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ऋषिकेश;

परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष, गंगा एक्शन परिवार के प्रणेता एवं ग्लोबल इण्टरफेथ वाश एलायंस के संस्थापक स्वामी चिदानन्द सरस्वती  महाराज ने राष्ट्रपति भवन दिल्ली में भारत के राष्ट्रपति महामहिम श्री रामनाथ कोविंद  से भेंटवार्ता की।
स्वामी जी महाराज ने महामहिम से गंगा में हो रहे प्रदूषण और सरकार द्वारा किये जा रहे प्रयासों के विषय में विस्तृत चर्चा की।
साथ ही ग्रांड प्लान के साथ ग्राउंड प्लान पर वार्ता हुयी तथा  जन जागरण पर विशेष ध्यान देने की बात पर स्वामी जी ने जोर दिया। चन्द्रभागा नाला, ऋषिकेश की तर्ज पर भारत के अन्य नालों को स्वच्छ करने के विषय में चर्चा की।
महामहिम श्री रामनाथ कोविंद जी को कुम्भ के दौरान होने वाले आदिवासी कुम्भ का आयोजन के विषय में स्वामी जी महाराज ने विस्तृत जानकारी देते हुये कहा कि आदिवासी जनजाति कुम्भ में विश्व के लगभग 37 देशों के प्रतिनिधि सहभाग कर रहे है वे सभी कुम्भ के दौरान अपने-अपने देशों की संस्कृति, संस्कार और सभ्यता के विषय में सभी को अवगत करायेंगे तथा भारत की संस्कृति, सभ्यता, पर्व, त्योहार और भाईचारे की संस्कृति को आत्मसात करेंगे।
स्वामी जी ने प्रतिवर्ष परमार्थ निकेतन में होने वाले अन्तर्राष्ट्रीय योग महोत्सव की उपलब्धियों के विषय में जानकारी देते हुये बताया की आगामी वर्ष विश्व के लगभग 121 देशों के सहभाग करने की उम्मीद है। स्वामी जी महाराज ने बताया कि प्रयाग कुम्भ के माध्यम से हम स्वच्छता, सद्भाव और समरसता तथा संगम के तट से संगम का संदेश प्रसारित जायेगा।
स्वामी जी महाराज ने कहा कि भारत के यशस्वी एवं ऊर्जावान प्रधानमंत्री श्री नरेन्द्र मोदी ने योग को वट वृक्ष सी विशालता प्रदान की है यह भारत के लिये गौरव का विषय हैै।
साथ ही जल संकट पर चिंता व्यक्त करते हुये कहा कि हमारे देश में अब जलाशयों और शौचालयों का निर्माण भारी संख्या में किया जाना चाहिये। स्वच्छता पर जोर देते हुये कहा कि भारत के सभी धार्मिक स्थलों और विभिन्न धर्मो के धार्मिक स्थलों पर स्वच्छता के विशेष में विशेष ध्यान दिया जाना चाहिये क्योंकि हमारे धार्मिक स्थल हमारी आस्था और आदर्श के प्रतीक है।
परमार्थ निकेतन के परमाध्यक्ष स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने कहा कि भारत एक अद्भुत संस्कृति का देश है, भारतीय संस्कृति, तिथि, पर्व, त्योहार और मेलमिलाप की संस्कृति है। प्रयाग कुम्भ के दौरान आदिम जाति-आदिवासी, जनजाति के लोग अपने-अपने रीति-रिवाजों और अनुभवों को साझा करेंगे तथा अपने तरीके से मनाये जाने वाले उत्सवों एवं त्यौहार के विषय में विचार साझा करेंगे। स्वामी जी ने कहा कि भारतीय संस्कृति सभी को गले लगाने की संस्कृति है तथा विभिन्नता में एकता की संस्कृति है।

स्वामी जी ने कहा कि जिस प्रकार गंगा के घाट अलग-अलग है परन्तु गंगा एक है, उसी तरह पूरे देश में संस्कारों की गंगा भी एक ही बहती है। स्वामी जी ने बताया कि इस बार प्रयाग कुम्भ मेला के दौरान 37 देशों के आदिवासियों के प्रमुखों को आमंत्रित किया जा रहा जो वैश्विक एकता का संदेश प्रसारित करेंगे।
कुम्भ मेला के दौरान आमंत्रित सभी आदिवासी नेतृत्वकर्ता अपनी-अपनी संस्कृति, गीत-संगीत, रहन-सहन, सभ्यता, वेश-भूषा, पर्व और परम्परा इन सभी का आपस में सम्मिश्रण होगा। वे भारत में आकर गंगा, हिमालय और भारतीय संस्कृति को जानेगे तथा विभिन्न संस्कृतियों का सम्मिश्रण करने का प्रयास करेंगे।

महामहिम श्री रामनाथ कोविंद जी ने कहा कि  प्रयाग कुम्भ के पवित्र आध्यात्मिक वातावरण में संस्कृतियों के मिलन के पर्व का आयोजन किया जाना अद्भुत प्रयास हैै आगामी कुम्भ मेला निश्चित रूप से विश्व की विभिन्न संस्कृतियों को एक सूत्र में बांधने का कार्य करेगा। आदिवासी कुम्भ का आयोजन एक ऐतिहासिक प्रयास है।
स्वामी चिदानन्द सरस्वती जी महाराज ने राष्ट्रपति श्री रामनाथ कोविंद जी को शिवत्व का प्रतीक रूद्राक्ष का पौधा भेंट किया।

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