रुद्रप्रयाग:
भूपेंद्र भंडारी
स्थानीय उत्पादों को अलग से बाजार उपलब्ध करवाने व स्वरोजगार को बढ़ावा देने के मकसद से स्थापित जीएमवीएन की फ्रूटप्रोसेसिंग यूनिट पर भी बन्दी की गाज गिर सकती है।
तिलवाडा स्थित इस यूनिट में स्थानीय माल्टा, संतरा, आंवला व बुरांस का जूस तैयार किया जाता है और प्रतिवर्ष यूनिट के जरिये करीब 35 लाख रुपये का टर्न ओवर रहता है ऐसे में यूनिट को बन्द करने से निगम की घाटे की स्थिति तो बरकरार रहेगी ही साथ ही बेरोजगारों से रोजगार के अवसर भी छिनेंगे।
भूपेंद्र भंडारी
स्थानीय उत्पादों को अलग से बाजार उपलब्ध करवाने व स्वरोजगार को बढ़ावा देने के मकसद से स्थापित जीएमवीएन की फ्रूटप्रोसेसिंग यूनिट पर भी बन्दी की गाज गिर सकती है।
तिलवाडा स्थित इस यूनिट में स्थानीय माल्टा, संतरा, आंवला व बुरांस का जूस तैयार किया जाता है और प्रतिवर्ष यूनिट के जरिये करीब 35 लाख रुपये का टर्न ओवर रहता है ऐसे में यूनिट को बन्द करने से निगम की घाटे की स्थिति तो बरकरार रहेगी ही साथ ही बेरोजगारों से रोजगार के अवसर भी छिनेंगे।
वर्ष 1995 में जीएमवीएन ने तिलवाडा
में प्रोसेसिंग यूनिट की स्थापना की गयी थी जिसके जरिये स्थानीय उत्पादों
का जूस तैयार कर बाजारों में बेचा जाता था और जूस तैयार करने के लिए
स्थानीय बेरोजगारों को अस्थाई रोजगार मुहैया करवाया जाता था। मगर लगातार
घाटे की बात कह कर अब यूनिट को बन्द किये जाने की कवायद की जा रही है।
यूनिट को महज एक सुपरवाइजर के जिम्में छोडा गया है और यूनिट के प्रबन्धक
कभी इस और ध्यान देते ही नहीं हैं। प्रोसेसिंग के दौरान स्थानीय महिलाएं व
युवक यहां पर कार्य करते हैं और अपनी आजीविका चलाते हैं।
जहां एक ओर स्थानीय फूड प्रोसेसिंग इकाइयां अच्छा मुनाफा कमा रही हैं वही
निगम के कुप्रबन्धन के चलते ये बडी इकाइयां बंदी की कगार पर हैं। स्थानीय
लोगों का मानना है कि इन इकाइयों में बेहतर प्रबन्धन हों और यहां वर्ष भर
कार्य किया जाय तो ये इकाइयां बडे स्तर पर रोजगार दे सकती हैं और निगम को
घाटे से बाहर निकाल सकती हैं।
गढवाल के स्थानीय संसाधनों का जिम्मा संभाले जीएमवीएन के अधिकारी अब शहरों
की हवा के आदी हो गये हैं यही कारण है कि यहां के लिए निगम के पास स्पष्ट
पाॅलिसी नहीं है जो रोजगार परक ईकाइयां यहां संचालित हो रही हैं उनमें
स्वयं घाटा पैदा उन्हें बन्द करने पर उतारु हो रखे हैं आने वाले दिनों में
हालात यही रहे तो यहां पर निगम के सभी उपक्रम ठप्प हो जायेंगे और यहां
कार्य कर रहे कर्मचारियों के सामने रोजगार के संकट पैदा हो जायेंगे।
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