों ने मसूरी और धनोल्टी की तरफ रुख किया जिससे जगह जगह जाम की स्थिति बन गई पर्यटकों को जाम से बचने के लिए देहरादून मै रोका गया जिससे पुलिस से तू तू मै मै हुई।

रिपोर्टर :  देवेंन्द्र बेलवाल धनौल्टी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने चेतावनी दी है कि अमेरिका ईरान में 52 स्थलों को निशाना बनाएगा और तेहरान पर अमेरिकी कर्मियों या परिसंपत्तियों पर हमला करने पर उन्हें शीघ्रता से मारा जाएगा।

एक ट्वीट में, ट्रम्प ने कहा,निशाना बनाये जानेवाली  कुछ साइटें में से उच्च स्तर पर हैं और ईरान और ईरानी संस्कृति के लिए महत्वपूर्ण हैं।
इससे पहले  अमेरिका के ड्रोन हमले में ईरान रिवोल्यूशनरी गार्ड्स के कमांडर जनरल क़ासम सुलेमानी के मारे जाने के एक दिन बाद कल शाम दो मिसाइलें बग़दाद की इराकी राजधानी ग्रीन ज़ोन में आ गईं। विस्फोट ग्रीन ज़ोन में हुए, उच्च-सुरक्षा एन्क्लेव में जहां अमेरिकी दूतावास स्थित है।जिसमे एक व्यक्ति मारा भी गया.

बग़दाद में अमेरिकी परिसर में तुरंत दोनों राजनयिकों और सैनिकों की मेजबानी करते हुए सायरन बजा। 2 मिसाईलों  ने राजधानी के उत्तर में अमेरिकी सैनिकों की मेजबानी करने वाले अल-बलद एयर फ़ोर्स बेस पर हमला किया था।

रॉकेट के स्रोत का पता लगाने के लिए बेस के ऊपर निगरानी ड्रोन भेजे गए थे। अमेरिका को अब अपने मिशन और ठिकानों के खिलाफ एक भय की आशंका है जहां उसके सैनिक पूरे इराक में तैनात हैं। बगदाद में अमेरिकी दूतावास ने अमेरिकी नागरिकों से तुरंत इराक छोड़ने का आग्रह किया है।

ब्रसेल्स में ईरानी विदेश मंत्री मोहम्मद जवाद ज़रीफ़ से मिलने के बाद, यूरोपीय संघ के विदेश नीति प्रमुख बोरेल  ने कहा कि उन्होंने ज़रीफ़ से ईरान और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के बीच स्थायी परमाणु समझौते को बनाए रखने का आग्रह  किया।  ।इस बीच, ईरान के साथ युद्ध की संभावनाओं के खिलाफ वाशिंगटन, न्यूयॉर्क और कुछ अन्य अमेरिकी शहरों में विरोध प्रदर्शन हुए।

पाकिस्तान के पूर्व तानाशाह परवेज मुशर्रफ को आज संविधान में तोड़फोड़ करने के लिए देशद्रोह के एक मामले में मौत की सजा सुनाई गई।

पाकिस्तान के इतिहास में ऐसा पहली बार हुआ है कि किसी सैन्य प्रमुख को उच्च राजद्रोह का दोषी घोषित किया गया और उसे मौत की सजा दी गई है ।

पेशावर उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश वकार अहमद सेठ की अध्यक्षता में एक विशेष अदालत की तीन-सदस्यीय पीठ ने 76 वर्षीय पूर्व सेना प्रमुख को उच्च राजद्रोह का दोषी पाया और उन्हें मौत की सजा दी।

फैसला जारी करने से पहले, अदालत ने अभियोजकों द्वारा फैसले में देरी करने की याचिका को खारिज कर दिया।

मुशर्रफ इस समय दुबई में स्व-निर्वासन में रह रहे हैं। पूर्व सेना प्रमुख मार्च 2016 में चिकित्सा के लिए दुबई चले गए और सुरक्षा और स्वास्थ्य कारणों का हवाला देते हुए वापस नहीं लौटे।1999 के रक्तहीन तख्तापलट में तत्कालीन प्रधानमंत्री नवाज शरीफ को हटाकर मुशर्रफ ने सत्ता पर कब्जा कर लिया। उन्होंने 2001 से 2008 तक पाकिस्तान के राष्ट्रपति के रूप में भी काम किया है। उन्हें संविधान को निलंबित करने और 2007 में अतिरिक्त-संवैधानिक आपातकाल लगाने के लिए सजा सुनाई गई थी।

  • रोबी, केन्या, अफ्रिका में यू एन एफ पी ए (यूनाइटेड नेशनस पापूलेशन फण्ड) द्वारा जनसंख्या और विकास पर अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन
  • भारत से साध्वी भगवती सरस्वती जी ने किया सहभाग
  • विश्व के 170 देशों से 9500 प्रतिभागियों ने भाग लिया परमार्थ निकेतन की साध्वी भगवती सरस्वती जी ने नौरोबी, 
  • केन्या अफ्रीका में सत्संग के द्वारा सनातन धर्म, भारतीय अध्यात्म और दर्शन से कराया परिचय
  •  सम्मेलन में तेजी से बढ़ती जनसंख्या वृद्धि दर पर नियंत्रण, सतत आर्थिक वृद्धि और विकास पर हुई चर्चा

नौरोबी:

जीवा की अन्तर्राष्ट्रीय महासचिव और परमार्थ निकेतन की साध्वी भगवती सरस्वती ने नैरोबी, केन्या अफ्रिका में यू एन एफ पी ए (यूनाइटेड नेशनस पापूलेशन फण्ड) द्वारा आयोजित जनसंख्या और विकास पर अन्तर्राष्ट्रीय शिखर सम्मेलन में सहभाग किया। यह संयुक्त राष्ट्र का एक निकाय है।

 इस अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन में विभिन्न धर्मो के प्रतिनिधि, 170 देशों के 9500 से अधिक विशेषज्ञों और प्रतिभागियों ने सहभाग कर महिलाओं और बच्चों का विकास, स्वास्थ्य, सुरक्षा, अधिकार, वैश्विक स्तर पर तेजी से बढ़ती जनसंख्या वृद्धि दर पर नियंत्रण, सतत आर्थिक वृद्धि और विकास पर विस्तृत चर्चा की गयी। 25 वर्ष पूर्व प्रथम यूनाइटेड नेशनल पापूलेशन फण्ड द्धारा अन्तर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था और यह इस कार्यक्रम का 25 वाँ वार्षिकोत्सव है इसका तीन दिवसीय समारोह का आयोजन किया गया। सन 1994 में काहिरा में आईसीपीडी का उद्देश्य जनसंख्या और विकास पर प्रथम अंतर्राष्ट्रीय सम्मेलन का आयोजन किया गया था।
 इस अन्तर्राष्ट्रीय समारोह में साध्वी भगवती सरस्वती जी ने दो सत्रों में उद्बोधन दिया। डब्ल्यू एस एस सी सी और यू एन एफ पी ए में सत्र में मासिक धर्म सुरक्षा एवं प्रबंधन, महिलाओं और लड़कियों के स्वास्थ्य और सुरक्षा पर अपना उद्बोधन दिया और साध्वी जी ने इस सम्मेलन में सभी को संकल्प कराया कि हम सभी मिलकर महिलाओं की सुरक्षा के लिये वैश्विक स्तर पर कार्य करेंगे।
 साध्वी भगवती सरस्वती जी ने कहा कि ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस वैश्विक स्तर पर मासिक धर्म सुरक्षा और प्रबंधन, खुले में शौच मुक्त भारत के लिये कार्य कर रहा है। जब हमने इन दो विषयों पर काम करना शुरू किया तब लोग किसी धार्मिक संगठन का इन विषयों पर धार्मिक मंच से बात करना अच्छा नहीं मानते थे, इस पर बात नहीं करते थे लेकिन धीरे-धीरे स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी के नेतृत्व में धर्मगुरूओं का संगठन बनते गया और वे सभी संगठित होकर खुलकर इन विषयों पर चर्चा करते हुये लोगों को जागरूक करने लगे और आज यह अभियान सफलता के शिखर पर है।
उन्होने कहा कि जिस प्रकार वर्तमान समय में लोग खुले में शौच मुक्त भारत पर खुलकर चर्चा कर रहे है उसी प्रकार हमारा प्रयास है कि हम मासिक धर्म सुरक्षा पर भी खुलकर चर्चा करे और अपनी चुप्पी को तोडे ताकि हमारी बहन-बेटियों को एक सुरक्षित वातावरण प्रदान किया जा सके और मासिक धर्म के बिना हम अपनी पीढ़ियों को आगे नहीं बढ़ा सकते अतः यह विषय पर चुप्पी साधने का नहीं बल्कि चर्चा करने का विषय है। साध्वी जी ने कहा कि भारत में मासिक धर्म के समय लड़कियां कहती है कि ’’आई एम डाउन’’ अब हमारा प्रयास है कि हमारी बेटियां मासिक धर्म के समय यह कहे कि ’’आई एम अप’’। लड़कियों को भगवान ने जन्म देने की एक शक्ति प्रदान की है अतः यह गर्व का विषय है।

 इस कार्यक्रम में केन्या के राष्ट्रपति उहुरू मुइगई केन्याटा, बिल गेट्स की धर्मपत्नी मेलिंडा गेट्स, संयुक्त राष्ट्र जनसंख्या कोष के कार्यकारी निदेशक डाॅ नतालिया कानेम, अमीना मोहम्मद, उपमहासचिव, संयुक्त राष्ट्र फुमज़िले मामल्बो-न्गुका, संयुक्त राष्ट्र महिला कार्यकारी निदेशक हर महिमा महारानी माँ, ग्यालियम संगे भूटान के चोडेन वांगचुक डेनमार्क की एचआरएच क्राउन, राजकुमारी मैरी मिशेल बाचेलेट, मानवाधिकारों के लिये उच्चायुक्त सहित ही कई दशों के उच्च स्तरीय मंत्री और भारत से देबाश्री चैधरी महिला और बाल विकास राज्य मंत्री और अन्य उच्चाधिकारियों ने सहभाग किया।

  1. प्रधानमंत्री ने थाईलैंड में आदित्‍य बिड़ला समूह के स्‍वर्णजयंती समारोह में भाग लिया 
  2. 16 वीं भारत- आसियान शिखरवार्ता के उदघाटन समारोह में  शिरकत की पीएम मोदी ने 

भारत की Act East Policy हमारे Indo-Pacific vision का एक महत्वपूर्ण भाग है। ASEAN हमारी Act East Policy का मर्म है और सदैव रहेगा। इंटीग्रेटेड, संगठित और आर्थिक रूप से विकासशील ASEAN भारत के बुनियादी हित में है। हम और मज़बूत surface, maritime और air-connectivity तथा digital-link के माध्यम से अपनी साझेदारी को और बढ़ाने के लिए प्रतिबद्ध हैं। Physical और digital connectivity के लिए $1 billion की line of credit उपयोगी होगी। हमारा इरादा अध्ययन, अनुसंधान, व्यापार और टूरिज्म के लिए लोगों के आवागमन को बहुत बढ़ाने का है।

इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए भारत ASEAN के साथ आपसी हितों के क्षेत्र में साझेदारी बढ़ाने के लिए तैयार हैं। पिछले साल Commemorative Summit तथा Singapore में Informal Summit में लिए गए निर्णयों को लागू करने से हमारे बीच और घनिष्ठता आई है। कृषि, विज्ञान, रिसर्च, ICT और इंजीनियरिंग जैसे क्षेत्रों में capacity building और पार्टनरशिप को और बढ़ाने के लिए हम तैयार हैं। मैं हाल ही में ASEAN-India FTA की समीक्षा के निर्णय का स्वागत करता हूँ। इससे हमारे आर्थिक सम्बन्ध न सिर्फ़ और मज़बूत बनेंगे बल्कि हमारा व्यापार भी और balanced होगा। मेरीटाइम सुरक्षा, ब्लू इकॉनमी और मानवीय सहायता के क्षेत्रों में भी अपनी साझेदारी को हम मज़बूत बनाना चाहते हैं। योर एक्सेलेंसीज़ के विचारों को सुनने के बाद मैं कुछ पहलुओं पर विस्तार से बात करना चाहूँगा। मैं फिर एक बार थाईलैंड का और आप सबका ह्रदय से बहुत-बहुत आभार व्यक्त करता हूँ।
प्रधानमंत्री श्री नरेन्‍द्र मोदी ने आज थाईलैंड में आदित्‍य बिड़ला समूह के 50 वर्ष पूरे होने पर आयोजित समारोह में भाग लिया। 


आदित्‍य बिड़ला समूह के अध्‍यक्ष श्री कुमार मंगलम बिड़ला ने थाईलैंड में समूह के स्‍वर्णजयंती समारोह में शामिल होने को लेकर प्रधानमंत्री के प्रति आभार व्‍यक्‍त किया।
समारोह में उपस्थित सरकारी अधिकारियों और उद्योगजगत की हस्तियों को संबोधित करते हुए, प्रधानमंत्री ने आदित्‍य बिड़ला समूह की टीम को उनके सराहनीय कार्य के लिए बधाई दी, जिसके परिणाम स्‍वरूप बहुत से लोगों के लिए रोजगार पैदा होने के साथ-साथ समृद्धि भी सुनिश्चित हुई है। भारत और थाईलैंड के बीच मजबूत सांस्‍कृतिक संबंधों के बारे में चर्चा करते हुए, उन्‍होंने कहा कि वाणिज्‍य और संस्‍कृति में विश्‍व को एक सूत्र में पिरोने और निकट लाने की शक्ति निहित है।
भारत में सुधार की दिशा में बदलाव
      प्रधानमंत्री ने पिछले पांच वर्षों के दौरान सरकार की सफलता की कई कहानियों को साझा किया। उन्‍होंने कहा कि लीक से हटकर और मिशन मूड में काम करने से सुधार की दिशा में बदलाव संभव हुआ है। पहले जिसे असंभव माना जाता था, अब उसे संभव माना जा रहा है और इसके फलस्‍वरूप भारत में उपस्थिति का यह सर्वाधिक उपयुक्‍त समय है।
      प्रधानमंत्री ने कहा कि विश्‍व बैंक की कारोबारी सुगमता रैंकों में भारत ने पिछले पांच वर्षों में 79 रैंकों की छलांग लगाई है और यह 2014 के 142वें स्‍थान से बढ़कर 2019 में 63वें स्‍थान पर पहुंच गया है। इससे कारोबार के वातावरण को बेहतर बनाने की दिशा में सुधार हेतु हमारी प्रतिबद्धता का पता चलता है। उन्‍होंने यह भी कहा कि वर्ल्‍ड इकनॉमिक फोरम ट्रैवल एंड टूरिज्‍़म कम्पिटिटिवनेस इंडैक्‍स में भी इसकी रैंक में सुधार हुआ है और यह 2013 के 65वें स्‍थान से बढ़कर 2019 में 34वें स्‍थान पर पहुंच गया है। आराम, सुविधा के प्रावधान सहित बेहतर सड़कों, सम्‍पर्कता, स्‍वच्‍छता और कानून व्‍यवस्‍था में सुधार के परिणामस्‍वरूप विदेशी पर्यटकों के आगमन में 50 प्रतिशत वृद्धि दर्ज की गई है।
      बचत किए गए धन को अर्जित धन तथा बचत की गई ऊर्जा को सृजित ऊर्जा बताते हुए, प्रधानमंत्री ने प्रत्‍यक्ष लाभ अंतरण योजना के माध्‍यम से खामियों को दूर करने और क्षमता में सुधार लाने के बारे में चर्चा की, जिसके परिणामस्‍वरूप अब तक 20 अरब डॉलर धनराशि की बचत हुई है। उन्‍होंने कम बिजली खर्च करने वाली एलईडी लाइटों के वितरण के बारे में भी चर्चा की, जिसके परिणाम स्‍वरूप कार्बन के उत्‍सर्जन में कमी हुई है।
भारत : निवेश के लिए एक आकर्षक गंतव्‍य
      भारत को लोगों के लिए सर्वाधिक अनुकूल कर प्रणाली वाला देश बताते हुए, प्रधानमंत्री ने मध्‍य वर्ग पर कर के बोझ में कमी लाने, उत्‍पीड़न की आशंका को दूर करने के लिए फेसलेस कर मूल्‍यांकन शुरू करने, कंपनी के लिए कर दरों में कटौती करने सहित हाल के अनेक कदमों के बारे में चर्चा की। उन्‍होंने कहा कि जीएसटी की शुरूआत से आर्थिक एकीकरण का सपना एक वास्‍तविकता बना है। उन्‍होंने कहा कि सरकार इसे और भी अधिक जनोनुकूल बनाने के लिए समर्पित है। इन सभी उपायों के कारण भारत निवेश के लिए सबसे आकर्षक गंतव्‍यों में शामिल हुआ है और यह यूएनसीटीएडी के अनुसार प्रत्‍यक्ष विदेशी निवेश के शीर्ष लक्ष्‍यों में गिना जा रहा है।
थाईलैंड 4.0 भारत की प्राथमिकताओं का पूरक
      प्रधानमंत्री ने भारत को पांच ट्रिलियन वाली अर्थव्‍यवस्‍था बनाने के सपने के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि किस प्रकार अर्थव्‍यवस्‍था 2014 के लगभग दो ट्रिलियन डॉलर से बढ़कर 2019 में तीन ट्रिलियन बन चुकी है।
      थाईलैंड को एक मूल्‍य आधारित सुधारोनमुक्‍त थाईलैंड की थाईलैंड 4.0 नामक पहल की चर्चा करते हुए, उन्‍होंने कहा कि यह भारत की डिजिटल इंडिया, स्किल इंडिया, स्‍वच्‍छ भारत मिशन, स्‍मार्ट सिटी, जल जीवन मिशन जैसी प्राथमिकताओं की पूरक है। उन्‍होंने कहा कि दोनों देशों को भू-राजनीतिक नि‍कटता, सांस्‍कृतिक साझेदारी एवं कारोबारी साझेदारी को और आगे बढ़ाने की इच्‍छाशक्ति का लाभ प्राप्‍त करना चाहिए।
थाईलैंड में आदित्‍य बिड़ला समूह
      भारतीय अर्थव्‍यवस्‍था को 22 वर्ष पहले विधिवत खोला गया और श्री आदित्‍य विक्रम बिड़ला ने स्‍पीनिंग यूनिट स्‍थापित करके थाईलैंड में अपनी शुरूआत की। आज यह समूह 1.1 बिलियन अमरीकी डॉलर के विविध कारोबार के बल पर थाईलैंड के सबसे बड़े उद्यमों में शामिल है।      

भारत और सऊदी अरब ने रणनीतिक साझेदारी परिषद की स्थापना के लिए सहमति व्यक्त की है, जिसने आतंकवादी अभियानों से निपटने में सहयोग को मजबूत करने का संकल्प लिया और आपसी संबंधों के विभिन्न क्षेत्रों में 12 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए और द्विपक्षीय संबंधों को अगले स्तर पर ले गए। सामरिक भागीदारी परिषद समझौते पर प्रधानमंत्री मोदी और सऊदी क्राउन प्रिंस मोहम्मद बिन सलमान ने कल रात रियाद में हस्ताक्षर किए थे।

परिषद एक समग्र द्विपक्षीय तंत्र होगा जो दोनों देशों के बीच संबंधों के पूरे स्पेक्ट्रम को कवर करेगा। प्रधान मंत्री जो कल सऊदी अरब में थे, उन्होंने किंग सलमान के साथ मुलाकात की और आपसी हित के मामलों पर एक समृद्ध द्विपक्षीय चर्चा की। सऊदी अरब के ऊर्जा मंत्री, विदेश मंत्री, श्रम मंत्री और कृषि मंत्री ने अपनी यात्रा के दौरान प्रधान मंत्री से मुलाकात की। प्रधानमंत्री मोदी ने सऊदी अरब के क्राउन प्रिंस के साथ प्रतिनिधिमंडल स्तर की वार्ता भी की। किनारे पर, पीएम ने जॉर्डन के राजा से मुलाकात की, जो यहां फ्यूचर इन्वेस्टमेंट इनिशिएटिव फोरम में भाग लेने के लिए आए थे। दोनों नेताओं ने विभिन्न क्षेत्रों में द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत करने के लिए विचारों का आदान-प्रदान किया। यात्रा के दौरान सुरक्षा, रक्षा, नागरिक उड्डयन, नवीकरणीय ऊर्जा क्षेत्र और क्षमता निर्माण से संबंधित 12 समझौता ज्ञापनों पर हस्ताक्षर किए गए।

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