श्यामपुर;
मैत्री स्वय सैवी संस्था दृारा आज खदरी श्यामपुर ब्लूमिंग बडस पब्लिक स्कूल में खटीमा और मसूरी में शहीद हुए शहीदों को भावभीनी श्रद्धांजलि दी गई। शहीदों के चित्र पर माल्यार्पण कर उन्हें याद किया गया। शहीदों को श्रद्धासुमन अर्पित करते हुए उन वीर शहीदों के बलिदान को याद किया गया जिनकी बदौलत ये राज्य मिला।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में एक सितंबर को कुमाऊंनी गढ़वाली भाषा दिवस मनाया चाहिऐ ।संस्था ने सभी प्रदेशवासियों से अपने अपने स्तर पर भाषा दिवस मनाने का आह्वान किया है।
उन्होंने कहा कि प्रदेश में एक सितंबर को कुमाऊंनी गढ़वाली भाषा दिवस मनाया चाहिऐ ।संस्था ने सभी प्रदेशवासियों से अपने अपने स्तर पर भाषा दिवस मनाने का आह्वान किया है।
इस अवसर पर संस्था अध्यक्ष कुसुम जोशी ने बताया कि राज्य आंदोलन के दौरान एक सितंबर को खटीमा और दो सितंबर को मसूरी में राज्य के कई लोगों ने शहादत दी थी।
राज्य की बोली, भाषा और सांस्कृतिक पहचान के लिए जो आंदोलन हुआ, उसने उत्तराखंड को संदेश दिया था कि हमारा राज्य पहाडी हो, हमारी अपनी बोली भाषा हो, हम सरकार को पत्र लिखेगे और अपील करेगे कि एक सितंबर को कुमाऊंनी गढ़वाली भाषा दिवस घोषित करें ।प्रदेश में कभी भी किसी सरकार ने लोक भाषाओं के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए काम नहीं किया गया।
उत्तराखंड देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां स्कूली पाठ्यक्रम में स्थानीय बोली भाषा शामिल नहीं है। स्कूली पाठ्यक्रम में गढ़वाली व कुमाऊंनी भाषा को शामिल होनी चाहिऐ हमारा कर्तय है की हम अपने घरों मे अपनी भाषा में संवाद करें हम लोगो मे सबसे बडी कमी यही है की हम अपनी भाषा बोलने मे शर्म महसुस करते है ।
जबकि हमको उतराखण्डी पहाडी कुमाऊनी होने पर गर्व होना चाहिऐ हमको अपने बैनर पोस्टर ऑफिस की नेम प्लेट उतराखण्डी भाषा मे लगानी चाहिऐ ।सरकार को भी स्वागत में लगाने वाले बैनर पोस्टर उतराखण्डी भाषा मे मे लगाने चाहिऐ ।
इस अवसर पर विदयालय प्रबंधक नरेन्द्र जैठुडी स्कूल की प्रधानाचार्य सुमन जैठुडी सोनिया बडकोटी, अर्चना नैथानी ,सुचिता कुकरैती ,प्रमिला रावत ,मीनाक्षी जोशी, कुसुम उनियाल, उर्मिला जोशी, सरिता भट्ट ,माया देवी, कमला नेगी ,सम्पति देवी आदि मौजूद रहे।
राज्य की बोली, भाषा और सांस्कृतिक पहचान के लिए जो आंदोलन हुआ, उसने उत्तराखंड को संदेश दिया था कि हमारा राज्य पहाडी हो, हमारी अपनी बोली भाषा हो, हम सरकार को पत्र लिखेगे और अपील करेगे कि एक सितंबर को कुमाऊंनी गढ़वाली भाषा दिवस घोषित करें ।प्रदेश में कभी भी किसी सरकार ने लोक भाषाओं के संरक्षण और संवर्द्धन के लिए काम नहीं किया गया।
उत्तराखंड देश का एकमात्र ऐसा राज्य है, जहां स्कूली पाठ्यक्रम में स्थानीय बोली भाषा शामिल नहीं है। स्कूली पाठ्यक्रम में गढ़वाली व कुमाऊंनी भाषा को शामिल होनी चाहिऐ हमारा कर्तय है की हम अपने घरों मे अपनी भाषा में संवाद करें हम लोगो मे सबसे बडी कमी यही है की हम अपनी भाषा बोलने मे शर्म महसुस करते है ।
जबकि हमको उतराखण्डी पहाडी कुमाऊनी होने पर गर्व होना चाहिऐ हमको अपने बैनर पोस्टर ऑफिस की नेम प्लेट उतराखण्डी भाषा मे लगानी चाहिऐ ।सरकार को भी स्वागत में लगाने वाले बैनर पोस्टर उतराखण्डी भाषा मे मे लगाने चाहिऐ ।
इस अवसर पर विदयालय प्रबंधक नरेन्द्र जैठुडी स्कूल की प्रधानाचार्य सुमन जैठुडी सोनिया बडकोटी, अर्चना नैथानी ,सुचिता कुकरैती ,प्रमिला रावत ,मीनाक्षी जोशी, कुसुम उनियाल, उर्मिला जोशी, सरिता भट्ट ,माया देवी, कमला नेगी ,सम्पति देवी आदि मौजूद रहे।
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